Desi Porn Stories आवारा सांड़
03-27-2021, 04:49 PM,
RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़
अपडेट- 68​

रश्मि (डाइयरी बंद करते हुए)—ओ माइ गॉड….मुझे तो अब भी यकीन नही हो रहा कि राज किसी से प्यार करता था और वो भी इस
कदर….? और ललिता बुआ ..छी..घृणा होने लगी है अब तो मुझे उनसे…यहा कितनी शराफ़त दिखती हैं हमे…

शीतल—लेकिन ये सच है दीदी….तभी तो मैने कहा था कि राज दिल का बुरा नही है बस हालातों ने उसे ऐसा बना दिया है.. मैं खुद उनसे
नफ़रत करती हूँ और राज भी…

रश्मि—लेकिन यार…ये साधना और तेरा हमशक्ल होना …कुछ समझ मे नही आया…कैसे हो सकता है ये….?

शीतल—शायद आपको …आपको ही क्या किसी को एक राज़ पता नही है…

रश्मि (चौंक कर)—कौन सा राज़….?

शीतल—यही कि साधना और मैं दोनो जुड़वा बहन हैं.....मेरी ही तरह साधना भी राज की सग़ी बड़ी बहन है.

रश्मि (शॉक्ड)—व्हातत्ततत्ट..... ? लेकिन कैसे और कब हुआ ये सब.... ?

अब आगे……

शीतल—ये तो मैं भी नही जानती कि साधना कहाँ है….?….लेकिन मैने एक बार अपने पापा और साधना के पापा, जो कि गहरे दोस्त थे उनको बात करते हुए सुना था उनके गायब होने से कुछ दिन पहले….

आकाश खुराना (साधना’स फादर)—यार मुझे दूसरी सिटी की कंपनी मे सेक्यूरिटी गार्ड की नौकरी मिल गयी है..सोचता हूँ कि सब को वही ले जाउ..

विवेक (राज’स फादर)—मुबारक हो दोस्त…ये तो बड़ी ही अच्छी बात है….इतनी खुशी की बात पर ऐसे मूह क्यो लटकाए हुए है तू….?

आकाश—मेरी ये खुशिया तो तुम्हारी देन हैं..

विवेक—भाई मैं बीच मे कहाँ से आ गया….?

आकाश—तुम तो जानते ही हो कि मैं कभी बाप नही बन सकता….हम दोनो पति पत्नी कितना उदास और दुखी होते थे जब दूसरो के बच्चो को देखते थे….अगर तुमने सब की चोरी से शीतल की जुड़वा बहन साधना को मेरी गोद मे नही दिया होता तो आज भी हमारी दुनिया मे वही अंधेरा रहता.

विवेक—अबे चुप कर बेवक़ूफ़ धीरे बोल…दीवारो के भी कान होते हैं….मैने तुझसे कितनी बार कहा है कि इस बात का ज़िकरा भी मत किया कर…..अगर ये बात ग़लती से भी मेरी बीवी को पता चल गयी तो वो मेरी जान ही ले लेगी

आकाश—सॉरी भाई, मैं भूल गया था…और ये भी याद है कि जब भाभी की डेलेवर्री हुई थी और उन्होने जुड़वा लड़कियो को जनम दिया था….तब वो बेहोश थी…तूने डॉक्टर और नर्स को पैसा दे कर चुप कराया था…और साधना को मुझे सौंप दिया था…मैने तो अपनी बीवी को
यही बताया कि ये बच्ची मुझे सिटी के कचरे के डिब्बे मे पड़ी मिली थी…तब से हम दोनो ने साधना को अपनी ही बेटी समझ कर पाला है…वो बेचारी भी सच नही जानती.

विवेक—मैं वो दिन कैसे भूल सकता हूँ यार जब तूने अपनी जान पर खेल कर मेरी बीवी की इज़्ज़त बचाई थी….ठाकुर सरे आम मालती की इज़्ज़त लूटने की कोशिश कर रहा था…पूरा गाओं खड़ा तमाशा देख रहा था लेकिन कोई उस अबला की मदद करने आगे नही आया….ऐसे
मे तूने अपनी दोस्ती निभाई….ठाकुर से तू अकेला ही भिड़ गया….बदले मे ठाकुर ने तेरा लंड ही काट दिया तलवार से….तब तक मालती उनके चंगुल से निकल कर भाग चुकी थी.

