RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
मैने अपनी ऊंगली उनके गांड की दरार में भी चला दी थी, उनके हाथ से हट जाने के कारन में अपने सीने पर बॉब्स का दबाब महसूस कर सकता था, बहुत कसे और उभरे हे बॉब्स थे आंटी के जिनको अब मैं अपने हाथों में पकड़ कर मसल रहा था, जोर जोर से दबा रहा था
मै आंटी को पकड़ कर पलंग के पास ले आया और पलंग पर बैठ कर मैंने अपनी गोद में बैठा लिया और दुबारा से उनके होठो को चुस्ने लगा, वो मेरे बालो को सहला रही थी और मेरे होठो को चूस रही थी, गोद में बैठने के कारन में अब उनकी जांघे आसानी से छु पा रहा था,
मैने अपना हाथ साड़ी के अंदर ड़ाला और उनकी जाँघो को सहलाने लगा, मेरे हाथ उनके नंगे घुटनो से उनकी गांड तक आसानी से जा रहे थे, में अपने हाथ उनकी गांड तक ले के जाता और उनकी पेंटी के किनारो तक उनको सहलाता,
जब-जब मेरे हाथ उनकी पेंटी तक जाते, वो मेरे से और चिपक जाती, उन्होंने मेरा सर पकड़ कर उसको अपने सीने पर रख दिया जहा से मैं उनके उभारो के ऊपर नीचे होने का एह्सास ले सकता था, मैंने ब्लाउज के ऊपर से उनके बॉब्स को चूम लिया और अपने होठो से उनको दबाने लगा,
आंटी ने धीरे धीरे अपनी टाँगे थोड़ी चौड़ी कर दि, अब में आसानी से उनकी टांगो के अंदर की तरफ भी सहला पा रहा था, मैंने उनकी टांगो को सहलाना जारी रखा और बार- बार उनकी पेंटी के पास हाथ ले जाकर छोड देता था,
मेरी यह हरकत उनको उतेजित कर रही थी क्यूँकि शायद वो बार- बार यही सोच रही थी की अबकी बार मेरा हाथ उनके गुप्तांगो को छुयेगा पर हर बार उनका यह सोचना गलत हो जाता था,
मुझको बड़ा मज़ा आ रहा था पर जब जब मेरा हाथ उनकी चुत के पास जाता तो उसकी गर्मी महसूस हो रही थी,
आंटी ने मेरी टी-शर्ट उतार दि, मैंने अंदर बनियान भी नहीं पहनी थी, वो टी-शर्ट उतारते ही मुझसे चिपक गयी और मेरे शोल्डर्स और मुह पर चुम्बन करने लगी, में भी उनके चुम्बन का जवाब चुम्बन से दे रहा था और उनके गले, कान, गालो, होठो को चूम रहा था, मेरी साँसों में उनके जिस्म की महक आ रही थी जो मुझको और पागल बनाये जा रही थी,
मैने अपना हाथ उनके पीछे से ब्लाउज में डाल दिया और धीरे-धीरे उनके बॉब्स की तरफ बढ़ने लगा, मैंने ब्रा के ऊपर से हे उनके बॉब्स पकड़ लिए और उनको दबाने लगा,
थोड़ी देर बाद बॉब्स दबाने के बाद में अपना हाथ दुबारा से उनकी पीठ पर ले गया और उसको सहलाने लगा, पर अबकी बार मेरा इरादा कुछ और था, थोड़ी देर ऐसे ही उनकी पीठ सहलाते हुए अचानक में अपना हाथ उनके पीठ पर ऊपर से नीचे लाया और अपना हाथ सीधे उनकी पेंटी में पीछे डाल दिया, आंटी इसके लिए तैयार नहीं थी तो वो मुझसे अलग हो गयी, पर अब तक मेरा काम हो चुक्का था और मेरा हाथ उनके गांड की दरार के ठीक बिच में वह था,
उनके अलग होने से उनका दवाब उनके गांड पर बढ़ गया और मेरा हाथ उनकी दरार में सेट हो गया, मैंने अपनी ऊंगली उनकी दरार में चलानी शुरू कर दी और उसको सहलाने लगा, अब हम लोगो की उतेजना इतनी हो गयी थी की बता नहीं सकता, मैंने आंटी को इशारा किया और आंटी की साड़ी को उनके जिस्म से अलग करने लगा,
आंटी ने अपने हाथ ऊपर कर दिए ताकि में ब्लाउज भी निकाल सकु और जब साड़ी, पेटीकोट और ब्लाउज उनके जिस्म से अलग हुआ तो वो मेरे सामने ब्रा और पेंटी में मेरी गोद में थी, वो मुझसे शर्मा कर चिपक गयी, मैंने उनके कन्धो और सीने पर किस कर रहा था और उनके पूरे जिस्म को सहला रहा था, अब मैंने अपना हाथ उनकी चुत पर रख दिया और उसको दबाने लगा, उनकी चुत इतनी उभरि हुई थी जैसे पावरोटी हो, में उसको मसल रहा था और आंटी सिसकारियां भर रही थी, मैंने बिना पेंटी उतारे अपनी ऊंगली पेंटी की साइड से अंदर डाल दी और चुत सहलाने लगा,
दोस्तॉ, एक बात बताना चाहूंगा की औरत की उत्तेजना एक दम से चोदने से नहीं बल्कि उसको सहलाने से बढ़ती है, औरत मर्द के मुकाबले देर से उतेजित होती है और एक बार पूरी तरह से उतेजित होने के बाद ही सम्भोग का माज़ा ले पाती है,
यह बात शायद आप लोगो को अच्छे से पता होगी और यही में आंटी के साथ भी कर रहा था, मैंने उनको वही पलंग पर लिटा दिया और सीने को चाटते हुए उनके कन्धो से उनके ब्रा के स्ट्रेप उतारने लगा, जल्दी ही उनका सीना नँगा हो चुका था और उनके उभार आधे चाँद की तरह ब्रा से झाँक रहे थे, पता नहीं आप लोग मुझसे सहमत है या नहीं पर मेरे अकोर्डिंग औरत का खुला हुआ भाग उतना उतेजित नहीं करता जितना की छुपा हुआ करता है,
उनके सीने और बाहर निकले हुए बॉब्स को चाट रहा था और वो मुझको अपनी और दबाये पड़ी थी, अबकी बार आंटी ने पहल करते हुए अपना एक बॉब्स अपने ब्रा से पूरा बाहर निकाला और मेरे मुह के आगे कर दिया, ३६ के आकर का गोल बॉब्स अपने गुलाबी उभरे हुए निप्पल के साथ मेरे सामने था तो में अपने आप को कैसे रोकता, मैंने झट से उसको मुह में ले लिया और एक बच्चे की तरह चूसने लगा,
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