Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
05-01-2021, 11:31 AM,
#10
RE: Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
Update 13.

Hi Dosto kaise ho ap I think tadap rahe honge sab next update k liye...jyada na tadapte hue anand lijiye is update ka.

Chaliye badhate h is kahani ko age

*******

जैसे ही उपासना की नजर चीख निकली की नही ये नही हो सकता।

तभी धर्मवीर ने देखा कि कौन है खिड़की पर ।

जैसे ही धर्मवीर उठकर चला तभी दरवाजे पर से तालियों की आवाज आने लगी ।

उपासना की बहन पूजा (राकेश की साली) और उपासना के पापा सोमनाथ जी खड़े थे।

यह देखकर धर्मवीर की आंखों के सामने अंधेरा छा गया ।

साथ मे उपासना भी चुन्नी से अपने आपको ढंकते हुए बैठी बैड पर ।

सोमनाथ जी ने गुर्राते हुए कहा कि मैंने सोचा भी नही था मैं अपनी बेटी की शादी एक ऐसे परिवार में कर रहा हूँ जहां हैवान रहते हैं।

धर्मवीर और उपासना चुपचाप बैठे देख रहे थे।

सोमनाथ - मैं अब इस घर मे एक भी पल नही रुक सकता।

उपासना - पापाजी इसमें हमारी गलती नही है ये मैं आपको बताना चाहती हूं।

ऐसा कहते हुए उपासना ने नजरें नीची कर ली तभी उपासना की बहन पूजा अपने पापा सोमनाथ से बोली ।

पूजा - पापाजी अभी तो काफी रात हो गयी है , हम सुबह जलड़ी ही निकल लेंगे।

ऐसा कहकर पूजा सोमनाथ जी का हाथ पकड़कर कमरे से बाहर की तरफ निकलने लगी ।

तबतक धर्मवीर कपड़े पहनकर उनके पीछे पीछे चल दिया और आगे आकर हाथ जोड़ते हुए बोला ।

धर्मवीर - समधी जी आप मुझे गलत न समझे मैने एक बाप होने का फर्ज निभाया है, मैं जानता हूँ इसमे गलती आपकी बेटी उपासना की नही मेरे बेटे राकेश की है। लेकिन दोनों बच्चे हमारे अपने ही तो है, इन्ही बच्चो से हमारा सबकुछ है।

मैं आपको सारी बात बताऊंगा उसके बाद जो सजा आप मुझे देना चाहें मुझे मंजूर होगी ।

सोमनाथ ने ऐसा सुना तो उसके दिल मे कुछ दया के भाव आये और वो ऊपर वाले फ्लोर की तरफ चल दिया ।

तीनों सोमनाथ, धर्मवीर और पूजा लिफ्ट से न जाकर सीढ़ियों से चल रहे थे । आगे आगे सोमनाथ और पूजा थे पीछे पीछे धर्मवीर चल रहा था ।

चलते चलते जैसे ही धर्मवीर की नजर पूजा पर पड़ी उसका मुह खुला का खुला रह गया ।

उसने देखा कि पूजा तो उपासना को भी पीछे छोड़ गई है अपनी जवानी की तुलना में।

धर्मवीर ने ध्यान से देखा कि पूजा चलते वक्त बिल्कुल ऐसी लगती है जैसे दो बच्चो की मां हो ।पूजा को देखकर कोई नही कह सकता कि वो कुंवारी है।

पूजा के चूतड़ों का हिलना ही बता रहा था कि उसने एक नही कई सारे लंडो के बीच मे खेल खेले हैं । उपासना की गांड में पूजा के मुकाबले काफी कसाव था शादीशुदा होने के बावजूद भी । जबकि पूजा की गांड में वो कसाव नही था जो कंवारी लड़कियों में होता है। पूजा की गांड कुछ ढीली और फैली हुई सी प्रतीत हो रही थी ।

उसकी जांघो को सही से तो नही देख पाया धर्मवीर क्योंकि सलवार ढीली थी पर इतना उसने सोच लिया था कि गांड के हिसाब से जांघे मोटी होंगी जो चूत को छुपकर रखती होंगी ।

इतना सोचते सोचते सभी ऊपर पहुंच गए ।

तीनों जाकर हॉल में बैठ गए।

धर्मवीर सोमनाथ जी के सामने बैठा था और पूजा साइड में। स्टूल रखा हुआ था उस पर जैसे ही पूजा बैठी तो पूजा के चूतड़ दोनों तरफ फैल गए और स्टूल उसके चूतड़ों में धंस गया ।