आकाश—चल छोड़ वो सब बाते

शीतल—बस मुझे इतना ही पता चला उनकी बाते सुन कर….मैं भी उस समय बहुत हैरान हुई थी ये जान कर की साधना मेरी और राज की बहन है.

रश्मि (मूह मे हाथ रख के)—ओमाइगॉड…इतना बड़ा राज़ और किसी को आज तक खबर नही.

शीतल—ये बात किसी को पता नही चलनी चाहिए दीदी वरना सब बहुत टेन्षन मे आ जाएँगे.

रश्मि—ह्म्‍म्म्म….वैसे शीतल अगर तू चाहे तो इस बिगड़े सांड़ को सीधा कर सकती है,

शीतल—नही दीदी…वो मेरी बात नही सुनेगा…..राज हद से बहुत ज़्यादा बिगड़ चुका है…हमारे आधे गाओं की लड़कियो और औरतो का तो उसने कल्याण कर दिया है…..अगर यहाँ भी कुछ दिन और रुक गया तो पक्का अगले महीने से इस गाओं के घर घर मे गोद भराई की रस्म चालू हो जाएगी….उससे केवल साधना ही ठीक कर सकती है.

रश्मि—अगर साधना कर सकती है तो तू क्यो नहीं…? आख़िर वो तेरी हमशकल है…तू साधना बन कर…

शीतल (बीच मे ही)—नही दीदी….क्यों कि अगर मैने ऐसा करने की कोशिश भी की तो राज मेरे साथ साधना वाली हरकते करेगा…जो मैं
बर्दास्त नही कर सकती.

रश्मि—तो फिर मेरे दूसरे सवाल का जवाब दे…?

शीतल—कौन सा सवाल….?

रश्मि—यही कि तू राज के लिए इतना परेशन क्यो रहती है जब उससे इतनी नफ़रत है तुझे तो….?

शीतल—आपके हर सवाल का जवाब देना मैं ज़रूरी नही समझती दीदी…आइ’म सॉरी.

रश्मि (मन मे)—कब तक अपने अंदर दबे प्यार को छुपाओगी शीतल…? मैने तेरी आँखो मे भी वही नशा देखा है जो राज की आँखो मे तुझे साधना समझ कर दिखाई देता है….देखना एक दिन मैं तेरा ये प्यार तुझसे काबुल करवा के ही रहूंगी…..सच तो ये है कि तू दुनिया से डरती
है और सबसे ज़्यादा इस बात से कि कही साधना के मिलते ही राज तेरे प्यार को ठुकरा ना दे..तू राज से नफ़रत करने का सिर्फ़ दिखावा करती है…

वही दूसरी तरफ हॉस्पिटल मे विकी कॅबिन के बाहर बैठी ज्योति को मेरे होश मे आने की सूचना देने चला गया…और कुछ ही समय मे गेट खुलते ही ज्योति के साथ शिल्पा की मम्मी जलेबी को देख कर मैं चौंक गया.

राज (शॉक्ड)—तुम यहाँ….?

ज्योति—इतना चौंकने की ज़रूरत ना है….कल इसने ही तुम्हारी जान बचाई है….विक्रांत ठाकुर और उसके पालतू कुत्तों से..

राज—पर कैसे….?

जलेबी—असल मे मैं अपने मायके गयी थी रक्षा बंधन मे....कल शाम को ऑटो से बस स्टॅंड जा रही थी कि तभी तुम्हे रोड पर बेहोश खून से लथपथ देखा....तो मैने ऑटो वाले को तुम्हे ले कर हॉस्पिटल चलने को कहा लेकिन उसने इसको पोलीस केस कह कर मना कर दिया....मैने ऑटो वाले को जाने को कह दिया कि तभी मुझे विक्रांत ठाकुर की गाड़ी आती हुई दिखाई दी.....मैने तुम्हे घसीट कर रोड के किनारे सेमेंट से
बने कूड़े दान के कचरे के ढेर मे छुपा दिया....ठाकुर के आदमी हर जगह किसी को ढूँढ रहे थे...पर जब वो नही मिला तो गालियाँ देते हुए वहाँ से चले गये...उनके जाने के बाद मैने एसीपी मेडम को कॉल किया जिनका नंबर मुझे शिल्पा के मोबाइल से मिला था....एक घंटे बाद
मेडम खुद ही आ गयी और तुम्हे यहाँ हॉस्पिटल ले आई.

