RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
मेरे तो लंड का हाल ही मत पूछौ. चाची ने भी नयी पेन्टी पहनी थी शायद..ऐसे मुँह से चाची की चुत को सहलाना मज़ा आ रहा था.रेशमि कपडे में से चुत को फील करने में मज़ा आ रहा था फिर मैंने चाची के नैवेल के पास पेन्टी का हिस्सा होता हे, वहाँ पे अपनी दो ऊंगलियां डाली और पेन्टी को ऊपर खिंच के छोड़ दिया.. और फ..टाक सी आवाज़ आयी.. और चाची हस् पडी, उन्हें भी मेरी ऐसी हरकतो से मज़ा आ रहा था. फिर मेरे से अब रहा नहीं जा रहा था तो मैंने चाची की पेन्टी को दोनों हाथों से पकड़ा और चाची की और देखा..चाचि ने मुझसे नजरें मिलाते ही आँखें बंद कर दी पर अपने होठ को दान्त से काटा और मुझे आगे बढ्ने का इशारा दिया. मैंने फिर आराम से चाची की पेन्टी को निचे उतारा और फिर अपने अंडरवेअर को भी उतार दिया..चाचि को लगा था की में उन्हें अपना लंड चूसने को दूंगा..मगर पता नहीं में किस मूड में था लगता हे बहुत सारा गुस्सा जमा हो गया था मन में, सामने वाली आंटी का, बहुत दिनों से बड़ी चाची को भी नहीं चोद पाया उसका, मम्मी से पिछडने का. तो मैंने सोच लिया की छोटी चाची खुद कहे तो ही चूसने दूंगा, वर्ना मेरा तो लंड मस्त तन चुक्का था चुत पेल्ने के लिये..
लेकिन जैसा मेरा मानना था चाची की हिम्मत नहीं बनी.. और मैंने अपना लंड अपने हाथ में एक दो बार मसलते हुए, चाची की चुत पे मस्त ऐसे ही एक दो बार रगड़ा.. और फिर सटाक से अपना लंड चाची की चुत में दाल दिया.. चाची एकदम से सकपका गयी, उन्होंने शायद सोचा था की में पहले चुत चुसूंगा, फिर चोदूँगा, पर मैंने सटाक से चुत में लंड डाला और चाची के ऊपर आ गया. चाची कहने जा रही थी की
“रेशु.आराममम.. इससे पहले की चाची कुछ कहे..मैने उनके लिप्स से अपने लिप्स फिर से लगा दिये.. इस बार चाची ने मेरी आँखों में देखा, और उन्हें पता चल गया की इसे रोक्ने का कोई फायदा नही, इसे जो करना हे वो करने दो. फिर चाची ने खुद ही अपने पाँव को और चौड़ा किया और मेरे गांड के आसपास जमा लिये, और मेरी नाक, मेरी पीठ को अपने मस्त नाजूक हाथों से सहलाने लागी, मैंने अभी तक स्ट्रोक्स देना स्टार्ट नहीं किया था बस ऐसे ही मैंने अंदर लंड डाला और फिर मुझे लगा की चाची स्ट्रोक्स के लिए तड़प रही हे तो मैंने चाची को पलटा लिया और अपने ऊपर ले के उन्हें बिठा दिया. अब वो मेरे लंड पे बैठी थी, और वो समझ गयी, की उन्हें क्या करना हे, उन्होंने खुद ही अपने आप धीरे धीरे से ऊपर निचे होना शुरू कर दिया, में बस चाची को देख रहा था और मैंने उनकी कामर हाथ से पकड़ रक्खी थी.
