Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
05-01-2021, 11:44 AM,
#32
RE: Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
रिकॉर्डिंग खत्म हो चुकी थी और राकेश की आंखें वासना में जलने लगी।
लेकिन उसे आत्मग्लानि और अपने ऊपर जलालत महसूस होने लगी कि मैं कैसा भाई हूं अपनी ही बहन की चूत और गांड के सपने देख रहा हूं ।
मेरे जैसे भाई को मर जाना चाहिए । मैं भाई होने के नाम पर कलंक हुं।
अगर हर घर में ऐसा भाई हो तो बहनों की इज्जत एक रंडी से ज्यादा नहीं रह जाएगी । मुझे ऐसा नहीं होना चाहिए। मुझे पूरी दुनिया में कम से कम अपनी बहन को तो बहन समझ लेना चाहिए ।
मैं इतना भी बुरा कैसे हो सकता हूं कि पूरी दुनिया भर में सिर्फ अपनी बहन को एक अच्छी नजर से ना देख सकूं । मैं इतना भी बुरा कैसे हो सकता हूं।
कम से कम इंसानियत नाम की कोई तो चीज होगी मेरे अंदर और यह सब विचार राकेश के दिमाग में कौंधने लगे । राकेश को बेहद गुस्से का अनुभव हो रहा था क्योंकि वह नहीं चाहता था कि जिस धर्मवीर सिंह ने उन दोनों भाई बहन को इतने प्यार से पाला है, अच्छी शिक्षा दी है, अच्छे संस्कार दिए हैं और इतनी मेहनत करने के बाद अपने बच्चों को एक सज्जन इंसान बनाया है ।
लेकिन मेरी बहन तो इस कलयुग की एक हिस्सा बन चुकी है वह तो अपने भाई के लिए इतने गंदे विचारों को अपनी सहेली से साझा कर रही है ।
इसका मतलब मुझसे हजारों गुना ज्यादा मेरी बहन गलत है और मेरी बहन को मुझे सही रास्ते पर लाना चाहिए। लेकिन मेरी बहन ने इतनी बड़ी गलती की है तो उसे उसकी सजा भी मिलनी चाहिए ।

राकेश अपने हाथ में शालिनी का मोबाइल लेकर बैठे हुए यह सब सोच ही रहा था कि तभी उसे मोबाइल में शालिनी का चेहरा दिखाई दिया ।

राकेश के आश्चर्य की सीमा न रही उसे समझते देर न लगी कि शालिनि बिल्कुल उसके पीछे खड़ी है और शालिनी ने उसे रिकॉर्डिंग सुनते हुए देख लिया है ।

हां दोस्तों बिल्कुल ऐसा ही हुआ था जब राकेश रिकॉर्डिंग सुन रहा था तो तब तक शालिनि कपड़े पहन कर आ चुकी थी ।
शालिनी ने कपड़े पहन तो लिए थे लेकिन उसे काफी मशक्कत करनी पड़ी थी उन्हें पहनने के लिए । क्योंकि उसके भाई ने उपहार जो दिया था शालिनी को । शालिनि समझ गई कि भाई को मेरा साइज पता नहीं है इसलिए छोटे कपड़े ले आया लेकिन भाई को कैसे बताऊं इन कपड़ों में मेरी गांड और मेरे चूचे नहीं आएंगे । लेकिन अब क्या करूं पहनने तो पड़ेंगे ही और शालिनी उन्हीं कपड़ो को पहनकर आ चुकी थी ।

टॉप में से उसकी चूची इतने फंसे हुए दिख रहे थे कि उसके चुचों की निप्पल टॉप में से साफ पता की जा सकती थी। और जींस तो उसकी गांड पर और उसकी जांघों पर ऐसी चिपक चिपक गई थी जैसे अभी कुछ समय पहले लैगिंग चिपकी हुई थी। और इस बेहद टाइट जींस को शालिनी के नितंब फाड़ने को बेताब थे।

शालिनी ने आकर जब अपने भाई को कुछ सुनते हुए देखा उसके मोबाइल में तो वह चुपचाप पीछे से उसके पास आ गई। और जब उसने सुना कि उसकी सहेली से जो अभी उसकी बात हुई थी वह रिकॉर्डिंग चल रही है और भाई सुन रहा है तो उसके पैरों के नीचे से मानों जमीन ही निकल गई ।

