RE: Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
Update 20
चलो दोस्तो आगे की कहानी की शुरुआत फिर एक शायरी के साथ करते हैं
खुदा जाने हमारे इश्क की दुनिया कहाँ तक है,
खुदा जाने हमारे इश्क की दुनिया कहाँ तक है
वो वही तक देख सकता है नजर जिसकी जहां तक है ।
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सोमनाथ जी फर्श पर से उठकर सर झुकाए हुए बैड पर बैठ गए ।
धर्मवीर जोर से हसने लगा । यह देखकर सोमनाथ हैरान होते हुए धर्मवीर का मुह ताकते हुए कहने लगा ।
सोमनाथ- समधीजी जी , आपको अभी भी हँसी आरही है ।
धर्मवीर - अरे मैं हालातों पर नही बल्कि तुम्हारे खड़े लंड पर हसा हूं , तुम्हारी बेटी तो खड़े लंड पर लात मार गयी भईया । hahahaha।
सोमनाथ - उड़ा लीजिये आप भी मेरी हंसी । क्योंकि आप तो पहले ही उपासना से मजे ले चुके है । अगर उसने आपके साथ ऐसा किया होता तो पता चलता ।
धर्मवीर - हंसी तुम्हारी नही उड़ा रहा हूँ मेरे दोस्त । और मैं यही समझने की कोशिस कर रहा हूँ कि जब हमने उनकी बातें सुनी थी तब तो वो चुदवाने के लिए मरी जा रही थीं दोनों फिर अचानक ये क्या हुआ ।
उधर उपासना जैसे ही अपने रूम में पहुंची तो रोने लगी । अभी तक पूजा को भी कुछ समझ नही आरहा था कि दीदी को अचानक क्या हुआ ।
पूजा - दीदी आप अचानक इस तरह रोने क्यों लग गयी । मैं कुछ समझी नही ।
उपासना ने अपना मोबाइल पूजा को दिया पूजा ने देखा तो उसमें शालीनी का मैसेज था - Daddy Rakesh bhaiya ne atmahatya kar li hai . Or ek note likhkar gye h vo .
यह पढ़कर पूजा के सर का आसमान घूम गया । नही जीजू कहते हुए वो भी रोने लगी ।
तभी 10 मिनट बाद धर्मवीर और सोमनाथ नीचे आये तो दोनों को रोता देखकर वो भागकर दोनों के पास आये ।
धर्मवीर सर झुकाकर - बेटा यदि हमसे और तुम्हारे पापा से इतनी बड़ी गलती हो गयी है तो हमे मांफ कर दो ।
तभी पूजा ने धर्मवीर को मोबाइल पकड़ाया ।
और जैसे ही धर्मवीर ने मैसेज पढ़ा धर्मवीर को सदमा आगया ।
घर मे बिल्कुल शांति हो गयी जहाँ अभी तक मादक सिसकारियों की आवाज आरही थी याब वहां सिर्फ रोने पीटने की आवाजें आने लगी ।
धर्मवीर को हॉस्पिटल ले जाया गया ।
सुबह के 7 बज रहे थे । धर्मवीर जी को होश आ चुका था । धर्मवीर जी के पास इस वक्त उपासना पूजा बैठे हुए थे ।
तभी रूम में डॉक्टर की एंट्री हुई ।
डॉक्टर - सर आप इस वक्त बिल्कुल स्वस्थ हो । बस आपको किसी बात की चिंता या कोई भी ऐसी बात नही सोचनी है जिससे आपके दिमाग पर जोर पड़े ।
धर्मवीर - रा-राकेश मेरा बेटा कहाँ है ?
