Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
05-01-2021, 11:37 AM,
#27
RE: Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
UPDATE 23

चारों लोग कमरे में थे उपासना और पूजा बेड पर लेटी हुई थी।
चारों लोग मन ही मन सोच रहे थे की बात को आगे कैसे बढ़ाया जाए , कैसे पहल की जाए । यही उधेड़बुन चारों के दिमाग में चल रही थी तभी सोमनाथ की नजर कमरे की दीवार पर लगे एक फोटो पर गई जिसमें उपासना ने एक पेटीकोट पहना हुआ था और ऊपर एक चोली पहन रखी थी ।

यह देख कर सोमनाथ बोला- बेटी इस फोटो में तो तुम बहुत ही सुंदर दिख रही हो ।
यह सुनकर उपासना शर्मा गई सोमनाथ बोला बेटी जो तुमने यह पहनावा पहना हुआ है फोटो में । मैं इस पहनावे में तुम्हें देखना चाहता हूँ।

उधर धर्मवीर मन ही मन सोचने लगा कि सोमनाथ को क्या हो गया है इतनी सेक्सी ड्रेस पहनकर दोनों लेटी हैं और यह इन्हें दोबारा कपड़े पहनाने में लगा हुआ है ।

उधर उपासना बोली - पापा जी यदि आप चाहते हैं तो मैं आपको पहन कर कर दिखाती हूं ।
उधर धर्मवीर बोला पूजा से - तुम भी अपनी दीदी के साथ यही ड्रेस पहनो तुम भी सुंदर लगोगी।

यह सुनकर दोनों शर्माती हुई बेड से उतर गई और कमरे से बाहर जाने लगी।

दोस्तों उस पारदर्शी गगरी में उनके चूतड़ों की थिरकन कहर बरपा रही थी सोमनाथ और धर्मवीर पर और दूसरी तरफ पूजा और उपासना अपने कूल्हों को और भी ज्यादा मटका कर चल रही थी ।
अपनी गांड को हिलाते हुए दोनों कमरे से बाहर चली गई।

कमरे में जाकर दोनों ने कपड़े चेंज करने लगी उपासना ने पूजा को एक हरे रंग का पेटिकोट दिया और एक छोटा सा ब्लाउज ।
खुद के लिए उपासना ने एक नीले रंग का पेटिकोट निकाला और लाल रंग का छोटा सा ब्लाउज।
यह पेटिकोट और ब्लाउज दोनों ही उनके साइज के हिसाब से काफी छोटे थे जिस वजह से उनकी गांड पर पेटिकोट बिल्कुल फस गया ।
उनकी भारी-भारी कांड कांड उस पेटीकोट में निकल कर पीछे की तरफ उभर गई ।
ब्लाउज की बात करें तो ब्लाउज भी स्लीवलैस था , ब्लाउज की जगह चोली कहें तो बेहतर होगा क्योंकि कमर पर सिर्फ एक डोरी थी जिसने इस ब्लाउज को संभाला हुआ था और आगे मोटे मोटे दो पपीते जिनको ब्लाउज ने कसकर जकड़ रखा था ।

दोनों ने अपने आप को शीशे में देखा तो शर्मा गयीं पर मस्तानी चाल चलती हुई उन दोनों के कमरे की तरफ बढ़ने लगी ।

कमरे के गेट पर जाकर दोनों ने देखा के अंदर सोमनाथ और धर्मवीर बैठे हुए हैं ।

उपासना ने पूजा को अंदर धक्का दिया, धक्का इतना तेज लगाया गया था की पूजा सीधा बीच रूम में जाकर रुकी ।

पूजा ने शर्म से अपना चेहरा अपने हाथों से ढक लिया ।

धर्मवीर और सोमनाथ ने जब पूजा की तरफ देखा तो अपने होश खो बैठे।
ऐसा लग रहा था जैसे ब्लाउज और पेटीकोट में कोई कसी हुई जवानी आजाद होना चाहती हो।
पूजा की जवानी उसके कपड़ों को फाड़कर बाहर आने को उतावली हो रही थी ।

सोमनाथ ने कहा- उपासना बेटी कहां है ?