यह देखकर धर्मवीर के मुंह में पानी आ गया सोचने लगा काश इस स्टूल की जगह मेरा मुह होता , तभी सोमनाथ जी ने धर्मवीर की ओर देखते हुए पूछा कि मैं जानना चाहता हूं आखिर बात क्या है ।

इस घर में चल क्या रहा है है रहा है है ।

धर्मवीर खामोश होते हुए कुछ सोचने लगा और फिर बोलने लगा - बात दरअसल ऐसी है समधी जी कि मेरा बेटा कोई नपुंसक नहीं है, मेरा बेटा हष्टपुष्ट है, लंबा तगड़ा है किंतु उसके वीर्य में बच्चे पैदा करने की काबिलियत नहीं है।

और यह बात मुझे आज ही पता चला फिर उसने सारी बातें सोमनाथ जी को बताई कि किस तरह उस बाबा ने उन्हें बताया ।

घर डूबने से लेकर आने वाले भविष्य की भविष्यवाणी को बताते हुए सारी बातें बताई धर्मवीर ने।

कुछ देर खामोशी छाई रही।

पूजा अपनी नजरें झुका के बस टेबल को देख रही थी ।

रात का 1:00 बज रहा था ।

खामोशी को तोड़ते हुए सोमनाथ जी ने कहा- मैं आपकी बात से सहमत हूं समधी जी।

देखा जाए तो अपने घर की इज्जत को घर में ही रखा है।

और मुझे इससे कोई भी शिकायत नहीं है। ऐसा कहते हुए सोमनाथ में खड़े होकर धर्मवीर के कंधे पर अपना हाथ रखा।

सोमनाथ जी बोले चाय पीने का मन कर रहा है बेटा पूजा तुम जाकर चाय बना लो ।

पूजा चाय बनाने के लिए उठी और किचन की तरफ चलने लगी, उसकी गांड के दोनों तरबूज ऐसे मटक रहे थे कि सोए हुए लंड भी खड़े हो जाए ।

सोमनाथ ने बताया कि वो और उसकी बेटी पूजा इधर रास्ते से गुजर रहे थर तो सोचा उपासना से मिलता चलूं ।

जैसे ही मैन गेट पर आया तो गटर खुला हुआ था। फोन करना फिर जरूरी नही समझा।

और मैं अंदर आया तो ग्राउंड फ्लोर पर कमरे से तेज रोशनी आरही थी । कमरे में खिड़की से देखा तो आप उपासना के मुह में अपना वो फँसा रहे थे।

धरवीर ने जैसे ही सोमनाथ के मुह से ये सुना वो हैरान और अचंभित रह गया ।

धर्मवीर सोचने लगा कि उपासना को चोदते हुए समधी जी ने पूरा देख ही लिया है तो इसमें शर्माना क्या।

धर्मवीर बोला - हां उपासना बेटी का मुंह थोड़ा कम खुल रहा था जिस वजह से थोड़ा टाइट गया ।

सोमनाथ - वैसे बेटी आपको झेल लेगी इसकी उम्मीद बिल्कुल नही थी।

धर्मवीर ऐसी बाते सुनकर थोड़ा खुलकर बात करने के मूड में था ।

धर्मवीर बोला - नही ऐसी उम्मीद आपकी गलत थी क्योंकि उपासना तो मेरे जैसे दो को बराबर टक्कर दे सकती है । बस शुरू में थोड़ा दिक्कत हुई उसे।

सोमनाथ - अच्छा ऐसा क्या दिखा समधी जी को अपनी बहू में ।

धर्मवीर - सोमनाथ जी उपासना की जवानी जिस तरह फटने को बेताब है आप देखकर ही अंदाजा लगा सकते है कि ये बिस्तर पर हारने वाली चीज नही है । ऊपर से ही सुशील और संस्कारी दिखती है पर जब अंदर की रांड जगती है तो पिछवाड़ा उठा उठाकर पूरा लंड लेती है ।

सोमनाथ अपनी बेटी के बारे में ऐसी बात सुनकर गरम हो रहा था क्योंकि उसने भी देखा था किस तरह उपासना पूरा लंड खा गई थी।

सोमनाथ - अब आपकी बहु है कुछ भी कह लीजिए ।

धर्मवीर - हांजी समधी जी देखिए आगे क्या होता है वैसे मैने अपनी ताकत लगाकर बहु के अंदर बीज डाला है।

सोमनाथ -समधी जी बताना तो नही चाहता पर दिल नही मान रहा अभी कुछ दिन पहले अपनी छोटी बेटी पूजा को एक लड़के के साथ पकड़ा था मैंने। वो लड़का 15 साल का था , उसका लंड लगभग 4 इंच का था।