राज —साला ये ठाकुर मादरचोद.....इसकी माँ को चोदु......मादरचोदो ने जीना मुश्किल कर दिया है...और तेरी माँ को चोदु तुमने कही मेरे घर मे तो नही बता दिया... ?

ज्योति—अपनी ज़ुबान को लगाम दो...ये मत भूलो कि तुम इस समय कहाँ और किस के पास हो....और मैं तुम्हे कल से इतना कॉल कर रही हूँ तुमने उठाया क्यो नही.... ? और हां, उसने कुछ नही बताया तुम्हारे घर मे...मैने तुम्हारे घर मे फोन कर के बोल दिया था कि तुम मेरे घर मे हो.

राज—मैं उस समय कुछ ज़रूरी काम मे बिज़ी था….वैसे मेरे घर मे आप ने किस को फोन किया था…?

ज्योति—किसी शीतल ने उठाया था….

राज (सिर मे हाथ मार के मन मे)—गयी भैंस पानी मे…उसके अलावा किसी और का नंबर नही मिला था कॉल करने के लिए…?

ज्योति—हां, मालूम है मुझे तुम्हारा ज़रूरी काम….एक ही काम तो आता है तुम्हे….तुम क्यो गये थे ठाकुर की सिटी वाली हवेली पर….? मन तो करता है कि खीच के एक थप्पड़ लगा दूं..ईडियट…एक तो मैं वैसे ही कल से देशराज पर हुए हमले और कुछ पोलीस वालो की हत्या कर के थाने मे आग लगाने वालो की तलाश मे परेशान हूँ..उपर से तुम कोई ना कोई बखेड़ा खड़ा करते रहते हो.

राज—मैं कब गया ठाकुर की हवेली पर….?

ज्योति—तो क्या कोई तुम्हे मार कर ठाकुर की हवेली के बाहर फेंक गया था…?

राज—अच्छा वो….वो मैं बाद मे बता दूँगा.

ज्योति—बाद मे नही मुझे अभी बताओ….आप सब लोग थोड़ा बाहर बैठिए….मुझे बयान लेना है.

ज्योति (सब के बाहर जाते ही)—हां, अब बताओ…क्या हुआ था कल…?

राज—वो असल मे ठकुराइन ने कल मुझे बुलाया था…उसने कहा था कि वो मुझसे छुड़वाना चाहती है….लेकिन उसने मादर्चोदि ने मुझे धोखा दिया. ..(पूरी बात बताते हुए).

ज्योति (गुस्से मे)—तुम्हारे पास अकल वकल है की नही….जब देखो चोदना..चोदना और बस चोदना…इसके अलावा दूसरा कोई काम आता ही नही है….तुम्हारी इस हरकत से ठाकुर कितना बौखला गया होगा ..पता है..? तुमने जान बुझ कर अपनी फॅमिली को बहुत बड़ी मुसीबत मे डाल दिया है अब…...और ये क्या नया ड्रामा किया है तुमने….?

राज—और क्या किया है मैने….?

ज्योति (गुस्से मे)—ज़्यादा होशियार बनने की ज़रूरत नही है....अंडरटेकर को फाइट के लिए चॅलॅंज क्यो किया तुमने... ? जानते भी हो उसके बारे मे कुछ.... ? हड्डिया तोड़ के रख देगा वो तुम्हारी..समझ मे आया कुछ.

राज—मैने कोई चॅलॅंज नही किया उसको…मैं तो उसको जानता तक नही….ये सब उस मादरचोद ठाकुर की चाल है, मुझे जान से मारने की.

ज्योति—ओह्ह्ह्ह…तो ये ठाकुर की चल है….

राज—मैं उस भैंसा से फाइट करूँगा ही नही….मरना नही है मुझे.

