Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
05-01-2021, 11:45 AM,
#34
RE: Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
तभी धर्मवीर की आवाज उसके कानों में गूंजी जो पहले की तरह धीरे नहीं थी। इस आवाज में तो गुर्राहट और जंगलीपना था।

धर्मवीर - पता चला या अब बोलकर बताऊं कि तुम मेरे पास चुदने आई थी।

धरमवीर की बेशर्मी से हिल गई थी पूजा ।

पूजा ने हिम्मत करते हुए कहा- यह क्या बदतमीजी है ।आपको शर्म नहीं आती ।

धर्मवीर हंसते हुए- हाहाहा शर्म- शर्म की उम्मीद वह भी मुझसे ।
वैसे तुझे तो बहुत शर्म आती है अपनी गांड को फैलाकर झुक गई थी मेरे सामने। आधे घंटे से अपने चूतड़ों को मटका मटका कर मेरे आगे चल रही थी । तुझे तो बहुत शर्म आती है । मुझे तो हैरानी है कि लंड की भूकी लड़की को भी शर्म आती है ।

अब पूजा के पास इसका कोई जवाब नहीं था धर्मवीर ने उसकी गर्दन पकड़ी पकड़ी और उसका चेहरा अपनी तरफ किया पूजा की आंखों में आंखें डाल कर बोला 2 मिनट में नीचे आ जाना जाना तेरी चुदाई करनी है । सुन लिया ना चोदना है तुझे घोड़ी । यही करनी तो आई थी आई थी चुदाई ।
मैं तेरे बाप सोमनाथ की तरह नहीं हूं जो साला कभी लात खाता है, तो कभी धक्का खाता है । तुम दोनों बेटियों ने अभी धर्मवीर को सही से नहीं पहचाना है । अपना यह सावित्रीपना जाकर किसी और मादरचोद को दिखाना समझी। मैं बस तेरे जैसी चूतों में लंड उतारना जानता जानता हूं अब तुझे तय करना है की जबरदस्ती तेरे जैसी घोड़ी के ऊपर मैं चढूं या अपनी मर्जी से मेरे लंड के आगे अपनी चूत खोलेगी । तेरे जैसी लौंडिया मैंने बहुत नचाई है अपने लोड़े पर। तेरे जैसी घोड़ियों की नाक में नकेल डाली है मैंने । तेरी जैसी गदरआई हुई कुतिया के गले में पट्टा डालना सीखा है मैंने और तू धर्मवीर के सामने नखरे कर रही है ।
सीधी बात है प्यार से चुदना है तो प्यार से चोदूंगा वरना हलक में लौड़ा उतार के के तेरी गांड को गोदाम बना दूंगा। तू मुझे पागल समझती है जब पहले दिन तू अपनी गांड को मटका मटका कर सीढ़ियों पर पर चल रही थी मैं तभी समझ गया था कि तेरे जैसी घोड़ी जल्दबाजी में ठंडी नहीं होती । तुझे तो पूरी रात तेरे ऊपर चढ़कर चोदना पड़ेगा, तेरी चूत पर अपने लंड से हल चलाना । तब जाकर ठंडी होगी तू ।

अब समझ गई ना रंडी अगर प्यार से चुदना है तो चुपचाप नीचे आ जाना जाना जाना जाना। अगर 2 मिनट में नीचे नहीं आई नीचे नहीं आई तो तुझे अपने लोड़े पर बैठा कर कर तेरी गांड पर लात बजाता हुआ नीचे जाऊंगा। फैसला तेरे हाथ में ।
ऐसा कहकर धर्मवीर ने पूजा के मुंह पर थूक दिया तू कितना ज्यादा था कि उसके गाल से टपकता हुआ उसके होठों तक आ गया ।

ऐसा कहकर धर्मवीर पूजा की गांड पर एक और थप्पड़ लगाकर नीचे की तरफ चला गया ।

पूजा कुछ पलों के लिए खड़ी खड़ी सन्न रह गई ।
समझ नहीं आया कि धर्मवीर किस मिट्टी का बना है। किस तरह सोचता है धर्मवीर ।अपने चेहरे को साफ करती हुई और यही सब सोचो में गुम पूजा के पैर छत से नीचे की तरफ बढ़ गए।

नीचे आकर उसने धर्मवीर के कमरे में देखा तो कोई नहीं था लेकिन कमरे से बराबर में जो कमरा था उसका दरवाजा खुला हुआ था ।

पूजा ने देखा कि दरवाजा बिल्कुल खुला हुआ है उसने अंदर झांक कर देखा तो धर्मवीर बस चड्डी पहने हुए था और चटाई बिछाकर कमरे में बैठा हुआ था। और दरवाजे की तरफ धर्मवीर ने पीठ की हुई थी जिस वजह से उसका चेहरा उसे नहीं दिख रहा था लेकिन उससे हैरानी तब हुई जब उसके कानों में धर्मवीर की आवाज पड़ी ।

