RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
नेहा करती भी क्या वो बस मुश्कुरा रही थी उसके साथ। जब नेहा झुक करके नीचे जमीन पर रखे हुए बाल्टी में से धुले हुए कपड़े ले रही थी, तब वहाँ के चारों मर्द नेहा की चूचियां को देख रहे थे, काली ब्रा और स्ट्रैप्स के अंदर। मगर नेहा बे-फिक्र होकर अपना काम करती रही गैरेज की तरफ देखते हए। उसने देखा कि चारों उसको ही देख रहे हैं मगर नेहा ने कोई परवाह नहीं किया।
हर शाम को घर वापस जाने से पहले गैरेज के सभी लोग नेहा के उसी नल के पास आकर हाथ पैर धोते हैं, नेहा का साबुन इश्तेमाल करते हैं हर रोज। जोरों से बातें करते हैं और शोर शराबा किया करते हैं। हर रोज चारों एक साथ आते हैं उस वक़्त, शाम को 4:00 बजे। और आज सब कर्मचारी बातें कर रहे थे सुभाष और नेहा को लेकर। सुभाष की टांग खिंचाई कर रहे थे सब।
नेहा किचेन के अंदर से सब कुछ सुन रही थी और मुश्कुरा रही थी।
एक ने जोर से कहा- “सुभाष, तुमको तो इस गाँव में एक गर्लफ्रेंड मिल गई है, शहर में तो अंडा है। तो तुमको यहीं गैरेज में रहना चाहिए, तब तुमको हसीन मौके मिलेंगे बिताने को अपनी गर्लफ्रेंड के साथ.."
तब बास ने कहा- “हाँ... तब मुझको भी हर सुबह जल्दी नहीं आना पड़ेगा गैरेज खोलने के लिए, हमारे आने से पहले तुम गैरेज को खोलकर साफ सफाई भी कर देना..”
नेहा अंदर सब कुछ सुनती जा रही थी हँसते हुए।
फिर उन दोस्तों में से एक ने कहा- “अरे सुभाष, तुम अपनी गर्लफ्रेंड को 'भाभी' बुलाते हो हाहाहाहा.. क्या उसका नाम 'भाभी' है?"
सुभाष ने कहा- “अरे यार, मैंने तो उसका नाम ही नहीं पूछा, धत्त तेरी की, मुझको पूछ लेना चाहिए था ना..."
तब बास ने कहा- “हाँ बड़ा आया रोमियो, जिसको अपनी गर्लफ्रेंड का नाम तक नहीं मालूम, कमाल है..."
और नेहा ने तुरंत किचेन का पीछे वाला दरवाजा खोला, जो ठीक कपड़े धोने वाले पत्थर पर खुलता है और उन सबसे कहा- “हेलो, उसको क्यों छेड़ रहे हो आप सब? मेरा नाम नेहा है, आप सबसे मिलकर खशी हई मझे...”
सब चिहक गये और सबकी बोलती बंद हो गई अचानक उस तरह से नेहा को सामने देखकर। फिर नेहा ने दरवाजा बंद कर लिया मुश्कराते हए। तब सबके सब हँसने लगे, और धीरे-धीरे बातें करने लगे। उन लोगों को पता ही नहीं था कि नेहा अंदर से सब कुछ सुन रही होगी।
सब धीरे-धीरे कहने लगे- “अरे यार, वो हमारी सारी बातें सुन रही थी। अरे यार सुभाष, उसने तुमको अपना नाम बता दिया यार मुबारक हो... अब उसको नेहा भाभी बुलाना हेहेहेहे..."
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मगर उस वक्त गैरेज वाला, वोही मोटा पेट वाला सांवला सा मोटा बास ने सब कुछ सुना और सब बातों को सोचते और समझते हुए सोचा कि इससे पहले कि सुभाष या किसी और ने नेहा को पाया, उससे पहले उसको हाथ मार लेना चाहिए, क्योंकी वो सबका बास है। वो नेहा को सुभाष से पहले पाना चाहता था। सब कुछ देखकर
उसको लगा कि नेहा आसानी से हाथ आने वाली है. तो जरूर उसको भी मिल जाएगी वो।
सब घर वापस चले गये, जाते वक्त रास्ते में बास सिर्फ वोही बातें सोचते जा रहा था। उसने याद किया की किस तरह सुबह को जब वो उसके घर की तरफ देख रहा था तो नेहा ने नाइटी में खिड़की खोली थी, और किस
तरह से मुश्कुराकर बात की थे उसके साथ। फिर उसने सोचा जो कुछ सुभाष ने कहा कि किस तरह से उसने उसकी चूचियों को भी दबाया था, कैसे उसने उससे किस किया था, तो यह सब याद करते हए उसने सोचा कि यह नेहा जरूर आसानी से चोदने देगी। तो उसने निश्चय किया कि कल सुबह उसके वर्कर्स के आने से पहले ही वो नेहा को चोदने जाएगा।
नेहा के घर के तीनों मर्द काम से वापस थके हारे आए। नेहा ने सबकी सेवा की, और घर के काम काज में लग गई मगर गैरेज के लोगों वाली बात किसी को नहीं बताई नेहा ने। प्रवींद्र को भी कुछ नहीं कहा नेहा ने। और रात को दोनों मर्दो में से किसी के पास भी नहीं गई नेहा इस रात को। और ना ससुर ना ही प्रवींद्र नेहा को लेने आए क्योंकी दोनों बहुत थके हुए थे और जल्द ही नींद आ गई उनको भी।
सुबह हुई, और नेहा की सुबह वाली जल्दी... कभी इसको देखना, कभी उसको, कभी इसको जगाना, तो कभी उसको, किचेन में यह करना, वो करना सब झटपट निभा रही थी नेहा। और जल्द ही तीनों मर्द घर से निकल गये काम के लिए। सुबह 6:00 बजे सब चले गये।
हर सुबह की तरह आज भी नेहा अपनी नाइटी में थी, और नाइटी में वो कभी ब्रा नहीं पहनती थी। उसकी निपल नाइटी की साफ्ट मेटीरियल से रगड़ रही होती है तो नेहा को एक अच्छी कामुक सेन्सेशन महसूस होती है। वो आईने के सामने अपने बाल में कंघी कर रही थी तो गैरेज के शटर्स को खुलते हुए सुना नेहा ने। बहुत जल्दी था, उस वक़्त तो गैरेज के शट्स कभी नहीं खुलते थे। वो लोग तो करीब 9:00 बजे आते हैं काम करने, और अभी तो सिर्फ 7:00 बजे थे। नेहा चलकर लाउंज में गई जहाँ से रास्ते पर साफ दिखाई देता था और गैरेज भी दिखता था।
नेहा ने देखा कि वो गैरेज वाला, वोही कुछ मोटा सा, मोटा पेट वाला 40 साल के लगभग वाला आदमी फिर से उसके घर के सामने रास्ते पर खड़ा था। वो गेट के पास उसके मकान की तरफ देख रहा था। नेहा सोचने लगी कि क्यों वो कल भी और आज भी उस तरफ वैसे देख रहा है? नेहा ने उससे पूछना चाहा कि क्या उसे किसी चीज की जरूरत है? मगर वो हिचकिचाई क्योंकी वो उसके उतना करीब नहीं थी नेहा। अगर सुभाष होता तो शायद पूछ लेती। अपने हाथ में कंघी लिए नेहा उस आदमी को देखती रही, और अपने लंबे काले बालों में कंघी करती रही उसको देखते हुए।
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