Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
05-01-2021, 11:34 AM,
#16
RE: Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
धर्मवीर बोला क्या हुआ उपासना कहने लगी कुछ नहीं पापा जी आप आ सकते हैं ।

नीचे फ्लोर पर आकर धर्मवीर ने उपासना को फिर से कॉल किया ।

उपासना ने फोन उठाया - जी पापा जी।

इतना ही बोल पाई उपासना ।

धर्मवीर - उपासना बेटा तुम तो हो ही नहीं अपने कमरे में । तुम्हारा कमरा तो बाहर से लॉक है फिर तुम कहां पर हो।

यह सुनकर उपासना मन ही मन में अनवर पर गुस्सा करने लगी और कहने लगी कि कुत्ते मरवाएगा मुझे आज ।

बता नहीं सकता था पापाजी को जाकर। पापाजी को तो कुछ पता ही नहीं है ,और अगर उन्होंने मुझे इस हालत में देख लिया , बिना यह जाने कि मैं आज क्यों सजी हूं , तो अनर्थ ही हो जाएगा ।

उपासना ऐसा सोच ही रही थी कि अचानक उसके मुंह से निकला पापाजी- आप अनवर से पूछ लीजिये ।

अचानक उसके मुंह से इतना जल्दी निकला कि वह बिना सोचे समझे बोल गई

ऐसा सुनकर धर्मवीर धर्मवीर कहने लगा कि बहू - इसमे अनवर का क्या सीन है , तुम मुझे भी तो बता सकती हो, बताओ तुम कहां हो ।

यह सुनकर उपासना की हिम्मत नहीं हुई बताने की।

उपासना फोन पर हल्की सी मायूस और रोने जैसी आवाज से बोली - पापाजी आप प्लीज एक बार अनवर से मिल लीजिए ।

ऐसा कहकर उपासना चुप हो गई तो धर्मवीर कहने लगा कि बेटा अनवर से तो मैं मिल हूं ।

और उसने मुझे बताया भी है लेकिन मैं तुमसे भी तो कुछ सुनना चाहता हूं ।

यह सुनकर उपासना का दिल धड़कने लगा और छाती ऊपर नीचे होने लगी सांसो से, मन में सोचने लगी कि हे भगवान यह बुड्ढा चाहता है कि मैं खुद इसे बोलूं कि आकर अपनी बहू को चोद दे । कोई बहू ऐसे कैसे बोल सकती है।

उपासना - पापाजी मैं नहीं बोल पाऊंगी ।

धर्मवीर - जब तुम बोल ही नहीं पाओगी तो मैं यकीनन कह सकता हूं कि तुम कर भी नहीं पाओगी।

और जब तुम कर ही नहीं पाओगी तो मेरे आने से क्या फायदा। इस कलंक को मैं क्यों लगाऊ जब तुम ही इसमें रजामंद नहीं हो ।

यह सुनकर उपासना बोली - पापा जी ऐसा नहीं है, मैं उसी की तैयारियां करके बैठी हूं । अब आपको जो करना है आप कीजिए ।

धर्मवीर - बहू वह तो हमें करना ही पड़ेगा। लेकिन मैं सुनना चाहता हूं कि तुम कहां हो ।

उपासना - पापाजी मैं नीचे वाले फ्लोर पर कमरे में हूं।

धर्मवीर - तुमने नीचे वाला फ्लोर इसलिए चुना ताकि तुम्हारी चीखने की आवाजें किसी को ना सुनाई दे सकें ना सुनाई दे सकें ।

दरअसल पाठकों धर्मवीर उपासना को थोड़ा खोल लेना चाहता था ,, ताकि वह खुल कर बोल सके ।

उपासना - पापा जी आप आ जाइए।

धर्मवीर बोला मैं क्यों आ जाऊं ।

उपासना -0यदि आप सुनना ही चाहते हैं मेरे मुंह से तो लीजिए मैं कह देती हूं आ जाइए आपकी बहू सजधजकर आपका इंतजार कर रही है।

ऐसा कहकर उपासना नहीं फोन रख दिया । धर्मवीर का तो मानो लंड पेंट फाड़ कर बाहर आने को हो गया।

और धर्मवीर ने फोन को चूमते हुए नीचे की तरफ कदम बढ़ाने शुरू किये ।

जैसे ही धर्मवीर नीचे फ्लोर पर आकर कमरे में घुसने लगा ।

उपासना कमरे में दूसरी तरफ मुंह करके खड़ी हो गई।

उपासना का पिछवाड़ा धर्मवीर की ओर था ।

धर्मवीर वहीं खड़ा होकर उपासना को निहारने लगा और सोचने लगा कि इस सलवार में बहू की जवानी चुप ही नहीं रही है ।। क्या किस्मत है मेरे बेटे राकेश की जो उसे इतनी गदरायी हुई जवानी मिली है ।

