RE: Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
पूजा पूरी मस्ती में थी और अचानक उपासना के इस बर्ताव से वह झल्लाप पड़ी ।
पूजा - अब क्या हुआ दीदी , आप पहले शुरुआत करती ही क्यों हो । मुझे तो कुछ समझ नही आता ।
उपासना मुस्कुराती हुई - देखो तो कितनी जल्दी है लंड लेने की मेरी शरीफ बहन को । अरे ऐसा मैने इसलिए किया क्योंकि चुदने का प्रोग्राम तो आज रात का है ।
फिर दोनों नहाने के लिए चली गयी जाते जाते उपासना ने पूजा से कहा - अपने जंगल को काटना मत । बड़ा मस्त लग रहा है तेरा फैला हुआ जंगल ।
यह सुनकर पूजा शर्म से लजा गयी ।
उधर कुछ मिनट बीत जाने के बाद धर्मवीर को अपने मोबाइल पर एक संदेश रिसीव हुआ ।
धर्मवीर ने अपना मोबाइल उठाया देखा तो मैसेज उपासना का था।
उपासना ने लिखा था - पापा जी क्या यह ठीक रहेगा जिस लाइन पर हम लोग चल रहे हैं क्या यह लाइन ठीक है, आखिर आप चाहते क्या हैं।
इस पर कुछ देर सोचने के बाद धर्मवीर ने रिप्लाई दिया - इसमें जब दोनों तरफ से रजामंदी है तो फिर हर्ज ही क्या है ।
दोनों तरफ से रजामंदी का मतलब उपासना साफ-साफ समझ रही थी वह जान गई थी कि यह सोमनाथ और उसको लेकर कही गई बात है फिर उपासना ने रिप्लाई किया ।
उपासना - तो फिर आगे का क्या सोचा है ।
धर्मवीर ने मैसेज का रिप्लाई करते हुए कहा - बहु जब भी तुम्हारे पापा तुम्हारे नजदीक आते हैं तुम कोई ना कोई बहाना करके निकल जाती हो ।
मैं समझ रहा हूं कि तुम्हारी मर्यादा तुम्हें खींच कर ले जाती है और रही बात आगे की तो इसका फैसला तुम ही कर सकती हो क्योंकि यह सब तुम्हारे ही हाथ में है ।
इस पर उपासना ने रिप्लाई किया- ठीक है तो आज रात को 10:00 बजे हॉल में आ जाइएगा, लेकिन पापा जी को इस बारे में कुछ मत बताना उनके लिए यह सरप्राइस ही रहने देना ।
यह मैसेज पढ़कर धर्मवीर खुशी से झूम उठा क्योंकि वह समझ गया था कि पूजा आज उसकी टांगों के नीचे आने से नहीं बच सकती ।
उधर उपासना भी एक्साइटमेंट में कुछ ज्यादा ही मुस्कुरा रही थी पूजा और उपासना दोनों नहा कर निकली नहाने के बाद उन्होंने दोनों हाथों में चूड़ियां पहनी , पैरों में झनकारो वाली पायल पहनी जिससे कि चलते वक्त छन छन की आवाज आये।
फिर कुछ समय बाद उपासना ने दो लॉन्ग स्कर्ट यानी घागरी टाइप में पहनने के लिए ड्रेस निकाली लेकिन यह चुन्नी के कपड़े की बनी हुई ट्रांसपेरेंट घघरी थी, जिसमें से उनकी टांगे साफ साफ दिखाई दे रही थी, अंदर ब्लैक कलर का निक्कर निकाला उपासना ने ।
निक्कर इसलिए निकाला क्योंकि घघरी ज्यादा पारदर्शी थी और उसमें से साफ साफ दिखाई देता था। ऊपर के लिए उसने एक डिजाइनर ब्लैक कलर की चोली निकाली जो कि उनकी मोटी मोटी चुचियों को ढकने के लिए काफी छोटी थी।
दोनों ने चेहरे पर मेकअप किया और पैरों में हाई हील की सैंडल पहनली।
