RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
यह 35 दिनों के व्रत की वजह से था। नेहा को लगता था कि उसका जिश्म फिर से एक कुँवारी के जिश्म में तब्दील हो गया है उस वक्त। एक के बाद एक और जोरदार तड़पती आवाज देती जा रही थी जोरों से नेहा।
आवाजें आ रही थी काफी जोर से- “ओहह... आआहह... आहह... आहह... उफफ्फ़... हाँ, बढ़ते चलो पंडितजी, आप बहुत अच्छा कर रहे हो.. हाँ हाँ हाँ... करते रहो, करते रहो... मुझे बहुत अच्छा लग रहा है... मुझे ये चाहिये... मुझे इसकी बहुत सख्त जरूरत है... पंडितजी और करो और करो, मुझको खुश करो... मेरी गहराई में घुस के समा जाओ पंडितजी... उफफ्फ़... उइइ माँ... इस्स्श...”
फिर नेहा खुद ही अपनी साड़ी उतारने लगी और जल्दी से अपनी ब्लाउज़ और ब्रा भी निकाल फेंका नेहा ने, और
अपने आपको बिल्कुल नंगी कर दिया पंडितजी के लिए। तब नेहा ने पंडित का सर अपने हाथ में थामा और उसको अपनी प्यासे चूचियों के पास किया। उसके मुँह को अपनी चूचियां पर दबाया नेहा ने।
नेहा की मजबूत भारी-भारी चूचियों को देखकर पंडित को अपने पूरे वीर्य को छोड़ देने का मन किया। चूचियों को मन भरकर मसला पंडित ने और चूसना शुरू किया, जिससे नेहा की तड़प और सिसक बढ़ती गई और वो बेहाल होती गई अपने छाती को पूरी तरह से पंडित के हवाले करते हुए, अपनी जिश्म को ऐंठती गई बिस्तर को बुरी तरह से रगड़ते हुए। अपनी फूली हुए निपल्स पर पंडित की जीभ को महसूस करते हुए नेहा बेकाबू होती जा रही थी। फिर कुछ देर बाद बिना कुछ बोले नेहा ने खुद पंडित की अंडरवेर को निकाला और उसके तने हुए लण्ड को अपने मुँह में ले लिया।
पंडित ने एक अजीब सी आवाज निकाली अपने लण्ड को नेहा के गरम मुँह में महसूस करते हुए और गुर्राते हुए कहा- “जिंदगी में किसी ने उसको कभी भी नहीं चूसा है आज तक...” वो तड़पता गया, उसका शरीर काँपने लगा जब तक नेहा ने उसके लण्ड को खूब चूसा।
इतने दिनों बाद नेहा ने एक लण्ड को बेहद एंजाय किया अपनी नाजुक उंगलियों में लेकर, उसको बहुत प्यार से सहलाया, अपनी उंगलियों को फेरा, इस तरह से उसको प्यार किया जैसे किसी मूर्ति की पूजा करते हैं, इस कदर प्यार और भक्ति से नेहा ने उस लण्ड को पूजा, तब चाटना और चूसना शुरू किया। अपनी जीभ को उसकी पूरी लंबाई तक फेरा। नेहा ने पंडित के नीचे के बाल्स को भी चाटा और चूसा, फिर लण्ड चूसते वक्त अपने हाथ से लग रहा था कि नेहा लण्ड को खा जाएगी. चबा जाएगी। लगता था बरसों से भूखी थी एक लण्ड के लिए इस कदर उसे चूसे जा रही थी।
और बहुत जल्द ही पंडित चिल्लाया- “रुको, रुको बिटिया, वरना तुम्हारे मुँह में अभी झड़ जाऊँगा मैं..."
नेहा रुकी और कहा- “नहीं प्लीज... अभी मत झड़ना, आपको अभी मेरे अंदर घुसना है, मुझे इसकी सख़्त जरूरत है मेरे अंदर अभी... आप कंट्रोल कीजिए, अपने आपको संभालिए और झड़ने मत दीजिए अभी..."
