RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
“तभी मुझे सोबरा की तरफ जाने को कह रहे हो।” नानिया सोहनलाल को देखकर अजीब स्वर में बोली। “ये किससे बात कर रहा है। कोई दिखता तो नहीं ।”
चुप रहो ।” सोहनलाल शांत स्वर में कह उठा।
मैं सिर्फ संतुलन कायम रखने की चेष्टा कर रहा हूं। देवा, मिन्नो और बाकी सब भी इस जमीन पर पहुंचने वाले हैं। मैं उनसे बात करने की स्थिति में नहीं हूं, परंतु तुमसे बात कर पा रहा हूं, इसलिए तुम्हें रास्ता सुझाकर संतुलन कायम रखने को कह रहा हूं।
आने वाले वक्त में जो होने वाला है, वो तुम नहीं देख पा रहे, परंतु मैं देख रहा हूं।”
कुछ मुझे भी बताओ।”
“अभी नहीं। परंतु बहुत जल्द मैं तुम्हारे सामने आऊंगा। तब सब बातें होंगी। ये जथूरा की जमीन है। ज्यादा नहीं रुक सकता मैं यहां। मुझे खतरा है। तुम सोबरा के पास पहुंचने का प्रयत्न करो।”
देवराज चौहान किस स्थिति में है?" जगमोहन ने पूछा।
“देवा-मिन्नो, पूरी तरह तो नहीं, परंतु कुछ हद तक जथूरा की पहुंच के भीतर हैं और तेजी से इसी तरफ आ रहे हैं। उनके इस धरती पर पांव रखते ही, जथूरा पूरी तरह हरकत में आ जाएगा। मैं उससे पहले ही तुम्हें इस धरती से निकाल देना चाहता हूं, ताकि संतुलन कायम रहे। तुम भी वक्त बर्बाद मत... ।”
“मैं समझ नहीं पा रहा कि तुम किस संतुलन की बात कर रहे...।” “ये बात हम बाद में करेंगे—जग्गू तुम...।”
देवराज चौहान इस धरती पर आ रहा है तो मैं यहीं रहना चाहूंगा, उससे मिलना...।”
“देवा से जल्दी मुलाकात होगी तुम्हारी। परंतु इस तरह नहीं। तुम्हें मुझ पर भरोसा है तो मेरी बात मानो और फौरन पूर्व दिशा की तरफ चल दो। जहां सोबरा की जमीन है। अब मैं जाता हूं। तुम यहीं वक्त बर्बाद मत करना।”
इसके बाद कोई आवाज नहीं आई।
सोहनलाल और नानिया की नजरें उस पर थीं।
क्या बात हुई?” सोहनलाल ने पूछा।
जगमोहन ने बता दिया।
तो अब हमें क्या करना चाहिए?”
मैं नहीं जानता वो कौन है जो हमें सोबरा के पास पहुंचने को कह रहा है, जबकि देवराज चौहान इसी जमीन पर पहुंचने वाला है। वो संतुलन कायम रखने को कह रहा है, परंतु बता नहीं रहा कि किस तरह का संतुलन चाहता है वो।”
“तुमने क्या फैसला किया कि हमें किस तरफ जाना चाहिए?” सोहनलाल गम्भीर था।
“हमारे लिए सोबरा हो या जथूरा दोनों ही अंजान हैं। परंतु जथूरा के बारे में काफी कुछ सुन रखा है। वो हादसों का देवता है और हमारी उस दुनिया में हादसे तैयार करके भेजता है। उन हादसों को मैं देख चुका हूं। वे बेहद खतरनाक होते हैं।” (विस्तार से जानने के लिए पढ़िए अनिल मोहन का राजा पॉकेट बुक्स से पूर्व प्रकाशित उपन्यास–“जथूरा' ।)
मेरे खयाल में हमें सोबरा को भी देखना चाहिए कि वो कैसा है।” ।
“सोबरा जथूरा का दुश्मन है। वो किसी मौके पर हमारे काम आ सकता है।” सोहनलाल ने कहा।
“परंतु देवराज चौहान इस धरती पर पहुंचने वाला है।” जगमोहन ने उलझन-भरे स्वर में कहा।
उसे अपना काम करने दो। उसके सामने अपने हालात होंगे, जिनका मुकाबला उसे करना ही पड़ेगा। वो बच्चा नहीं है। हमें अपने हालातों के बारे में सोच-विचार करना चाहिए। अपना रास्ता चुनना चाहिए हमें।”
“हम सोबरा की तरफ ही जाएंगे।” जगमोहून सोच-भरे स्वर में कह उठा।
तभी नानिया कह उठी।
देवराज चौहान कौन है? वों हम सबका बड़ा है।” सोहनलाल ने कहा।
“बड़ा है? क्यों वो पेड़ जितना बड़ा...।”
“वो बड़ा भाई है। उसे अच्छे-बुरे हालातों का ज्यादा अनुभव है।” सोहनलाल बोला।
“अब समझी।” नानिया ने सिर हिलाया-“वैसे सोबरा के पास जाने की सोचकर ठीक किया।”
तुम जानती हो कि सोबरा कहां रहता हैं?” जगमोहन ने पूछा। “क्यों नहीं, मैं यहां के बारे में सब जानती हूं, यहीं की तो हूँ
तो चलो, हमें सोबरा के पास पहुंचना है।” नानिया ने सोहनलाल का हाथ पकड़ा और कह उठी।
“आओ, सोबरा की तरफ चलते हैं।” वो तीनों चल पड़े।
कितना लम्बा रास्ता है?” जगमोहन ने पूछा।
रास्ता तो लम्बा है।” नानिया बोली-“वक्त तो काफी लगेगा पहुंचने में। सोहनलाल ।”
“हों।”
मैं तुम्हारी दुनिया में कब पहुंचेंगी?
” पता नहीं ।”
ये क्या बात हुई। मैं जल्द से जल्द वहां पहुंचकर तुमसे शादी कर लेना चाहती हूं।”
“जल्दी क्या है। हो जाएगी।”
मुझे जल्दी है।” सोहनलाल ने प्यार से नानिया को देखा और मुस्करा दिया। दो कदम पीछे आते जगमोहन ने मुंह बनाया और बड़बड़ा उठा।
उल्लू का पट्टा।'
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
|