ज्योति—लड़ना तो तुम्हे अब पड़ेगा ही राज....अब तुम नही लड़ोगे तो भी ठाकुर के जाल मे फन्सोगे और लड़ोगे तब भी फन्सोगे....क्यों कि उसने तुम्हे खुद ही अविनाश राठोड के रूप मे पूरी सिटी मे इंट्रोड्यूस कर दिया है, जगह जगह पोस्टर लगा कर....अब लड़ोगे तो अंडरटेकर
के हाथो मारे जाओगे और नही लड़ोगे तो ठाकुर तुम्हे अविनाश का कातिल साबित कर के गोली मरवा देगा...और ये भी मत भूलो की ठकुराइन भी तुम्हारे बारे मे जान चुकी है अब....

राज—साला इस ठकुराइन की माँ को चोदु..

ज्योति—फिर वही गाली…

राज—अब ठकुराइन की माँ को ना चोदु तो क्या तुम्हारी माँ को चोदु…?

ज्योति—जस्ट शट अप….

राज—तो क्या करू….?

ज्योति—मैने ट्रेनर बुला के रखा है…तुम्हे ट्रैनिंग देने के लिए मार्षल आर्ट की…उसको जाय्न करो….(कुछ सोच कर)—पर तुम्हे तो अब चोट
भी लगी है….ट्रैनिंग भी नही कर पाओगे तुम ….अब तुम्हे एसीपी अविनाश ऱठोड के रूप मे सब के सामने आना ही होगा..

राज—ठीक है….मेडम आप मेरी पोस्टिंग की बात कर के बता दीजिए मैं कल से जाय्न कर लेता हूँ..

ज्योति—ठीक है मैं कमिशनर साहब से बात करूँगी आज…

ज्योति—और हाँ, एक बात और….तुमने जिन लड़को को अपनी टीम मे चुना था. वो कल जैल से रिहा हो रहे हैं तो कल तुम्हे मेरे साथ चलना होगा.

राज—ये हुई ना कुछ अच्छी खबर….अब मादरचोद ठाकुर की लंका मे अपनी चोदु गॅंग चोदम चादी मचाएगी… (मन मे)—बाहर मेरी गॅंग चोदेगि और ठाकुर के घर मे घुस के मैं चोदुन्गा….ठाकुर तेरी लंका दहन का श्री गणेश आज रात तेरी लाडली बहन ठकुराइन की बुर फाड़ने के उद्घाटन से करूँगा…वो भी तेरे घर मे घुस कर…

ज्योति—ठीक है मैं चलती हूँ…

राज—तो जाते जाते एक चुम्मा ही दे दो

ज्योति—शट अप

राज—ओह्ह्ह, सॉरी मैं तो ये भूल ही गया था कि तुम तो मुझसे प्यार करती ही नही तो चुम्मा क्यो दोगि मुझे..

ज्योति वहाँ से उठ कर बाहर जाने लगी, फिर ना जाने उसको क्या हुआ कि पलट के आई और धीरे से मेरे होंठो पर अपने होठ रख के चूमने लगी….मैं शॉक्ड हो गया उसकी दरिया दिली पर….पर मैं भी ऐसा मौका हाथ से कहाँ जाने देता…तो दोनो हाथ बढ़ा कर वर्दी के उपर से ही
उसकी चुचियो को पकड़ के कस कस के मसल्ने लगा…वो थोड़ा काँप गयी लेकिन बोली कुछ नही…तो मैं भी उसके दूध दबाता गया ज़ोर ज़ोर से…लगभग 5-6 मिनिट के बाद उसने किस तोड़ दिया लेकिन मैने उसके दूध दबाना बंद नही किया.

ज्योति—आअहह….राज्ज्ज, छोड़ो अब..प्लीज़…आअहह….दर्द हो रहा है…छोड़ो ना

राज—थोड़ी देर और दूध दबाने दो ना…

ज्योति—नही….इतना दबवा लिया मैने…यही बहुत है….आआआअ….राज्ज्जज…छोड़ो…कितनी ज़ोर ज़ोर से दबाते हो.

राज—अगर दस मिनिट और अपनी चुचि दबाने दोगि तो एक और बात बताउन्गा.