मुझे तो लगता है कि राकेश संभाल भी नहीं पाता होगा उपासना को ।

ऐसा सोचते हुए उसकी नजर उसकी जांघो पर पड़ी जो सलवार में बुरी तरह फंसी हुई थी ।

और सलवार भी कुछ अजीब सी लगी धर्मवीर को क्योंकि वह दुपट्टे वाले कपड़े की थी ।

उसके बाल जुड़े में बंधे हुए उसके सर पर थे ,

कमर साफ दिख रही थी क्योंकि टॉप भी छोटा था इस रूप को देखकर धर्मवीर अपनी आंखें जब झपकाना ही भूल गया था ।

धर्मवीर ने अपने लंड पर हाथ ले जाकर उसे एडजस्ट किया पैंट में और आगे बढ़ने लगा जैसे ही धर्मवीर उपासना के पीछे पहुंचा ,उपासना की जिस्म की खुशबू धर्मवीर की नाक के नथुनों में भर गई । उसकी खुशबू उसे पागल कर गई।

उधर जैसे ही उपासना ने मैंने महसूस किया उसका ससुर उसके पीछे खड़ा है, इस हालत में तो वह शर्म से गढ़ी मरी जा रही थी।

धर्मवीर ने अपना चेहरा उपासना की पीछे गर्दन पर रखा, और एक लंबी सांस खींची ऐसा करते ही उपासना की छातियां ऊपर नीचे की तरफ उठान मारने लगी।

उसकी सांसें तेज हो चली थी क्योंकि उसे शर्म ही इतनी ज्यादा आ रही थी।

अपने पिछवाड़े को ससुर की तरफ निकाले हुए वह किसी मादरजात रंडी से कम नहीं लग रही थी ।

धर्मवीर ने उसकी गर्दन को सूंघा और लंबी सांस खींचकर अपनी सांस छोड़ी ।

फिर धर्मवीर अपना हाथ ले जाकर उसके कंधे पर रखा ।

कंधे पर धर्मवीर के हाथ का स्पर्श पाते ही उपासना आने वाले पल का इंतजार करने लगी।

धर्मवीर ने कहा बहू आपका यह रूप देखकर हमें यकीन नहीं हो रहा है कि आपने इतना सब कुछ हमारे लिए किया।

पहली बार बोला था धरम वीर जब से कमरे में आया था।

ऐसा सुनकर उपासना के मुंह से कोई बोल ही नहीं निकल रहा था ।

वह बस इतना ही बोल पाई - जी पापा जी ।

धर्मवीर ने ऐसा सुन तो सोचने लगा कि बहू खुलने में बहुत टाइम लेगी ।

वह आगे बढ़ा और जैसा ही हल्का आगे बढ़ा ।उपासना की भारी-भरकम गांड उसके लंड से टच हो गयी।

स्पर्श को पाते ही उपासना थोड़ी आगे हो गयी।

उपासना के इस तरह के नखरीले स्वभाव को देखकर धर्मवीर सोचने लगा। कि आज तेरे अंदर की रंडी ना जगाई तो मैं भी धर्मवीर नहीं ।

धर्मवीर ने अपने दोनों हाथ आगे की तरफ लंबे किए ।

उपासना की दोनों बाजुओं को पकड़कर धर्मवीर ने अपनी तरफ इतनी तेज खींचा । इस तरह झटका मारा कि जिसकी उम्मीद उपासना को भी नहीं थी ।

उपासना की गांड एकदम धर्मवीर के लंड से टकरा गई और धर्मवीर ने अपना चेहरा उसकी गर्दन के साइड में कंधे पर रख दिया ।।

उपासना जब एक साथ झटके सो पीछे को धर्मवीर से जाकर टकराई तो कमरे में एक साथ छन छन की आवाज हुई ।

उपासना की चूड़ियां और पैरों के घुंघरू की आवाज से धर्मवीर को पागलपन छा गया ।

उसने अपने हाथ आगे ले जाकर उसके पेट पर रखें। जैसे ही पेट पर हाथ रखे तो उसकी नाभि में लगी हुई बाली धर्मवीर की उंगलियों से टकरा गई ।

धर्मवीर ने धीरे से कहा कि आज तो मेरी बहू लगता है पैरों से लेकर सिर तक सजी है ।

उपासना सुनकर शरमा गई और कहने लगी यह क्या कर रहे हैं पापाजी आप ।

धर्मवीर को उपासना का यह नाटक बिल्कुल भी पसंद नहीं आया धर्मवीर बोल उठा कि मैं क्या कर रहा हूं तुम मुझसे पूछ रही हो। मुझे अभी 20 मिनट पहले पता चला है और तुम इस बैड पर अपनी जवानी को पूरी रात जी भर के पिलवाने के लिए सुबह से तैयारियां कर रही हो, और तुम मुझसे पूछ रही हो कि मैं क्या कर रहा हूं ।

उपासना ऐसा सुनकर एक एक गहरी सांस ली और चुप रही।

धर्मवीर ने उसके पेट पर हाथ फेरते हुए उपासना से पूछा कि तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया ।