शालिनी को समझ नहीं आया कि वह क्या करें क्या ना करें ।
शालिनी को इतनी शर्म लग रही थी कि उसे लग रहा था की जमीन फट जाए जाए और मैं उस में समा जाऊं लेकिन तभी उसका चेहरा राकेश को मोबाइल की स्क्रीन पर दिखता है, जिस वजह से राकेश ने झटके से अपना सर पीछे पलट कर देखा ।

जब उसने देखा कि उसकी बहन कपड़े पहन कर आ चुकी है और मैंने इतना बड़ा साइज लिया था कपड़ों का लेकिन वह कपड़े भी इसके बदन पर चिपके हुए हैं। फूल तो गई है मेरी बहन वह सोचने लगा ।

शालिनी की हालत आप समझ सकते हैं दोस्तों बिल्कुल भीगी बिल्ली की तरह अपने आपको जींस टॉप में फंसाये हुए खड़ी हुई थी ।
शालिनी के पास बोलने के लिए कुछ नहीं था क्योंकि उसकी बेशर्मी राकेश सुन चुका था , राकेश सुन चुका था कि मेरी बहन लंडों के लिए कितनी पागल है ।

राकेश ने शालिनि के पास आकर उसके बालों को अपने हाथ से पकड़ कर खींचा जिस वजह से शालिनी का चेहरा ऊपर की तरफ उठ गया और उसका मुंह थोड़ा सा खुल गया ।

राकेश गुस्से में बोला- यह गुल खिलाती है मेरी बहन । अगर मेरी बहन को लंड की इतनी इतनी ही जरूरत थी तो घर में बताया क्यों नहीं। अब तक तेरी शादी करवा देते । लेकिन तू इतनी गिरी हुई निकली जितनी मैं सोच भी नहीं सकता ।

शालिनी पर इन बातों से पहाड़ से टूट चुका था उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था क्या बोले या ना बोले । ऊपर से राकेश की इतनी खुल्लम खुल्ला भाषा से शालिनी पानी पानी हो गई।

राकेश फिर बोला मैं तुझे छोटी बहन समझकर अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करता रहा और तूने क्या किया तूने लोड़े खाए ।
अपनी चूत को अपनी शादी से पहले ही फड़वा लिया और ऊपर से अब तो इतनी गिर गई कि तुझे अपने भाई में भी लंड नजर आने लगा ।
गलती तेरी नहीं है शालिनी गलती तो इस गांड की है।

ऐसा कह कर राकेश ने पूरी जान से शालिनी की गांड पर थप्पड़ मारा जिससे जींस में फंसे हुए चूतड़ भी हिल गए ।

राकेश बोला- हां गलती इस गांड की है जो तूने इतनी चौड़ी कर ली है कि इसे अपने ऊपर हर वक्त एक मर्द चाहिए । जो तेरी गांड पर चढ़कर तेरी मस्ती झाड़ सके । तेरे चूतड़ों में अपना लंड फसा कर तुझे ठंडी कर सके ।

शालिनी यह सब सुनकर गरम भी हो गई थी और शर्मिंदा भी लेकिन हद तब हो गई जब राकेश ने शालिनी के बालों को और नीचे की तरफ खींचते हुए उसे खड़े-खड़े झुका दिया ।

राकेश उसके आगे खड़ा होकर अपनी बेल्ट खोलने लगा ।

शालिनी को समझते देर न लगी कि अब क्या होने वाला है इसलिए शालिनी अपना सर उठाने लगी लेकिन राकेश ने अपना हाथ उसके सर पर रख कर कर उसे झुकी हुई रहने पर मजबूर कर दिया ।