उपासना डॉक्टर के साथ बाहर जाकर बात करने लगी ।
और 1 घंटे बाद जब धर्मवीर की आंखे खुली तो इस वक्त वो अपने घर मे था ।
तभी शालीनी की एंट्री होती है । शालीनी आते ही उपासना के गले लगकर रोने लगी ।
शालीनी रोते हुए - भाभी ये क्या हुआ ये क्या किया भैया ने ।
उपासना की आंखों से सिर्फ आंसू बह रहे थे ।
तभी रूम में एक नए किरदार की एंट्री होती है जिनका नाम बलवीर है । ये बलवीर भाई है धर्मवीर जी के जो अमेरिका में सेटल है अपने परिवार के साथ।
इनकी उम्र अभी 45 साल है । अमेरिका में रहते है लेकिन फिर भी दिल है इनका हिंदुस्तानी ।
पूरे सात फीट इनकी हाइट है । तगड़े तंदरुस्त है पर रंग से काले है । कोई भी देखकर इन्हें इंडियन नही अफ्रीकन ही कहेगा । इनकी कद काठी अनुसार ही इनके लंड का साइज भी 14 इंच है जिनकी मोटाई लगभग हाथ की कलाई के बराबर होगी । इनकी एक ही खासियत है कि जिसे भी आजतक इन्होंने चोदा है फिर उसे किसी और के चोदने लायक नही छोड़ा , मतलब सीधा और साफ है जिसे भी ये एकबार चोद लेते है उसकी चूत को भोसड़ा बना देते है । रहम नाम की चीज इनके अंदर है ही नही । अब आगे पढ़िए ।
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उपासना ने तुरंत पर्दा किया । शालीनी चाचाजी के गले लगकर रोने लगी।
बलवीर - नही बेटा शायद हमारी किस्मत में ये ही लिखा था । कोई ऐसी बात जरूर थी जिसने हमारे बेटे को ऐसा करने पर मजबूर कर दिया ।
तभी पूजा पानी लेकर आ चुकी थी पानी की प्यास किसको थी कुछ देर बैठने के बाद बलवीर जी अपने भाई धर्मवीर के पास गए और गले से लिपट कर रो पड़े।
बलबीर ने मन ही मन सोचा यदि मैं ही भैया को नहीं संभालूंगा तो भैया को कौन संभालेगा ऐसा सोचकर उन्होंने अपने आपको हिम्मत दी और अपने भाई धर्मवीर का हाथ अपने हाथों में लेकर उन्हें ढांढस बंधाया ।
तभी घर में आरती की एंट्री होती है आरती की आंखों से बहते आंसू को देखकर बलबीर ने अपनी बहन को गले से लगाया और तीनों बहन भाई कुछ देर की खामोशी के बाद एक दूसरे की आंखों में देखकर एक दूसरे को हिम्मत देने लगे ।
14 दिन बीत चुके थे घर में शांति का माहौल था
राकेश की तेहरवीं भी हो चुकी थी ।
उधर जापान में पुलिस वालों को नदी में एक बॉडी तैरती हुई दिखाई दी ।उन्होंने जल्दी से उस बॉडी को पानी से निकाला बॉडी के पेट से खून निकल रहा था ।
उसे जल्दी से हॉस्पिटल ले जाया गया जहां जाकर पता चला कि इंसान के शरीर में चाकू से हमला हुआ है लेकिन दिल या फेफड़ों में कोई घाव नहीं है।
और अभी कोई कोई सांस ले रहा है।
पुलिस को उसकी जेब से उसका बटुआ मिला तो पता लगा कि वह राकेश नाम का कोई इंडियन है ।
राकेश को हॉस्पिटलाइज कर दिया गया जहां उसे अभी तक कोई होश नहीं था ।
ब्लड चढ़ाया गया शाम के वक्त राकेश को होश आया उसमें अब इतनी जान नहीं बची थी कि वह खड़ा हो सके।
उसके मुंह से बस इतना ही निकला - नहीं नहीं नहीं । बस ऐसा ही वह कह सका ।
दो-तीन दिन बीत गए जैसे-जैसे दिन बीत रहे थे राकेश की हालत में सुधार हो रहा था 4 दिन में राकेश अपना खाना खुद खाने लगा और आराम से उठने बैठने लगा इन 4 दिनों में राकेश के दिमाग में कोहराम मचा रहा।
कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ? क्यों उसकी ही बहन ने उसकी यह हालत करदी ।