पूजा ने कहा- दीदी बाहर गेट पर खड़ी है ।

सोमनाथ ने उपासना को आवाज लगाई - उपासना अंदर आओ ।

उपासना धीरे धीरे अंदर की तरफ आने लगी तो उसकी जवानी तो पूजा से भी ज्यादा गदरायी हुई थी।
दोनों कमरे में खड़ी हो गई।

सोमनाथ ने कहा - देखा समधी जी मेरी बेटियां करोड़ों में एक है ।

धर्मवीर ऐसा सुनकर खड़ा हुआ और दोनों को निहारने लगा फिर धर्मवीर और सोमनाथ पीछे की तरफ घूम कर आए तो उनकी आंखें चौड़ी हो गई।
क्योंकि उपासना और पूजा के कूल्हे ऐसे लग रहे थे जैसे पीछे दो मोटे मोटे तबले हो और उनके नितंब उस पेटीकोट में कसे हुए थे जिससे कि उनकी गांड और भी बाहर को उभरकर दिख रही थी ।

धर्मवीर बोला- मानना तो पड़ेगा सोमनाथ जी कि आप की बेटियां करोड़ों में एक है।

यह सुनकर पूजा बोली- रहने दीजिए क्यों झूठी तारीफ करने में लगे हो तुम दोनों ।

तभी धर्मवीर के दिमाग में एक शैतानी आईडिया आया और उसके चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान फैल गयी।

उसने सोमनाथ से कहा - चलो सोमनाथ जी नींद आ रही है , चलो सोने चलते हैं ।
ऐसा उसने सोमनाथ को आंख मारते हुए कहा था।
सोमनाथ उसका इशारा समझ गया और धर्मवीर के साथ ऊपर चला गया ।

पूजा और उपासना एक दूसरे का चेहरा ताकती हुई हैरानी से एक दूसरे को देखने लगीं ।

पूजा ने कहा - ऐसा कैसे हो सकता है दीदी। तुमने तो कहा था कि ये दोनों हमें बिना चोदे नहीं छोड़ेंगे आज , लेकिन यहां तो उल्टा ही हो रहा है ।

उपासना बोली- जहां तक मैं जानती हूं हम जैसी घोड़ियों को देखकर बिना चोदे तो यह मर्द रह नहीं पाएंगे । इसमें जरूर कोई राज की बात है चलो चल कर देखते हैं ।

दोनों धर्मवीर और सोमनाथ के रूम की तरफ जाने लगीं।
जैसे ही वह रूम के पास पहंची उन्हें धर्मवीर और सोमनाथ की आवाज सुनाई देने लगी ।

सोमनाथ धर्मवीर से कह रहा था - समधी जी आपने यह है क्या किया?

धर्मवीर बोला - सोमनाथ मैंने नोट किया था कि पूजा और उपासना हम दोनों के सामने शर्मा रही थी । इसका सीधा सा मतलब है कि हमें अलग-अलग कमरे चुनने होंगे, अगर हम अलग अलग होकर उनकी चूतों को फाड़ेंगे तो वह चोदने में पूरा मजा देंगी और खुलकर चुदवायेगी। इसलिए मैंने ऐसा किया । अब तुम मेरा प्लान सुनो।
तुम नीचे उपासना और पूजा के पास जाना और जाकर कहना की समधी जी का टीवी चल नहीं रहा है और मुझे टीवी देखना है इसलिए मैं तो नीचे आ गया और समधी जी दूध मंगा रहे थे पीने के लिए, जब तुम जाकर ऐसा बोलोगे तो उपासना जरूर पूजा को भेजेगी दूध लेकर और अपना काम बन जाएगा । तुम पूरी रात उपासना को रगड़ना और मैं यहां पूजा की चूत को खोलकर उसे भोसड़ा बना दूंगा ।