उपासना कहने लगी आज सुबह ही मुझे पता चला इस बारे में फिर कभी बताऊंगी । ऐसा कहकर उपासना अपने आप को छुड़ाकर रूम से बाहर जाने लगी दोस्तों कपड़ों की वजह से उपासना चल भी नहीं पा रही थी । और चलते हुए उसके हाथों की चूड़ियां और पैरों के घुंघरू की छन छन छन छन की आवाज आ रही थी। सलवार की वजह से उपासना बहुत ही धीरे धीरे चल पा रही थी और उपासना ने चूत पर भी एक बाली लगाई हुई थी जिस वजह से उसे चलने में परेशानी हो रही थी ।

वह धीरे-धीरे कि आगे कदम बढ़ा पा रही थी ।उपासना निकल गई रूम से ।

उधर उपासना की गांड की थिरकन देख कर धर्मवीर को आज पता चला कि किसी की गांड इतनी भी मटक सकती है । क्योंकि उपासना की दोनों चूतड़ बारी-बारी से ऊपर नीचे हो रहे थे । कुछ समय बाद उपासना कमरे में आई और इस बार उसके हाथ में बड़ी सी थाली थी उसमें चारों तरफ दिए लगे हुए थे । उपासना धीरे धीरे चलती हुई आ रही थी दोस्तों चेहरे पर घूंघट लेकिन नीचे उसके पेट पर लगी वह बाली , उसकी टॉप फाड़ कर बाहर आने वाली छातियां देखकर धर्मवीर से सबर नहीं हो रहा था ।

धर्मवीर की नजर उसकी जांघों पर पड़ी तो उसकी सांसे रुक गयीं क्योंकि उपासना की चूत का शेप उस सलवार से साफ पता लग रहा था। देख कर ही धर्मवीर समझ गया था की उपासना की चूत कितनी भरी हुई और रसीली होगी । वह उसकी चूत को छूने की कल्पना करके ही सिहर उठा।

उपासना धीरे धीरे चल कर उसके पास आई और आकर उसके पैर छुए और बस इतना ही बोल पाई कि आज मैं आपको आज की रात में अपने पति के रूप में स्वीकार करती हूं ।

धर्मवीर ने उपासना के कंधों को पकड़कर उसे ऊपर उठाया और उसके होठों पर लगी हुई लिक्विड मेट लिपस्टिक को देखकर अपनो जीभ होंठो पर फेरता हुआ कहने लगा कि मैं आज तुम्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करता हूं।

लेकिन केवल इसी पल क्योंकि इसके आगे आने वाले पल में तुम मेरे बिस्तर पर मेरी बहू रंडी बन जाओगी।

ऐसा सुनकर उपासना बुरी तरह से शरमा गई और चेहरा तो धर्मवीर को दिखाई नहीं दिया लेकिन उपासना की होठों पर आई मुस्कुराहट यह सब बयान कर गई ।

धर्मवीर ने सोफे पर बैठते हुए कहा कि मैं चाहता हूं मेरी पत्नी मेरी गोद में आकर बैठे ।

ऐसा सुनते ही उपासना ने ने धीरे-धीरे धर्मवीर की तरफ चलना शुरू किया और उसके सामने जाकर उसकी तरफ पिछवाड़ा करके धीरे-धीरे नीचे बैठने लगी ।

दोस्तों धर्मवीर की आंखों ने इतना नजदीक से जब उपासना का पिछवाड़ा देखा तो उसकी आंखें फैल गई। क्योंकि उन कूल्हों पर जो चर्बी चढ़ी हुई थी वह बयान कर रही थी कि उन्हें बेरहमी से कोई ठोकने वाला मिले । उसकी गांड के छेद को उसकी गांड के अनुसार ही चौड़ा करने वाला उसे आज मिल चुका था ।

और जैसे ही उपासना धर्मवीर की गोद में बैठी उसके भारी-भरकम चूतड़ों की गर्माहट उसके लंड तक चली गई।

उपासना ने भी भी यह महसूस किया की धर्मवीर का लंड खड़ा है और उपासना चुपचाप बैठी रही ।

धर्मवीर मन में सोचा की बहू को थोड़ा खुल कर बोलना चाहिए इसे थोड़ी सी बेशर्म होना चाहिए ।

ऐसा सोचते हुए धर्मवीर कहने लगा मैंने सोचा भी नहीं

था कि कोई बहू अपने ससुर के लोड़े पर इस तरह बैठेगी।

यह सुनकर उपासना शरमाते हुए धीरे से कहने लगी कि मैं केवल अपने ससुर की गोद में बैठी हूं और कहीं नहीं ।

ऐसा सुनकर धर्मवीर बोला तो जल्दी किस बात की है लोड़े पर भी बिठा ही लेंगे ।

उपासना ऐसा सुनकर बोली- पापा जी ऐसा मत बोलिए ।

धर्मवीर बोला क्यों तुम पूरी तैयारी कर चुकी हो और अब मेरे लंड पर भी अपनी गांड रख कर बैठी हो और तुम कह रही हो मैं बोलूं ना ।

