RE: Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
इधर मुँह मे लंड वैसे ही आ जा रहा था और चूत की चुनचुनाहट बढ़ती जा रही थी ।
आख़िर पूजा का धीरज टूटने लगा उसे लगा की अब चूत की चुनचुनाहट मिटाने के लिए हाथ लगाना ही पड़ेगा ।
और अगले पल ज्योन्हि अपने एक हाथ को चूत के तरफ ले जाने लगी और धर्मवीर की नज़र उस हाथ पर पड़ी और कमरे मे एक आवाज़ गूँजी।
धर्मवीर - रूक चूत पर हाथ मत लगाना । लंड मुँह से निकाल और चटाई पर लेट जा । तैयार हो गई है तू अब लंड है तू अब लंड खाने के लिए। हाथ से इस चूत की बेईजती मत कर इस चूत की रगड़ाई तो मैं अपने लंड से करूंगा । अपनी चूत के पानी को अपने हाथ पर खराब मत कर इससे तो मैं अपना लौड़ा नहलाऊंगा आज । तू क्या सोच रही है कि मैं बस तुझे ही ठंडा करूं कुतिया। मुझे ठंडा कौन करेगा मैं तेरी चूत के पानी से ही तो ठंडा होना चाहता हूं ।
इसे बेकार मत कर मुझे नहला अपनी चूत के पानी में । देखूं तो कि बहन की बहन भी रंडी ही है या कोई सती सावित्री है । सती सावित्री तो तू नहीं हो सकती क्योंकि तेरे लंड की भूख भूख तेरी आंखों में दिख रही है । तू तो वह गरम कुतिया है जिसकी गांड के नीचे तकिया लगा कर चूत में लंड भकाभक पेला जाए।
पूजा का हाथ तो वहीं रुक गया लेकिन चूत की चुनचुनाहट नही रुकी और बढ़ती गयी ।
धर्मवीर जी का आदेश पा कर पूजा ने मुँह से लंड निकाल कर तुरंत चटाई पर लेट गयी। और बर की चुनचुनाहट कैसे ख़त्म होगी यही सोचने लगी और एक तरह से तड़पने लगी।
धर्मवीर लपक कर पूजा के दोनो जांघों के बीच ज्योहीं आए की पूजा ने अपने दोनो मोटी और लगभग गदरायी जांघों को चौड़ा कर दी और दूसरे पल धर्मवीर ने अपने हाथ के बीच वाली उंगली को चूत के ठीक बीचोबीच लिसलिशसाई चूत मे गच्च.. की आवाज़ के साथ पेल दिया और धर्मवीर की गोरे रंग की बीच वाली लंबी उंगली जो मोटी भी थी पूजा के एकदम से काले और भैंस की तरह झांटों से भरी चूत मे आधा से अधिक घूस कर फँस सा गयी ।
पूजा लगभग चीख पड़ी और अपने बदन को मरोड़ने लगी ।
धर्मवीर अपनी उंगली को थोड़ा सा बाहर करके फिर चूत में घुसेड़ दिए और अब गोरे रंग की उंगली काली रंग की चूत मे पूरी की पूरी घूस गयी ।
धर्मवीर ने पूजा की काली चूत मे फँसी हुई उंगली को देखा और महसूस किया कि फूली हुई चूत जो काफ़ी लिसलिसा चुकी थी , अंदर काफ़ी गर्म थी और चूत के दोनो काले काले होंठ भी फड़फड़ा रहे थे ।
चटाई मे लेटी पूजा की साँसे काफ़ी तेज थी और वह हाँफ रही थी साथ साथ शरीर को मरोड़ रही थी ।
धर्मवीर चटाई मे सावित्री के दोनो जांघों के बीच मे बैठे बैठे अपनी उंगली को चूत में फँसा कर उसकी काली रंग की फूली हुई चूत की सुंदरता को निहार रहे थे कि चटाई मे लेटी और हाँफ रही पूजा ने एक हाथ से धर्मवीर की चूत मे फँसे हुए उंगली वाले हाथ को पकड़ ली ।
धर्मवीर की नज़र पूजा के चेहरे की ओर गयी तो देखे कि वह अपनी आँखें बंद करके मुँह दूसरे ओर की है एर हाँफ और कांप सी रही थी।
तभी पूजा के इस हाथ ने धर्मवीर के हाथ को चूत मे उंगली आगे पीछे करने के लिए इशारा किया ।
पूजा का यह कदम एक बेशर्मी से भरा था । वह अब लाज़ और शर्म से बाहर आ गयी थी।
धर्मवीर समझ गये की चूत काफ़ी चुनचुना रही है इसी लिए वह एकदम बेशर्म हो गयी है ।
और इतना देखते ही धर्मवीर ने अपनी उंगली को काली चूत मे कस कस कर आगे पीछे करना शुरू किया ।
पूजा ने कुछ पल के लिए अपने हाथ धर्मवीर के हाथ से हटा लिया ।
धर्मवीर पूजा की चूत अब अपने हाथ के बीच वाली उंगली से कस कस कर चोद रहे थे ।
अब पूजा ने अपने जाँघो को काफ़ी चौड़ा कर दीया ।पूजा की जांघे तो साँवली थी लेकिन जाँघ के चूत के पास वाला हिस्सा काला होता गया था और जाँघ के कटाव जहाँ से चूत की झांटें शुरू हुई थी, वह काला था और चूत की दोनो फांके तो एकदम से ही काली थी जिसमे धर्मवीर का गोरे रंग की उंगली गच्च गच्च जा रही थी ।
जब उंगली चूत मे घूस जाती तब केवल हाथ ही दिखाई पड़ता और जब उंगली बाहर आती तब चूत के काले होंठो के बीच मे कुछ गुलाबी रंग भी दीख जाती थी ।
धर्मवीर काली और फूली हुई झांटों से भरी चूत पर नज़रें गढ़ाए अपनी उंगली को चोद रहे थे कि पूजा ने फिर अपने एक हाथ से धर्मवीर के हाथ को पकड़ी और चूत मे तेज़ी से खूद ही चोदने के लिए जोरे लगाने लगी ।[/color]
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