यह सुनकर सोमनाथ बोला- तुम्हारे दिमाग की भी दाद देनी पड़ेगी समधी जी।

इतना सुनकर उपासना और पूजा की धड़कन तेज हो गई वह आने वाले वक्त के बारे में सोचने लगीं और उत्तेजित होने लगी ।

जल्दी से वह दोनों अपने कमरे में आकर बैठ गई और सोमनाथ का इंतजार करने लगी ।

सोमनाथ को पता नहीं था कि वह दोनों उनका प्लान सुन चुकी है ।

सोमनाथ 10 मिनट बाद पूजा और उपासना के कमरे में गया तो यह देख कर उपासना और पूजा एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा पड़ी। लेकिन यह सब सोमनाथ की समझ में कुछ नहीं आया।

सोमनाथ में अपने प्लान के मुताबिक कहा- कि समधी जी का टीवी तो चल नहीं रहा है और मेरा मन आज टीवी देखने का था।

उपासना बोली - हां हां पापा जी क्यों नहीं आप हमारे पास टीवी देख लीजिए।

सोमनाथ सोफे पर बैठ गया तभी सोमनाथ ने कहा - उपासना धर्मवीर जी दूध मंगा रहे हैं उनको दूध देकर आओ।

उपासना किचन की तरफ जाने लगी लेकिन तभी पूजा ने उसे रोका- दीदी आप पापा जी से बात कीजिए उनको दूध मैं देकर आती हूँ ।

उपासना मुस्कुरा पड़ी और बदले में पूजा ने भी मुस्कान के साथ उसका साथ दिया ।

उधर सोमनाथ की हालत खराब हो चुकी थी क्योंकि जब उपासना और पूजा चहलकदमी कर रही थी तो पेटीकोट में फंसी उनकी गांड इस तरह हिल रही थी जिसे देखकर सोमनाथ का कलेजा मुंह को आ गया ।

उधर पूजा दूध लेकर धर्मवीर के कमरे की तरफ चली गई ।

उपासना आकर सोमनाथ से पूछने लगी - पापा जी आपके लिए भी दूध कर दूं क्या ।

सोमनाथ बोला- नहीं बेटी अभी नहीं , अभी तो मुझे टीवी देखना है अपनी बेटी से ढेर सारी बातें करनी है फिर दूध पीना है ।

यह सुनकर उपासना बड़ी ही एक्टिंग के साथ बोली - ओके डैडी एस यू विश विश ।

उपासना ने पूछा - पापा जी यदि आप कहें तो आपका बिस्तर भी यहीं पर लगा दूं , आप भी यही सो जाना।

सोमनाथ बोला बेटी एक ही बेड है रूम में तो।

उपासना बोली- तो क्या हुआ पापा जी आप इसी पर सो जाना मैं दूसरी साइड सो जाऊंगी ।

तब सोमनाथ धीरे से बोला - यह बेड तो तुम्हारा ही वजन मुश्किल से संभाल पाता होगा ।
(यह वाक्य धीरे से बोला गया था लेकिन इतना भी धीरे नहीं था की उपासना सुन ना सके, उपासना ने सुन लिया और एक साथ हैरानी से आंखे फैलाकर बोली ।

उपासना- पापा जी आपको मैं इतनी भारी लगती हूं क्या?
अंदर तो आप बड़ी तारीफ कर रहे थे कि मेरी बेटियां करोड़ों में एक है ।
यहां पर आप मेरी बुराई कर रहे हैं ।

सोमनाथ बोला - नहीं बेटी बुराई कहां की मैंने , यदि तुमने सुन ही लिया है तो मैं तो यही कह रहा था कि यह बेड तो तुम्हारे वजह से ही टूटने को हो जाता होगा।

उपासना - आपको मैं इतनी मोटी लगती हूं क्या ?