धर्मवीर- खड़ी खड़ी क्या देख रही है इसी कमरे में है तेरी चुदाई का प्रोग्राम। इसी कमरे में चुदेगी तू आज । मेरे लोड़े पर तेरी चूत का पानी लगेगा ।

पूजा को हैरानी हुई कि धर्मवीर ने उसकी तरफ चेहरा भी नहीं किया हुआ है फिर धर्मवीर को कैसे पता चला कि वह गेट पर खड़ी है वास्तव में बहुत शातिर है मेरी बहन का ससुर ।

पूजा यह आवाज़ सुनकर लगभग हिल सी गई।
सोफे पर बैठे बैठे अपने दुपट्टे को भी ठीक ठाक कर लिया ,अब अगले पल मे होने वाली घटना का सामना करने के लिए हिम्मत जुटा रही थी ।

तभी पूजा के कान मे एक आवाज़ आई और वह कांप सी गई।

धर्मवीर - आओ इधर ।

पूजा को लगा कि वह यह आवाज़ सुनकर बेहोश हो जाएगी ।

अगले पल पूजा सोफे पर से उठी और अंदर के हिस्से मे आ गयी ।
पूजा ने देखा कि धर्मवीर जी नीचे चटाई पर बैठे हैं और उसी की ओर देख रहे हैं ।

अगले पल धर्मवीर जी ने कहा - चटाई ला कर बिछा यहाँ और तैयार हो जा ।

पूजा समझ गयी कि धर्मवीर जी क्या करना चाहते हैं।

उसने चटाई ला कर धर्मवीर वाली जगह यानी चटाई के बगल मे बिछा दी।

अब धर्मवीर जी के कहे गये शब्द यानी तैयारी के बारे मे सोचने लगी । उसका मतलब पेशाब करने से था. उसे मालूम था कि धर्मवीर जी ने उसे तैयार यानी पेशाब कर के चटाई पर आने के लिए कहा है ।
लेकिन उनके सामने ही बाथरूम मे जाना काफ़ी शर्म वाला काम लग रहा था और यही सोच कर वह एक मूर्ति की तरह खड़ी थी ।

तभी धर्मवीर जी ने बोला - पेशाब तो कर ले, नही तो तेरी जैसी लौंडिया पर मेरे जैसा कोई चढ़ेगा तो मूत देगी तुरंत । वैसे भी तुझे आज मुता मुता कर चोदना है ।

यह सुनकर पूजा की आंखे जमीन में गढ़ गयीं ।
दूसरे पल पूजा बाथरूम की तरफ चल दी। बाथरूम मे अंदर आ कर जैसे अपनी सलवार के नाड़े पर हाथ लगाई कि मन मस्ती मे झूम उठा।

उसके कानो मे धर्मवीर जी की चढ़ने वाली बात गूँज उठी । पूजा का मन लहराने लगा ।
वह समझ गयी कि अगले पल मे उसे धर्मवीर जी अपने लंड से चोदेंगे।
नाड़े के खुलते ही फटी हुई सलवार को नीचे सरकई और फिर पैंटी को भी सरकाकर मूतने के लिए बैठ गयी।

पूजा का मन काफ़ी मस्त हो चुका था। उसकी साँसे तेज चल रही थी ।
वह अंदर ही अंदर बहुत खुश थी । फिर मूतने के लिए जोर लगाई तो मूत निकालने लगा। मूतने के बाद खड़ी हुई और पैंटी उपर सरकाने से पहले एक हाथ से अपनी चूत को सहलाया ।
फिर जब सलवार का नाड़ा बाँधने लगी तो पूजा को लगा कि उसके हाथ कांप से रहे थे ।

फिर गेट खोलकर बाहर आई तो देखी कि धर्मवीर जी अपना कोट निकाल कर केवल चड्डी मे ही चटाई पर बैठे उसी की ओर देख रहे थे।

अब पूजा का कलेजा तेज़ी से धक धक कर रहा था। वह काफ़ी हिम्मत करके धर्मवीर जी के तरफ बढ़ी लेकिन चटाई से कुछ दूर पर ही खड़ी हो गयी और अपनी आँखें लगभग बंद कर ली।

वह धर्मवीर जी को देख पाने की हिम्मत नही जुटा जा पा रही थी ।

तभी धर्मवीर जी चटाई पर से खड़े हुए और पूजा का एक हाथ पकड़ कर चटाई पर खींच कर ले गये ।
फिर चटाई के बीच मे बैठ कर पूजा का हाथ पकड़ कर अपनी गोद मे खींच कर बैठाने लगे ।

