RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
तब नेहा ने उसको वापस जाकर दरवाजा लाक करके वापस आने को कहा। पंडित गया, लाउंज में मेनडोर को लाक किया और वापस आया। इस बार अपने सारे कपड़े उतारकर तब बाथरूम में घुसा नेहा के पास। बाथरूम का दरवाजा खुला ही चोद दिया गया और नेहा ने खुद पंडित जी को अपनी बाहों में भरा और उनके गले को चूमने चाटने लगी खड़े पोजीशन में ही। और पंडित अपने बूढ़े मोटे लण्ड को नेहा की जांघों पर दबाने लगा थोड़ा सा घुटनों को टेढ़ा करके।
नेहा फिर से चुदासी हो गई, उसकी आँखें नशीले हो गईं, और नेहा ने अपने एक हाथ को पंडित जी के लण्ड पर रखा जब उसका मुँह पंडित के मुँह को चाट रहा था। मतलब पंडित को किस करते हुए नेहा उसके लण्ड पर। अपना हाथ चलाती जा रही थी जैसे मूठ मारते हैं उसी तरह और दोनों किस किए जा रहे थे एक दूसरे को खड़े हुए बाथरूम में।
नेहा के शैम्पू की खुशबू उसके जिश्म से आ रही थी, जो पंडित को और भी आकर्षित किए जा रही थी, ऊपर से उसके भीगे बालों से उत्तेजित होना लाजमी था। अपनी उंगलियों से पंडित बार-बार नेहा के भीगे बालों को कभी इधर तो कभी उधर हटा रहा था, उसके जिश्म के हर अंग को चूमते चाटते हए। क्या अजीब मजा आता है एक भीगी हुए नंगी औरत को बाहों में लेकर... उसी को पता होगा जिसने कभी नहाते वक्त, नदी में या समुंदर में तन्हाई में ऐसे किसी लड़की के भीगी जिश्म का आनंद लिया हो, सिर्फ वोही समझ सकता है। यह एक अजीब
ओ-गरिब स्पेशल मौका होता है और बेहद उत्तेजक होता है।
नर और मादा दोनों बहत ही उतेजित हो जाते हैं और उन्हें सेक्स के अलावा और कुछ नहीं सूझता ऐसे मौकों पर... हाँ रोमांटिक भी होते हैं ऐसे मौके, मगर उससे बहुत ज्यादा उत्तेजक होते हैं ऐसे लम्हें।
तब पंडित जी का हाथ नेहा की गाण्ड पर गया, और अपने पंजे में उसकी गाण्ड की एक फांक को दबोचा और दूसरे हाथ की एक उंगली को नेहा की गाण्ड के छेद में डालने की कोशिश किया पंडितजी ने। उसके वेसा करने से नेहा अपने पैर की टोस पर खड़ी हो गई और अपनी बाहों में पंडित को ज्यादा जोर से जकड़ लिया, पंडित के कान की 'लोब' अपने मुँह में लेकर चूसते हुए। फिर पंडित ने अपने मुँह नेहा की चूचियों पर किया और उसपर बहते पानी को पिया फिर उसकी चूचियों को चूसा और उसकी निपल को एक दूध पीते बच्चे की तरह चूसने लगा।
उसके वैसा करने से नेहा के जिश्म में थरथराहट हो उठी। फिर कुछ पल बाद पंडित ने नेहा की गर्दन थामे उसके सर को अपने लण्ड के तरफ किया, तो नेहा बैठ गई नीचे और पंडित का लण्ड अपने मुँह में ले लिया। पहले नेहा ने लण्ड के ऊपरी हिसे को चाटा फिर नजरें ऊपर उठाकर पंडित के चेहरे में उसके एक्सप्रेशन्स को देखा, फिर मुश्कराई। तब लण्ड की टिप को मुँह में लिया, जिससे पंडित को अबकी बार अपने टोस पर खड़ा होना पड़ा और उसकी सिसकारी निकल पड़ी।
नेहा ने फिर से उसके चेहरे में देखा, तब आधे लण्ड को अपने मुँह के अंदर लिया, पंडित के चेहरे में देखते हए। नेहा उसकी एक्सप्रेशन्स और एंजायमेंट का नशा देखना चाहती थी पंडित के चेहरे पर। पंडित गुर्राया और “उऊहह... उहह... उहह... इस्स्स्स ..” करने लगा मजा लेते हुए, और नेहा लण्ड को अपने मुँह के अंदर-बाहर करने लगी चूसते हुए और एक हाथ से लण्ड को सहलाते हुए। पंडित को उस तरह से तड़पते देखकर नेहा को मजा आ रहा था।
पंडित के हाथ उस वक्त नेहा के कंधे पर थे और नेहा घुटनों के बल थी बाथरूम के फर्श के संगमरमर पर, चूसे जा रही थी और बार-बार सर ऊपर उठाकर पंडित को देखती जा रही थी। फिर पंडित अपनी कमर हिलाकर लण्ड को नेहा के मुँह में अंदर-बाहर करने लगा जैसे उसके मुँह को चोद रहा था। ऐसा कुछ देर तक चला और नेहा ने आखिर में मुश्कुराते हुए कहा- “मेरा मुँह दुखने लगा अब पंडित जी.."