सोमनाथ बोला - नहीं बेटी मैंने कब कहा तुम मोटी हो लेकिन तुम भारी हो ।

उपासना ने बात को आगे बढ़ाते हुए सोमनाथ से कहा- फिर तो पापा जी आप भी टूट जाने चाहिए थे लेकिन आपने तो मुझे शाम गोद में उठा लिया था । आप क्यों नहीं टूटे?

सोमनाथ के पास अब इस बात का कोई जवाब नहीं था इसलिए उसके मुंह से उत्तेजना में निकल गया - तुम जैसी को सिर्फ हम ही संभाल सकते हैं ।

यह सुनकर उपासना की नजरें शर्म से जमीन में गढ़ गयीं लेकिन फिर भी अपने आप को संभालते हुए बोली - तुम जैसी का क्या मतलब है पापा जी, और इसका क्या मतलब है की हम ही संभाल सकते हैं केवल । क्यों और कोई नहीं संभाल सकता क्या ?

सोमनाथ यह सुनकर सपकपा गया क्योंकि दो बार उपासना उसकी टांगों के नीचे आकर निकल चुकी थी अबबयह मौका जाने नहीं देना चाहता था वह कदम फूंक-फूंक कर रखना चाहता था ।
लेकिन सोमनाथ यह भी जानता था की उपासना के अंदर जो आग भरी हुई है अगर उसे एक बार भड़का दिया जाए तो उसका लंड उसकी चूत में गोते लगाने से कोई नहीं रोक सकता ।
और उसे यही काम करना था उसे उसके अंदर भरी हुई आग को भड़काना था ,

सोमनाथ- उपासना मेरे कहने का मतलब था कि तुम्हें संभालने के लिए किसी हल्के मोटे इंसान की बस की बात नहीं है तुम ।
जैसी का मतलब है कि बेटी तुम भारी-भरकम हो और तुम्हें संभालने के लिए किसी भारी भरकम आदमी की ही जरूरत पड़ेगी अगर मैं आदमी ना कहकर सांड कहूं तो ज्यादा अच्छा होगा ।

यह सुनकर उपासना और ज्यादा शर्माकर बोली - पापा जी इतनी भी भारी नहीं हूं मैं ।

सोमनाथ बोला - मैं कैसे मानूं , देखने में तो तुम कितनी ____ ।
ऐसा कहकर सोमनाथ चुप हो गया ।

उपासना बोली - कितनी ______ आगे बोलिए ।

सोमनाथ - रहने दो बेटी मुझे शर्म आती है।

उपासना - पापा जी बेटी से क्या शर्माना बोलिए ना कितनी_______ ।

सोमनाथ - मेरे कहने का मतलब था सभी औरतों से तुम कितनी ज्यादा चौड़ी हो ।

यह सुनकर उपासना होंठ अपने दांतो से काटते हुए बोली - कहां से चौड़ी हो पापा जी मैं।

सोमनाथ बोला - बेटी कमर को छोड़कर सब जगह से चौड़ी गई हो ।

यह सुनकर उपासना शर्मा गयी लेकिन अनजान बनते हुए सोमनाथ से खुलते हुए बोली - मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा पापा जी। बताइए ना कहां से चौड़ी हो गई है आपकी बेटी ।
उपासना ने यह कहते हुए आपकी बेटी पर ज्यादा जोर लगाया था।

जब सोमनाथ नहीं देखा की उपासना खुलने लगी है तो उसने कहा - बेटी तुम्हारी जांघे हैं पहले से काफी मोटी हो गई है ।

उपासना बोली- और पापा जी ।

सोमनाथ बोला- और तुम्हारी छातियां भी भारी हो गई हैं।

यह सुनकर उपासना शर्माते हुए अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमाते हुए बोली- और कहां से चौड़ी हो गई हूँ मैं पापा जी।

