RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
न...नहीं। मैं नहीं जाऊंगा।” सपन चडूढ़ा तेज स्वर में बोला।
तेरे को तो पता भी नहीं चलेगा जब मैं ले जाऊंगा। तेरी आंख जथूरा की दुनिया में ही खुलेगी। एक बार फिर बोल ।”
क्या?
” जथूरा महान है।”
नहीं बोलता।” सपन चड्ढा ने होंट भींचकर कहा।
बोल, नहीं तो तेरे सारे कपड़े उतरवाकर बाहर भेज दूंगा। मेरी शक्तियों को तू अभी जानता नहीं ।”
ऐसा मत करना।” सपन चडूढा घबराकर कह उठा।
तो बोल ।
” जथूरा महान है।” सपन चड्ढा जल्दी से कह उठा।
तरक्की करेगा। जथूरा का गुलाम बनने के सब गुण तेरे में हैं। जथूरा खुश होगा तेरे से।”
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देवराज चौहान कल सुबह बंगले से निकला था। उसे, जिससे मिलना था, वो सुबह ही मिलता था। तब जगमोहन गहरी नींद में था। देवराज चौहान नहीं जानता था कि उसका सफर बहुत लम्बा और खतरनाक होने वाला है। अपनी तरफ से तो वो साधारण से काम के लिए निकला था और वो काम सुबह नौ बजे तक निबट भी गया था।
उस वक्त वो कार पर वापस बंगले की तरफ जा रहा था जब उसका फोन बजा।
“हेलो।” देवराज चौहान ने बात की।
देवराज चौहान ।”
दूसरी तरफ से लक्ष्मण दास की आवाज कानों में पड़ी—“तुम देवराज चौहान ही हो न?”
देवराज चौहान को महसूस हुआ कि वो घबराया हुआ है।
हां, लक्ष्मण दास ।” देवराज चौहान ने कहा।
“ओह, तुमने मुझे पहचान लिया। लक्ष्मण दास हूँ मैं। तुम...तुम कहां हो?” ।
मुम्बई में...क्यों?”
मुम्बई, ओह तुम फौरन मेरे पास दिल्ली आ जाओ। मेरे पास तुम्हारे काम की खबर है। बहुत ही जरूरी ।”
मैं अभी नहीं आ सकता।”
“समझा करो। तुम्हारे काम की खबर है। मोना चौधरी तुम्हें मारना चाहती है।”
मोना चौधरी?” देवराज चौहान के होंठ सिकुड़ गए।
इश्तिहारी मुजरिम मोना चौधरी, नाम सुना है कभी?”
अच्छी तरह जानता हूं उसे ।” देवराज चौहान ने कहा-“तुम कैसे कह सकते हो कि मोना चौधरी मुझे मारना चाहती है?”
“मेरे पास एक सी.डी. है। उसे देखोगे तो तुम समझ जाओगे। तीन करोड़ में उसने तुम्हारी हत्या का ठेका लिया है। ये तो अच्छा हुआ कि मैं तुम्हें जानता हूं, वरना मोना चौधरी ने चुपके से तुम्हारा गला काट देना था।”
तुम्हारे पास वो सी.डी. कहां से आई?”
सब बातें फोन पर नहीं हो सकतीं । तुम मेरे पास आ जाओ। सब बता दूंगा।” उधर से लक्ष्मण दास की आवाज कानों में पड़ी।
देवराज चौहान के चेहरे पर सोच के भाव नाच रहे थे।
*आ रहे हो न?”
हां। तीन घंटे तक तुम्हारे पास होऊंगा।”
“आओ आओ मैं तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं।”
देवराज चौहान ने फोन बंद करके जेब में रखा और कार को सड़क के किनारे रोका। कार में छिपाकर रखी मूछे निकालकर होंठों पर चिपकाईं। शीशे में देखा। मूंछे ठीक तरह से लगाईं। उसके बाद कार को एयरपोर्ट की तरफ दौड़ा दिया। मन-ही-मन वो हैरान था कि तीन करोड़ में मोना चौधरी उसे मारने जा रही थी। जबकि वो जानती थीं कि उस पर हाथ डालना आसान नहीं है। देवराज चौहान पहले कुछ नहीं सोचना चाहता था। पहले वो लक्ष्मण दास की सारी बात सुनना चाहता था। सी.डी. देखना चाहता था, जिसका जिक्र लक्ष्मण दास ने किया था। वो यही सोच रहा था कि जो भी हो, मोना चौधरी को उसके रास्ते में नहीं आना चाहिए। जैसे कि वो कभी भी मोना चौधरी के रास्ते में नहीं आता।।
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