Desi Porn Stories आवारा सांड़
03-20-2021, 08:50 PM,
#69
RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़
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अपडेट-36

ये तो साला गड़बड़ हो गया…मेरा पूरा प्लान ही चौपट हो गया….थप्पड़ लगते ही जो नशा मेरे उपर बिंदु मामी की वजह से चढ़ा था..सब रफू
चक्कर हो गया….मैं अपना गाल सहलाते हुए आगे बढ़ने लगा.

रश्मि (गुस्से मे)—आगे कहाँ घुसा चला आ रहा है…? मैने बाहर निकलने को कहा है कि ...समझ नही आया हो तो एक और लगा दूं... ?

राज—मेरा बॅग मुझे दे दो....मैं अभी अपने गाओं चला जाउन्गा.....मुझे पता नही था कि जिन्हे मैं अपना समझ के उनके पास जा रहा हूँ वो तो मेरे हैं ही नही..सॉरी....आप की जवानी आप को मुबारक हो.

मैने अपना बॅग उठा कर वहाँ से बाहर की तरफ चल दिया.....जाने क्या सोच कर रश्मि दीदी ने मुझे रुकने को कहा लेकिन मैं नही रुका और जैसे ही दरवाजा खोल कर बाहर जाने को हुआ तो वो भाग कर मेरा हाथ पकड़ ली.

अब आगे.........

राज—छोड़िए मेरा हाथ....जब किसी को मेरी परवाह ही नही है तो यहा रहने का फ़ायदा ही क्या है... ?

रश्मि—राज..तू सच मे पागल हो गया है.....क्या तेरे दिल मे रिश्ते नातो की कोई कदर नही है.... ?

राज—कदर है तभी तो चुपचाप जा रहा हूँ यहाँ से......

रश्मि—मेरी जगह अगर तेरी अपनी सग़ी बहन शीतल होती तो क्या तब भी तू यही करता, जो मेरे साथ करने की तू सोच रहा है.... ?

राज—दीदी...शीतल दीदी को बीच मे मत लाइए.

रश्मि—क्यो ना लाउ…आख़िर मैं भी तो तेरी बहन हूँ…जैसे शीतल है.

राज—मुझे जाने दीजिए…..मैं आप के साथ कोई ज़बरदस्ती तो नही कर रहा हूँ ना…..मैं अब आप से कोई बात नही करना चाहता.

रश्मि—देख राज जो तू मुझसे चाह रहा है वो ग़लत है…पाप है.

राज—मुझे अब आप से कुछ नही चाहिए.

रश्मि—अगर मैं तेरी बात मान लूँ तो……….

ये सुनते ही मेरा दिल गार्डेन गार्डेन हो गया….मन मयूर बन के अंदर ही अंदर नाचने लगा…लेकिन मैं अभी रश्मि दीदी को और भी तड़पाना चाहता था.

राज (मन मे)—अब तो आपकी ऐसी हालत करूँगा दीदी कि आप मुझसे हर समय अपनी बुर लेने की मिन्नत करोगी….मुझे देखते ही खुद ही अपनी जांघे फैला कर अपनी बुर बार बार दिखाने की कोशिश करोगी….आख़िर आपने थप्पड़ जो मारा है… इसकी कीमत तो मुझसे अपनी
बुर और गान्ड फडवा कर चुकानी पड़ेगी आपको...."बजेगी सब की बजेगी, सांड़ से कोई नही बचेगी."

रश्मि—बता ना…अगर मैं तेरी बात मान कर तुझे अपनी दिखा दूं तो, तब तो तू कही नही जाएगा ना….?

राज—मैने कहा ना कि मुझे अब कुछ नही चाहिए आप से…मुझे बस अपने गाओं जाना है वो भी अभी के अभी.

रश्मि—तुझे उसकी कसम जिसको तू सबसे ज़्यादा चाहता हो….अगर तू यहाँ से घर छोड़ कर गया तो.

राज—ठीक है….हाथ छोड़ मेरा….मुझे नीद आ रही है…मुझे सोना है.

रश्मि—वैसे तू सबसे ज़्यादा किसे चाहता है….?

राज—ये जानना आपका काम नही है.

रश्मि—क्या अब सच मे तू मेरी नही देखना चाहता…..?

राज—नही..

रश्मि—अगर मैं खुद तुझे अपनी दिखाऊ तब भी नही..... ?

राज—नही...कह तो दिया एक बार...और हर बार एक ही जवाब मिलेगा नहिी...नहिी और नही..ओके...गुड नाइट

मैं अपना हाथ छुड़ा कर दिनेश मामा के रूम मे चला गया और रश्मि दीदी मुझे हैरानी से देखती रही...मैं अभी रूम मे पहुचा ही था कि होने वाली मामी अरषि का फोन आ गया...मैने मामा की तरफ गौर से देखा तो वो लौडू घोड़े बेच कर सो गया था...निश्चिंत हो कर मैने कॉल रिसीव कर लिया.

राज—हेलो

अरषि (धीरे से)—सो गये क्या.... ?

राज—सोया कहाँ हूँ यार...बस तुम्हारी याद मे हिला रहा था.

अरषि—क्याअ.... ?

राज—अब ये मत पूछना कि क्या हिला रहा था... ?

अरषि—आपको शरम नही आती ऐसी बात करते हुए….?

राज—अब अपनी होने वाली बीवी से कैसी शरम…वैसे यार एक बात तो बता

अरषि—क्या…?

राज—तेरी कैसी दिखती है…?

अरषि—क्या….?