सोमनाथ उपासना को तरसाने की सोच रहा था इसलिए उसने कहा - और कहीं से नहीं बेटी।

उपासना यह सुनकर सोमनाथ की तरफ पीठ करके खड़े हो गई उसकी कसी हुई गांड सोमनाथ के सामने थी फिर उपासना ने पूछा - और पापा जी कहां से चौड़ी हो गयी हूं।

लेकिन सोमनाथ में फिर भी वही कहा- और कहीं से नहीं बेटी।

इस पर उपासना को अपनी आशाओं पर पानी पीता हुआ दिखाई देने लगा तो उसने अपनी गांड को पीछे की तरफ निकालते हुए बहुत ही कामुक आवाज में पूछा- ध्यान से देखिए ना पापा जी आपकी बेटी और कहीं से भी जरूर चौड़ी हो गयी होगी ।

सोमनाथ को अब लगने लगा था कि उसकी उपासना बेटी की आग भड़कने लगी है ,वह खुलने लगी है और धीरे-धीरे बेशर्म भी पड़ने लगी है ।

और उसने उसे इस बात का फायदा उठाते हुए कहां - हां बेटी तुम्हारे नितंब दिख रहे हैं इन्होंने तो चौड़ाई की हद ही पार कर दी हैं देखो तो बिल्कुल फैल गए हैं ।

उपासना ने जब यह सुना तो उसके जेहन में एक तेज लहर दौड़ गयी , उसका सीना जोरो से धड़कने लगा । वह समझ गई थी अब रेल पटरी पर है।

अपना अगला वार करते हुए बोली - पापा जी कूल्हे तो सभी औरतों के चौड़े ही होते हैं ।

सोमनाथ बोला- हां बेटी औरत के नितंब उम्र के हिसाब से चौड़े होते हैं लेकिन तुम्हारे कूल्हे है तुम्हारी उम्र के हिसाब से बहुत ज्यादा मोटे और चौड़े हैं। और सबसे खास बात कि तुम्हारे कूल्हे बिल्कुल कसे हुए हुए हैं ।

उपासना शरमाते हुए बोली हुए - पापा जी आपको शर्म नहीं आती अपनी बेटी के नितंबों को घूरते हुए ।

यह सुनकर सोमनाथ सपकपा गया और बोला- नहीं बेटे मैं तो तुम्हारी तारीफ कर रहा था ।

उपासना बोलो चलिए पापा जी मुझे नींद आ रही है यदि आपको टीवी देखना है टीवी देख लीजिए और मैं सो रही हूं ।

उपासना ने टीवी चला दिया।

सोमनाथ समझ गया की उपासना शर्मआ रही है अभी। अभी उसे बेशर्म बनाना पड़ेगा इसलिए वह सोने का नाटक करने जा रही है।

उपासना टीवी की तरफ पीठ करके करवट लेकर लेटी थी और सोमनाथ सोफे पर बैठ कर ही टीवी देख रहा था ।

आधा घंटा हो चुका था सोमनाथ को टीवी देखते देखते हैं लेकिन उसका ध्यान टीवी पर कम उपासना की गांड पर ज्यादा था ।
मन ही मन कह रहा था आज इस गांड को गोदाम ना बना दिया तो मेरा नाम भी सोमनाथ नहीं, इस कमरे में तुम्हारी चीखें नहीं गूंजी तुम मेरा नाम सोमनाथ ।

उधर उपासना बेसब्री से इंतजार कर रही थी कि अब कुछ होगा अब कुछ कुछ होगा ।
तभी उसके कान के बिल्कुल पास तेज चुटकी बजी उसका दिल एकदम से धक्क कर गया , दरअसल यह तेज चुटकी सोमनाथ ने चेक करने के लिए बजाई थी की उपासना जाग तो नहीं ।

उपासना सोने का नाटक करते हुए जरा भी नहीं मिली और चुपचाप ऐसे ही लेटे रही फिर सोमनाथ ने टीवी को बंद किया, गेट को लॉक किया और कमरे की लाइट ऑन करदी ।

