RE: Free Sex Kahani स्पेशल करवाचौथ
साहिल जल्दी ही ऑफिस पहुंच गया और सबसे पहले उसकी मुलाकात मैनेजर दुबे जी से हुई तो साहिल ने उनकी उम्र का लिहाज करते हुए उनके पैर छुए तो दुबे पूरी तरह से गदगद हो गए। उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था जिस कंपनी में उन्होंने अपनी सारी ज़िन्दगी गुज़ार दी उसका होने वाला मालिक उन्हें इतना बड़ा सम्मान देगा। दुबे ने दो हाथ साहिल के सिर पर रखे और बोले:"
" जुग जुग जियो बेटा, भगवान तुम्हे इज्जत, धन दौलत से मालामाल कर दे।
साहिल ने उन्हें स्माइल दी और उन्हें पास ही पड़ी हुई चेयर पर बैठ गया। दुबे जी एकदम से बोले:"
" अरे साहिल सर ये कुर्सी अापके लिए नहीं हैं, आपके लिए तक अंदर बहुत ही मुलायम और गद्देदार घूमने वाली कुर्सी लगी हुई हैं बेटा।
साहिल के होंठो पर एक हल्की सी स्माइल अाई और बोला:"
" बाबा जी कुर्सी तो कुर्सी ही होती हैं, क्या मुलायम और क्या कठोर। इंसान को वक़्त पर जो मिल जाए वहीं अच्छी होती है।
दुबे को आज एहसास हुआ कि दोनो बाप बेटे में कितना अंतर है। वो समझ गए कि ये सब जरूर उसकी मालकिन रूबी के संस्कारों का ही कमाल हैं।
दुबे:" बेटा आप तो सचमुच एक बेहद अच्छे इंसान हैं, हमेशा इन्हीं आदर्शो और संस्कारों पर चलना।
साहिल:" जी बाबा बस आपका आश्रीवाद चाहिए मुझे।
दुबे:" बेटा मेरा आशीर्वाद हमेशा आपके साथ रहेगा। अच्छा ये बताओ आज इधर कैसे आना हुआ ?
साहिल ने एक गहरी सांस ली और बोला:" बस ऐसे ही पापा आज नहीं आयेंगे तो वो बोलकर गए थे कि ऑफिस चले जाना और दुबे जी से सब कुछ अच्छे से समझ लेना। पापा आपकी बहुत तारीफ कर रहे थे।
साहिल ने अपन अपना काम निकालने के लिए दुबे जी को मक्खन लगाया लेकिन दुबे जी अनूप को भली भांति जानते थे इसलिए बोले:"
" क्या बेटा सच में उन्होंने ऐसा बोला ? मुझे तो यकीन नहीं हो रहा हैं बेटा।
साहिल दुबे जी के चेहरे पर आए हैरानी के भावों को देखकर समझ गया कि अनूप का जितना खराब व्यवहार घर पर हैं उससे कहीं ज्यादा ऑफिस में हैं।
साहिल:" जी पापा ने ऐसा ही बोला हैं। अच्छा आप मुझे बताए ऑफिस के बारे में, मुझे सारी कंपनी घुमा दीजिए एक बार।
दुबे जी और साहिल दोनो खड़े हो गए और दुबे जी ने साहिल को जब जगह दिखाना शुरू कर दिया। साहिल एक एक चीज को ध्यान से देख और समझ रहा था।
करीब दो घंटे के अंदर साहिल ने सब कुछ देखा लिया और एक डायरी में नोट करता रहा। बाद में दोनो अनूप के ऑफिस में आकर बैठ गए।
साहिल:" अच्छा मैंने देखा कि हमारी आधे से ज्यादा अच्छी मशीन तो बंद पड़ी हुई हैं ऐसा क्यों दुबे जी ?
दुबे जी के माथे पर पसीना छलक उठा और उन्होंने अपना रुमाल निकाल कर मुंह साफ किया और बोले:" बेटा अब बेचारे कर्मचारी बिना वेतन के कितने दिन काम कर सकते हैं, एक महीना या दो महीना, अधिकतर छोड़ कर चले और अब तो बस जो कुछ बचे हुए हैं वो अपने नमक का हक अदा कर रहे हैं। पता नहीं कब कब ये भी छोड़कर चले जाए।
साहिल के दिमाग में धमाका सा हुआ और चौंकते हुए बोला"
" क्या क्या है भगवान, क्या आपको जो कह रहे हैं वो सच हैं ?
