RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
मैंने सोचा था जग्गू कि तुम मेरा कहना मान जाआगे।” इतनी बड़ी गलत बात तुमने कैसे सोच ली?” “इसी में हम सबका भला है।” पोतेबाबा के होंठ हिलते दिखाई दिए ।
मेरा जो मन करेगा, मैं वो ही करूंगा।” पोतेबाबा उसे देखता रहा। धुएं में उसकी बनती-बिगड़ती आकृति दिखती रही।
तू सच में बहुत बड़ा मक्कार है।” एक बात बता पोतेबाबा।”
क्या?” ।
किसी को कैसे मालूम हो जाता है कि जथूरा ने कौन-सा हादसा रचा है और वो मेरे मस्तिष्क में डाल देता है?”
किसी ने हमारे हादसे तैयार करने वाले सिस्टम पर अपनी तार डाल दी है। जिसकी वजह से वो जान लेता है कि जथूरा कौन-सा हादसा इस दुनिया में भेजने जा रहा है।” पोतेबाबा ने कहा।
“फिर तो तुम्हें मेरे पास नहीं आना चाहिए था। तुम्हें वो तार ढूंढकर निकाल फेंकनी चाहिए तो सब कुछ ठीक हो जाएगा।”
ये असम्भव जैसी बात है।”
क्यों?”
सिस्टम पर हमने अपनी आवश्यकता के अनुसार सैकड़ों तारें डाल रखी हैं। सैकड़ों तारों में से उस बहुरूपी तार को तलाश करना आसान नहीं है। फिर भी हमारे लोग दिन-रात उस तार को तलाश करने की चेष्टा कर रहे हैं।”
जगमोहन ने कॉफी का घूट भरा।
“तू बता जग्गू, तू कैसे मेरी बात मानेगा?” पोतेबाबा गम्भीर था।
कैसे भी नहीं।” “मानेगा तो जरूर ।”
भूल है तेरी, जो ऐसा सोचता है।” जगमोहन ने तीखे स्वर में कहा।।
जगमोहन ने पोतेबाबा की आकृति को मुस्कराते देखा।
तू अभी जथुरा की ताकत को पहचानता ही कहां है। उस ताकत के आगे तेरा वजूद चींटी जैसा है।” पोतेबाबा ने कहा।
। “अगर ऐसा होता तो तुम लोग मुझसे अपनी बात मनवा चुके होते।”
“हमारी भी कुछ सीमाएं हैं। हम इस दुनिया के लोगों को शक्तियों के दम पर ही, अपनी मनमानी कर सकते हैं। परंतु तेरे साथ तो हम इस वक्त कुछ भी गलत नहीं कर सकते। क्योंकि तेरे को उस शक्ति का आशीर्वाद मिल चुका है, जो तेरे को इस्तेमाल कर रही है।”
जगमोहन ने कुछ नहीं कहा।
तेरे ऊपर हमारी शक्तियां असर नहीं करेंगी। जब तू हमारी दुनिया में आएगा, तब तुझ पर हमारी शक्तियां चल सकेंगी।”
फिर तो तुम लोग मजबूर हो गए, मुझे कुछ न कहने को ।
” इतने भी मजबूर नहीं हुए, जितने कि तुम सोच रहे हो।”
तो क्या करोगे मेरा?”
“तू नहीं तो देवा तो है।”
देवराज चौहान ।” जुगमोहन के होंठों से निकला–माथे पर बल पड़े-“क्या कहना चाहता है तू?”
“जथूरा एक हादसा तैयार कर रहा है, जो देवा के साथ होगा। तू देवा को कैसे बचा पाएगा?”
“कमीने—हरामी ।” जगमोहन कॉफी का प्याला फेंकते हुए पोतेबाबा की आकृति पर झपट पड़ा।
जगमोहन को लगा जैसे किसी शरीर से जा टकराया हो। जगमोहन ने पोतेबाबा की आकृति की गर्दन दोनों हाथों से पकड़ ली।।
“मैं तेरे को अभी खत्म कर....”
तभी जगमोहन ने पोतेबाबा का हाथ अपने सिर पर महसूस किया।
जगमोहन को लगा पोतेबाबा अंगूठे से उसकी कनपटी दबा रहा हो।
दर्द की तीव्र लहर उसके सिर में दौड़ी और वो बेहोश होता चला गया।
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