अब बारी थी पंडित की नेहा की इन्वाइटिंग चूत के सामने बैठने की। उसने नेहा के घुटनों से शुरू किया वहाँ से चाटते हुए ऊपर बढ़ता गया, नेहा की गडराइ जांघों से गुजरते हुए और उसकी मोटी चूत तक पहुँचा। अपनी उंगलियों से चूत की पंखुड़ियों को खोला और उसपर अपनी जीभ को फेरा, नेहा का पानी निकल चुका था तो पंडित ने उस नमकीन लज्जत को आज भी चाटा उसको महसूस करते हुए जैसे पानी में नमक डाला गया हो। चूसते चाटते वक्त पंडित ने काई बार अपनी जीभ को उसके छेद के अंदर डाला और निकाला।
नेहा पंडित के सर पर हाथ रखे उसको जोरों से दबाते हुए खुद के जिश्म को जैसे वाइब्रेट किया, नेहा थरथर कांपी, उसके पैर भी काँप उठे जिश्म के साथ-साथ। पंडित के उस तरह से चूसने से नेहा को जो मजा और आनंद मिल रहा था वो बयान करना नामुमकिन है, वो सिर्फ नेहा ही समझ सकती थी। नेहा अपने चूतड़ों को कभी दायें तो कभी बायीं तरफ लचका रही थी, जैसे नाच रही हो। पंडित उसकी चूत को नहीं चोद रहा था और नेहा जैसे अंगराइयां लेते हुए उस मजा दिये जा रही थी।
फिर कुछ देर बाद पंडित खड़ा हुआ, अपने लण्ड को नेहा की चूत के ऊपर रगड़ा, नेहा के मुँह को अपने मुँह में लिया, और दोनों की जीभ एक दूसरे के मुँह में पिघलने लगी। पंडित को अपने घुटनों को टेढ़ा करना पड़ा अपने लण्ड को नेहा की चूत तक लाने में, क्योंकी वो नेहा से कद में कूचा था, फिर उसने अपने लण्ड को नेहा की चूत में घुसाया जो फिसलते हुए अंदर चला गया।
नेहा की चीख निकल गई तड़पते हुए- “आआह्ह... इस्स्स्स
.."
पंडित ने कमर हिलाना शुरू किया जिससे लण्ड अंदर-बाहर होने लगा मगर ज्यादा उमर होने के कारण पंडित थक गया उस पोजीशन में खड़े होकर चोदने से। तो उसने नेहा को एक बच्चे की तरह गोद में उठाकर उसके बेडरूम के तरफ बढ़ने लगा। दोनों बिल्कुल नंगे कारिडोर में चलते हए नेहा के बेड पर गये। नेहा को बिस्तर पर लेटाया पंडित ने और जल्दी से नेहा ने अपनी टाँगों को फैलाया। उसको जल्दी थी वो खुद को संभाल नहीं पा रही
हों को पंडित के जिश्म पर किया और उसका लण्ड फिर से नेहा के चत में आने जाने लगा तेजी से। उस दौरान दोनों एक दूसरे की जीभ का रस पिए जा रहे थे, जब उसकी चूत लण्ड खा रही थी। फिर दोनों जल्द ही अंजाम तक आ गए।
और पंडित ने तड़पते आवाज में कराहते हुए दबे गले की आवाज में कुछ ऐसी आवाज निकली- “उउहह. अगघघ..” वो नेहा की चूत की गहराई में अपने वीर्य की पिचकारी छोड़ रहा था और नेहा उसके नीचे जैसे कोई नृत्य करने लगी थी।
इस कदर वो पंडित के नीचे मचल रही थी झड़ते हुए, उसका जिश्म ऐंठ रहा था, जबकि बूढ़े का लण्ड उसके अंदर उल्टी कर रहा था। फिर तुरंत नेहा ने अपने जिश्म को अधमरा छोड़ा बेड पर हाँफते हए जैसे उसका दम घट गया था और वो तेजी से लंबी-लंबी साँसें ले रही थी। फिर नेहा पंडित के चेहरे में देखकर हँसने लगी।
पंडित भी हँसा और कहा- “अब मुझको स्नान करना होगा पूजा की विधी शुरू करने से पहले.."
फिर नेहा ने खुद से कहा- “24 घंटे में 6 बार..."
*****
*****
* * * * * * * ***
|