दुबे:" हान बेटा, बिल्कुल सत्य हैं, सच तो ये हैं कि कंपनी पूरी तरह से कर्ज में डूब चुकी हैं और बैंक लॉन में गिरवी रखी हुई हैं।
साहिल के सामने आज रहस्य की पट्टियां खुल रही थी और उसे यकीन करना मुश्किल हो रहा था। साहिल:"
" लेकिन बाबा ये सब हुआ कैसे ? हमारी तो इतनी बड़ी मार्केट थी, ये सब डूब कैसे गया ?
दुबे जी:" बेटा सही तो नहीं पता, लेकिन सच्चाई हैं कि हमें पिछले पांच साल से कोई भी टेंडर नहीं मिला हैं , ये सब बिजनेस जो तुम्हारे दादा जी ने खड़ा किया था आपके पिता जी ने सब अपनी अय्याशी में डूबो दिया हैं।
साहिल:" लेकिन एकदम से इतना नुकसान कैसे हो सकता हैं?
दुबे:" बेटा अनूप साहब तो बस नशे में डूबे रहे और देखते ही देखते नीरज मिश्रा सब टेंडर और काम लेते गए। हर टेंडर में नुकसान होता रहा और धीरे धीरे सब डूब गया।
नीरज का नाम आते ही साहिल समझ गया कि उनके बिजनेस को तबाह करने में सबका बड़ा हाथ उसका ही हैं। लेकिन वो ये सब कर क्यों रहा हैं। साहिल:"
" अच्छा सर आप एक बात बताए कि ये नीरज कौन हैं और उसने इतनी जल्दी इतना नाम कैसे कमाया ?
दुबे ने बहुत ही अजीब सी नजरो से साहिल की तरफ देखा और बोला:" नीरज तुम्हारे पिता जी के सबसे अच्छे दोस्त हैं। बेटा इससे ज्यादा तो मुझे नहीं पता लेकिन एक बात जान लो कि समय अपने आपको दोहरा रहा हैं।
साहिल:" वो कैसे समय अपने आपको दोहरा रहा हैं ?
दुबे:" बेटा मुझे ठीक से कुछ नही पता हैं इसलिए क्या बताऊं।
साहिल:" आपको जो भी पता हैं आप मुझे सब बता दीजिए ताकि मैं इस डूबती हुई कंपनी को बचा सकू।
दुबे ने घबरा कर दोनो हाथ जोड़ दिए और बोला:" माफ करना बेटे , मैं इससे आगे कुछ नहीं जानता ।
साहिल समझ गया कि दुबे जी जरूर कुछ छिपा रहे हैं और उसने उन्हें जायदा मजबुर करना जरूरी नाही समझा। फिर कुछ सोचते हुए बोला:"
" अच्छा बाबा आप एक बात बताओ कंपनी के पैसे का हिसाब कौन रखता था ? पापा कितने दिन बाद ये सब देखते थे ?
दुबे को लगा जैसे किसी ने उसके जख्मों को कुरेद दिया हो। अपनी पीड़ा को छुपाते हुए बोले:"
" बेटा पहले तो मैं ही देखता था फिर उन्होंने प्रिया और लीमा को काम पर रख लिया और वो दोनो ही ऑफिस का ज्यादातर काम देखने लगी। वैसे प्रिया ही सारा हिसाब देखती थी क्योंकि लीमा और वो दोनो एक दूसरे से बात करना पसंद नहीं करती थी। लीमा का स्वभाव थोड़ा अलग था क्योंकि उसने एक बार प्रिया को थप्पड़ मार दिया था और उसके बाद भी प्रिया सब अपमान सहन कर गई और यहीं जॉब करती रही।
साहिल को तो लगा रहा था कि दोनो अच्छी दोनो होनी चाहिए लेकिन दोनो के बीच की दुश्मनी ने मामले को और उलझा दिया।
साहिल आगे बोला:"
" अच्छा बाबा मैं चलता हूं, आपका बहुत धन्यवाद। मैं अपनी कंपनी को बचाकर फिर से सभी मजदूरों के घरों को आबाद करना चाहता हु। अगर आपको लगे कि मुझे और कुछ बताना चाहिए तो आप मुझे कॉल करना।
इतना कहकर साहिल ने उन्हें अपना मोबाइल नंबर दिया और उनके पैर छूकर घर की तरफ चल पड़ा। दुबे जी साहिल के इस व्यवहार से एक बार फिर से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके।
उधर रूबी भी योगा सेंटर पहुंच गई और उसने लोगो को योग कराया और उसके बाद अपने ऑफिस में बैठी हुई रात हुई घटनाओं के बारे में सोच रही थी कि किस तरह से रात उसने भोली बनकर अपने बेटे के साथ मस्ती करी थी। मेरा बेटा तो अब पूरा मर्द बन गया हैं, सच में हीरो लगता हैं मेरा बेटा।
लेकिन क्या मैंने जो रात किया वो सब सही था। लेकिन मैं और क्या करू, अनूप तो अब किसी काम का रहा नहीं। लेकिन साहिल पहले से ही मुझे खराब चरित्र की मान रहा था और अब क्या सोच रहा होगा वो मेरे बारे में !!
