RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
मगर ससुर ने कहा कि उसका तो बहुत ही मन है और उससे इंतेजार नहीं हो रहा। फिर ससुर ने नेहा को अपनी गोद में उठाया एक बच्ची की तरह और अपने कमरे में ले गया। नेहा जमुहाइ ले रही थी मुँह पर हाथ रखे हुए, वो अपनी फ्लिमसी नाइटी में थी बिना ब्रा के, उसकी पैंटी ड्रेस के ऊपर से दिख रही थी। ससुर उसको गोद में लेकर चलते हुए ही खड़ा हो गया और उसको चोदने के लिए बेकरार था। नेहा को अपने बिस्तर पर ससुर ने लेटाया और खूब चोदा उसको, जी भरके चोदा।
नेहा चिल्ला उठी, पिछले 24 घंटों में 4 मर्दो से चुदवाते हुए थक गई थी। दो भाइयों से, फिर प्रवींद्र से और अब ससुर से। फिर नेहा ससुर के साथ ही सो गई अगली सुबह तक उसको बाहों में जकड़कर।
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नेहा का पति रवींद्र सुबह 6:00 बजे उठा, टायलेट गया, बाथ लिया, ब्रश किया, मगर नेहा को नहीं ढूँढा हालांकी वो बेड पर कमरे में नहीं थी। उसको पता था कि नेहा उसके बाप के कमरे में उसके बेड पर सोई होगी। अब नेहा की रवैया कैसी थी रवींद्र की ओर?
नेहा उसके साथ बहुत मीठी-मीठी बातें करती थी। उसको नेहा हर सुबह चाय सर्व करती थी, जब भी उसको पानी की जरूरत होती तो नेहा उससे पानी देती थी, सबके साथ उसको भी डिनर सर्व करती थी, और जब रवींद्र खेत से वापस आता था तो नेहा उसके हाथ पैर दबाती थी और रात को जब तक रवींद्र सो ना जाए नेहा उससे बातें करती थी। तो नेहा एक पत्नी का फर्ज़ निभाती थी रवींद्र के साथ चुदाई के सिवा... रिश्ता ऐसा था जैसे कि रवींद्र उसका भाई है या कोई करीबी रिश्तेदार जिससे कोई नाता हो।
रवींद्र दिल से तो चाहता था नेहा को मगर कुछ कर नहीं पाता था। वो तो खुद शर्मिंदा था उसके लिए और जब उसे पता चलता कि नेहा उस तरह से उसके करीब आ रही है तो वो कापने लगता था और उसके पशीने छटने लगते थे। इसलिए नेहा ने उसके और करीब जाना बंद कर दिया था, बस पत्नी के बाकी के फर्ज़ निभाती थी। रवींद्र को कभी कोई शिकायत का मौका नहीं मिला था नेहा की तरफ से। हाँ उसको नेहा और उसके पिता के रिश्ते के बारे में पता था क्योंकी उसी ने इजाजत दिया था उस रात को अपने पिता को नेहा से संभोग करने की।
उस सुबह को नेहा की नींद टूटी तो वो सदमा खा गई, ये देखकर कि उजाला हो गया और वो तब तक नींद में थी और वो भी अपने ससुर के बिस्तर पर उसके साथ। बिल्कुल नंगी थी। उसको हैरानी हुई कि रात भर वो नंगी सोती रही ससुर के साथ। सब थकान की वजह से हुआ था उसने सोचा और जल्दी से अपनी नाइटी उठाई और भागती हुई अपने कमरे के तरफ बढ़ी। मगर रवींद्र किचेन में चाय पी रहा था जो उसने खुद बनाया था, उसने नेहा को देखकर भी अनदेखा किया। नेहा को बहुत चिंता महसूस हुई यह देखकर कि उसके पति ने उसको, उसके ससुर के कमरे से तकरीबन नंगी निकलते हुए देखा था।
जब रवींद्र और उसके पिता खेत चले गये तो हर सुबह की तरह नेहा एक कप चाय लेकर प्रवींद्र के कमरे में गई उसको उठाने के लिये। उसको उठाते वक़्त नेहा उसके साथ बहुत छेड़खानी करती थी हमेशा। ऐसा लगता था एक माँ अपने नटखट बच्चे को जगा रही है वैसे कुछ नजारा होता था हर सुबह प्रवींद्र को जगाते वक़्त। अपनी नटखटी हरकतों से नेहा को तंग करने के बाद आखिर में प्रवींद्र उठा और नहाने जा रहा था तो नेहा से फिर से अंदर चलने को कहा कि कल की तरह मिलकर नहाएंगे। मगर नेहा ने हँसते हुए उससे कहा कि वो पहले ही नहा चुकी है।
इस दिन बारह बजे अचानक नेहा का ससुर घर आ गया। वो उस वक़्त कभी नहीं आता था। शुक्र है कि नेहा
और प्रवींद्र कुछ कर नहीं रहे थे उस वक्त। नेहा ससुर को उस वक्त घर में पाकर बहुत डर गई। ससुर ने प्रवींद्र को बुलाया और उससे कहा कि एक इंजीनियर आया हुआ है बांध बनाने के लिए और उसको एक असिस्टेंट की जरूरत है और उसने प्रवींद्र का नाम दे दिया है।