उपासना की धड़कन तेज हो गई फिर सोमनाथ घूम कर बेड की तरफ आकर खड़ा हो गया ।
अब उपासना के चेहरे के बिल्कुल सामने खड़ा था सोमनाथ ।
उपासना को समझ नहीं आया कि वह क्यों खड़े हैं लेकिन तभी सोमनाथ ने अपनी शर्ट के बटन खोलने स्टार्ट कर दिए ।
अपनी शर्ट और बनियान को उतार कर उसने सोफे पर फेंक दिया ।

अब तो उपासना का दिल किसी इंजन की तरह धुक्क धुक्क करके धड़क रहा था। फिर सोमनाथ ने अपनी पेंट का हुक खोला और पेंट को उतार कर कर फेंक दिया।
अब सोमनाथ उसके सामने केवल एक अंडरवियर में खड़ा था अपनी आंखों को बहुत ही हल्का सा खोलकर उपासना यह नजारा देख रही थी तभी सोमनाथ ने अपना अंडर वियर भी उतार दिया ।
सामने का नजारा देखकर उपासना की आंखें फैलने लगी लेकिन उसने अपनी आंखें बिल्कुल मीच ली जिससे सोमनाथ को लगे उपासना सो रही है।

उपासना ने फिर अपनी हल्की सी आंखें खोली देखा सामने तो उसके पापा अपने हाथ से लंड को सहला रहे थे ।
वह सोया हुआ लंड भी कम से कम 7 इंच का था। काले नाग की तरह लटका हुआ वह लौड़ा उपासना को उत्तेजित कर रहा था।

फिर सोमनाथ ने घूमकर बेड की दूसरी तरफ चले गए अब उपासना को सोमनाथ दिखाई नहीं दे रहा था।
लेकिन तभी उसे एहसास एहसास हुआ जैसे उसके बेड पर कोई लेट रहा हो क्योंकि दोस्तों सोमनाथ बेड पर लेट चुका था ।

5 मिनट हो चुके थे दोनों तरफ से कोई हलचल नहीं हुई तभी उपासना के कान के पास फिर एक तेज चुटकी बजी उपासना फिर चुपचाप लेटी रही और गहरी नींद का नाटक करती रही।

फिर उपासना को को पीछे से कोई साया अपने शरीर से लगता हुआ महसूस हुआ । उपासना के तन बदन में एक झुर्झुरी सी महसूस हुई जब उसने यह सोचा कि उसका पापा नंगे होकर उससे सट रहे रहे हैं तभी उसे सोमनाथ का हाथ आगे अपने पेट पर महसूस हुआ ।उसकी सांसे भी तेज चलने लगी लेकिन वह अपनी सांसो पर नियंत्रण पाने की कोशिश कर रही थी वो यह नहीं जताना चाहती थी कि वह जाग रही है।
वह तो सोने का नाटक कर रही थी सोमनाथ ने उसके पेट पर कहलाते हुए उसकी नाभि में उंगली डालकर घुमाना चालू कर दिया ।
उपासना का पिछवाड़ा अब सोमनाथ से बिल्कुल सटा हुआ था
तभी सोमनाथ ने अपना हाथ धीरे से उपासना के मोटे मोटे चुचों पर रख दिया।
सोमनाथ ने इतने कसे हुए और गोल गोल चूचे पहली बार देखे थे।
सोमनाथ आराम आराम से उपासना की चुचियों को सहलाने लगा।
फिर धीरे से अपना हाथ नीचे की तरफ ले गया और उपासना के कूल्हे पर पर अपना हाथ रख दीया । अपना हाथ पूरा फैला कर कर इस तरह से उपासना के नितंबों को सहलाया जैसे उनका नाप ले रहा हो अब उपासना भी भी गरम हो गई थी और उसकी चूत पानी पानी होकर एक चिकना द्रव्य रिसाने लगी थी।
उपासना के पीछे से हट गया अब सोमनाथ ।
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