ज्योति—नही..मुझे पाँच मिनिट दबवाने मे ही दर्द होने लगा है…दस मिनिट मे तो तुम उनको उखाड़ के रख दोगे.

मैं उसकी चुचियो को ऐसे ही कस कस के मीसता रहा…..ज्योति ने मुझसे अलग होने की कोई कोशिश नही की उल्टा वो मेरे होंठो को चूमने लगी..तो मैने एक हाथ उसकी चुचि से हटा कर उसकी पैंट की चैन खोली और हाथ अंदर डाल के उसकी पैंटी के किनारे से एक उंगली रस
से भीगी उसकी बुर मे पेल दी.

ज्योति चिहुक उठी और ज़ोर ज़ोर से मेरे होंठो को चूमने लगी….मैं उसकी बुर मे उंगली अंदर बाहर करने लगा और दूसरे हाथ से उसकी शर्ट के उपर के बटन खोल कर ब्रा को खिसका के उसकी चुचि को मूह मे ले के पीने लगा…ज्योति पागलो की तरह चूमने लगी और थोड़ी ही देर मे कंप कँपाते हुए झड गयी.

पर मैं अभी भी उसका दूध चूसने और बुर मे उंगली करने मे लगा हुआ था तो वो मेरे उपर ही लेट गयी…आख़िर मे बीस मिनिट बाद मैने
उसको छोड़ दिया.

राज—क्या हुआ मेडम…ड्यूटी पर नही जाना क्या….?

ज्योति (सीने मे मुक्का मरते हुए)—ऑफीस जाने लायक तुमने छोड़ा कहाँ है मुझे…गंदे कही के…अब तो बाथरूम जाना पड़ेगा.

राज—मैं भी चलूं साथ मे..

ज्योति—थप्पड़ मारूँगी अब..ज्योति उठ के बाथरूम चली गयी….थोड़ी देर बाद गीली पैंटी को धो कर अपनी जेब मे रखने के बाद बाहर आई.

ज्योति—अब तो बता दो क्या बात है…?

राज—वो देशराज के मॅटर पर परेशान मत हो…उन मादरचोदो को मैने ही टपकाया है.

ज्योति (शॉक्ड)—क्य्ाआअ….? पर क्यो…..?

राज—सालो ने मेरी शीतल दीदी की इज़्ज़त पर हाथ डालने की कोशिश की थी….(फिर पूरी बात बताई)…शीतल दीदी मेरा गुरूर हैं…मेरा
अभिमान हैं वो….कोई उनके उपर गंदी नज़र डाले, ये मैं कभी बर्दास्त नही कर सकता.

ज्योति—ओह्ह्ह…ये बात है…ठीक है….मैं हॅंडल कर लूँगी केस को…ओके बाइ

राज—ज्योति

ज्योति (रुक कर)—क्या…?

मैं बेड से उठ के गया और उसको दीवार से सटा कर उसके होतो को चूमने लगा…और एक हाथ फिर से उसकी चुचियो को दबाने मे लग गया.

ज्योति—आहह…राज..छोड़ो…अब मैं पॅंट भी गंदा करना नही चाहती…प्लीज़

मैने उसकी बात मान कर उसको छोड़ दिया….उसने मेरे होंठो पर एक किस कर के कॅबिन से बाहर निकल गयी…उसके जाने के बाद मैने
जलेबी को बता दिया की आज रात मैं उसके घर आउन्गा.

सब के जाने के बाद मैने पूरा दिन मोना की जम के बुर फाडी….दो बार उसकी गान्ड भी मार मार के लाल कर दी…शाम तक चुदते चुदते उसकी ऐसी हालत हो गयी थी की अब वो महीने भर अपने पैर फैला कर ही चलेगी.

शाम होते ही मैने अपना डिसचार्ज करवाया और निकल पड़ा ठाकुर की हवेली की तरफ….ठकुराइन की बुर को बूम भोसड़ा बनाने….

"ठकुराइन अब तू बच के कहाँ जाएगी....आज सांड़ के लंड से तेरी बुर बूम भोसड़ा बन जाएगी."
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RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़ - by desiaks - 03-27-2021, 04:49 PM
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