5 दिन बीत चुके थे । हॉस्पिटल से राकेश को की छुट्टी कर दी गई लेकिन राकेश ने अभी तक अपने किसी भी मिलने वाले से संपर्क नहीं किया था।
उसने हॉस्पिटल में भुगतान किया और कुछ दिन जापान में ही रहने की ठानी उसने एक होटल में रूम लिया और वहीं पर सेटल होकर अपनी हालत सुधारने लगा ।
उधर 20 25 दिन के बाद अब धर्मवीर की हालत में काफी सुधार हो चुका था ।
धीरे-धीरे एक सपना समझकर अपने बेटे को भुलाने की कोशिश करने लगा था धर्मवीर ।
उपासना भी अपने आप को समझा रही थी और अपनी जिंदगी से समझौता कर रही थी।
बलवीर और आरती दिनभर धर्मवीर और उपासना को बिजी रखते जिससे की उन्हें याद ही ना आ सके ।
अब सब कुछ सामान्य होने लगा था।
अब उस घर में 7 लोग रहते थे धर्मवीर बलवीर सोमनाथ उपासना आरती शालिनी और पूजा ।
रात के 10:00 बज चुके थे सब डिनर कर चुके थे ।
धर्मवीर , बलवीर , सोमनाथ और आरती बैठे गपशप कर रहे थे ।
बलवीर अपने भाई धर्मवीर की बहुत ही ज्यादा शर्म करता था बहुत ज्यादा इज्जत करता था ।
बलबीर बोला - भैया जी मैं सोच रहा हूं कि काफी दिन हो गए हैं आपको कहीं घूम कर आना चाहिए ।
धर्मवीर - मैं तो यहां पर घूमता ही रहता हूं बलबीर एक काम करो तुम काफी सालों बाद इंडिया आए हो तुम घूम कर आओ ।
बलवीर - जी भैया जैसा आप कहें लेकिन मैं जानना चाहता हूं कि आप मुझे अकेले ही घूमने भेज रहे हैं या कोई मुझे गाइड करने वाला भी साथ है।
यह सुनकर धर्मवीर हंस पड़ा धर्मवीर बोला जिसे तुम ले जाना चाहो उन्हें अपने साथ ले जाओ ।
बलवीर पूछने लगा कि कोई है जो घूमना चाहता हो । वर्ल्ड टूर नहीं लेकिन इंडिया टूर तो जरूर ही घूम लेंगे ।
यह सुनते ही आरती खुश हो गई और एक साथ चहकते हुए बोली भैया आप चिंता क्यों करते हो मैं हूं ना । हम दोनों भाई बहन चलते हैं घूमने ।
तभी बलवीर ने शालीनी से भी पूछा शालीनी ने पता नही क्या सोचकर हां करदी ।
आरती , शालीनी और बलवीर का प्लान फिक्स हो चुका था । अगले दिन सुबह को बलवीर, शालीनी और आरती अपने 6 दिन के टूर के लिए रवाना हो चुके थे । ड्राइवर उनको सुबह 7 बजे एयरपोर्ट लेकर पहुंच चुका था ।
अब घर में बचे थे धर्मवीर , सोमनाथ, उपासना और पूजा ।
सोमनाथ और धर्मवीर बिल्कुल शांत बैठे हुए थे तभी रूम में पूजा चाय लेकर आती है ।
पूजा चाय रखकर चली गयी । सोमनाथ और धर्मवीर चाय की चुस्की लेने लगे ।
सोमनाथ जी ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा - समधीजी , जो हुआ वो होना ही था । अब कितना भी हम सोच ले लेकिन अपने भूतकाल को नही बदल सकते । मैं समझता हूं लेकिन राकेश आपका ही बेटा नहीं हमारा भी दामाद था । और मैने तो कभी दामाद समझा ही नही बेटा ही समझा था । पर होनी को कौन टाल सकता है ।
धर्मवीर - हम्म शायद किस्मत को यही मंजूर था ।
सोमनाथ - अब आगे की जिंदगी बच्चो के सहारे खुशियों के साथ गुजारिये और गम को भुलाने में ही हम सबकी भलाई है ।
उधर उपासना ने भी जिंदगी से संधि कर ली थी । अब वो भी सामान्य होने लगी थी । पूजा उसको दिन भर हसाती रहती । उनके कमरे में से भी अब चहकती आवाज और हँसने की आवाजें आने लगी थी ।
पूजा - दीदी तुम चलते में इतनी मत मटका करो ।
उपासना - अच्छा मतलब अब तुम हमे बताओगी की मैं ज्यादा मटक रही हूं ।
पूजा हंसते हुए - ओह दीदी तो चिढ़ती भी है ।
उपासना - चल पूजा एक काम करो जरा ।
पूजा - क्या दीदी ?
