RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
जब प्रवींद्र और नेहा उनकी चौखट तक पहुँचे तो खटखटाने से पहले ही रूपचंद ने दरवाजा खोल दिया। नेहा ने सर उठाकर उन दोनों को एक चिंतित मश्कान से देखा।
प्रवींद्र ने दोनों से हाथ मिलाया और नेहा को परिचय कराया। तब तक नेहा दोनों मर्दो को नीचे से ऊपर तक घूर रही थी, खासकर अपनी आँखों को उन दोनों के पैंट के ऊपर लाना नहीं भूली, जहाँ उनके लण्ड छुपे थे। फिर सब घर के अंदर दाखिल होने लगे। नेहा से परिचय के बाद दोनों ने नेहा को गाल पर किस किया, और नेहा ने भी दोनों को वैसे ही गाल पर किस रिटर्न किए। रूपचंद ने हल्के से अपना हाथ नेहा की गाण्ड पर फेरा उसका गाल चूमते वक्त और शीक और प्रवींद्र ने उस आक्सन को अच्छी तरह से देखा।
नेहा ने उस वक्त ऐसा रिएक्ट किया कि उसको कुछ पता नहीं चला।
आखीर में बिना वक्त बर्बाद किए सब बेडरूम में आ गये। दोनों मर्दो के लण्ड बिल्कुल जमके खड़े हो गये थे, नेहा को अपने बीच पाकर, और प्रवींद्र का भी जबरदस्त खड़ा हो चुका था। तो सब बेडरूम में थे। नेहा और प्रवींद्र के बीच यह बात तय हो गई थी कि सबके सामने वो नेहा को बेबी पुकारेगा और नेहा उसको जान बोलेगी।
दोनों बुजुर्गों ने नेहा को बिस्तर पर बैठने को कहा। नेहा बैठी तो उसकी ड्रेस घुटनों से थोड़ा ऊपर हो गई और उसकी गोरी जांघों के नजारे थोड़े से सामने आए। वह हिस्से जो थोड़ा सा ज्यादा गोरा होता है छिपे रहने की वजह से, वो बहुत ही आकर्षित करता है। दोनों बड़े मियां ने एक दूसरे को देखा और शीक ने पहले बात की “तुम बेहद खूबसूरत और जवान हो जानेमन, हम दोनों अपने आपको बहत खुशनसीब समझते हैं कि तम हमें मिली
सच में ताकदीर वाले हैं हम दोनों..." इतना कहकर शीक नेहा के करीब बैठा और उसके कंधे पर एक हाथ रखा और दूसरे हाथ को उसकी जाँघ पर रखकर वो हल्के से सहलाने लगा।
नेहा ने बस एक मुश्कान के साथ सर को नीचे झुकाया फिर प्रवींद्र को देखा।
प्रवींद्र ने उस वक्त नेहा को एक आँख मारा, और नेहा रूपचंद को देखकर मुश्कराई क्योंकी वो उस वक्त उसको
और शीक को ही देख रहा था। रूपचंद ने प्रवींद्र और नेहा से बात करते हुए पूछा- “तो हमें तुम दोनों यह बताओ कि कैसे और क्यों तुम लोगों को ऐसे रिश्ते पसंद हैं?"
नेहा ने जवाब दिया- “मैं सिर्फ उसको खुश करने के लिए ये कर रही हूँ, मैं उसकी गर्लफ्रेंड हूँ और उसकी बहुत चाह है मुझको किसी दूसरे के साथ चुदते देखने की, और मैं उसकी इस इच्छा को पूरा करना चाहती थी..”
तब शीक ने नेहा से पूछा- “और तुम दोनों में से किसने यह निश्चय किया कि उम्र वाले लोगों के साथ मजा किया जाए और जवानों के साथ नहीं? यह तुम्हारी पसंद है या तुम्हारे बायफ्रेंड की?"
नेहा ने सर झुकते हुए, थोड़ी सी शर्माते हुए कहा- “यह मेरी पसंद है.."
