RE: Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
[color=#0000FF]शालिनी खुश होते हुए - दिल से धन्यवाद चाचा जी। आज मुझे एहसास हुआ कि आप मुझे अपनी सगी बेटी की तरह ही प्यार करते हैं ।
बलवीर - हां बेटी तुम मेरी अपनी ही हो । लेकिन मैं सोच रहा हूं इसके बदले में तुम्हें भी कुछ मेरे लिए करना चाहिए ।
शालिनी - हां चाचा जी बिल्कुल । बोलिए क्या करे यह शालिनी आपके लिए। मैं तो अपनी फैमिली के लिए अपनी जान भी दे दूं ।
बलवीर अपने चेहरे पर पर कुटिल मुस्कान लाते हुए- मुझे तुम्हारी जान नहीं कुछ और चाहिए ।
शालिनी अभी भी खुशी में ही मग्न थी । उसे आने वाले समय के बारे में कोई भनक नहीं थी और ना ही वह बलवीर की बातों का सही अर्थ समझ पा रही थी ।
शालिनी ने चहकते हुए कहा - आप कहिए तो चाचा जी आपके मुंह से वह ख्वाहिश निकलने से पहले ही मैं उसे पूरी कर दूंगी ।
बलवीर - हां शालिनी यह तो मुझे भी लग रहा है तुम्हारा यह भरा हुआ जवान मदमस्त गदराया हुआ शरीर देखकर कि अब तुम मर्दों की ख्वाहिश पूरी करने लायक हो गई हो ।
बलवीर की यह बात शालिनी के कानों में पड़ते ही उसे झटका लगा ।
उसके चेहरे की खुशी और मुस्कान एक पल में गायब हो गई ।
उसकी आंखें बड़ी हो गई और माथे में एक साथ कई सिलवटें आगयीं।
शालिनी अपने इस चेहरे से हैरानी से बलवीर को देखते हुए बोली- क-क्या मतलब चाचा जी । मैं-मैं कुछ समझी नहीं ।
बलवीर - अरे बेटी तुम गलत समझ रही हो मेरा मतलब है कि मैं काफी दिनों से इंडिया नहीं आया हूं इसलिए मुझे लगता था कि तुम अभी छोटी ही होगी, लेकिन तुम तो बहुत बड़ी हो गई हो ।
बात को संभालते हुए बलवीर बोला
शालिनी- अच्छा वह तो ठीक है चाचा जी लेकिन आपने ऐसे वर्ड्स यूज़ किये हैं जिसे सुनकर मुझे अच्छा नहीं लगा ।
बलवीर हंसते हुए- सॉरी बेटी मेरे मुंह से निकल गया मेरा मतलब यही था कि तुम अब बड़ी हो गई हो ।
शालिनी- इट्स ओके चाचा जी। हां बताइए आपको क्या चाहिए उसके बदले में जो गिफ्ट आपने मुझे दिया है ।
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