रात के 9:30 बज चुके थे आधा घंटा रह चुका था एक चुदाई समारोह होने में , चुदाई समारोह नहीं दोस्तों इसे नंगा नाच कहें तो बेहतर होगा क्योंकि दोनों रंडियां धर्मवीर और सोमनाथ के लौड़ो पर नाचने वाली थी ।
10:00 बजने में अब में अब केवल 15 मिनट बाकी है अब तक सारी तैयारी हो चुकी थी ।
उपासना और पूजा ने बेड शीट चेंज कर दी थी और मोटे मोटे दो तकिए बेड पर रख दिए थे और बेडशीट पर कुछ गुलाब के फूल भी चारों तरफ फैला दिए थे।
और बाहर कॉल में आकर दोनों इंतजार करने लगी आपस में बात करते हुए टाइम निकल गया और अब केवल 5 मिनट बचे थे ।
दूसरी तरफ तो धर्मवीर ने सोमनाथ को कुछ नहीं बताया ।
जब 9:55 बजे तब धर्मवीर कमबख्त बोला - चलो थोड़ी देर बच्चों के साथ बात कर ली जाए ।
फिर सोते हैं ऐसा कहकर धर्मवीर सोमनाथ के साथ नीचे हॉल की तरफ आने लगा ।
उधर उपासना और पूजा भी अपनी बातों में मस्त थीं ।
पूजा उपासना से कह रही थी- दीदी आपने यह ड्रेस कोड कहां से चुना है मुझे तो लगता है इस ड्रेस कोड में कुछ छुपा ही नहीं है देखो तो हमारी टांगे बिल्कुल साफ दिख रहे हैं ।
उपासना - इसीलिए तो यह ड्रेस चुना है ताकि देख कर तुझे कोई भी कह सकें यह लड़की लंड मांग रही है देख तो तेरी गांड कितनी बेपर्दा दिख रही है।
पूजा - दीदी पहना तो आपने भी यही ड्रेस है और गांड तो आपकी भी बेपर्दा है और रही बात लंड मांगने की तो आपको देख कर हर कोई यही कहेगा की मुह से लेकर गांड तक हर छेद में लंड चाहिए इस कुतिया को।
उपासना पूजा के कंधे पर हाथ मारते हुए हंसते हुए बोली- देख तो अपनी बड़ी बहन को कुत्तिया बोल रही है तुझे पता है जब तू चलती है तो किसी मस्तानी हथिनी की तरह तेरी भारी गांड गांड ऐसे हिचकोले लेती है जैसे रात भर लंड खाकर उठी हो।
तभी दरवाजे पर आहट हुई उपासना समझ गई कि वह दोनों आ चुके हैं उपासना ने जल्दी से पूजा को उठाया और किचन की तरफ भागी ।
दोनों किचन में जाकर खड़ी हो गई ।
धर्मवीर और सोमनाथ आकर कुर्सियों पर बैठ गए ।
धर्मवीर ने आवाज लगाई- उपासना बहू कहां पर हो तुम दोनों ।
लेकिन अंदर उपासना को जब याद आया कि उसने चुन्नी तो ली नहीं है सर ढकने के लिए तो उसने धर्मवीर को मैसेज किया कि हमारे कमरे से दुपट्टा लाकर दे दीजिए ।
धर्मवीर ने दुपट्टा ले जाकर किचन के खिड़की से अंदर फेंक दिया और सोमनाथ की तरफ आते हुए बोले - हमारी बहू भी कितना पर्दा करती है ऐसी संस्कारी बहु भगवान सबको दे ।
सोमनाथ की समझ में यह कुछ नहीं आ रहा था ।
सोमनाथ जानता था कि कितना पर्दा करती है उपासना अपने ससुर से।
तभी दोनों की नजर किचन की तरफ से आती हुई उपासना और पूजा पर गई।
दोनों की आंखें फटी की फटी रह गई क्योंकि दृश्य ही कुछ ऐसा था उपासना और पूजा के हाथ में एक गिलास दूध था दोनों ने अपना मुंह ढक रखा था दुपट्टे से लेकिन उनकी पारदर्शी ड्रेस में से उनकी टांगे साफ दिख रही थी अपनी मोटी मोटी जांघो का प्रदर्शन करते हुए दोनों बड़ी की मादक चाल चलते हुए सोमनाथ की तरफ बढ़ रही थी ।
