XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
03-20-2021, 12:02 PM,
RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
"मेरे खयाल में हम जितनी जल्दी नहा-धोकर फारिग होंगे, उतनी ही जल्दी सोबरा से मुलाकात होगी। अब मनीराम सोबरा को हमारे आ जाने की खबर दे रहा होगा। देखें तो सही कि सोबरा कहता क्या है।" जगमोहन बोला।

“देवराज चौहान और बाकी के लोग जथरा के महल में। हम सोबरा के महल में और दोनों दुश्मन हैं।"

जगमोहन सोहनलाल को देखने लगा।
"सोबरा और जथूरा की दुश्मनी से हम मुसीबत में फंस सकते हैं।” सोहनलाल ने कहा।

जगमोहन के चेहरे पर सोचें छाई रहीं।

“शायद हमें यहां नहीं आना चाहिए था।” सोहनलाल पुनः बोला।

“सोबरा से बातचीत के बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकता है।" जगमोहन कह उठा।

मनीराम जगमोहन, सोहनलाल और नानिया को लेकर सोबरा के पास पहुंचा।

बहुत बड़े खुले कमरे में सोबरा मौजूद था। बाहर दो पहरेदार सतर्क खड़े थे।

उस कमरे में मध्यम-सी रोशनियां फैली थीं। छत पर फानूस लटक रहे थे जो कि रोशन थे। एक तरफ फर्श पर नीचे ही नर्म गद्दे बिछे थे। जिन पर पड़े गोल तकियों के बीच पांच फुट का सोबरा बैठा था। बदन पर एक धोती के अलावा और कुछ नहीं था। हाथ में चांदी का गिलास था, जिसमें से वो रह-रहकर बूंट भर रहा था।

पास में घुटने के बल एक कम उम्र की युवती अर्धनग्न से कपड़े पहने, बैठी थी। सोबरा की आंखों में नशे की लाली झलक रही थी।

सोबरा ने तीनों को देखा फिर मुस्कराकर कह उठा।

"स्वागत है। सोबरा तुम तीनों का स्वागत करता है। इसके साथ ही उसने कुछ फट दूर गददे की तरफ इशारा किया___"मेरे मेहमान वहां बैठकर, आराम कर सकते हैं। बातें भी हो जाएंगी।"

जगमोहन, सोहनलाल और नानिया गद्दे पर जा बैठे। मनीराम हाथ बांधे खड़ा रहा।

"ये वक्त मेरे आराम करने का होता है। परंतु तुम लोग मेरे खास मेहमान हो। सफर में परेशानी तो नहीं हुई?"

“सब ठीक रहा।” जगमोहन बोला।

सोबरा ने उस कमसिन युवती से कहा। "मेहमानों को जाम पिलाओ।"

“अभी लीजिए।" कहकर वो फौरन उठी।

"कोई जरूरत नहीं।” जगमोहन कह उठा—“हम इन चीजों का सेवन नहीं करते।" ____

"बेहतर है।” सोबरा ने युवती को देखा—“तुम जाओ। अभी मुझे मेहमानों से बातचीत करनी है।"

युवती बाहर निकल गई।

“तुम कैसी हो नानिया?"

“अच्छी हूं सोबरा। परंतु कालचक्र में बंदी बनकर रहने में परेशानी अवश्य हुई।"

“मैंने तुम्हें रानी साहिबा बनाया था।"

“यही तो मेरी सजा थी कि एक साधारण युवती को रानी साहिबा बनकर, कालचक्र में रहना पड़ा।"

सोबरा हंस पड़ा।
हाथ में थाम रखे गिलास से बूंट भरा और उसे एक तरफ रख दिया।
“जग्गू और गुलचंद। बहुत समय बाद तुम दोनों को देख रहा

- "तुम हमें कब से जानते हो?” सोहनलाल ने पूछा। ___

“बहुत देर से। जब तुम लोगों का पहला जन्म था। फिर तुम सब ही मिन्नो के साथ हुई नगरी की लड़ाई में मर गए। दोबारा तुम दोनों को देखकर अच्छा लगा।"

“हमें काम की बातें करनी चाहिए।" जगमोहन कह उठा।

“अवश्य।” सोबरा मुस्कराया और मनीराम से बोला— “तुम जाओ मनीराम। अब तुम्हारी जरूरत नहीं।"

मनीराम बाहर निकल गया।

“कहो, क्या कहना है जग्गू?" ।

"तुमने हमें यहां पर क्यों बुला लिया मनीराम के द्वारा?"

"क्या तुम्हें मेरे यहां आना बुरा लगा?"

"ये मेरी बात का जवाब नहीं है।” जगमोहन गम्भीर था।

“तुम्हें बुलाना, गुलचंद को भी यहां लाना जरूरी था, ताकि संतुलन कायम रहे।” सोबरा ने कहा—“नानिया ने तुम लोगों से कहा कि सोबरा के यहां जाना ठीक है। ये बात मैंने ही नानिया के दिमाग में डाली थी।" ___

"तुमने ऐसा क्यों किया?"

"संतुलन कायम रखने के लिए।" सोबरा शांत स्वर में कह उठा— “देवा, मिन्नो, बेला, त्रिवेणी, भंवर सिंह, नील सिंह, परसू सब तो जथूरा की जमीन पर जा रहे थे। अगर तुम दोनों भी वहां चले जाते तो संतलन बिगड जाता। देवा-मिन्नों को समझाता कौन कि वो जो कर रहे हैं, उन्हें वो नहीं करना चाहिए।"

"क्या कर रहे हैं वो?" सोबरा खामोश-सा हो गया। जगमोहन, सोहनलाल, नानिया की नजरें उस पर टिकी रहीं। फिर सोबरा कह उठा।

“जथूरा मेरा भाई है, परंतु उसकी मेरी बनती नहीं। क्योंकि उसने धोखेबाजी की मुझसे। पिता की मौत के समय उसने पिताश्री से उनकी सारी ताकतें ले लीं। मुझे कुछ भी नहीं दिया। उन्हीं ताकतों के सहारे आज वो मुझसे ज्यादा शक्तिशाली बना हुआ है।"

"तो ये वजह है भाइयों की दुश्मनी की?"

"ये वजह नहीं, दुश्मनी की शुरुआत थी। उसके बाद तो बात-बात पर दुश्मनी बढ़ती ही चली गई। परंतु जथूरा पिता से मिली ताकतों का बंटवारा करने को तैयार नहीं हुआ। ज्यादा ताकतवर होकर, वो हमेशा मुझे नीचा दिखाने की चेष्टा में लगा रहता।"

तीनों उसकी बात को ध्यान से सुन रहे थे। जगमोहन कह उठा।
"ये भी तो हो सकता है कि जथूरा ने ऐसा कुछ न किया हो, परंतु उसके ज्यादा ताकतवर हो जाने की वजह से तुम्हें अक्सर ये महसूस होता हो कि जथूरा तुम्हें नीचा दिखा रहा हो।"

सोबरा मुस्करा पड़ा।

"अगर ऐसा भी हो तो कोई बड़ी बात नहीं। परंतु वो उन ताकतों की सहायता से बड़ा बना, जिन पर मेरा भी हक था।"

तीनों की निगाह सोबरा पर थी।
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