RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
हर वक्तो इन दोनों के साथ ही चिपको हो। ईब देख, पेट में दर्दो उन दोनों के हौवो, और खुदो साथ चल दयो ।”
“आपुन को क्या पता होएला बाप कि भीतरी लफड़ा क्या होईला।”
“गड़बड़ी तो हौवे ही कुछो ।” बांकेलाल राठौर का हाथ मूंछ पर जा पहुंचा।
देवराज चौहान की नजरें हर तरफ घूम रही थीं। परंतु दूर-दूर तक सुनसानी थी। कोई भी नहीं दिख रहा था। तभी मोना चौधरी पास आकर बोलीं । “तुम्हें कुछ अजीब नहीं लग रहा देवराज चौहान?”
कैसा अजीब?” देवराज चौहान ने मोना चौधरी को देखा।
यही कि हमें यहां लाकर पटक दिया और यहां कोई भी नहीं है। हमें ये भी नहीं पता कि हमें कहां जाना है।”
मोमो जिन्न हमारे साथ है।” मोना चौधरी की निगाह मोमो जिन्न की तरफ उठी जो लक्ष्मण-सपन के साथ पेड़ों की तरफ जा रहा था।
फिर भी जथूरा के लोगों को यहां अवश्य होना चाहिए था।” मोना चौधरी ने कहा।
“इतना ही बहुत है कि पूर्वजन्म तक पहुंचने का सफर आसानी से कट गया।” देवराज चौहान ने कहा।
हम अपनी इच्छा से पूर्वजन्म में नहीं आए, बल्कि हमें घेरकर पूर्वजन्म में पहुंचाया गया है।”
देवराज चौहान ने मोना चौधरी को देखा। नगीना भी पास आ पहुंची थी।
पहले हम सबको कालचक्र ने उस वीरान टापू पर पहुंचाया। फिर हमें वहां के अजीब हालातों में फंसाया गया। उसके बाद मजबूरन हमें पनडुब्बी में आना पड़ा और फिर हम यहां पहुंच गए।” मोना चौधरी ने कहा।
“ये ठीक कहती है।” नगीना कह उठी—“जथूरा हमें पूर्वजन्म में लाना चाहता था।” ।
“परंतु वो तो हमें पूर्वजन्म में आने से रोकना चाहता था।” देवराज चौहान बोला।
अवश्य ऐसा था।” नगीना बोली-“लेकिन मुझे लगता है कि बाद में उसने अपना इरादा बदल दिया था।”
देवराज चौहान के चेहरे पर सोच के भाव उभरे। तभी महाजन पास आता कह उठा।। “अब हम क्या करें—किंधर जाना है हमें?"
देवराज चौहान की निगाह कमला रानी और मखानी की तरफ उठी। वो सबसे हटकर रेत में अलग बैठे हुए थे। फिर उसने मोमो जिन्न को देखा। परंतु वो नजर नहीं आया। लक्ष्मण-सपन के साथ पेड़ों के पीछे पहुंचकर वो नजरों से गुम हो गया था। पारसनाथ भी करीब आ गया था। ।
“यहां पर किसी का न होना हमें परेशान कर रहा है।” पारसनाथ बोला।
“शायद वे लोग आ रहे हो।” देवराज चौहान ने हर तरफ नजरें घुमाईं।
“उन्हें आना होता तो वे अब तक आ चुके होते ।” मोना चौधरी ने गम्भीर स्वर में कहा।
मैं भी यहीं कहने वाली थी ।” नगीना कह उठी।
देखते हैं। मोमो जिन्न को वापस आ लेने दो।” देवराज चौहान ने सिर हिलाकर कहा।
बांकेलाल राठौर और रुस्तम राव कमला रानी और मखानी के पास पहुंचे।
का बात हौवे। जब से सफरो शुरु हौवो, तंम दोनों चुपो हौवे?” कमला रानी और मखानी ने उन्हें देखा, परंतु खामोश रहे।
कुछो तो बोल्लो हो ।” बांकेलाल राठौर ने पुनः कहा।
वे फिर भी चुप रहे।
सांप सुंघेला इन्हें बाप।”
म्हारे को अजगरो सुंघो लागे हो।”
दोनों उसके पास से हट गए।
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