RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
फिर नेहा ने चिल्लाते हुए कहा- “पिताजी, शर्म करो, क्या कर रहे हो आप? मैं आपकी बहू हूँ, आपकी अपनी बेटी की तरह हूँ मैं। कौन सा हैवान सवार हो गया है आप में?"
ज्ञान ने गुर्राते हुए कहा- “मैं इस बहू को चोदना चाहता हूँ और चोदने जा रहा हूँ, अब मुँह बंद करो और चुदाई करो अपने ससुर के साथ.." और ज्ञान ने नेहा की पैंटी को खींच फेंका और अपना अंडरवेर भी निकाल फेंका।
और अपने काले मोटे लण्ड को नेहा की गोरी चूत पर रगड़ा।
नेहा स्ट्रगल करती रही, हाँफने लगी, और ज्ञान ने अपना लण्ड उसकी चूत के अंदर घुसेड़ दिया। उसका लण्ड
अपने अंदर लिए हए भी नेहा स्ट्रगल करती रही, मना करती रही, उसको रोकने की कोशिश करती गई। ज्ञान ने नेहा का सर नीचे बेड पर दबाया और अपने लण्ड के धक्के देने लगा उसकी चूत के अंदर। मगर नेहा तब भी उसके लण्ड को अपने अंदर से बाहर करने की कोशिश में लगी हुई थी और अपनी कमर हिलाकर अगल-बगल होने की कोशिश किया, लण्ड को चूत के बाहर निकालने के लिए, मगर असफल रही।
तब नेहा बोली- “उफ्फ... अब मैं थक गई.." और हॉफने लगी।
ज्ञान बड़े मजे से उसकी चूत को चोदता जा रहा था उसकी चूचियों को चूसते हुए और कंधे और गले को चाटते हए। नेहा थोड़ी देर खामोश रही और अचानक एक जोर से धक्का देते हुए उठने की कोशिश उसने की तो लण्ड चूत से बाहर निकल गया। फिर नेहा ने बेड से उतरने की कोशिश की, मगर ज्ञान की मजबूत बाहों ने नेहा को इस बार खींचकर लेटाया तो नेहा पेट के बल गिरी बेड पर। अब ज्ञान के सामने नेहा की गाण्ड थी तो उसको नेहा की गाण्ड मारने का मन किया। तब ज्ञान ने नेहा के दोनों टाँगों को फैलाया जबरदस्ती से और अपने लण्ड को उसकी गाण्ड के छेद के ऊपर थूक लगाकर रगड़ा पहले।
नेहा ने गर्दन मोड़कर पीछे देखना चाहा कि ज्ञान क्या करना चाह रहा था? वो समझ गई कि वो उसकी गाण्ड में घुसाना चाह रहा था, तो नेहा चिल्लाई- “नहीं, वहाँ नहीं..."
मगर ज्ञान कहाँ से सुनने वाला था। उस वक्त उसपर एक जुनून सा सवार था, उसने लण्ड को गाण्ड के बीच जोर से मसला, और थूक लगाया लण्ड के ऊपर, फिर नेहा की गाण्ड के छेद पर थूका ज्ञान ने और अपने लण्ड को उसकी गाण्ड के छेद पर धीरे से दबाया तो लण्ड थोड़ा सा घुसा, नेहा ने शिकवे किए मगर ज्ञान ने लण्ड को और दबाया तो आधा घुसा, फिर थोड़ा सा बाहर खींचा ज्ञान ने और फिर से धक्का दिया और उसका लण्ड नेहा की गाण्ड के अंदर पूरा चला गया। जिससे नेहा की चीख निकली और ज्ञान गाण्ड मारने लगा मजे से। नेहा तड़पती गई, सिसकारियां लेते हुए, उफ्फ उई आह्ह.. करते हुए और ज्ञान अपने आप में मगन चोदता गया नेहा की गाण्ड को।
नेहा की गाण्ड बहुत टाइट थी और ज्ञान को बेहद मजा आ रहा था अपने लण्ड को उसमें आते जाते देखकर। जितना नेहा तड़प रही थी ज्ञान को उतना ही मजा आ रहा था। और आखिर में नेहा खामोश लेट गई उसके नीचे... मतलब अब नेहा की इकरार थी।
तभी एक शेर की तरह ज्ञान गर्राने लगा और वोही गुर्राने की आवाज में कहा- हम्म्म... बेटी, मेरी प्यारी बह
रानी, मैंने आज तेरी गाण्ड मारी, कितनी टाइट है तेरी गाण्ड... बाहर निकालने की जरूरत नहीं अंदर ही झड़ रहा हूँ अघघ्गघ्य... इस्स्स्स ... वाह मेरी बहू... आगज्गघह..."
नेहा ने शिकायत की एक बचकानी आवाज में- “आप बहुत गंदे हो पिताजी, आपको वहाँ नहीं करना चाहिए था। बहुत बुरे हो आप, अब मैं आपके बेटे को क्या मुँह दिखाऊँगी पिताजी? हम्म्म..' फिर एक पल के बाद दोनों हँसने लगे। नेहा ने कहा- “उसको सच में बहुत मजा आया यह रोल प्ले करते हुए और उसने खूब एंजाय किया..."
ज्ञान नेहा के साथ और 15 मिनट तक रहा फिर अपने वर्कर्स के आने से पहले चला गया। नेहा ने उसको याद दिलाया कि किसी से या वर्कर्स से कुछ नहीं कहने का, खासकर सुभाष को कुछ नहीं बताना।
सुभाष नेहा के बाहर आने का इंतेजार कर रहा था बोतल में पानी भरने जाने के लिए। वैसे हर रोज तकरीबन 10:00 बजे नेहा बाहर आती है मगर आज 11:00 बज गये थे और वो नहीं दिख रही थी। वर्कर्स लोग अपने आपसे बातें कर रहे थे कि हो सकता है कि नेहा आज कहीं बाहर गई हुई है घर पर नहीं है।
ज्ञान सब सुन रहा था मगर खामोश था। अंदर ही अंदर ज्ञान खुश हो रहा था कि उसने दो बार नेहा के साथ एंजाय किया और सुभाष जो खुद को बड़ा रोमियो समझता है, मगर उसके लिए अभी तक घंटा है।
सुभाष सोच रहा था कि किस तरह से कल उसने नेहा को किस किया था और उसकी चूचियां दबाया था उसने, वो उसको पाने के करीब था और सोचा था कि आज नेहा को पा लेगा, मगर सुभाष बहुत निराश हुआ नेहा की गैरहाजिरी से।
उधर अपने घर के अंदर से नेहा गैरेज में देख रही थी, उसको पता था कि सुभाष उसको ढूँढ़ रहा होगा। नेहा ने
सोचा कि अगर आज ज्ञान ने उसको नहीं चोदा होता तो शायद इस वक्त सुभाष उसके कमरे में होता इस वक्त। सुभाष के लिए नेहा को अफसोस हो रही थी क्योंकी वो उसको पसंद करने लगी थी। क्योंकी उसमें नेहा को प्रवींद्र
और उसकी अदायें नजर आती थीं। नेहा ने सोचा शायद किसी दिन सुभाष को उसके साथ चान्स मिलेगा।
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