Desi Porn Stories आवारा सांड़
03-20-2021, 08:46 PM,
#52
RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़


अपडेट-27

अपने घर की हर औरत को मैने केवल भोगने की नज़र से देखा है शीतल दीदी को छोड़ कर....ना जाने क्यो उन्हे देखते ही मैं सब कुछ जैसे भूल जाता हूँ....मेरे हृदय मे एक अलग ही तरह की तरंगे हिलोरे लेने लगती हैं....मेरे अंदर की सारी कामुकता गायब सी हो जाती है और मेरा
दिल हमेशा चाँद को भी मात कर देने वाले मुखड़े को अपने सामने देखते रहना चाहता है...ऐसा क्यो है.... ? इसका जवाब तो शायद अभी मेरे पास भी नही है.

उनके इस मर्म स्पर्शी छुवन के एहसास से मैं एक बार फिर अपनी सुध बुध खो कर सुखद नीद की आगोश मे समाता चला गया….मुझे दादी के पास जाने का ख्याल भी दिमाग़ से निकल गया.

सुबह जब मेरी नीद खुली तो वाहा कोई नही था….आज की सुबह मेरे जीवन की सबसे खूबसूरत सुबह मे से एक थी…मैने फ्रेश होने के बाद बाहर आ गया तो मुझे कुछ सीटी बजने जैसी आवाज़ सुनाई पड़ी.

मैं समझ गया कि कोई अपनी बुर खोले मूत रही है….बुर की खुश्बू मिलते ही लंड राज अकड़ के सीना तान कर खड़ा हो गया…मैं धीरे कदमो से उधर बढ़ गया जिधर से किसी के मूतने से सीटी बजने की आवाज़ आ रही थी.

अब आगे……..

मैं दबे पावं सीटी की आवाज़ जहाँ से आ रही थी उस तरफ बढ़ गया…..वहाँ पहुचते ही मैने देखा कि रूपा चाची की मझली बेटी संध्या जो
की मुझसे एक साल बड़ी हैं वो अपने गोरे गोरे चूतड़ खोले बैठ कर मूत रही थी….उसके मूतने से सीटी की आवाज़ आ रही थी.

अब चूँकि हमारे घर मे कोई बाथरूम तो था नही….मिट्टी का बना घर है…आँगन मे ही तीन तरफ से लकड़ी गाढ कर उसमे कपड़ा लपेट दिया गया था चारो तरफ से जिससे घर की औरतो को नहाने आदि मे कोई परेशानी ना हो.

फिर भी कपड़ा कयि जगह से फटा हुआ था जिससे झाँक कर अंदर का नज़ारा देखा जा सकता है…आँगन हालाँकि अंदर था जिससे किसी
बाहरी आदमी के वहाँ आने की संभावना लगभग ना के ही बराबर थी.

संध्या दीदी दूसरी तरफ मूह कर के मूत रही थी…इसलिए उनका ध्यान पीछे नही था कि मैं उन्हे देख रहा हूँ…हालाँकि उन्होने अपने मोटे
मोटे गोरे चुतड़ों को अपने कुर्ते से ढक रखा था फिर भी वो आधे से ज़्यादा नंगे दिख रहे थे.

संध्या दीदी के नंगे चुतड़ों का दर्शन करते ही मेरा लंड क़ुतुब मीनार बन गया…..मैने एक नज़र अपने चारो तरफ घुमा कर देखा कि कही कोई मेरे आस पास तो नही है.

जब कन्फर्म हो गया कि कोई नही है तो मेरे मन मे संध्या दीदी की बुर देखने की ख्वाहिश बलवती हो गयी… बार बार मन मे सोचने लगा कि संध्या दीदी की बुर नंगी कैसी दिखती होगी….?

मन मे ये लालच उत्तपन्न होते ही मैं धीरे धीरे आगे बढ़ने लगा…..और फटे हुए कपड़े मे से अंदर झाँकने लगा लेकिन मेरी फूटी किस्मत, तभी
संध्या दीदी उठ कर खड़ी हो गयी और अपने सलवार का नाडा बाँधने लगी.