चाची के बिखरे बाल उनके चेहरे पे बार बार आ रहे थे, चाची अब अपने आप ही जोर लगा के ऊपर निचे हो रही थी, इससे उनकी साँसे भी तेज़ होने लगी थी, ऐसे ऊपर निचे होने से वो मस्त एन्जॉय कर रही थी,बीच बीच में अपने बॉब्स को खुद ही दबा देती थी, फिर मैंने चाची की कमर से पकड़ के चाची को अपनी और थोड़ा सा झुकाया और उनके बॉब्स को अपने मुँह के पास ले के चूसने लगा, अब चाची को में चोदने लगा, क्यूँकि वो अब ऊपरनीचे हो नहीं सकती थी, वैसे भी वो १० मिनट में थक गयी थी. फिर मैंने चाची को चोदना शुरू किया और चाची के बॉब्स को भी चूसने लगा, चाची की साँसे तेज़ हो गयी थी, ऐसे ऊपर निचे होने से. फिर मैंने चाची को समझाते हुये मैंने चाची को डॉगी स्टाइल में एडजस्ट किया और फिर में चाची को और तेज़ी से चोदने लगा, मेरे स्ट्रोक्स सच में बड़े धारदार हो रहे थे, जैसे ही में अंदर लंड डालता की चाची के मुँह में से “ओहउम्मम्मा” या “ओफ्फफ्फ” की आवाज़ आति, वो भी ज्यादा आवाज़ नहीं कर रही थी, शायद किसी को पता चल जाये, लेकिन उनके बार बार अपनी चुत को सहलाने से पता चल रहा था की वो दर्द से तड़प रही हे, में भी पसीने पसीने हो गया था पर अभी तो चुदाई बाकि थी, चाची को मैंने फिर कमर से छोड़ के कन्धो से पकड़ा और थोड़ा सा ऊपर उठा के चोदने लगा, जिससे चाची मेरे जांघ पे बैठ गयी और मैंने फिर से उनके बॉब्स पकड़ के उन्हें चोदने लगा..इस बार गहरी चुदाई के साथ चाची के बॉब्स पे भी जोर आ गया तो चाची दर्द के मारे चीख़ ही पडी
“उह…ररररेशु,प्लीज धीरे..धीरे….
फिर मैंने देखा की चाची झड चुकी थी, अब वो रिलैक्स हो चुकी थी, धीरे धीरे शांत होने लगी थी, लेकिन मैंने उन्हें लेटने नहीं दिया और अपने जांघ पे ही बिठा के रक्खा और न ही अपने लंड को बाहर निकाला, बल्कि चाची के लिप्स को चूसने लगा और चाची की निप्पल्स को पकड़ के चाची को फिर से इरेक्शन देणे लगा, और थोड़ी ही देर में चाची की निप्पल्स फिर से हार्ड होने लगी और अपने आप उनके हाथ मेरे सर पे घुमने लगा, अपने आप ही उन्होंने मेरे हाथों को पकड़ के अपने बॉब्स को दबाने लागी. फिर मैंने चाची को एक साइड से लीटा दिया और एक पाँव को उठा के चोदने लगा, मस्त ऐसे १-०-१५ मिनट चोदने के बाद मुझे लगा की में अब झड़ने वाला हूँ. तो मैंने पोजीशन चेंज की और अपने आप पे कण्ट्रोल किया. और चाची को मिशनरी स्टाइल में लीटा दिया और फिर से लंड से चाची को चोदने लगा, मैंने इस बार बड़ी जोर से चाची को चोदना स्टार्ट किया और सररररर सरररर अपने लंड से चुत को पेल्ने लगा, अब तो मेरे हर स्ट्रोक पे चाची के मुँह से ‘आआआह’ ही निकल जाती थी. फिर मैंने उनके दोनों पैर को पकड़ा और दम लगा के चोदने लगा, चाची भी मेरे स्टैमिना को दाद दे रही हो ऐसे दर्द के मारे देख रही थी, फिर मैंने धीरे से एक हाथ चाची के जी-स्पॉट पे रक्खा और उसे हल्का सा प्रेशर दे के मसलने लगा तो चाची ने एक जोर से अंगडाई ली और फिर से झड गयी और में तो चोदता ही रहा, चाची का रस चुत में से बाहर नहीं आ पा रहा था मेरा लंड गीला हो गया था और चाची के चुत में छूटती पिचकारियां मेरे लंड को लग रही थी, फिर मैंने भी आँखें बंद की और मुझे लगा की में झड़ने वाला हु तो मैंने भी चाची के रस के साथ ही रस छोड़ दिया और फिर मेरे मुँह से रिलीफ की सांस निकली. चाची को भी अब चैन आ गया था. में उनके पास में लेटा की उन्होंने मुझे अपने पास खिंच लिया और अपनी बाँहों में भर लिया, मैंने भी अपना एक पाँव चाची की गांड पे रख दिया और चाची के क्लोज हो गया, चाची की साँसे अभी भी तेज़ थी, बॉब्स भी बड़ी तेज़ी से ऊपर निचे हो रहे थे, लेकिन धीरे धीरे वो नार्मल हो रही थी, उस रात मैंने चाची को और दो बार चोदा हमारा कार्यक्रम सबेरे पांच बजे तक चला चाची की हालत पतली हो गयी थी.पर उनको मजा भी बहुत आया. फिर नींद आ गयी. दूसरे दिन में लेट उठा छोटी चाची बाहर थी, में समझ गया की वो फ्रेश हो चुकी हे, में भी फ्रेश हो के बाहर आया, देखा तो शॉक्ड…..
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