उपासना - गेट तक जाकर वापस आओ ।
पूजा ने वैसा ही किया । पूजा गेट के पास तक गयी और वापस आगयी ।
उपासना - अब तू बता पूजा की चलते में तू नही मटक रही थी क्या जो मुझे बोल रही थी । पिछवाड़ा तो तेरा भी ऊपर नीचे हिल रहा था ।
पूजा शर्माती हुई - दीदी जब है ही भारी तो हिलेगा ही ये तो ।
उपासना - अच्छा एक बात बता ।
पूजा - हां दीदी पूछो ।
उपासना - नीचे जो जंगल था वो साफ किया तूने या नही । जब तू आयी थी तब तो तेरी झांटों से ढका हुआ था सबकुछ ।
पूजा यह सुनकर शर्माकर झेंप गयी ।
पूजा - क्या दीदी आप भी ना । बताया तो था कि वहां के बाल सेव नही करती और तबसे तो टाइम भी नही मिला है करने का।
उपासना - अच्छा दिखा तो जरा देखूं तो की तू अंदर से दिखती कैसी है ।
पूजा के गाल लाल हो गये ।
उपासना - मैं तो एक लड़की हूँ और तेरी बहन भी हूँ , मुझसे तो तू बड़ी शर्मा रही है और बेशक किसी दुसरे के सामने टांग फैलाकर लेट जाएगी ।
पूजा - ऐसी बात नही है दीदी ।
उपासना ने पूजा की कोई बात ना सुनते हुए पूजा की सलवार का नाड़ा एक झटके में खोल दिया । नाड़ा खुलते ही सलवार नीचे गिर गयी ।
उपासना ने देखा कि पूजा की मोटी जांघो के बीच मे उसकी चूत पैंटी से ढकी हुई है लेकिन चूत के साइड में से काले काले बाल निकलते दिखाई पड़ रहे थे ।
पूजा ने शर्म से अपने मुंह पर हाथ रखा हुआ था ।
फिर उपासना ने पूजा की पैंटी में अपनी उंगलिया फसाई और पैंटी घुटनों तक सरका दी ।
उपासना के मुह से देखकर इतना ही निकला - हाय रब्बा । और पूजा ने ऐसा कहते हुए अपने मुह पर हाथ रख लिया ।
उपासना ने देखा कि पूजा की चुत घनी काली काली झांटों से ढकी हुई है । झांटों के बाल उंगली से भी ज्यादा लंबे है ।
उपासना - पूजा एक बात बोलू ।
पूजा - याब बोलने को रह ही क्या गया है दीदी । अब तो जो बोलना है बोलिये ।
उपासना - तेरी चूत तो मुझे झांटों की वजह से दिख नही रही पर चूत के ऊपर फैले इस घने जंगल को देखकर ही मैं कह सकती हूं कि तेरी चूत तो लुगाइयों की चूतों को भी मात देती है ।
पूजा - दीदी अब ये तो सभी की ऐसी ही होती है ।
उपासना - नही पूजा तेरी चुत को देखकर यही कहा जा सकता है कि इस चूत का पानी निकालना हर किसी के बस की बात नही ।
पूजा - अच्छा अब जरा आप खड़ी होना एक मिनट के लिए ।
उपासना खड़ी हो गयी । पूजा से उसकी सलवार भी नीचे खिसकाकर घुटनो पर कर दी ।
दोस्तो एक महीने से उपासना ने भी झांटों को साफ नही किया था । लेकिन उपासना की चूत पर पूजा की चूत के बराबर बाल नही थे ।
पूजा की चूत पर बालों का जमावड़ा था जबकि उपासना की चूत पर बाल नाखून से थोड़े ही ज्यादा बड़े थे ।
यह देखकर पूजा कहने लगी- मैं मानती हूं कि मेरी चूत पूरी ढकी हुई है लेकिन कम तो आप भी नहीं हो दीदी , देखो तो आपकी चूत को देखकर ऐसा लगता है जैसे यह चूत निगलना चाहती हो कुछ और निगलना ही क्या पूरा मोटा लंड खाना चाहती है । तुम्हारी चूत को रौंदना भी कौन सा बच्चों का खेल है जो आप मुझे कह रही हो ।
यह सुनकर उपासना भी शर्मा दी । दोनों बहने एक दूसरे की चूतों को हाथ से सहलाने लगी और गर्म होने लगी ।