मैं तो आज तुम्हारी इस जवानी को चमेली के फूल की तरह खिला दूंगा मेरी जान ।

ऐसा सुनकर उपासना शर्मा उठी ।

फिर धर्मवीर ने उसके कंधों को पकड़कर उसे अपनी एक बाजू पर लिटाया और कहने लगा कि अपनी बहू का चेहरा तो देख लूं। बहू के चेहरे को देखने के लिए घूंघट को उठाने लगा ।

जैसे ही उसने घूंघट उठाया उपासना ने अपनी आंखें बंद कर ले दोस्तों नजारा कुछ ऐसा था की उपासना उसकी गोद में लेटी हुई थी अपनी आंखें बंद किए हुए।

और उसके होठों पर लगी हुई लिक्विड मैट लिपस्टिक जैसे ही देखी धर्मवीर पागल हो उठा ।

उसके चेहरे की सजावट देखकर धर्मवीर से रहा ना गया।

उसके गालों की लाली देखकर धर्मवीर कहने लगा कि तुझे असली लंडधारी मर्द आज मिला है ।

ऐसा सुनकर उपासना ने अपनी आंखें और तेज मींच लीं ।

फिर धर्मवीर ने धीरे-धीरे अपना चेहरा उपासना की चेहरे की चेहरे की तरफ बढ़ाया और जैसे ही धर्मवीर की सांसें उपासना के चेहरे पर महसूस हुई उपासना आने वाले पल का इंतजार करने लगी । शर्म से उसकी आंखें बंद थी और हाथों की मुट्ठियाँ पूरी जान लगाकर उसने भींची हुई थी ।

फिर धर्मवीर उसकी नाक से अपनी नाक को टच करता हुआ बोला कि जब तक तुम आंखें नहीं खोलोगी मैं तुम्हारे इन लबों पर अपने होठों को नहीं रख सकता।

उपासना को इसकी उम्मीद नहीं थी वह सोच रही थी कैसे अपने ससुर के होठों को चूसते हुए वह देखेगी ।

वह नजर किस तरह मिला पाएगी उपासना ने धीरे से बोला पापाजी मुझ में हिम्मत नहीं है ।

जब इतनी पास से उपासना बोली तो धर्मवीर को उसके मुंह की सुगंध और उसकी सांसे धर्मवीर के मुंह में भर गई ।

धर्मवीर ने बोला यदि आज तुम्हें चुदना है तो आंखें तो खोलनी पड़ेगी ।

ऐसा सुनकर उपासना ने धीरे-धीरे अपनी आंखें खोली

अपनी आंखें जैसे ही उसने खोली उसकी नजर धर्मवीर की निगाहों से टकरा गई । दोनों एक दूसरे दूसरे की आंखों में देख रहे थे ।

उपासना की आंखों में देखते हुए धर्मवीर को ऐसा लगा जैसे बहू कह रही है कि उसे जी भर के प्यार करो ।

धर्मवीर ने कहा कि तुम्हारी नजरें कह रही है कि मेरे होठों को जी भर के चूसो।

उपासना बहुत ही धीरे से कह पायी- रोका किसने है बस इतना कह कर वह उसकी नजरों में देखने लगी।

फिर धर्मवीर ने अपने होठों को उसके होठों से लगा दिया जैसे ही दोनों के होठों का मिलन हुआ उपासना के अंदर सुरसुरी दौड़ गई ।

धर्मवीर ने अपना पूरा मुंह खोल कर उसके दोनों होठों को मुंह में भर लिया ।

उपासना तो मानो पूरी गरमा गई । और उसके मुह से सिसकारी निकल गई sseeeeeesss.

फिर धर्मवीर ने इंतजार किया उसके होंठ थोड़े खुलने का और जैसे ही उपासना ने अपने होठों को थोड़ा सा खोला धर्मवीर ने उसके ऊपर वाले हॉट को मुंह में भर लिया और चूसने लगा अब धर्मवीर का नीचे वाला हॉट उपासना के मुंह में था ।

उपासना ने सोचा की शुरुआत तो ससुर जी ने कर ही दी है तो मुझे भी थोड़ा उनका साथ देना चाहिए । ऐसा सोचते हुए उसने अपने मुंह के अंदर से अपनी जीएफ को ससुर के नीचे वाले हॉट पर चलाने लगी ।धर्मवीर को यह बहुत ही मादक लगा ।

उसने बारी-बारी से उसके दोनों दोनों होठों को चूसना स्टार्ट कर दिया ।होठों की चुसाई के बाद जैसे ही धर्मवीर ने अपना चेहरा हटाया तो उपासना कहने लगी कि तुम्हारे होठों पर लिपस्टिक लग गई है ।

धर्मवीर ने देखा उपासना की लिपस्टिक उपासना होठों के चारों तरफ भी फैल गई है ।

फिर उसने उसके गालों को मुंह में भरकर चूसा और उपासना से कहा कि मेरी जान बिस्तर पर चलें ।

उपासना धीरे से खड़े होने लगी तो धर्मवीर ने उसकी बाजू को पकड़ लिया और बैठे-बैठे ही उपासना के चूतड़ों पर ग्रेट जोरदार थप्पड़ मारा ।