प्रवींद्र को उस इंजीनियर से मिलने जाना था तुरंत अपने पिता के साथ। प्रवींद्र को घर पर रहने की आदत हो गई थी, एक शहजादे की जिंदगी जी रहा था। और उसको कोई भी काम करने का कोई मन नहीं था खासकर जब अब नेहा है उसकी ज़िंदगी में उसके साथ हर पल घर में थी। प्रवींद्र अपने पिता के चेहरे में अजीब नजरों से देख रहा था, उसकी नजरें कह रही थीं कि वो नहीं जाना चाहता कहीं कोई काम करने। नेहा भी उदास हो गई
और उदासी के साथ प्रवींद्र के चेहरे में देखा तो उसको भी समझ में आ गया कि अब जुदाई होगी दोनों के बीच।
जब बाप ने देखा कि प्रवींद्र को काम करने का कोई मन नहीं है, जिस तरह से वो उसको देखे जा रहा था तो उसने कहा- “अबे कब तक मफ़्त की रोटी तोडेगा त? खेत जाना तो त पसंद नहीं करता. बडा आया पढ़ा लिखा क्या कर लिया पढ़ लिख कर? कुछ करेगा या ऐसे ही घर में बैठेगा तू? कुछ तो करना सीख। पैसों की जरूरत तो नहीं है मुझे और ना तुझे, मगर जिंदगी में कुछ करना भी तो चाहिए। चल उस इंजीनियर के साथ कुछ काम सीख ले कभी तेरे काम आएगा..."
प्रवींद्र ने धीमी आवाज में कहा- “मेरा मन नहीं है जाने को..."
ससुर ने नेहा से कहा- “बह इस निकम्मे से कहो कि गाँव में आवारा की तरह घूमना बंद करें और अपने बाप की कमाई खाना बंद करें, बोलो इससे कि कुछ कमाएं, कुछ जिमेदार बनें, किसी की जिम्मेदारी तो उठाए। शर्माजी के यहाँ लोग कतार लगा रहे हैं उसके असिस्टेंट के काम के लिए। वो मेरा दोस्त है इसलिए रुका हुआ है और इसका इंतेजार कर रहा है, कुछ समझाओ इसे बहू.."
नेहा का चेहरा लाल हो गया और उसकी समझ में नहीं आया कि क्या कहे?
प्रवींद्र अपने प्रोग्राम के बारे में सोचने लगा, रूपचंद से मीटिंग के बारे में सोचने लगा, अब कैसे वो सब पूरा करेगा इस सोच में पड़ गया वो। अब उसको नेहा की आदत सी हो गई थी और उससे दूर नहीं रहना चाहता था। तकलीफ हो रही थी उसके दिल को। घुटन सी हो रही थी उसे। और फिर जलन भी हो रही थी उसे के कहीं कोई और नेहा को ना चुरा लें उसकी गैर-हाजिरी में। उसको बहुत फिकर और गुस्स होने लगा, समझ में नहीं आ रहा था कि अपने पिता को क्या जवाब दे?
उसके पिता ने जबरदस्ती उसको डाँटते हुए उसके साथ चलने को कहा। कोई चारा नहीं था, उसको जाना ही पड़ा। उसने नेहा को उदासी भरे चेहरे से देखा, लगता था कि अब रो पड़ेगा। नेहा को भी बहुत उदासी महसूस हुई मगर उसने सिर्फ प्रवींद्र के चेहरे में हमदर्दी भरी नजरों से देखा। नेहा कुछ भी नहीं कर पाई क्योंकी प्रवींद्र का बाप आर्डर दे रहा था और उसके हकम के खिलाफ जाना किसी के बस की बात नहीं थी।
जब वह दोनों चले गये तो ठीक 5 मिनट के बाद डोरबेल बजी। नेहा किचेन में लंच के बाद वाली प्लेटें धो रही थी। नेहा ने खुद से कहा- “कौन हो सकता है इस वक्त? कोई भी तो नहीं आता कभी, प्रवींद्र वापस भाग आया क्या?" फिर उसने सोचा कि वह लोग वापस आए हैं, शायद कुछ भूल गये लेने के लिए..." और वो दरवाजा खोलने को गई।
और जब नेहा ने सामने का दरवाजा खोला तो हैरानी के साथ बहुत खुश हुई अपने पिता को बहुत सारे समान के साथ घर के द्वार पर पाकर। जब से नेहा की शादी हुई यह उसके पिता की पहला विजिट थी। नेहा बेहद खुश हुई अपने पापा को देखकर और अपने आपको खुद उसकी बाहों में समेट दिया उसने। उसके पापा ने नेहा को बाहों में भरके उसके गालों को चूमा, फिर गले पर चूमा और उसके चूतरों पर हथेली को फेरा।
नेहा ने जोर से खुशी के साथ कहा- “पापा, आप सिर्फ 5 मिनट लेट आए, मेरे ससुर और देवर अभी-अभी घर से निकले हैं, दोनों यहीं थे 5 मिनट पहले। प्रवींद्र को लेने आया था मेरा ससुर। वरना वो अभी यहीं होता हर रोज घर पर ही रहता है..."
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