XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
03-08-2021, 10:33 AM,
#73
RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
रुस्तम राव और बांकेलाल राठौर ने चादर की तरह फैलाकर थाम रखा वो जाल, पीछे से आकर पोतेबाबा की सोफे पर बैठी आकृति के ऊपर डाला और उसके किनारे पूरी ताकत के साथ सोफे के साथ जकड़ दिए।

सोहनलाल जल्दी उठा और पहले से ही एक तरफ रखी नायलोन की मोटी डोरी उठा लाया और सोफे के गिर्द जाल में रस्सी फंसाते हुए डोरी को कसता चला गया। * पोतेबाबा की आकृति छटपटाई।।

परंतु वो आजाद नहीं हो सका । पोतेबाबा ने खास कोशिश भी न की आजाद होने की।

सोफे पर मौजूद जाल ऊपर तक उठा हुआ था, जिसकी वजह से, वहां किसी के बैठे होने का आभास होता था। सोहनलाल डोरी बांधकर फारिग हुआ।

पोतेबाबा जाल के बीच सोफे पर बंध चुका था।

तुम अदृश्यो हो के, म्हारे को डरावे हो।” बांकेलाल राठौर अपनी मूंछों पर हाथ फेरता कह उठा–अंम थारे को ‘वड' दयो।”

जाल में फंसी पोतेबाबा की आकृति के होंठ मुस्कराते दिखे।

तुम भंवर सिंह।” पोतेबाबा की आवाज उभरी।।

*आं हम। मालूम पड़ो तम पीछे के जन्म वालो हो ।”

पोतेबाबा का सिर हिला और रुस्तम राव को देखा।

“तुम त्रिवेणी हो। वही त्रिवेणी, जिसका ब्याह पेशीराम की बेटी के साथ हुआ था।” (ये सब बातें विस्तार से जानने के लिए पढ़े अनिल मोहन के पूर्व प्रकाशित उपन्यास–‘जीत का ताज’, ‘ताज के दावेदार' व 'कौन लेगा ताज’ ।)

“हां बाप आपुन वो ही होएला ।” रुस्तम राव गम्भीर स्वर में बोला—“तुम कौन होईला?”

पोतेबाबा।” ।

“आपुन ने नेई पेईचाना तेरे को बाप ।” ।

“मैं गुलचंद का दोस्त हुआ करता था, फिर जथूरा की सेवा में चला गया।”

“ओ ‘बड’ दवायें जथूरा को ।” बांकेलाल राठौर अपनी मूंछों पर हाथ फेरता कह उठा।

“आपुन जथूरा को भी नेई जानेला बाप ।”

“पूर्वजन्म की बातें इस वक्त तुम लोग भूले हुए हो।” पोतेबाबा के होंठ हिले।

तम म्हारे को दिखो क्यों ना?” बांकेलाल राठौर ने पूछा।

“मैंने सोने के कलश वाली दवा खा रखी है। उस दवा को जो भी खाता है, वो अदृश्य हो जाता है।”

म्हारे को दे।”

वो दवा इस तरह किसी को नहीं दी जा सकती। वैसे भी दवा इस वक्त मेरे पास नहीं है।”

फिर ठीको कैसे हौवे?”

चांदी के कलश वाली दवा खाकर ।”

“यो सोनो-चांदो के कलश क्या हौवे?”

हमारी दुनिया में एक गुप्त जगह पर एक साथ सोने और चांदी के कलश रखे हुए हैं। वहां पर हर कोई नहीं पहुंच सकता। कुछ खास लोगों की पहुंच ही उन कलशों तक है। उन्हीं कलशों के बीच वो दवा रखी जाती है। उस दवा को कलशों के नाम से पहचाना | जाता है।” पोतेबाबा का स्वर बेहद शांत था।

“थारो का हौवे ईब पोतेबाबा। थारों को तो इस तरहो, गायबो की मुद्रा में ही बांध के रखो अंम और सुबह-शामो डण्डा बजायो थारे पर। तम म्हारे जगमोहन को परेशान करो हो।”

मैं तो जग्गू का भला करना चाहता...।”
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RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़ - by desiaks - 03-08-2021, 10:33 AM

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