इसकी उम्मीद उपासना को भी नहीं थी।

और उपासना के मुंह आउच की तेज आवाज निकल गई।

जैसे ही उपासना की गदरायी हुई गांड पर थप्पड़ पड़ा तो उपासना की गांड पूरी हिल गई ।

और धर्मवीर उपासना की गांड के हिलता देखकर कहने लगा आज मेरी जान के भारी भरकम चूतड़ों को अपने गालों से जी भर कर सहलाऊंगा।

उपासना यह सुनकर गर्म होती जा रही थी ।

धर्मवीर खड़ा हो गया उपासना जैसे ही हल्की सी आगे को चलने लगी एक जोरदार थप्पड़ उसकी गांड पर फिर पड़ा।

फिर से उसके मुंह से आउच की आवाज निकली ।

इस बार उपासना ने धीरे से कहा पापाजी आप मुझे पीटने आए हैं या प्यार करने ।

यह सुनकर हल्का सा मुस्कुराते हुए धर्मवीर बोला- तू कभी पिटते हुए नहीं चुदी है आज मेरी जान तुझे पीटते हुए चोदूंगा और इतनी गहराई तक चोदूंगा कि एक साथ दो दो बच्चे पैदा होंगे ।

यह सुनकर शर्मा गई उपासना और उपासना ने जैसे ही अपना घुटना बेड पर रखना चाहा धर्मवीर ने उसे रोक दिया और कहा कि यह कपड़े पहन कर बिस्तर पर जाओगी क्या।

उपासना कहने लगी बाबूजी लाइट्स ऑफ कर दीजिए।

धर्मवीर यह सुनकर गुस्सा करते हुए बोला की तुम मुझे ऊपर से ही प्यार जता रही हो दिल से तुम मुझे नहीं चाहती हो कि मैं तुम्हारे साथ यह सब करूं ।

उपासना यह सुनकर कहने लगी पापाजी ऐसा नहीं है यदि आप नहीं ऑफ करना चाहते हैं तो कोई बात नहीं।

मैं समझ रही हूं कि आप मुझे नंगी देखना चाहते हैं ।

लीजिये कर लीजिए अपनी दिल की पूरी।

उपासना ऐसा कहकर उसके सामने खड़ी हो गई दुपट्टे को पहले ही फेंक चुका था धर्मवीर उसके सर से निकालकर। अब उपासना टॉप और सलवार में फंसी हुई उसके आगे खड़ी थी ।

उपासना को अपनी तरफ घुमा कर धर्मवीर ने गले से लगाया और उसकी कमर पर अपने हाथ फेरने लगा ।

उपासना ने भी बड़े प्यार से अपने ससुर की छाती पर अपना चेहरा रखा और खड़ी हो गई उसकी बाहों में ।

धर्मवीर पीछे कमर से हाथ नीचे गांड पर ले गया और उसके चूतड़ों को अपने हाथों से हल्का सा दबाया ।

उपासना उसकी छाती से लगी हुई सिसकारी ले गई ।

फिर धर्मवीर ने उपासना की चूतड़ों पर दोनों हाथों से बारी-बारी 4, 5 थप्पड़ मारे और यह थप्पड़ इतनी तेज थी कि पटपट की आवाज पूरे कमरे में गूंज गई।

आउच आउच करती रही वह चुदक्कड़ घोड़ी ।

फिर धर्मवीर ने उसको घुमाया और उसकी गांड के पीछे खड़ा होकर उसकी छातियों पर अपने हाथ ले गया।

धर्मवीर ने जैसे ही उपासना की चुचियों को अपने हाथों में भरा तो वह हैरान रह गया क्योंकि उसकी चूचियां उसके हाथों में आ ही नहीं रही थी ।

धर्मवीर कहने लगा की उपासना बहू, मेरी संस्कारी बहु तुझे तो मेरे जैसे लंड की ही जरूरत है ।

उपासना के मुंह से आह निकल गई और धर्मवीर ने उसकी चुचियों को अपनी पूरी ताकत लगा कर भींचा । उपासना के मुंह से जोरदार चीख निकली।

फिर धर्मवीर ने उपासना के टॉप को आगे से पकड़ा और इतना जोरदार झटका मारा कि पूरा का पूरा टॉप फाड़ कर अलग कर दिया और उपासना की चूचियां आजाद होकर ऐसे खुल गई जैसे दो बड़े-बड़े पपीते हो ।

उन पपीतों को अपने हाथ से मसला धर्मवीर ने जी भरकर।

और फिर उसने उसको घुमा कर अपनी तरफ घुमाया तो वह देखता ही रह गया चूचियां तन कर खड़ी थी।

और उन चूचियों के निप्पल की चारों तरफ मेहंदी से बना हुआ वह सर्कल ।

धर्मवीर ने दोनों चूचियों को अपने हाथों में भर लिया फिर उपासना की गर्दन पर चुंबन करते हुए अपने हाथ उपासना की भारी भरकम गांड पर ले गया और उसने उसकी सलवार में एक छेद करते हुए चर्र चर्र की आवाज से वह सलवार फाड़ दी जैसे ही सलवार फ़टी उसके चूतड़ बाहर निकलकर अपने पूरे फैलाव में आ गए ।