धर्मवीर यह सुनकर सोचने लगा कि पूजा तो वैसे भी देखने मे औरत ही नजर आती है पूजा पर चढ़ने के ये मौका अच्छा है ।

धर्मवीर - हां पूजा को देखकर ही लगता है कि बेटी की नथ उतार चुका है कोई ।

सोमनाथ - हम्म मुझे भी लगता है ।

पूजा जाकर चाय बनाने लगी तभी सोमनाथ जी ने कहा कि मुझे आपके कार्य से कोई एतराज नहीं है। और यह बात मैं बेटी को भी कहना चाहता हूं कि उसने भी अपने घर की इज्जत के लिए किया है । आप उपासना बेटी को भी बुला लीजिये।

यह सुनते ही धर्मवीर ने उपासना को फोन किया और ऊपर आने को कहा हॉल में ।

उपासना ने डरते हुए आने के लिए हां कह दिया और फोन रख दिया।

उपासना उठी और ऊपर की तरफ चलने लगी लेकिन जैसे ही उठकर वह चलने चलने लगी उसकी आंखों के सामने अंधेरा हो गया ।

क्योंकि एक भयंकर चुदाई उसकी हुई थी उससे खड़ा नहीं हुआ जा रहा था।

उसने जैसे तैसे धीरे धीरे चलना शुरू किया ।

उसने जल्दी से सजे सूट सलवार पहना और लिफ्ट से ऊपर आगयी लड़खड़ाते हुए ।

लिफ्ट से निकल के हॉल की तरफ चली तो उसकी चाल देखकर धर्मवीर ने अपनी गर्दन झुकाली और सोमनाथ का मुंह खुला का खुला रह गया ।

उपासना किसी बुरी तरह से चुदी हुई रंडी की तरह धीरे धीरे उनकी तरफ बढ़ रही थी।

उपासना के चेहरे पर काजल फैल गया था ।उसके होठों का लिपिस्टिक उसके होठों के आसपास था जो कि बिल्कुल हल्का हो गया था ।

जैसे ही टेबल के पास आई उपासना बैठने को बैठते बैठे फिर लड़खड़ा गयी ।

तभी पूजा चाय बना कर ले आई और सब लोग चाय पीने लगे ।

सोमनाथ जी ने उपासना की ओर देखते हुए कहा कि बेटा समधी जी ने मुझे बताया है और इसमें तुम्हारी गलती नहीं है।

मैं तुम्हारे फैसले का स्वागत करता हूं इतना सुनकर चुदी-चुदाई उपासना जो अपनी फटी हुई चूत लेकर वहां बैठी थी वह धीरे से शरमा गई ।

सोमनाथ जी ने माहौल को ज्यादा सीरियस ना बनाते हुए धर्मवीर से कहा कि समधी जी आपने मेरी बच्ची को मार ही डाला ।

उसकी हालत क्या कर दी आपने।

धर्मवीर - सोमनाथ जी आपकी बच्ची ने ही न्योता दिया था हमे तो ।

यह सुनकर पूजा और उपासना दोनों शर्म से लाल हो गयी।

सोमनाथ चलो बेटा तुम हमारे सोने का इंतजाम करो मैं और समधी जी साथ ही सोएंगे आज।

ऐसा सुनकर उपासना और पूजा उठकर चली गयी। जातर वक्त दोनों रंडियों की गांड ऐसे हिचकोले ले रही थी जैसी किसी बड़े तगड़े लौड़े की ख्वाहिश कर रही हों ।

सोमनाथ और धर्मवीर भी अब आपस मे खुलने लगे थे ।

दोनों हॉल में बैठे बातें कर रहे थे आधा घंटा हो चुका था।

उधर कमरे में जाते ही पूजा हंसकर कहने लगी - दीदी आज तो लगता है किसी मर्द से पाला पड़ गया है चाल भी बदल गयी ।

दोस्तो उपासना और पूजा बहन होने के बावजूद आपस मे बहुत फ्रेंडली थी।

उपासना शर्माते हुए।

उपासना - इस मर्द के निचे तू आजाती तो आंखे बाहर आजाती समझ गयी । मैं थी जो झेल गयी ।

पूजा - शर्माते हुए - आंखे तो बाहर नही आती पर पिछवाड़ा जरूर बाहर निकल जाता ।

उपासना - बड़ी बदमाश हो गयी है और तेरी बदमाशी की गवाही तेरे ये ढोल से चूतड़ दे रहे है।