हाथ से सहलाते हुए उपासना बोली- पूजा तेरी चूत पर बाल ही लंबे नही बल्कि तेरी तो चूत भी मेरे पूरे हाथ में मुश्किल से आ रही है । तेरी चूत के होंठ काफी मोटे मोटे हैं ।
पूजा भी सिसकारी भरते हुए बोली- दीदी चूत तो आपकी भी मेरे पूरे हाथ में नहीं आ रही है ।आपकी भी कचोरी जैसी चूत है और इसके लिए कोई मोटा लंबा लौड़ा ही होना चाहिए ।आपकी चूत पर झंडा गाड़ना कोई बच्चों का खेल नहीं है
दोनों बहने काफी गर्म हो चुकी हो चुकी गर्म हो चुकी हो चुकी थी अब तो उनकी आंखों में लंड नाचने लगे थे
पूजा बोली - मैं एक बात पूछूं दीदी ।
उपासना- हां पूछो ।
पूजा - दीदी अब दिल नहीं करता क्या आपका । कैसे संभाल पाती हो अपने आप को । जिस औरत के पास तुम्हारे जैसी चूत हो उसको तो सुबह-शाम लंड से खेलते रहना चाहिए ।
पूजा इतना कह कर चुप हो गई। बड़ी ही तपाक से वह बोल गई थी ये बात ।
उपासना ने एक नजर उसको देखा और बोली - बहुत बोलना सीख गई है तू चल जब तू ने पूछा है तो बता ही देती हूं । किस का मन नहीं करता लंड लेने को । सबका करता है और जैसा तूने कहा कि अगर औरत मेरे जैसी हो तो। हां पूजा यह बात सही है मेरी जैसी औरत को दिनभर लंड पर चढ़े रहना चाहिए । लेकिन फिर भी मैं अपने आप को संभाल लेती हूं ।कोई चारा भी तो नहीं क्या करूं ।
पूजा बोली- दीदी चारा तो है और आप जानती भी हैं , लेकिन पता नहीं क्यों आप इस तरह से बदली बदली रहने लगी है ।
उपासना बोली - पहले बात अलग थी अब मुझे नहीं लगता कि धर्मवीर मेरे ससुर या मेरे पापा सोमनाथ इस रिश्ते को कबूल करेंगे ।
पूजा बोली - लेकिन फिर भी एक बार पता तो करना चाहिए कि उनके दिल में क्या है?
उपासना को यह बात थोड़ा जंची और उसने हामी भर दी ।
दोनों ने अपने बंगले के बगीचे में नहाने का प्लान बनाया और स्विमिंग पूल में चले गए।
दोस्तों धर्मवीर के बंगले में स्विमिंग पूल पार्किंग वाली जगह के साइड में बना हुआ था ।जहां से वह धर्मवीर के रूम से बिल्कुल साफ दिखाई देता था ।
पूजा ने दो बिकनी निकाली लेकिन उपासना ने बिकनी पहनने को मना कर दिया और उसने एक सलवार उसके ऊपर ब्रा पहनने के लिए बोला ।
दोनों ने सलवार पहनी और ऊपर ब्रा पहनी ।
सलवार जो पहनी थी दोस्तों शालिनी की सलवार दोनों घोड़ियों ने पहन ली। जो कि चूतड़ों पर वैसे ही टाइट हो गई थी दोनों ने अपने बालों का जुड़ा बनाकर सर पर रख लिया।
पीछे से कमर बिल्कुल नंगी हो गई दोनों की और उस पतली कमर के नीचे तबले जैसे चूतड़ों पर पहनी हुई सलवार ।
गजब का रूप बना लिया था दोनों ने ।
किसी काम देवी की तरह दोनों स्विमिंग पूल की तरफ धीरे-धीरे बढ़ने लगी ।
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दोस्तों कहानी कैसी चल रही है मुझे कमैंट्स करके जरूर बताएं क्योंकि मुझे लिखने का कोई ज्यादा तजुर्बा नही है । इस 24 साल के नवयुवक से यदि कोई गलती हो लिखने में तो माफ कीजियेगा । यह शब्दो से खेलने की एक छोटी सी कोशिश है मेरी ।
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