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जैसे ही नेहा ने यह बात कही, शीक ने अपनी उंगली से उसकी ठोड़ी ऊपर उठाते हुए अपने होंठों को नेहा के होंठ से लगाया और अपनी जीभ को उसके मुँह के अंदर डाल दिया। फिर दोनों ने एक दूसरे के मुँह के रस को पिया। उस वक्त नेहा की मुट्ठी में शीक की कमीज के बांह जकड़ी हुई थी, मतलब किस करते वक्त। और शीक के हाथ नेहा की ड्रेस को जांघों के ऊपर धीरे-धीरे उठा रहे थे और ड्रेस नेहा की कमर तक उठ गई। और उसकी बहुत
ही आकषिक गदराई जांघे और उसकी सफेद पैंटी नजर आने लगी थी।
प्रवींद्र ने अपने पैंट में लण्ड को संभालते हए एक कुर्सी खींचा और बैठकर आराम से सब देखने के लिए तैयार हो गया।
शीक ने धीरे से नेहा को बिस्तर पर लेटाया और नेहा बिना ऐतराज के लेट गई। अब नेहा की बाहें शीक के कंधों पर थीं और उसके होंठ शीक के गले पर चूमते हुए नजर आए प्रवींद्र को। और शीक के होंठ नेहा के गले से होकर उसकी चूचियों की तरफ बढ़ रहे थे।
प्रवींद्र ने फिर रूपचंद को जाय्न करने का इशारा किया। तो वो भी गया बिस्तर पर जाकर नेहा की चूचियों को दबाया जो तब तक ड्रेस के अंदर ही थी। उसकी निपल्स खड़ी हुइ नजर आ रही थीं ड्रेस के ऊपर से ही, लगता था खुद कपड़े फाड़कर बाहर निकलना चाह रही हों। और तब तक शीक का मुँह नेहा के जिश्म को चाटते हुए उसकी पैंटी तक पहुँच चुका था। नेहा की पैंटी को शीक ने अपने दाँतों से पकड़कर खींचा, और रूपचंद ने भी शीक की मदद कि नेहा की पैंटी उतारने में।
नेहा ने उस वक्त प्रवींद्र को एक नजर देखा, जिस वक्त वह दोनों उसकी पैंटी उतार रहे थे, तो प्रवींद्र ने अपनी जीभ बाहर निकलकर नेहा को इशारा किया और एक आँख मारा उसको। दोनों अधेड़ आदमी, नेहा की सफाचट चूत, और उसकी गदराई जांघे जिसमें जरूरत के मोतबिक गोश्त था, उनको देखकर दोनों बुजुर्गों से सब ना हआ
और दोनों एक-एक जांघ को अपने हाथों में थामकर चूसने लगे, लाल निशान छोड़ते हए नेहा की गोरी गदराए जांघों पर। उसके बाद दोनों ने मिलकर नेहा को पेट के बल लिटाया बिस्तर पर। फिर दोनों मर्द उसकी ड्रेस के पीछे पीठ पर जो जिप थी उसको नीचे करने लगे।
अब धीरे-धीरे नेहा की ड्रेस भी उतरने लगी। नेहा ने अपनी बाहों को ऊपर उठाकर ड्रेस को निकालने के लिए खुद मदद किया। फिर नेहा की ब्रा निकाली गई और अब नेहा उन दो गैर मर्दो के बीच बिस्तर पर बिल्कुल नंगी थी। दोनों मर्द नेहा के बाप और ससुर से भी बड़े थे उम्र में।
तब तक उन दोनों बुजुर्गों के मुँह से लार टपक पड़ी, नेहा को उस हालत में बिस्तर पर अपने सामने पाकर। दोनों ने एक दूसरे को देखा, फिर मुश्कुराए और एक-एक चूची को अपने मुँह में ले लिया दोनों ने चूसने को, मसलने को। नेहा के मुंह से तुरंत एक सिसकारी फूटी और उसने अपने सर को पीछे किया गर्दन को सीधा करते हए, और उसकी नजरें प्रवींद्र की नजरों से टकराई वैसा करते वक्त।
प्रवींद्र बहुत ध्यान से देख रहा था, और बहुत उत्तेजित महसूस कर रहा था, नेहा को दो अजनबियों को उसके साथ वो सब बिना झिझक के करते हुए देखकर।
कुछ देर नेहा की चूची चूसने के बाद शीक अपने कपड़े उतारने जा रहा था तो प्रवींद्र बोला- “अंकल, उसको कहो उतारने को, वोही आप दोनों के कपड़े उतारेगी.."
तब दोनों बुजुर्ग मुड़कर नेहा को देखने लगे और नेहा प्रवींद्र को देखते हुए अपने दाँतों में होंठ दबाए मुश्कुरा रही थी। फिर नेहा शीक की शर्ट उतारने लगी। फिर रूपचंद की भी शर्ट निकाली नेहा ने। तब नेहा शीक की पैंट का जिप खोलने लगी, और आराम से उसकी पैंट को नीचे करते हुए नेहा ने शीक के मोटे लण्ड का आकार देखा उसके अंडरवेर के अंदर। जबरदस्त खड़ा था शीक का औजार। धीरे-धीरे अपनी मुलायम उंगलियों से नेहा ने शीक की अंडरवेर को नीचे करना शुरू किया तो उसका तना हुआ लण्ड झट से बाहर निकला। नेहा की आँखें उसको देखते रह गईं।
फिर बहुत हैरात से देखते हुए, नेहा तकरीबन चिल्लाते हुए बोली- “अरे बाप रे... मैंने आज तक इतना मोटा वाला कभी नहीं देखी है, इतना बड़ा, इतना लंबा और मोटा। यह क्या है यह मेरे अंदर नहीं जा सकता है। ना बाबा ना.." और नेहा प्रवींद्र की ओर देखते हुए उसको इशारे से शीक का लण्ड दिखाती है।, जो मोटा और लंबा था, कुछ हद से ज्यादा ही बड़ा था।
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