ऐसी चौड़ी गांड पर हाथ फेरते हुए अपनी किस्मत पर नाज करने लगा धर्मवीर ।

और उन चूतड़ों पर जोरदार थप्पड़ों की बरसात कर दी ।

उपासना की सांसे चलने लगी लगी थी उधर धर्मवीर की सांसे भी तेज हो गई थी । और उसने उपासना की गांड के पीछे बैठकर उसकी सलवार को पूरी फाड़ दिया अब उपासना मादरजात नंगी खड़ी थी धर्मवीर के आगे।

उसने उपासना की के दोनों चूतड़ों को हाथों से चौड़ा किया और उसमें अपना मुंह रखकर एक लंबी सांस खींची ।

यह बर्दाश्त ना कर सकी उपासना और उपासना ने ने अपने हाथ पीछे ले जाकर धर्मवीर के सर को अपनी गांड पर दबा लिया।

उसकी गांड की मादक महक लेते हुए धर्मवीर गांड को चूमने लगा ।

उसके चूतड़ों को अपने गालों से अपने होठों से सहलाने लगा ।

फिर धर्म भी खड़ा हुआ और अपनी शर्ट उतार उतार कर बेड पर लेट गया ।

उपासना खड़ी-खड़ी यह देखने लगी उसकी चौड़ी छाती नंगी आज उसने पहली बार देखी थी .

छाती पर हल्के हल्के काले बाल थे

धर्मवीर की बाजू पर कसरत करने की वजह से कट पड़े हुए थे ।

एक मजबूत सांड को बिस्तर पर इंतजार करते देख किसी घोड़े की तरह उपासना बेड पर चढ़ी ।

धर्मवीर कहने लगा कि तुम्हारा खजाना भी मेरी पैंट में है निकाल लो ।

यह सुनकर उपासना शर्मा गई और बोली मुझे शर्म आती है।

आप ही उतार दो धर्मवीर कहने लगा अभी मेरे सर को पकड़ कर अपनी अपनी अपनी गांड में घुसाते हुए तुझे शर्म नहीं आई और अब तो शर्म आ रही है।

उपासना बोली पापा जी यह किस बदतमीजी से आप बात कर रहे हैं ।

धर्मवीर बोला कि अब नाटक बहुत हो गया है और तुम भी जानती हो कि तुम पूरी रात लंड खाने के लिए इस बिस्तर पर आई हो । तो फिर क्यों शर्म कर रही हो थोड़ी सी बेशर्म बनना , जिससे तुम्हें भी मजा आए, तुम भी इंजॉय कर सको खुलकर ।

ऐसा सुनकर उपासना कहने लगी अगर मैंने शर्म छोड़ दी तो आप बर्दाश्त नहीं कर पाओगे पापा जी ।

यह सुनकर धर्मवीर बोला कि दिखा तो अपना बेशर्म पना ।

मैं भी तो देखूं कि मैंने अपने घर में किस तरह की रंडी रखी हुई है ।

यह कहकर धर्मवीर लेट गया

उपासना यह सुनकर धर्मवीर के पास आई उसकी पेंट को खोलने लगी ।

जैसे ही उसने उसके पेंट को नीचे किया उपासना डर गई और डरकर बैड से दूर जाकर खड़ी हो गई भागती हुई ।

धर्मवीर बोला क्या हुआ ।

उपासना बोले नहीं ऐसा नहीं हो सकता पापा जी ऐसा तो किसी का भी नहीं हो सकता ।

इतना बड़ा और इतना मोटा । मैंने अपने पैर पर ही कुल्हाड़ी मार ली है ।

धर्मवीर कहने लगा कि मुझ पर विश्वास रखो मैं बहुत प्यार से करूंगा और धर्मवीर ने उसे अपनी तरफ आने को कहा।

उपासना धीरे-धीरे हिम्मत जुटाते हुए धर्मवीर के करीब आने लगी और आकर बैठ गयी।

धर्मवीर ने उपासना से कहा अपना लंड पकड़ाते हुए कि क्या हुआ पसंद नहीं आया क्या तुमको ।

उपासना डरते हुए कहने लगी कि आपका यह बहुत बड़ा है।

मैं तो कल्पना भी नहीं कर सकती फिर धर्मवीर ने उसका हाथ पकड़कर लंड पर रखा ,जैसे ही इतने मोटे लंड को हाथ में भरा उपासना की चूत में बिजली की तरह चीटियां चलने लगीं ।

धर्मवीर ने उपासना को बेड पर खड़े होने को बोला उपासना जैसे ही बेड पर सामने से खड़ी हुई धर्मवीर यह नजारा देखकर अपनी किस्मत पर फक्र करने लगा ।

उसकी चूत पर लटकता हुआ छल्ला उसकी चूत पर चार चांद लगा रहा था ।

भरी हुई जांघों के बीच चूत ऐसी लग रही थी जैसे ये मोटी जांघे उसकी चूत की रक्षा करती हो ।