मुझे साहिल को अपनी तरफ आकर्षित करना है तो उसकी मर्जी होनी चाहिए। वैसे वो भी ये ही सब चाहता है लेकिन फिर भी मुझे सावधानी से काम लेना होगा ताकि उसे कहीं से भी ये ना लगे कि मैं खुद ये सब सोच रही हूं।
रूबी खड़ी हुई और ऑफिस बंद करने के बाद घर की तरफ चल पड़ी।
रूबी घर के अंदर दाखिल हो गई और थोड़ी देर आराम करने के बाद उसने साहिल को फोन किया
" साहिल कहां हो बेटा ?
साहिल घर की तरफ की अा रहा था तो बोला:"
" बस मम्मी घर आने वाला हूं थोड़ी देर बाद।
रूबी ने फोन काट दिया और देखा कि शांता खाना बना चुकी थी और बाहर ही गैलरी में घूम रही थी। रूबी को उसका इस तरह से घूमना ना जाने क्यों पसंद नहीं आया और बोली:'
मम्मी क्या हुआ आपकी तबीयत तो ठीक हैं ना ?
शांता:" हान ठीक हूं मैं, खाना लगा दू क्या आपके लिए ?
रूबी:" हान लगा दो आप, साहिल भी आने वाला हैं , तब तक आप खाना गर्म कीजिए।
शांता किचेन में चली गई और अपना काम करने लगी। थोड़ी देर के बाद साहिल अा गया और उसने अपनी मा देखते ही स्माइल दी और बोला:"
" मम्मी मुझसे आपसे बहुत जरूरी बात करनी हैं, मैं आज पापा के ऑफिस गया था।
रूबी:_ बेटा पहले तुम जाकर फ्रेश हो जाओ और फिर खाना खाकर आराम से बात करते हैं।
साहिल ना चाहते हुए भी नहाने के लिए चला गया और थोड़ी देर बाद सभी लोग खाना खा चुके तो शांता बाहर सफाई में लग गई तो रूबी बोली:"
" मा जी आप रहने दीजिए, मैं खुद काम कर लूंगी, आप थक जाती होगी।
शांता थोड़ा नाराज होते हुए बोली:" पिछले कुछ दिनों से देख रही हूं कि तुम मुझे काम नहीं करने दे रही हो, मुझसे कोई गलती हुई हैं क्या ?
रूबी:" नहीं मा जी बस आपकी उम्र का ख्याल रखती हूं मैं, आप आराम कीजिए। बाकी मैं खुद कर लूंगी।
शांता रूबी की बात सुनकर बहुत दुखी हुई और ना चाहते हुए भी बाहर की तरफ चल पड़ी। शांता के जाने के बाद रूबी और साहिल दोनो सोफे पर बैठ गए और रूबी बोली:"
" हान बेटा बताओ क्या हुआ ?
साहिल:" मम्मी आज ऑफिस गया तो वहां दुबे जी से मेरी बात हुई और पता चला कि हमारी कंपनी तो बर्बाद हो चुकी हैं। बुरी तरह से कर्ज में डूब गई है।
रूबी एकदम से चौंकते हुए बोली:"
" क्या बेटा ऐसा कैसे हो गया ? क्या ये सच बात हैं क्या ?
साहिल:" हान मम्मी, सच हैं और ये सब कहीं का कही उस नीरज की वजह से हुआ है, साथ ही साथ प्रिया और लीमा दोनो ने मिलकर हमे बर्बाद किया हैं।
रूबी:* है भगवान, इसका मतलब नीरज बहुत कमीना आदमी निकला, प्रिया और लीमा दोनो इसके लिए ही काम करती हैं।
साहिल:" नहीं , मुझे लगता हैं कि कोई और भी हैं जो हमें बर्बाद देखना चाहता है क्योंकि लीमा और प्रिया आपस में जानी दुश्मन हैं। कोई तो हैं जो ये सब करना चाह रहा हैं।
रूबी:" है भगवान कौन हो सकता हैं और , ये सब तेरे कमीने बाप की वजह से हो रहा हैं।
साहिल:" लेकिन हमें अब ये सब ठीक करना होगा। मुझे तो लगता हैं कि पापा को मिला नया टेंडर भी उन्हें फसाने की कोई साजिश हैं, मम्मी मुझे आपका साथ चाहिए इस मुश्किल से निकलने के लिए।
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