मुझे बस उनकी गोरी गोरी जाँघो की एक हल्की झलक ही मिल पाई…..उनकी बुर के दर्शन होते होते रह गये….मायूस होकर मैं मुड़ा ही था की उन्होने मुझे देख लिया.

संध्या (गुस्सा होते हुए)—तू यहाँ क्या ताका झाँकी कर रहा है…..?

राज—क्क्क…कुछ भी तो नही….वो मुझे सीटी की आवाज़ सुनाई पड़ी तो मैं वही सीटी देखने की कोशिश कर रहा था…लेकिन पता नही
अभी तक तो वो बज रही थी, मेरे आते ही बंद हो गयी….

संध्या—यहाँ कोई सीटी वीटी नही है, चल भाग यहाँ से.

राज—मैं समझ गया..इसका मतलब तुम ही सीटी बजा रही थी.....मुझे भी सीटी देखनी है...मुझे वो सीटी दिखाओ जो अभी अभी तुम बजा रही थी.

संध्या (सकपका कर)—मैने कहा ना यहाँ कोई सीटी नही है.

राज—है...सीटी है..तभी तो तुम बजा रही थी...मुझे वही सीटी चाहिए और वो भी अभी दो मुझे अपनी वो सीटी.

संध्या (शर्मा कर)—मेरे पास कोई सीटी नही है, समझा.

राज—मैने खुद सुना है, तुम्हे सीटी बजाते हुए….मुझे सीटी दिखाओ नही तो मैं सब को जा कर बता दूँगा कि तुम सीटी बजा रही थी बाथरूम मे.

संध्या (सकुचाते हुए)—मैं सच कहती हूँ..मेरे पास कोई सीटी नही है राज…समझा कर….

राज—फिर वो सीटी कहाँ से बज रही थी….? मुझे बेवकूफ़ मत बनाओ, मैने खुद सुना है.

संध्या—राज, सच मे मेरे पास कोई सीटी नही है…वो सीटी की आवाज़ तो……

राज—अब रुक क्यो गयी….आगे बताओ….

संध्या (सिर झुका कर)—कुछ नही….चल जा यहाँ से, नही तो अब मारूँगी.

राज—मैं कुछ नही जानता मुझे फिर से वही सीटी बजा कर दिखाओ….मुझे तुम्हारी सीटी देखना है…नही तो मैं चला चाची और चाचा के पास, उन्हे सब बता दूँगा.

संध्या (थोड़ा ज़ोर से)—तुझसे कह दिया ना एक बार की मेरे पास कोई सीटी नही है….और क्या बता देगा तू माँ और पापा से..?

राज—ठीक है….मैं अभी जाता हूँ चाचा और बड़ी चाची के पास....उन्हे बताता हूँ कि संध्या दीदी सलवार उतार कर सीटी बजा रही थी और मुझे दिखा नही रही है.

संध्या (शॉक्ड)—क्या देखा तूने….?

राज—मैने तुम्हे सलवार उतार कर सीटी बजाते हुए खुद अपने कानो से सुना है.

राज की बात सुन कर संध्या शरम और लाज़ से पानी पानी हो गयी…..उसकी समझ मे नही आ रहा था कि वो अब राज को कैसे समझाए कि ये सीटी की आवाज़ उसके मूतने की वजह से उसकी बुर से आ रही थी…बेचारी बुरी तरह से फँस गयी थी.. साथ ही ये भी सोच रही थी
कि कहीं अगर राज ने सच मे रूपा चाची और चाचा से ये बात कह दी तो वो उनका कैसे सामना करेगी उनके सामने कैसे जा सकेगी….?

........................................

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RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़ - by desiaks - 03-20-2021, 08:46 PM
Next update please - by Kprkpr - 11-10-2021, 02:42 PM

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