RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
फिर मैंने कुछ नहीं किया और चुपचाप सो गया. फिर दूसरे दिन सब रेडी हो रहे थे, में रेडी हो चुका था और बाहर सब का वेट कर रहा था सब रेडी हो चुके थे, पर माँ बाकि थी. बड़ी चाची फिर माँ से पूछ्ने लगी, में कार साफ़ कर रहा था इतने में बड़ी चाची बाहर आई और कहने लगी की
"रेशु तू ऐसा कर, तेरी मम्मी को आने में देर लगेगी, तो तू उसे ले कर बाइक पे आ जाना, हम चलते हे".
और ऐसा कह के सब कार में बैठ के चले गये, में फिर अपने रूम में पंहुचा की आखिर माँ रेडी क्यों नहीं हुई..?
मै अंदर पहुंचा, तो माँ को देख के दम शॉक हो गया, माँ अपनी ब्लैक ब्रा में थी, और नीचे साड़ी पहनी थी, और उनका ब्लाउज बेड पे था मैं अन्जाने में रूम में बहुत अंदर आ गया था तो माँ ने भी मुझे देखा की में अंदर आ गया हू, पर इस बार माँ ने अपने बॉब्स को ढकने का कोई ट्राय नहीं किया, बल्कि वो मेरी और पलट के खड़ी रह गयी, बॉस..क्या मस्त बॉब्स लग रहे थे, मेरे तो पैर ही चिपक गए थे, वहा पे..माँ भी मुझे ऐसे देखते हुए देख रही थी, पर मैंने दो पल के लिए माँ की परवा ही नहीं की, और माँ के बॉब्स को बस देख रहा था.फिर माँ को ही शर्म आ गयी, और वो बेड पे बैठ गयी..
माँ:- "अरे यु क्यों खड़ा है? कोई प्रॉब्लम तो नही...
मैं :- "नही..
माँ:- "रेशु, में बस रेडी हो रही थी, लेकिन जो साड़ी लाई थी, वो अब काम की नहीं रही, खैर तू बाहर जा, में १०-१५ मिनट में आ रही हू.. और मुझे बाहर जाना पडा, पर मैंने भी जाते जाते माँ की और देखा और कहा ..
"मोम कोई हेल्प चाहिए तो आवाज़ दे देजियेगा".
और में बाहर आ गया. फिर में बाहर आया और माँ के बॉब्स के बारे में सोच रहा था और फॅन्टसी कर रहा था इतने में माँ ने मुझे पुकारा और मेरा तो मानो नसीब ही खुल गया हो, में झट से अंदर दौड़ा, और अंदर जा के देखा तो माँ मेरा ही इंतज़ार कर रही थी, और मैंने देखा तो माँ ने सारे कपडे पहन लिए थे, और वो रेडी थी, थोड़ा सा में निराश हो गया, लेकिन माँ इस डार्क नीले कलर की साड़ी और ब्लाउज में गोल्डन कलर की डिज़ाइन में मस्त लग रही थी, बॉस..मॉम जितनी घर में सिंपल रहती है,उतनी ही हॉट इन फंक्शन में लगती हे, आज भी ऐसा ही था बॉस माँ को देखा और में देखता ही रह गया.
"अरे रेशु..ईधर तो आ,दरवाजे में क्या खड़ा रह गया हे...? माँ ने मुझे नींद में से जगाते हुए कहा.
"हाँ..हाँ माँ"
और में भी माँ के कहने से जागा और माँ के पास गया.
"रेशु..जरा पीछे इसे बांध दे ना"
और मैंने माँ के नजदीक जा के देखा तो माँ ने पीछे बैकलेस ब्लाउज पहना था.इसका साफ़ मतलब था की माँ ने अंदर ब्रा नहीं पहनी थी. मेरे शैतानी दिमाग में एक मस्त सा आईडिया आया. और में चाहता तो बेड पे बैठ के माँ के पीछे जा के आराम से डोरी बांध सकता था पर में वही पे खड़ा रहा, और माँ तो ऐसे ही नार्मल बैठी थी. तो में माँ के एक दम क्लोज हो गया और झुक के दोनों हाथों में दोनों डोरिया ले ली. इससे माँ के फेस के बड़े नजदीक मेरा लंड आ गया.
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