RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
मम्मी आ चुकी थी, वो दोनों चाचियों से बात कर रही थी.. मैंने उनसे पुछा तो उन्होंने कहा की पापा नहीं आ रहे, उन्हें कुछ काम हे. आज माँ बार बार मेरी और शर्म से देख रही थी, ऐसे पहले कभी मैंने नहीं देखा माँ को. सच में मुझे लगा की माँ ने घर जा के मेरे बारे में सोचा है..थोड़ी सी ख़ुशी हुई, पर लगा की माँ सामने से इशारा करे तभी कुछ करूंगा, वरना बेवजह के लफड़ो में नहीं पडना. फंक्शन कल था माँ कार ले के कल भी आ सकती थी, पर आज आ के वो भी जल्दी में तो सरप्राइज ही हो गया, फिर थोड़ी देर बात कर के सब ने लंच किया और फिर तीनो शॉपिंग करने के लिए चल दी..
इधर में डोर बंद कर के अपने रूम में आया ही था की फिर से डोर पे नॉक सुनाई दि, मुझे लगा की बड़ी चाची ही होगी, क्यूँकि वो अक्सर कुछ न कुछ भूल जाती हे. लेकिन मैंने डोर ओपन किया तो सामनेवाली आंटी थी और वो परेशान लग रही थी. दोपहर के टाइम पे तो वो कभी चाची से मिलने नहीं आती थी..
सॉरी आंटी..चाचि तो अभी अभी निकल गयी... मैंने शॉक से सँभलते हुये..ये बताया की घर में कोई नहीं हे..
हाँ मैंने देखा उनको जाते हुये, इसीलिए आई हूं..मुझे तुम्हसे काम हे...
“हाँ आइये ना..प्लीज अंदर आइये. मैंने उन्हें वेलकाम करना चाहा..पर उन्होंने कहा की अंदर आने का टाइम नहीं तुम मेरे साथ मेरे घर चलो.
मै शॉक हो गया, पहले में उनके घर जाने को बेताब था तब कभी कुछ नहीं कहा, और आज एक ड़ेढ़ महीने के बाद वो अचानक चाची की ग़ैरमौजूदगी में मिलने आती हे और कहती हे, की मुझसे पर्सनल काम हे, तो में तो सोचते सोचते पागल हो गया की आखिर क्या काम होगा. मैं उनके पीछे पीछे उनके घर पहुंचा, में उनके घर के गेट के अंदर आया की वो फिर से बाहर देखने गयी की कोई देख रहा हे की नही, फिर स्याटिसफाय होने के बाद वो वापस आई, में उनका डोर के पास वेट कर रहा था फिर उन्होंने अपना मेन डोर खोला और मुझे अंदर जाने को कहा, में अंदर गया..लकिन वो वहीँ पे रुक गयी तो मैंने पलट के उनकी और देखा..सवालिया नजर से.