धर्मवीर जी के मजबूत हाथों के खिचाव से पूजा उनके गोद मे अपने बड़े बड़े चूतड़ों के साथ बैठ गयी।

अगले पल मानो एक बिजली सी उसके शरीर मे दौड़ उठी ।
अब पूजा की बड़ी बड़ी चुचियाँ समीज़ मे एक दम बाहर की ओर निकली हुई दीख रहीं थी ।

पूजा अपनी आँखें लगभग बंद कर रखी थी। लेकिन पूजा ने अपने हाथों से अपने चुचिओ को ढकने की कोई कोशिस नही की और दोनो चुचियाँ समीज़ मे एक दम से खड़ी खड़ी थी ।
मानो पूजा खुद ही दोनो गोल गोल कसे हुए चुचिओ को दिखाना चाहती हो। पूजा अब धर्मवीर की गोद मे बैठे ही बैठे मस्त होती जा रही थी ।

धर्मवीर जी ने पूजा के दोनो चुचिओ को गौर से देखते हुए उनपर हल्के से हाथ फेरा मानो चुचिओ की साइज़ और कसाव नाप रहे हों ।

पूजा को पंडित जी का हाथ फेरना और हल्का सा चुचिओ का नाप तौल करना बहुत ही अच्छा लग रहा था। इसी वजह से वह अपनी चुचिओ को छुपाने के बजाय कुछ उचका कर और बाहर की ओर निकाल दी जिससे धर्मवीर जी उसकी चुचिओ को अपने हाथों मे पूरी तरह से पकड़ ले.।

पूजा अब धर्मवीर जी की गोद मे एकदम मूर्ति की तरह बैठ कर मज़ा ले रही थी।
अगले पल वह खुद ही धर्मवीर के गोद मे आगे की ओर थोड़ी सी उचकी और अपने समीज़ को दोनो हाथों से खुद ही निकालने लगी। अब वह खुद ही आगे आगे चल रही थी।

पूजा को अब देर करना ठीक नही लग रहा था ।
आख़िर समीज़ को निकाल कर फर्श पर रख दी ।
धर्मवीर की गोद मे खुद ही काफ़ी ठीक से बैठ कर अपने सिर को कुछ झुका लिया पूजा ने लेकिन दोनो छातियो को ब्रा मे और उपर करके निकाल दी।

धर्मवीर पूजा के उतावलेपन को देख कर मस्त हो गये।
वह सोचने लगे कि पूजा लंड के लिए पगलाने लगी है। फिर भी धर्मवीर एक पुराने चोदु थे और अपने जीवन मे बहुत सी लड़कियो और औरतों को चोद चुके थे । इस वजह से वे कई किस्म की लड़कियो और औरतों के स्वाभाव से भली भाँति परिचित थे।
इस वजह से समझ गये की पूजा काफ़ी गर्म किस्म की लड़की है और अपने जीवन मे एक बड़ी छिनाल भी बन सकती है। बस ज़रूरत है उसको छिनाल बनाने वालों की।

धर्मवीर यही सब सोच रहे थे और ब्रा के उपर से दोनो चुचिओ को अपने हाथों से हल्के हल्के दबा रहे था।
पूजा अपने शरीर को काफ़ी अकड़ कर धर्मवीर के गोद मे बैठी थी जैसे लग रहा था कि वह खुद ही दबवाना चाहती हो।

धर्मवीर ने ब्रा के उपर से ही दोनो चुचिओ को मसलना सुरू कर दिया और थोड़ी देर बाद ब्रा की हुक को पीछे से खोल कर दोनो चुचिओ से जैसे ही हटाया की दोनो चुचियाँ एक झटके के साथ बाहर आ गयीं।

चुचियाँ जैसे ही बाहर आईं की पूजा की मस्ती और बढ़ गयी और वह सोचने लगी की जल्दी से धर्मवीर दोनो चुचिओ को कस कस कर मसले ।
धर्मवीर ने चुचिओ पर हाथ फिराना सुरू कर दिया। नंगी चुचिओ पर धर्मवीर जी हाथ फिरा कर चुचिओ के आकार और कसाव को देख रहे थे जबकि पूजा के इच्छा थी की धर्मवीर उसकी चुचिओ को अब ज़ोर ज़ोर से मीसे ।

आख़िर पूजा लाज़ के मारे कुछ कह नही सकती तो अपनी इस इच्छा को धर्मवीर के सामने रखने के लिए अपने छाति को बाहर की ओर उचकाते हुए एक मदहोशी भरे अंदाज़ मे धर्मवीर के गोद मे कसमासाई तो धर्मवीर समझ गये और बोले ।

धर्मवीर - थोड़ा धीरज रख रे छिनाल, अभी तुझे कस कस के चोदुन्गा ।
धीरे धीरे मज़ा ले अपनी जवानी का समझी, तू तो इस उम्र मे लंड के लिए इतना पगला गयी है आगे क्या करेगी कुतिया ।