पंडित ने खुद को संभाला और रुक गया अपने आप पर कंट्रोल करते हुए, मगर काफी मुश्किल से। और नेहा ने पंडित को पीठ के बल लेटने को कहा और फिर उसके ऊपर चढ़ गई। नेहा ने अपने टाँगें फैलाई, पंडित के लण्ड को अपने हाथ में लिया और खुद अपनी चूत में दाखिल करते हुए उसपर बैठ गई, पंडित के लण्ड की लंबाई को अपने अंदर धीरे-धीरे घुसाते हुए, महसूस करते हुए, एक अजीब सिसकारी और तड़पती आवाज के साथ। फिर नेहा घोड़े की सवार करने लगी पंडित के लण्ड पर बैठकर।
बिल्कुल लग रहा था कि नेहा एक घोड़े पर बैठी थी और जिस कदर हिल और उछल रही थी गाण्ड उछालते हुए, लग रहा था कि घोड़े की सवारी ही कर रही थी। दोनों इतने प्यासे थे कि बिल्कुल देरी नहीं हुई, बहुत ही जल्द चंद लम्हों में ही सिर्फ 10-12 धक्कों के बाद ही नेहा को झड़ने का एहसास होने लगा, क्योंकी 35 दिनों तक नहीं किया था ना।
फिर बहुत जोरों की आवाज में नेहा तड़पी- “आआहह... हाँन्न्न मेरे प्यारे पंडितजी, कमाल के हो आप भी इस्स्स्स ... आपने मुझे चोद ही दिया पंडितजी... पंडित होकर आपने एक अबला नारी को चोद ही दिया पंडितजी... क्या बात है वाहह, एक विधवा को चोद दिया आपने पंडितजी, क्या किश्मत पाया है आपने भी... पंडितजी बड़े ठर्की निकले आप.. पंडितजी, चुदक्कड़ निकले आप तो... आअहह... उफफ्फ़... उईई मेरी माँ... मैं तो झड़ गई री..."
फिर हाँफते हए जब पंडित झड़ने वाला था तो नेहा ने उससे कहा- “आप बेफिकर होकर अपने वीर्य को मेरी कोख के अंदर ही छोड़ सकते हो, प्रेग्नेंट हूँ ना तो कोई फर्क नहीं पड़ता.. बेफिकर मेरे अंदर ही झड़ जाओ पंडितजी.."
फिर पंडितजी ने अपने लण्ड को नेहा के अंदर धंसाते हुए अपने वीर्य को उसकी चूत की गहराई में छोड़ा तड़पते, हाँफते और काँपते हुए। उसने नेहा की कमर को जोर से दबोचा हुआ था और उसकी दोनों टाँगें थरथराकर काँपने लगी थी झड़ते वक्त। उसने अपनी गर्दन उठाकर नेहा के मुँह को अपने मुँह में लिया और उसकी जीभ को चूसने लगा। जबकि उसका लण्ड नेहा की गहराई में अपना पानी छोड़ रहा था।
पंडितजी बेहद खुश हुए। उसको एक पछतावा यह था कि पिछले 35 दिनों तक उसने कुछ भी नहीं किया था। मगर उसने सोचा कि अब तो दरवाजा खुल गया है तो अगले 5 दिनों के लिये और उसके बाद भी क्यों नहीं आकर मजा ले सकेगा अब। तो पंडित वहीं लेटा रहा नेहा के बगल में करने के बाद और नेहा उठी और खुद को अपनी साड़ी में लपेटा उसने, ब्रा और ब्लाउज़ नहीं पहना उसने बस साड़ी में खुद को लिपटा तो पंडित ने नेहा की चूचियों को उसकी साड़ी में उस तरह से लिपटे वासना भरी नजरों से देखा और सोचा कि उसका ससुर सही करता था उसको चोदकर, क्योंकी नेहा चीज ही ऐसी थी कि कोई उसको चोदे बिना नहीं छोड़ सकता था। वो शायद बनाई ही गई थी मर्दो को खुश करने के लिए, ऐसा पंडित ने सोचा उस वक्त नेहा को निहारते हुए।
| तो नेहा बोली- "मैंने ब्लाउज़ नहीं पहना क्योंकी अब जब नेहा ने पंडित को उसको उस नजर से दे नहाने जाना है ना...”
पंडित ने कुछ देर और नेहा से बात किया। उसकी शादी के बारे में बात किया प्रवींद्र से जो होने वाली थी।
नेहा ने पंडित से कहा कि उसने अभी तक प्रवींद्र से अपनी प्रेग्नेन्सी के बारे में कुछ नहीं बताया है।
पंडित ने पूछा- क्या वो उसको बोलेगी कि बच्चा उसके बाप का है?
नेहा नहीं चाहती थी कि पंडित को पता चले कि अपने देवर के साथ भी उसका वैसा ही रिश्ता है तो नेहा ने कहा कि नहीं बताएगी प्रवींद्र को।
पंडित ने कहा- “हाँ सही है, दुनियां को यही लगना चाहिए कि तुम अपने पति से प्रेग्नेंट हो, फिर सब ठीक हो जाएगा, और फिर मैं गवाही दूंगा कि मुझे पता था कि तुम अपने पति से प्रेग्नेंट थी शुरू से ही। मैं कहूँगा कि तुम और तुम्हारे पति ने उसके देहांत से पहले मुझे अपनी प्रेग्नेन्सी के बारे में बताया था, क्योंकी तुम लोग किसी तावीज के लिए आए थे मेरे पास उस वक्त..."
नेहा को आइडिया अच्छा लगा और पंडित को बैंक्स किया। असल में नेहा को प्रवींद्र से सब कुछ सच-सच बताना था, वो सही मौके की इंतेजार में थी उसको इस बात को बताने के लिए।
पंडित ने नेहा को एक बड़ी सी किस करके उससे विदा लिया और कल के लिए तैयार रहने को कहा। और नेहा नहाने चली गई।
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