राकेश - तुझे लंड देखना था ना अपने भाई का ना देखना था ना अपने भाई का ना अपने भाई का । अब दिखा तू मुझे अपनी चूत की भूख। तू अपने भाई के लंड को निचोड़ने की बात कर रही थी ना, तो ले अब निचोड़ । तेरे जैसी गरम कुतियाओं को ही ठंडा किया है मैंने । तेरे जैसी रंडियों की गर्मी उतारी है मैंने। मुझे तो पता ही नहीं था की एक हराम रंडी मेरे घर में भी पल रही है।
मैं तो तुझे बच्ची समझता था लेकिन तू तो दो बच्चों की मां को भी मात देने वाली लंडखोर औरत निकली ।
समझ नहीं आता तुझे लड़की कहूं या औरत क्योंकि लड़की कुंवारी होती है और लड़की तो तू रही नहीं और औरत शादीशुदा होती है तो शादी भी तूने नहीं की । अब समझ नहीं आ रहा तुझे नाम क्या दूं तुझे नाम क्या दूं ।
तेरी जवानी को आज मैंने ढीला ना कर दिया कर दिया दिया ना कर दिया कर दिया दिया तो मैं तेरा भाई नहीं ।
तेरी जांघो के बीच की गर्मी अपने लोड़े से ना निकाली तो मैं तेरा भाई नहीं।
जो राखी तूने अपने तूने अपने भाई को बांधी है उसकी कसम तेरी हालत आज ऐसी कर दूंगा की इतने सेक्सी कपड़े पहन कर कर अपनी गांड मटकाती हुई तू कभी मेरे पास नहीं आएगी । मेरे लोड़े से तू दूर भागेगी वह दर्द आज मैं तुझे दूंगा दूंगा।

राकेश ने अपने लंड लंड बाहर निकाला और सीधा शालिनी के मुंह की तरफ कर दिया ।

शालिनी मैं अपने होंठ नहीं खोलें ।
राकेश अपने लंड का दबाव शालिनी के होठों पर बनाए हुए था लेकिन शालिनी अपने होठों को बिल्कुल भी नहीं खोल रही थी ।

ऐसा लग रहा था जैसे राकेश के लंड के सुपाड़े और शालिनी के रचे हुए जूसी होठों के बीच कोई युद्ध चल रहा हो ।

राकेश समझ गया था कि शालिनी बेशक चुदक्कड़ रांड हो लेकिन यहां पर सती सावित्री ही बनेगी । क्योंकि घर मे लड़कियां जितनी सती सावित्री और संस्कारी बनकर दिखाती है अंदर से उनमें लंड की उतनी ही ज्यादा भूख होती है , उतनी ही ज्यादा चुदासी और चुदक्कड़ होती हैं । ये बात मेरे घर मे ही नही बल्कि हर किसी के घर मे यही होता है जिन्हें हम सीधी साधी संस्कारी लड़की समझते है उनके अंदर एक बेशर्म रंडी छुपी होती है जिन्हें बस एक मौका चाहिए अपनी चूतों में लंड लेने का । यही कुछ सोचते हुए राकेश के मन मे विचार आया । यह अपने होंठ नहीं खोलेगी और मेरा लंड अंदर नहीं जाएगा ।

यह सोचते हुए राकेश ने एक हाथ से अपने लंड को शालिनी के होठों पर रगड़ते हुए दूसरे हाथ को झुकी हुई शालिनी के कूल्हों पर मारा।

राकेश के हाथ की धाप इतनी तेज थी कि शालिनी अपनी गांड पर पड़े हुए थप्पड़ की वजह से आगे की तरफ गिरने को हुई जिससे लंड पर उसके होंठो का दबाव बढ़ गया । जैसे ही गांड पर थप्पड़ पड़ा शालिनि का मुंह खुला aaaahhhh और राकेश का लोड़ा उसके मुंह में चला गया ।

लंड मुंह में जाते ही राकेश ने शालिनी का सर पकड़ा और अपने चूतड़ों में पूरी जान इकट्ठी करके एक जोरदार झटका मारा ।
राकेश ने देखा कि शालिनि के लिपस्टिक लगे हुए होंठ उसके लोड़े के बिल्कुल जड़ में उसके लंड पर किसी रबड़ की तरह चढ़े हुए हैं ।