धर्मवीर भी पूजा की गर्मी देख कर दंग रह गये। उन्हे भी ऐसी किसी औरत से कभी पाला ही नही पड़ा था जो उसके सामने ही रंडी की तरह व्यवहार करने लगे।

पूजा के कान मे धरमवीर की आवाज़ जाते ही डर के बजाय एक नई मस्ती फिर दौड़ गयी । तब धर्मवीर ने उसके दोनो चुचिओ को कस कस कर मीज़ना सुरू कर दिया ।

ऐसा देख कर पूजा अपनी छातियो को धर्मवीर के हाथ मे उचकाने लगी ।
रह रह कर धर्मवीर अब पूजा के चुचों की घुंडीओ को भी ऐंठने लगे फिर दोनो चुचिओ को मुँह मे लेकर खूब चुसाइ सुरू कर दी।

अब क्या था पूजा की आँखें ढपने लगी और उसकी जांघों के बीच अब सनसनाहट फैलने लगी ।
थोड़ी देर की चुसाइ के बाद चूत मे चुनचुनी उठने लगी मानो चींटियाँ रेंग रहीं हो ।

अब पूजा कुछ और मस्त हो गयी और लाज़ और शर्म मानो शरीर से गायब होता जा रहा था ।
धर्मवीर जो की काफ़ी गोरे रंग के थे और बस चड्डी मे चटाई के बीच मे बैठे और उनकी गोद मे पूजा साँवली रंग की थी और चुचियाँ भी साँवली थी और उसकी घुंडिया तो एकदम से काले अंगूर की तरह थी जो धर्मवीर के गोरे मुँह मे काले अंगूर की तरह खड़े थे जिसे वे चूस रहे थे।

धर्मवीर की गोद मे बैठी पूजा पंडित जी के काफ़ी गोरे होने के वजह से मानो पूजा एकदम काली नज़र आ रही थी. दोनो के रंग एक दूसरे के बिपरीत ही थे ।

जहाँ धर्मवीर का लंड भी गोरा था वहीं पूजा की चूत तो एकदम से काली थी। पूजा की चुचिओ की चुसाइ के बीच मे ही धर्मवीर ने पूजा के मुँह को अपने हाथ से ज़ोर से पकड़ कर अपने मुँह से सटाया फिर पूजा के निचले और उपरी होंठो को चूसने और चाटने लगे।

पूजा एकदम से पागल सी हो गयी। अब उसे लगा कि उसकी चूत में कुछ गीला पन हो रहा है।

पूजा अब धर्मवीर के गोद मे बैठे ही बैठे अपने होंठो को चूसा रही थी तभी धर्मवीर बोले।

धरमवीर - जीभ निकाल चुद्दो ।

पूजा को समझ नही आया की जीभ का क्या करेंगे । फिर भी मस्त होने की स्थिति मे उसने अपने जीभ को अपने मुँह से बाहर निकाली और धर्मवीर लपाक से अपने दोनो होंठो मे कस कर चूसने लगे ।

जीभ पर लगे पूजा के मुँह का थूक चाट गये ।
पूजा को जीभ का चटाना बहुत अच्छा लगा । फिर धर्मवीर अपने मुँह के होंठो को पूजा के मुँह के होंठो पर कुछ ऐसा कर के जमा दिए की दोनो लोंगो के मुँह एक दूसरे से एकदम सॅट गया और अगले ही पल धर्मवीर ने ढेर सारा थूक अपने मुँह मे से पूजा के मुँह मे धकेलना सुरू कर किया।

पूजा अपने मुँह मे धर्मवीर का थूक के आने से कुछ घबरा सी गयी और अपने मुँह हटाना चाही लेकिन पूजा के मुँह के जबड़े को धर्मवीर ने अपने हाथों से कस कर पकड़ लिए था। तभी धर्मवीर के मुँह मे से ढेर सारा थूक पूजा के मुँह मे आया ही था की पूजा को लगा की उसे उल्टी हो जाएगी और लगभग तड़फ़ड़ाते हुए अपने मुँह को धर्मवीर के मुँह से हटाने की जोर मारी ।

तब धर्मवीर ने उसके जबड़े पर से अपना हाथ हटा लिए और पूजा के मुँह मे जो भी धर्मवीर का थूक था वह उसे निगल गयी । लेकिन फिर धर्मवीर ने पूजा के जबड़े को पकड़ के ज़ोर से दबा कर मुँह को चौड़ा किए और मुँह के चौड़ा होते ही अपने मुँह मे बचे हुए थूक को पूजा के मुँह के अंदर बीचोबीच थूक दिया जो की सीधे पूजा के गले के कंठ मे गिरी और पूजा उसे भी निगल गयी ।[/color]
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