RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
कड़ी_08
अपने और अपने ससुर के साथ उस तालुकात के बारे में प्रवींद्र को बताने के बाद नेहा रोने लगी और जमीन पर बैठ गई। प्रवींद्र ने सारे बयानात गौर से सुने, और हालांकी नेहा वैसे मुश्किल दौर से गुजरी थी। सब सुनते हुए और सुनने के बाद प्रवींद्र बहुत उत्तेजित हो गया और उसका जमके खड़ा हो गया। उसको सब बहुत ही एराटिक और उत्तेजक लगा बहुत उत्तेजना हुई उसको।
O
जब नेहा रो रही थी तो प्रवींद्र भी अपने सर को दोनों हाथों में थामे नीचे बैठ गया। उस पल कमरे में एक तनाव था, भारी और बोरिंग वातावरण था, सब शांत थे। तकरीबन 15 मिनट तक दोनों चुपचाप बिना कोई बात किए वैसे ही खामोश बैठे रहे।
प्रवींद्र नेहा की कहे हुये उन सब दृश्यों को अपनी आँखों के सामने जैसे देख रहा था, रीवाइंड कर करके। और उसने सोचा और समझ गया की उसी तरह से नेहा को हर रात उसका पिता चोदने लग गया और तब से शायद नेहा को भी आदत हो गई, क्योंकी उसको वो खुशी देने वाला कोई और था ही नहीं। तो इसीलिए नेहा हर रात अपने ससुर के कमरे में जाती है और दोनों अपने जिश्म की आग को शांत करते हैं। प्रवींद्र को समझ में नहीं आ रहा था की अब क्या कहे और कैसे नेहा को अप्रोच करे?
मगर अब वो नेहा को और भी चाहने लगा और सेक्स माइंडेड भी हो गया नेहा को लेकर शायद पहले से और भी ज्यादा।
क्योंकी उसके पिता के साथ तो नेहा कर ही रही थी, तो प्रवींद्र ने सोचा अब तो और आसान हो गया उसको नेहा को पाने के लिए। थोड़ा सा मतलबी भी बन गया और सोचा की अब अगर नेहा उसको खुश नहीं करेगी तो वो नेहा को उसी के किए गये गनाह को इश्तेमाल करके उसको एमोशनली ब्लैकमेल भी कर पाएगा। मगर उसके दिल में सच में नेहा के लिए प्यार भी था, तो शायद ब्लैकमेल करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अगर नेहा भी सच में उसको चाहती है तो, ऐसा भी सोचा प्रवींद्र ने।
फिर भी प्रवींद्र सोचता रहा की आखिर क्यों इतने दिनों तक नेहा उसके प्रपोजल को ठुकराती रही? जबकी वो खुद ये सब करने लगी थी। यह सवाल प्रवींद्र को परेशान किए जा रहा था। क्या अब नेहा खुद को प्रवींद्र के हवाले करेगी? अब कैसे प्रवींद्र नेहा की तरफ बढ़ेगा जबकी नेहा ने अभी काफी दर्द भरे हालात को बयान किया? जब उसने देखा के नेहा ने रोना बंद कर दिया है तो कमरे की शांति को भंग करते हुए प्रवींद्र बोला- “अच्छा तो यह बताओ भाभी, तुम पिछले 4 महीनों से पिताजी को खुश कर रही हो, और रवींद्र भाई को इसका पता है ना?"
नेहा ने गहरी साँस लेते हुए कहा- “तुम्हारा भाई किस तरह से सोता है, तुमको मुझसे बेहतर पता होगा ना... उसको एक बार भी पता नहीं की मैं कमरे से निकलकर पिताजी के कमरे में जाती हैं। हाँ पिताजी ने उस पहली रात के बाद हर रात को मुझे अपने कमरे में आने को कहा। और सच कहूँगी तब मुझे पिताजी के साथ ये सब पसंद आने लगा, मुझे उसकी जरूरत महसूस होने लगी और मैं खुद ना चाहते हुए भी सब एंजाय करने लगी धीरे-धीरे, क्या करती मैं? आखिर मैं भी इंसान हूँ और मेरी भी जरूरतें हैं। और एक सच बात बताऊँ? तुम्हारे
पिताजी बहुत मजबूत हैं और मुझको बेहद खुश करते हैं वो, उसकी उम्र के बावजूद अब भी वो पक्का मर्द हैं। वो पहला मर्द है जिसने मुझको चोदा और मुझको एक औरत होने का एहसास दिलाया। उसने मुझको एक मुकम्मल
औरत बनाया, और मुझे खुद अपने आपको उसे सौंप देने का मन करने लगा। उस रात के बाद मैं रात का इंतेजार करने लगी और उसके पास जाने और संभोग करने का बेसब्री से इंतेजार करने लगी हर रात को। और तेरे पिताजी को अपना मर्द समझने लगी मैं तब से..."