पूजा - चूतड़ तो दीदी आपके भी ढोल से कम नही है । ऐसा लगता है किसी के मुह पर बैठ गयी तो मुह दिखना बैंड हो जाएगा ।

उपासना - चल बाद में बातें करेंगे अपने कमरे में चलकर अब दोनों पापा का बिस्तर लगा दिया है उनको सोने के लिए बोलकर चलते है ।

दोनों उठकर धीरे धीरे हॉल की तरफ आने लगी ।

लेकिन जैसे ही हॉल में आने को मुड़ी अचानक धर्मवीर के हंसने की आवाज आई ।

इतना खुधनुमा माहौल देखकर उपासना पूजा को इशारा करते हुए पीछे को हट गई और दोनों बहन छुपकर सुनने लगी ।

धर्मवीर - बात तो अपने सही कही सोमनाथ जी । दोनों ही बहन एक से बढ़कर एक हैं।

सोमनाथ - तो बताइए समधीजी कैसा लगा मेरा प्लान।

धर्मवीर - प्लान तो अपने ठीक बनाया है लेकिन डर यही है कि पूजा मुझे झेल पाएगी या नही।

सोमनाथ - और मुझे डर उपासना का है कि वो झेल पाएगी अपने पापा को या नही क्योंकि मेरा लंड भले ही आपसे थोड़ा पतला हो लेकिन पूरे दो इंच लंबा है।

धर्मवीर - तो फिर कल दोनों बहनों की चीखें गूंजेंगी इस घर मे। कल दोनों को गोद मे उठा उठा कर बारी बारी से उनकी चूतों का भोसड़ा बनाएंगे दोनों। देखते है कौन सी बहन चुदाई समारोह में लंडों को चूतड़ उठा उठाकर लेगी।

उधर पूजा और उपासना को कानों पर विश्वास नही हो रहा था । की उनके ससुर और पापा मिलकर उनकी चूतों और गांड का छेद चौड़ा करने का प्लान बना रहे त

है।

सोमनाथ - लेकिन कल शाम तक दोनों को इस बारे में कुछ पता नही चलना चाहिए।

धर्मवीर - बिल्कुल पता नही लगेगा सोमनाथ जी इतना तड़पा देंगे कुतियाओ को खड़ी खड़ी मूतने लगेंगी । तड़पकर खुद ही कहेंगी कि-

अपने लंडों से हमारी चूतों को अब भर दो,

अपने लंडों से हमारी चूतों को अब भर दो,

कल क्या हो किसने देखा हमारी चूतों का भोसड़ा आज और अभी करदो।

सोमनाथ - शायरी तो अच्छी करलेते हैं समधीजी। चलिए अब बिस्तर लग गया होगा चलकर बात करते हैं।

ऐसा कहते हुए दोनों खड़े हुए और कमरे की तरफ चलने लगे ।

उधर पूजा और उपासना भी हॉल की तरफ आने लगे अनजान बनते हुए जैसे उन्होंने कुछ नही सुना हो।

पूजा - पापाजी बिस्तर लग गया है । मैं और दीदी भी सोने जा रहे है।

पूजा और उपासना कमरे में आकर ।

उपासना - ले पूजा अब तो तैयार हो जा कल को मेरे ससुर का लौड़ा लेने के लिए।

पूजा यह सुनकर लाल हो गयी और कहने लगी ।

पूजा - आप भी तैयार हो जाइये पापा से चुदने के लिए ।

उपासना- लेकिन पूजा हम भी इतनी आसानी से उनकी बातों में नही आएंगे । जैसे वो हमें खड़ी खड़ी मुताना चाहते है हम भी इतना तड़पाएँगे कि खड़े खड़े ही पानी छोड देंगे उनके लंड।

पूजा - हां ये सही रहेगा दिनभर तड़पाएँगे दोनों को।लेकिन दीदी मेरी चूत पर तो काफी घने बाल है कल मुंहे हेयर रिमूवर दे देना।

उपासना - ये तो और भी अच्छी बात है क्योंकि तू नही जानती मंझे हुए खिलाड़ी जब चोदते हैं तो घनी झांटो में जाता हुआ लंड उन्हें बहुत प्यारा लगता है और ऐसी चुदाई करते है कि रंडी को भी हिलाकर रख दें।

इस तरह दोनों बातें करती हुई कल का इंतजार करते हुए सो गयीं।

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दोस्तों कहानी कैसी चल रही है कोई सुझाव हो तो जरूर देना। कहानी आगे जारी रहेगी। सपोर्ट के लिए दिल से धन्यवाद।

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RE: Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां - by desiaks - 05-01-2021, 11:31 AM

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