“प्लीज ये टीवी ठीक कर दो... और मैंने अपने लेफ्ट साइड में टीवी की और देखा तो ओह बॉस रियली शॉकिंग था टीवी पे एक फकिंग सन पॉज हो गया था एक दो सेकंड के लिए तो मुझे विश्वास नहीं हुआ, लेकिन फिर मैंने होश में आते हुये, आंटी की और देखा तो वो अपने साड़ी के पल्लू को अपने दोनों हाथों से घुमाती हुई, निचे देख रही थी और फिर कहा
“ये डीवीडी अटक गयी हे, प्लीज कुछ करो ना”. मैंने आंटी को मस्त ऊपर से निचे देखा, वो शर्म से पाणी पाणी हो रही थी, फिर भी मस्त लग रही थी..बडे बॉब्स ब्लाउज में कैद थे पर साइड लुक से मस्त नज़र आ रहे थे, उनकी बेल्ली भी मस्त थी, फिर उन्होंने एक झलक उठा के मेरी और देखा और पाया की में उनका चक्षु-चोदन कर रहा हू, तो उन्होंने डिस्कम्फर्ट फील करते हुए, साइड में देखा, पर मैंने उन्हें देखना कंटिन्यू रक्खा और फिर वो बड़ी परेशान सी लगने लगी. और रहा नहीं गया तो फिर से मेरी और देखा तो मैंने फिर उन्हें स्माइल दिया और उनके डीवीडी प्लेयर की और गया और हल्का सा तीन चार बार जोर से ठोका और फिर रिमोट से ओपन किया तो डीवीडी ओपन हो गयी. जैसे ही डीवीडी बाहर आई, मैंने उसे निकाला और फिर आंटी को दिया, अब तक आंटी सोफ़े पे आ के बैठ चुकी थी, हाँ अभी भी मुझसे शर्मा रही थी. मैं उनके पास जा के बैठा और उनके पास डीवीडी रक्खी और कहा
“आंटी अगर, टीवी ऑफ कर के मुझे बुलाया होता, और कहा होता की डीवीडी प्लेयर में एक डीवीडी फंस गयी हे, तो शायद आप को इतनी शर्म नहीं होती.. जैसे ही आंटी ने मेरी बात सुनि और समझी, तो अपने हाथ को अपने सर पे दे मारी और में हंसने लगा, फिर आंटी भी हंस पडी.
“अरे.मैं इतना डर गयी थी, कुछ देर में तीन-चार सहेलियां आने वाली हे, तो में डर गयी थी, कहीं उन्होंने मूवी देखने की जिद्द की तो में तो मर ही जाऊंगी, फिर में तुम्हे बुलाने के लिए आयी और ऐसा टीवी ऑफ करने का ख्याल ही नहीं आया. .
फिर में उठ गया और मैंने मूड के एक बार उनकी और देखा तो वो मेरी ही और देख रही थी, और जैसे ही मैंने उन्हें देखा तो वो मुझे देख के मुस्कुरायी और फिर मैं भी मुस्कुराया मैंने कहा “आंटी अकेले देखने मे वह मजा नही आता जो किसीके साथ देखने मैं आता हैं,क्या हम साथ देखे” इतना कह के मैं आंटी की आंखों में देखता रहा.पहले तो आंटी चौक गयी हैरानी से मुझे देखती रही मैं भी अपनी हिम्मत पे दंग था पर अब जब बोल दिया तो जो होगा देखा जायेगा कुछ देर आंटी मुझे देखती रही फिर उनके चेहरे पर स्माइल आ गयी फिर शर्मा के उन्होंने अपना सर झुकाया और बोली “अभी नही मेरी सहेलियां आती होगी फिर कभी” अब चौक ने की मेरी बारी थी. मुझे अपने कानों पे यकीन नही हो रहा था. मैंने कहा “आप सच कह रही है आप मेरे साथ ब्लु फिल्म देखेगी? आंटी ने हा में गर्दन हिलाई और शर्मा कर पलट गई वॉव पीछे से आंटी क्या लग रही थी अब मेरे से रहा नही गया मैं आंटी को पीछे से लिपट गया आंटी के मुंह से सिसकी निकल गयी पर आंटी ने अपने आपको छुड़ाया नही फिर मैंने आंटी को अपनी तरफ पलटा दिया आंटी की आंखे बंद थी पर होठो पे मुस्कान थी उन्हें बुरा नही लगा था.मैंने आंटी को कसके गले लगाया था वॉव क्या मस्त अहसास था उनके बड़े बड़े बॉब्स मेरे सीने में धंस रहे थे आगे मैं कुछ करता उससे पहले आंटी ने मुझे पीछे धकेल कर दूर किया और कहा “अब जाओ मेरी सहेलियां आती होगी” फिर मैं भी वापस घर चला आया. मैंने सोचा अगर उनको मेरी जरूरत होगी तो खुद आयेगी.मछली चारा निगल गयी थी.अब जल्द ही मेरी बांहों में होगी मुझे यकीन था.पर कब?
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