प्रवींद्र ने नेहा को दिल लगा के अच्छी तरह से सुना और उसके पास नेहा को देने के लिए जवाब नहीं रहा। कुछ कहने लायक नहीं छोड़ा नेहा ने उसको। वो खड़ा हुआ और अपने पिता के बारे में सोचने लगा।
प्रवींद्र कमरे से निकलने लगा तो नेहा उसके पीछे तेज कदमों से गई और पीछे से प्रवींद्र का हाथ जोर से पकड़कर कर कहा- “प्लीज मत जाओ, प्लीज... क्या यह मेरा कसूर है की तुम मुझे अब छोड़कर जाओ? हालात ऐसे हो गये थे की मुझे वो सब करना पड़ा अब तो समझो तुम...”
प्रवींद्र मुश्कराया और उसको नेहा पर तरस आया, तो उसने कहा- "फिकर मत करो भाभी, मैं कहीं नहीं जा रहा, और नहीं जाऊँगा। मैं तो बाहर हवा खाने जा रहा हूँ, दम घुटने लगा इस कमरे में अब..." यह कहकर प्रवींद्र ने नेहा को अपनी बाहों में जोर से जकड़ा।
तो नेहा की जान में जान आई और अपने सर को प्रवींद्र के सीने पर चिपकाते हुए उसने एक लंबी साँस छोड़ी। दोनों एक दूसरे को बाहों में जकड़े खड़े थे, एक दूसरे के जिश्म की गर्मी को महसूस कर रहे थे। फिर प्रवींद्र ने अपनी भाभी के माथे को चूमा, फिर उसके गालों को चूमा और फिर उसके होंठों को। नेहा ने इस बार विरोध नहीं किया और प्रवींद्र के किस को रेपोन्ड किया और उसने भी प्रवींद्र को खुद किस किया। और जब प्रवींद्र ने देखा
की नेहा मना नहीं कर रही है तो उसने उसके गले को किस किया, फिर धीरे-धीरे नीचे नेहा को चूमते हए चूचियों की तरफ होंठ फेरता गया।
नेहा ने और जोरों से प्रवींद्र को बाहों में जकड़ा, लंबी साँस छोड़ी, और उसकी साँसें तेज होने लगी, तो फुसफुसाते हुए नेहा ने कहा- “प्लीज अब छोड़ो मुझे, छोड़ो ना प्लीज... मैं बहक जाऊँगी, मुझसे कंट्रोल नहीं हो पाएगा प्रवींद्र, प्लीज छोड़ो ना सस्स्स्स ..."
मगर प्रवींद्र और भी और सहलाते और किस करते गया अपने प्यारी खूबसूरत, जवान भाभी को। किस के दौरान उसके हाथ नेहा की पीठ से लेकर गाण्ड तक फेरते हुए मसलते गये। फिर नेहा को प्रवींद्र ने उठा लिया उसी पोजीशन में, नेहा के पाँव जमीन पर नहीं थे, ऊपर थे। क्योंकी प्रवींद्र उसको बाहों में जकड़े हुए उठाया हुआ था, नेहा का पूरा जिश्म प्रवींद्र के जिश्म से लिपटा हुआ प्रवींद्र की बाहों में कैद, और प्रवींद्र के होंठ उसके जिश्म पर चारों तरफ फिर रहे थे चूमते हुए। फिर चलकर प्रवींद्र अपने कमरे तक गया और नेहा को अपने बिस्तर पर
लेटाया।
|