उसकी मोटी मोटी जांघों के बीच रसीली चूत इस तरह शोभा दे रही थी जैसे कि गुलदस्ते में कोई फूल ।

उसकी गांड पर हाथ ले जाकर धर्मवीर ने उसे अपनी तरफ दबाया अपना चेहरा उसकी चूत के करीब ले गया।

उपासना को उसकी सांसे अपनी चूत पर महसूस हुई तो उसकी चूत और गर्म हो गई ।

धर्मवीर ने उसकी सजी हुई चूत को गौर से देखा ।चूत के दाने पर लटकी हुई वह बाली चूत को और भी ज्यादा शानदार बना रही थी।

उसने अपनी नाक की चूत पर लगाई और एक तेज सांस खींची उपासना के मुंह से सिसकारी निकल गई aaaaahhhhh ।

और धर्मवीर तो मानो दूसरी दुनिया में चला गया हो ।

उसकी चूत से उसके मूत की भीनी भीनी खुशबू उसे पागल कर गई ।

धर्मवीर ने अपनी जीभ निकालकर उसकी चूत पर जैसे ही लगाई उपासना की जान ही निकल गई ।

फिर धर्मवीर ने अपना पूरा मुंह खोला पूरी चूत को मुंह में भर कर अपनी जीभ से उसके दाने को सहलाने लगा ।

इसे बर्दाश्त नहीं कर पायी उपासना और एक ग़दरायी हुए जिस्म की रंडी की तरह बिस्तर पर गिर पड़ी ।

जैसे ही वह बिस्तर पर गिरी धर्मवीर ने उसकी चेहरे के पास आकर उसके गालों को चूमा उसके होठों को चूसने लगा।

और हाथ उसकी चूत पर ले जाकर उसकी चूत की दरार के बीच में उंगली से सहलाने लगा ।

यह उपासना के लिए हाल बेहाल वाली हालत थी ।

उसने अपनी दोनों जांघों को आपस में भींच लिया अब धर्मवीर के लिए हाथ को चलाना थोड़ा मुश्किल हो रहा था।

लेकिन उसने मशक्कत करके अपनी एक ऊंगली उपासना की उपासना की चूत के छेद पर रख कर अंदर की तरफ दबाई ।

जैसे ही आधी उंगली चूत में गई उपासना एक साथ सिसक उठी आआआआआआईईईईईईई ।

धर्मवीर को उसकी चूत में बहुत ही गीला गीला पानी महसूस हुआ , पानी छोड़ता देख धर्मवीर उपासना से बोला चुदने के लिए तैयार हो रही है तुम्हारी ये चूत ।

उपासना भी अब शर्म छोड़ देना चाहती थी।

उपासना बोली आज आपकी ये रांड आपके बिस्तर पर आपसे चुदने के लिए फैली पड़ी है ।

अपनी इन मजबूत बाजू में जकड़ कर इस रांड की चूत को चोदिये पापा जी ।आपकी संस्कारी बहु की चूत आपके सामने है।

जब धर्मवीर ने ऐसा सुना तो उसके लंड में इतना कड़कपन आगया कि उसने अपनी पूरी उंगली उपासना की चूत में उतार दी ।

उपासना इसके लिए तैयार नहीं थी और उपासना उंगली चूत में घुसते ही ऊपर की तरफ सरकने लगी ।

धर्मवीर बोला कि मेरी जान अभी तो उंगली ही गई है लोड़ा भी ऐसी चूत में उतरेगा आज ।

यह सुनकर उपासना से बर्दाश्त नहीं हुआ और उपासना बोली - पापा जी देखिए आपकी बहू कितनी बड़ी चुडक्कड़ रंडी है , आज यह आपको मैं दिखा ही देती हूं ।

ऐसा कह कर उपासना ने उसके सीने पर धक्का मारा और उसको लिटा कर उसके लोड़े के पास अपना चेहरा ले गई।

दोस्तों उपासना ने अपने चेहरे से लंड को नापा तो धर्मवीर का लंड उपासना के माथे से भी ऊपर जा रहा था ।

उपासना धर्मवीर के देखकर हैरान होते हुए सोचने लगी कि इस मर्द इन अंडों में कितना रस होगा।

कैसा होगा वह पल जब इनका रस निकल कर मेरी चूत में भर जाएगा ।

यह सोचते ही उसने अपनी जीभ निकाली और लंड को चाटने लगी।

लंड को चाटते हुए उपासना अब इतनी बेशर्मी पर उतर आई थी कि उसने अपनी आंखें धर्मवीर की निगाहों से मिला दीं ।

उसकी नजरों में झांकते हुए उसके लंड को चाटने लगी।

यह नजारा देखने लायक था। और धर्मवीर का लंड भनभना गया ।

उपासना ने उसके लंड को चाटने के बाद उसे मुंह में लेना चाहा लेकिन उसका लैंड का आगे का नुकीला हिस्सा ही उसके मुंह में जा सका । क्योंकि धर्मवीर का लंड मोटा होने की वजह से उसके मुंह में फस रहा था ।