धर्मवीर को सब पता था लेकिन सोमनाथ इस सबसे बेखबर बस मुंह फाड़े उनकी तरफ देखा जा रहा था ।
उपासना ने सोमनाथ की तरफ और पूजा धर्मवीर की तरफ़ जाकर दोनों ने दूध का गिलास धर्मवीर और सोमनाथ को पकड़ा दिया।
चुपचाप सारा दूध पीने के बाद सोमनाथ बोला - बेटी इसकी क्या जरूरत थी। अभी अभी तो हमने खाना खाया था ।
तभी पूजा बोली- पापा जी दूध पीने से ताकत आती है ।
इस पर धर्मवीर बोला - ताकत तो हममें पहले से ही बहुत है ।
उपासना बोली - ताकत तो हमारे अंदर भी है पापा जी और आपसे दो कदम कदम आगे हैं आप की बहु बेटियां ।
इस बात का का मतलब धर्मवीर और सोमनाथ दोनों समझ चुके लेकिन फिर भी धर्मवीर बोला- हमसे ज्यादा कैसे हो सकती है बहू।
पूजा बोली अभी फैसला हो जाएगा किस में ज्यादा ताकत है यदि आपमें ज्यादा ताकत है तो हमें उठा कर दिखाओ ।
यह सुनकर धर्मवीर और सोमनाथ की बांछें खिल गई और दोनों कुर्सी से खड़े होते हुए बोले इसमें क्या बड़ी बात है लो अभी उठा लेते हैं ।
धर्मवीर पूजा को अपनी गोद में उठाने के लिए आगे बढ़ा और सोमनाथ उपासना को अपनी गोद में उठाने के लिए ।
उपासना और पूजा दोनों की मोटी मोटी जांघो और कमर में हाथ डालते हुए दोनों को किसी फूल की तरह अपनी गोद में उठा लिया । वैसे भी दोनों देखने में ही सांड जैसे लगते थे।
दोनों की भारी भारी गांड उनकी बाजुओं में थी और पूजा और उपासना अपने चेहरे को ढके हुए उन दोनों को देख नहीं पा रही थी लेकिन अंदर ही अंदर दोनों मुस्कुरा पड़ीं ।
जब दोनों ने दोनों घोड़ियों को गोद में उठा लिया तो शरमाते हुए पूजा ने कहा- पापा जी हमें बेडरूम में छोड़ आइए अगर आपने उठा ही लिया है तो।
इतना सुनकर धर्मवीर बोला- हां हां क्यों नहीं हम तुम्हें तुम्हारे बेड पर छोड़ आते हैं ,
और दोनों उनके कमरों की तरफ बढ़ने लगे कमरे में बेड पर फैले हुए गुलाब के फूल देखकर सोमनाथ बोला - बेटी यह गुलाब के फूल क्यों बिछाए हैं तुमने ।
गोद में बैठी हुई उपासना बोली - पापा जी ऐसे ही बस कोई खास वजह नहीं थी।
दोनों को बेड पर पटक दिया धर्मवीर और सोमनाथ ने।
अब धर्मवीर और सोमनाथ भी बेड पर ही बैठ गए अपने पैर नीचे करके।
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आज के लिए इतना ही लिख पाया दोस्तो ।
और हां एक दो लोगों ने कहा था कि ये कहानी चुराई हुई है तो दोस्तों अगर ऐसा है तो प्लीज ओरिजनल लेखक से मुझे मिलवाये । अगर ये कहानी आप लोगो को कही और दिखे और उसके लेखक का नाम रचित नही है तो प्लीज मुझे लिंक जरूर send करें । क्योकि अच्छा नही लगता जब कोई मेहनत पर पानी फेर दे क्योंकि बहुत मेहनत और टाइम खर्च कर रहा हूँ मैं इस कहानी को लिखने में ।
साथ बने रहने के लिए दिल से धन्यवाद ।
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