राज—तुम्हारे जाँघो के बीच का ख़ज़ाना…तुम्हारी बुर..और क्या

अरषि बुर का नाम सुनते ही बुरी तरह से शरमा गयी….ऐसी बाते उसने कभी किसी से की नही थी…हालाँकि उसकी भाभी उससे मज़ाक मे
कयि बार बुर शब्द इस्तेमाल कर चुकी थी लेकिन एक मर्द के मूह से सुनने का ये पहला मौका था…वो नीचे से उपर तक गन्गना गयी.

अरषि—छी….कितनी गंदी बाते करते हैं आप.

राज—मैं समझ गया कि तुम्हारे पास जाँघो के बीच मे बुर है ही नही.

अरषि (जल्दी से)—क्यो नही होगी भला…है मेरी जाँघो के बीच मे भी………..

अरषि ने जल्दबाज़ी मे जवाब तो दे दिया लेकिन जब उसको एहसास हुआ कि वो क्या बोल रही है तो लाज़ और शरम के मारे उसने अपनी
बात अधूरी ही छोड़ दी.

राज—बताओ ना जानू

अरषि (शरमाते हुए)—मुझे नही पता….जब शादी हो जाएगी तो खुद ही देख लेना.

ऐसे ही करीब एक घंटे तक मैं अरषि से बाते करते हुए उसको गरम करता रहा….कलपद हो जाने से मेरा वैसे ही मूड खराब था…अरषि से कल मिलने आने का बोल के मैने कॉल कट किया और फिर सो गया.
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वही पांडुरम बाकी पोलीस वालो के साथ खाली हाथ जब थाने पहुचा तो उनकी ऐसी हालत देख कर देशराज चौंक गया… उसने हर तरफ
नज़र दौड़ाई की शायद छमिया को ले आए होंगे किंतु पांडुरम के मूह से पूरी बात सुन कर उसका चेहरा गुस्से से तमतमा गया.

देशराज (गुस्से मे)—किसकी इतनी हिम्मत हो गयी पोलीस वालो पर हाथ उठाने की….? कितने लोग थे वो…?

पांडुरम—बस एक ही था सर…हाय..मेरी तो कमर ही तोड़ डाली उसने कमिने ने

देशराज (चौंक कर)—क्याआ..सिर्फ़ एक..और तुम दस…..? फिर भी खाली हाथ आ गये और वो भी उससे गान्ड मे लात खा कर.

पांडुरम—सर…उस साले का हाथ नही हथोडा है…साला सांड़ है सांड़….आआआअ…साले ने मार मार के कचूमर बना दिया.

देशराज—लानत है तुम लोगो पर…..कौन था वो….? जिसने देशराज से दुश्मनी लेने की जुर्रत की है..... ?

पांडुरम—पता नही सर....वो यहाँ का तो नही लगता....अंधेरा होने के कारण उसका चेहरा भी सॉफ नही देख पाया..लेकिन साला डाइलॉग
बहुत बढ़िया मारता है...क्या कह रहा था.. ? हां याद आ गया.....कोई गान्डू गान्ड नही हिलाएगा.

देशराज अचानक कुर्सी से उच्छल पड़ा.....पांडुरम की बात पूरी होते ही देशराज के चेहरे का रंग ही उड़ गया...और वो किसी गहरी सोच मे डूब गया.

देशरा (चौंक कर मन मे)—ये डाइलॉग तो नीलेश ठाकुर के मूह से सुना था मैने बेहोशी मे…..इसका मतलब नीलेश ठाकुर के उपर हमला
करने वाला और इन पोलीस वालो की धूकाई करने वाला शख्स एक ही है….मुझे जल्दी ही पता करना होगा.

पांडुरम—क्या हुआ साहब.... ?

देशराज—पांडुरम...कौन है वो आदमी....मुझे उसका पता चाहिए जल्द से जल्द...पता करो....वो अभी आस पास के ही किसी गाओं मे रुका होगा.....सुबह होते ही जितने भी गाओं हमारे थाना के एरिया मे आते हैं...सब की तलाशी लो....अब देखता हूँ कि मुझसे बच कर कहाँ जाएगा वो.

देशराज ने तुरंत ठाकुर साहब को इस बात की सूचना दे दी कि नीलेश ठाकुर पर हमला करने वाला यहाँ के आस पास के ही किसी गाओं मे च्छूपा है.....ठाकुर ने अपने बेटे राहुल के साथ लगभग 50 हथियार बंद आदमियो को तुरंत रवाना कर दिया.

दूसरे दिन सुबह.....

सपना—बिंदु अभी राज नही उठा क्या.... ? नाश्ता ठंडा हो जाएगा...देख उठा तो दे उसको भी.

बिंदु—दीदी, आप ही उठा दो ना…मैं जब तक नाश्ता लगाती हूँ.

सपना—ठीक है.

बिंदु (मन मे)—बच गयी….राज के सामने जाने की अब तो मेरी हिम्मत नही है…..बहुत ज़्यादा बिगड़ गया है ये लड़का.. अगर रात मे दिनेश
की आवाज़ नही आती तो मैं तो गयी थी काम से…..बाप रे कितना मोटा और लंबा था…मैं तो आधे मे ही मर जाती.

सपना जैसे ही राज को उठाने गयी तो वो हसीन सपनो की दुनिया मे खोया हुआ था..एक दो बार आवाज़ लगाने पर जब वो नही उठा तो सपना ने उसका चादर खिच लिया.

चादर हटते ही जो नज़ारा सपना की आँखो ने देखा तो उसकी आँखे ही पालक झपकाना भूल गयी…दिमाग़ ही चक्कर खा कर घूमने लग
गया…आश्चर्य चकित होकर उसने अपने मूह पर हाथ रख लिया जैसे की कोई बहुत बड़ा अजूबा देख लिया हो उसकी आँखो ने.

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RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़ - by desiaks - 03-20-2021, 08:50 PM
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