यानी कि अंदर नहीं घुस पाया था। यह देखकर धर्मवीर ने उसका सर पकड़ कर अपने लंड पर दबाया लेकिन फिर भी उसके मुंह में जाने से नाकाम रहा ।

धर्मवीर को यह बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने उपासना को बड़ी फुर्ती से बेड पर सीधा चित्त लिटाया और उसके ऊपर चढ़कर उसके सर के नीचे एक तकिया लगाया

धर्मवीर ने कहा कि खोल मेरी जान अपना मुंह ।

उपासना ने जैसे ही मुंह चौड़ा किया धर्मवीर ने पूरा झुक कर उसके मुंह में ऐसा झटका मारा कि लंड आधा उपासना के मुंह में चला गया । अब आधा लंड उपासना के मुंह में फसाकर धर्मवीर जैसे ही ऊपर की तरफ हुआ तो उपासना का चेहरा भी लंड के साथ ऊपर की तरफ खींचने लगा।

क्योंकि उसके मुंह में लंड फसा पड़ा था ।उपासना की आंखें बाहर निकलने को तैयार थी और आंखों से हल्के हल्के आंसू निकलने लगे थे ।

यह देखकर धर्मवीर भी सोचने लगा कि यदि मैंने अब लंड निकाल लिया तो यह दोबारा लेने के लिए राजी नहीं होगी ऐसा सोचते ही उसने अपनी कमर का दबाव बनाते हुए एक और झटका मारा और लंड उपासना के हलक तक उतार दिया। इतना मोटा लौड़ा अपने मुंह में फंसा कर पछता रही थी आज उपासना । वह बस गूंगूंगूंघोंघों के अलावा कुछ नहीं कर पाई। 1, 2 झटके के बाद जब धर्मवीर को लगा की उपासना की हालत बर्दाश्त से बाहर है तो उसने माथे पर हाथ रखकर अपने लंड को बाहर खींचा और लंड बाहर खींचते ही उपासना के मुंह से ढेर सारा थूक उसके लंड के साथ बाहर तक निकल गया उसके थूक से पूरी उसकी चूचियां गीली हो गयी ।

उपासना - अपनी बहू को इस तरह भी क्या कोई लंड डालता है मुंह में कि मेरे हलक तक ही उतार दिया ।

और वह भी इतना मोटा लौड़ा मुझे नहीं लगता मैं इसे चूत में ले पाऊंगी ।

धर्मवीर- मुस्कुराते हुए कहने लगा कि मेरी जान इस लंड से चुदने के बाद निखर जाएगी ।तेरी गांड और भी ज्यादा चौड़ी हो जाएगी । तेरी सुंदरता और भी ज्यादा बढ़ जाएगी।

ऐसा कहते हुए उपासना को उसने दोबारा से लिटाया और अपने लंड को उसके गालों पर ऐसे मारने मारने लगा जैसे हल्के हल्के हल्के थप्पड़ मार रहा हो। अपने लंड से उसके मुंह को सहलाने के बाद धर्मवीर उसकी चुचियों पर आया।

धर्मवीर ने अपना मुंह खोला और उसकी चुचियों को मुंह में भरा । फिर धर्मवीर ने उपासना की कमर के नीचे अपने हाथ लगाए और उसकी छाती को अपने मुंह पर और ज्यादा दबाया जिससे कि उसकी चूचियां उसके मुंह में ज्यादा से ज्यादा आजाये । उसके बाद उसकी चुचियों को चाटने लगा।

दोनों चुचियों से खेलने और चाटने के बाद धर्मवीर ने अपना चेहरा उठाया तो देखा उसके थूक से उसकी दोनों चूचियां गीली हो गई है ।

धर्मवीर ने अपना भयंकर लंड उसकी चुचियों के बीच में रखा और उसकी चूची में घिसने लगा और एक हाथ से उसकी चूत को सहलाने लगा ।

अब उपासना चुदने के लिए पूरी तैयार हो चुकी थी ।

लेकिन और भी उसे तड़पाना चाहता था धर्मवीर ।

उपासना से कहने लगा कि मेरी बहू मुझे पता होता कि तेरी जवानी इतनी लंड की भूकी है तो कब का मैं तुझे चोद चोद कर निहाल कर देता । ऐसा कहकर धर्मवीर नीचे की तरफ आया और उसके पेट को चाटने लगा उसके पेट को चाटने के बाद धर्मवीर उसके चूत पर ना जाकर सीधा उसके पैरों पर गया ।

पैरों को चूमने चाटने लगा फिर उसने उपासना के पैरों को पकड़कर उपासना को उल्टा लेटने का इशारा किया।

उपासना उल्टी होकर लेट गई जैसे ही उसकी गांड ऊपर को उठी धर्मवीर ने उसकी गांड पर अपने दोनों हाथो से थप्पड़ों की बरसात करदी ।उसकी गांड हल्की-हल्की लाल हो गई थी ।

उसकी कमर पर चुंबन करने लगा ।
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RE: Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां - by desiaks - 05-01-2021, 11:34 AM

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