RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
अपने...? नहीं यहीं ठीक है। हम दोनों यार हैं। तेरे-मेरे घर में फर्क ही क्या है। जल्दी कर, जो इसने मांगा है, वो लाकर दे। नौकर भेज के मंगवा। देर हुई तो गड़बड़ हो जाएगी।” ।
सपन चड्ढा जल्दी से कमरे से बाहर निकल गया। लक्ष्मण दास मोमो जिन्न के पास जाकर धीमे स्वर में बोला। “एक बात कहूं-मानेगा?”
बोल । अब तो हम दोस्त हैं।”
अगर तेरी इंसान को खाने की इच्छा करे तो पहले सपन चड्ढा को खाना, मुझे नहीं।” ।
वो तेरा दोस्त है—तू...।”
“जब जीने-मरने का सवाल आए तो दोस्त-वोस्त कुछ नहीं होता। तू पहले सपने को खाना। मुझे नहीं ।”
“ठीक है। तेरी बात मान लेता हूं।”
“तू कितना अच्छा है। ला, मैं तेरी टांगें दबाता हूं।”
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रुस्तम कहां है?" अपने कमरे की तरफ गया जगमोहन, वापस आकर देवराज चौहान और बांके से बोला।
वो तो थारो बिस्तरों पर ई नींद मारो हो।”
वहां नहीं है वो।” ।
बगलो वाले कमरो में हौवो?”
“वहां भी नहीं है। मैंने कई जगह देखा है। बंगले से बाहर जाता तो वो यहीं से निकलता।”
“बाथरूम वगैरह चैक करो।” देवराज चौहान उठते हुए बोला–“वो मिल जाएगा।” ।
उसके बाद तीनों ने रुस्तम राव को बंगले में तलाशा। परंतु रुस्तम राव नहीं मिला।
देवराज चौहान और बांकेलाल राठौर परेशान थे कि रुस्तम राव कहां चला गया। जगमोहन के बहरूप में मखानी भी चिंतित होने का भरपूर दिखावा कर रहा था। वो सोच भी नहीं सकते थे कि जगमोहन के रूप में कालचक्र उसके पास मौजूद है।
“म्हारो तो खोपड़िया खराब हो गयो हो कि छोरो कां पे चल्लो गयो।”
“सच में ये हैरानी वाली बात है।” जगमोहन परेशान-सा कह उठा।
“हमारी निगाहों में आए बिना रुस्तम बंगले से बाहर जाएगा ही क्यों?” देवराज चौहान बोला–“मेरे खयाल में कुछ हुआ है, जिसका हमें आभास नहीं हो सका। जथूरा के कालचक्र ने इस बंगले पर भी पांव फैलाने शुरू कर दिए हैं।”
“का कहत हो देवराज चौहानो।” बांकेलाल राठौर हड़बड़ाकर बोला—“कालचक्रो इधरो आयो हो?”
मुझे भी यही लगता है।” जगमोहन ने गम्भीर स्वर में कहा।
“सोहनलाल नहीं आया अभी तक?” देवराज चौहान ने जगमोहन से पूछा।
आ जाएगा।” देवराज चौहान ने फोन निकाला और सोहनलाल के नम्बर मिलाने लगा। वो चिंता में था। | देवराज चौहान ने बार-बार नम्बर मिलाया, परंतु उधर बजने वाली बेल कानों में नहीं पड़ी।
क्या हुआ?” जगमोहन ने पूछा।
नम्बर नहीं लग रहा।” देवराज चौहान कह उठा।
नेटवर्क में समस्या होगी।” जगमोहन ने कहा-“आ जाएगा वो। मैं तो रुस्तम के बारे में चिंतित हूं।” ।
“छोरा जवानो हो गयो हो। इस तरहो इसको गायब हो जानो, ठीको न हौवो।” ।
“मैं एक बार फिर बंगला देखता हूं।” कहकर जगमोहन बंगले के भीतर वाले हिस्से की तरफ बढ़ गया।
| बांकेलाल राठौर ने देवराज चौहान को देखा।
देवराज चौहान के चेहरे पर गम्भीरता के भाव नजर आ रहे थे।
देवराज चौहानो। म्हारो छोकरो किधर जायो हो?”
“मुझे भारी खतरे का अंदेशा हो रहा है।” देवराज चौहान बोला।
भारी खतरो?”
“रुस्तम के इस तरह बंगले से गायब हो जाने के पीछे, जथूरा की शक्तियों का ही हाथ है।” ।
“यो जथूरा म्हारे को मिल्लो तो अंम उसी को ‘वड' दयो।” बांकेलाल राठौर गुर्रा उठा।
“हम कुछ नहीं कर सकते बांके ।” देवराज चौहान गम्भीर था—“हमारे पास कुछ भी करने को रास्ता नहीं है। हम नहीं जानते कि जथूरा सबका अपहरण करके उन्हें कहां रख रहा है। हम नहीं जानते कि जथूरा कहां रहता...।”
वो पूर्वोजन्मो में हौवे। चल्लो हंम उधरो चल्ले ।”
पूर्वजन्म में प्रवेश करने का रास्ता हमें नहीं मालूम ।”
वो रास्तो किधर से मिल्लो हो?” ।
“मैं नहीं जानता। लेकिन जब पूर्वजन्म में प्रवेश करने का वक्त आएगा, हम रास्ते के सामने होंगे। ये ठीक है कि जथूरा की शैतानी शक्तियों के काम करने का एहसास हमें हो रहा है, परंतु मुझे पूरा विश्वास है कि पवित्र शक्तियां भी इस काम में आ चुकी हैं। पूर्वजन्म की जब बुरी शक्ति हमारे खिलाफ हरकत में आती हैं तो, अच्छी शक्तियां भी हमारे बचाव में सामने आ जाती हैं। हमारे पूर्वजन्म में प्रवेश करने की ये शुरुआत-भर है। खेल तो अभी शुरू होना है।”
जथूरो तो चाहो कि अंम पूर्वजन्म में ना जायो।” ।
“हां, वो इसी कोशिश में लगा है कि इस बार हमें पूर्वजन्म के सफर से रोक ले। वो अपनी भरपूर कोशिशें कर रहा है, मेरे खयाल से जब पूर्वजन्म के सफर का वक्त आता है, तो हमें वहां जाना ही पड़ता है। परंतु एक बात अजीब है बांके।”
बोल्लो ।”
“हमने जब-जब पूर्वजन्म में प्रवेश किया है, उससे पहले पेशीराम (फकीर बाबा) अवश्य हमारे पास आया। हमें पहले ही आगाह कर देता था आने वाले हालातों से, परंतु इस बार, अभी तक पेशीराम हमारे पास क्यों नहीं आया?”
वो बुडूढो हौवे, मरो खपो गयो हौवे ।”
नहीं वो मर नहीं सकता।” देवराज चौहान ने इंकार में सिर हिलाया।
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