कुछ सेकंड तक ऐसे ही दबाए रखने के बाद राकेश ने आधा लौड़ा बाहर किया और फिर जोरदार झटका मारा । इतनी जोरदार मुंह चुदाई से शालिनि का मुँह सन गया था । शालिनी का ही थूक उसके होठों के चारों तरफ फैल गया ।

राकेश किसी पिस्टन की भांति अपना लोड़ा स्पीड से उसके मुंह में अंदर बाहर करते हुए शालिनी की गांड को हाथो से पीटने लगा ।

शालिनी को भी अजीब एहसास हो रहा था अपनी गांड पर थप्पड़ खाते हुए लोड़े को मुंह में लेने का ।

राकेश ने लंड को बाहर निकाला और उसके गालों पर मारने लगा ।
शालिनी के थूक में सना हुआ लंड जब शालिनी के गालों पर पड़ता तो थूक के दाग उसके गालों पर रह जाते । धीरे धीरे पूरा मुह शालिनी का अपने ही थूक से सन गया। शालिनी की आंखों का काजल उसके गालों पर लगकर गालों को काला कर रहा था ।
दूसरी तरफ शालिनी के मुंह से उसके थूक की लार नीचे टपक रही थी जो उसके टॉप में फंसे चुचों पर गिर रही थी ।

अपनी बहन का मुंह किसी रंडी की तरह चोदने लगा था राकेश।
मुंह में लंड डालकर राकेश शालिनी के गालों पर थप्पड़ भी लगा रहा था और लौड़ा भी अंदर बाहर कर रहा था ।
मस्त मुँह चुदाई चल रही थी लेकिन तभी गेट पर बैल बजी ।

दोनों फुर्ती से अलग हुए ।
राकेश हिदायत देते हुए अलग हुआ कि या तो सुधर जाना अगर दोबारा मुझे लगा कि तुम नहीं सुधरी हो तो तुम्हारी वह हालत करूंगा कि तुम्हें अपने आप पर शर्म आएगी और राकेश ने खड़ी हुई शालिनी की गांड पर लात मारी और उसे उसके कमरे में जाने को कहा ।

शालिनी अपनी गांड पर राकेश की लात खाकर अपने कमरे में आ गई ।

जब राकेश ने गेट खोला तो सामने धर्मवीर था जो से रक्षाबंधन की बधाई दे रहा था ।

राकेश ने अपने चेहरे पर खुशी के भाव लाते हुए अपने पापा से गपशप करनी शुरू की । लगा जैसे कुछ हुआ ही ना हो ।

शालिनी अपने कमरे में आकर सोचने लगी यह क्या हो गया?? क्या भाई अब आगे कुछ करेगा या नहीं । भाई ने मुझे वार्निंग दी है। आज के बाद मुझे सुधारना होगा ।
यह सब सोचते हुए शालिनी अपनी लाइफ जीने लगी लेकिन उसके बाद कभी भी राकेश ने उसे गंदी नजर से नहीं देखा और ना ही शालिनि से कभी कुछ कहा। आज 1 साल हो गया है और मैंने अपने ही भाई को मार दिया।

मुझे अपने भाई को मारना नहीं चाहिए था लेकिन मेरे भाई का मरना जरूरी था वरना मैं अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाती ।
भाई मरना तो तुम्हें था मेरे लिए ना सही उपासना के लिए , अगर उपासना आपकी बीवी ना होती तो आपकी जान नहीं जाती मेरे प्यारे भाई । लेकिन उपासना भाभी के लिए आपको मारना जरूरी था।
इसलिए मैंने आपको मार दिया मुझे माफ करना आपकी प्यारी बहन हूँ मैं और हमेशा रहूंगी ।

ऐसा सोचते हुए शालिनी अपनी यादों से बाहर आ गई _______________

**********
दोस्तों आज की सारी अपडेट शालिनि की यादों में ही निकल गयी ।
कहानी जारी रहेगी ।
अपने सुझाव जरूर दीजिएगा साथ मे ये भी बताना की इस कहानी को पढ़ने वाले लोग कहाँ कहाँ से हैं ।
साथ बने रहने के लिए आपका दिल से धन्यवाद ।
आपका प्यारा भाई- रचित
***********
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RE: Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां - by desiaks - 05-01-2021, 11:44 AM

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