05-04-2021, 12:44 PM,
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desiaks
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RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
मम्मी
मेरी तर्जनी पर अभी भी ' रस की बूंदे ' चमक रही थी।
मम्मी की निगाहें उधर ही थी , जैसे ही मैने उंगली उनकी ओर बढ़ाई , झट से नदीदी की तरह उन्होंने चाट लिया और बोलीं ,
" यमम , बहुत स्वादिष्ट है। वाह "
माम की तारीफ भरी निगाहें उनकी तरफ थी पर वो शर्मा के बीर बहूटी हो रहे थे।
चारो ओर सामान फैला पड़ा था , उनकी साड़ियां, पेटीकोट , अंडर गारमेंट्स , उन्होंने अपने सारे सूटकेस ,बैग्स खोल दिए थे और अालमारी मे लगाने जा रही थी।
मम्मी की बगल मे मै भी फर्श पर बैठ गयी और बोला ,
" अरी मम्मी काहें तकलीफ़ कर रही हैं , ये ६ फिट का अादमी क्यों खड़ा है। "
खुद ही वो मम्मी के पास बैठ गए फिर जैसा वो कहती गयी अलग अलग शेल्फ पर साड़ी ,पेटीकोट, अंडर गारमेंट्स लगाते गए।
एक गुलाबी रंग की सिल्कन ब्रा को अपने हाथ मे लेकर वो थोड़ी देरतक देखते रहे , उसका टच महसूस करते रहे।
थी भी बहुत अच्छी , खूब कढ़ाई की हुई , लेसी , हाफ कप , प्योर सिल्क ,
मम्मी मुस्करा कर बोलीं ,
"चल तुझे पसंद अा गयी तो तू ही रख ले। "
इनकी चेहरे की चमक देख के मुश्किल से मै अपनी मुस्कराहट दबा पायी।
वो चेंज करने के लिए बाथरूम की ओर मुड़ने लगीं तो चिढाते हुए मैं बोलीं ,
" अरे मम्मी यहीं चेंज कर लीजिये न अब इनसे क्या शरम। "
" सही कह रही है तू ,अब तो ये भी अपने बिरादरी में शामिल हो गया ,... " और उन्होंने तौलिया लपेट लिया।
लेकिन पहले उनके बड़े बड़े मस्त 36 डी डी ,लेसी ब्रा से झलकते ,छलकते, वो देख चुके थे। और जब वो पीछे मुड़ीं तो उनके बड़े बड़े ,कड़े कड़े चूतड़ ,...
वो बाथरूम में घुसी ही थीं की मैंने फिर बोला ,
" मम्मी आपके लिए उन्होंने खुद चमकाया है ,सब कुछ अपने हाथ से यहां तक की टा... '
लेकिन मेरी बात बीच में काट के मम्मी ने इनकी तरफ मुड़ के तारीफ़ से देखा और बोलीं ,
" चल तब तो आज इस्तेमाल कर लेती हूँ वरना मेरा इरादा तो कुछ और ही था ,.... "
जिस तरह से माम ने उनकी ओर अर्थपूर्ण ढंग से मुस्करा के देखा ,
बिचारे वो ,जोर से ब्लश करने लगे। मम्मी का इरादा वो भी समझ गए थे।
और मैं उनकी रगड़ाई का मौक़ा क्यों छोड़ती ,मैं भी बोली ,
" एकदम सही ,मम्मी। मैंने उनको बता भी दिया है कि ,... "
लेकिन तबतक मम्मी ने बाथरूम का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया था।
मैंने उनको किचेन में खदेड़ दिया ,
" अब ज़रा जा के किचेन में लग जाओ ,मम्मी को पता भी तो चले की उनके दमाद ने क्या क्या सीखा है ,क्या तैयारी की है उनके लिए। "
वो किचेन में चले गए और जब मम्मी बाथरूम से फ्रेश होके निकलीं तो हम माँ बेटी 'पंचायत में', हर तरह की गप ,सहेलियों ,रिश्तेदारों से लेकर सीरयल तक.
डेढ़ घंटे बाद उन्होंने अनाउंस किया लन्च तैयार है।
कोमल
मोहे रंग दे , मज़ा लूटा होली में, [b]जोरू का गुलाम , और होली के रंग ( कहानी ) अल्फाबेट ( चित्र वयस्क ), मज़ा होली का ( चित्र -ग्लैमर ) मेरे चंद पसंदीदा शायर[/b]
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komaalrani
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- #389
लंच लज़ीज
एकदम दावत ,पूरा दस्तरखान सजा दिया था उन्होंने।
निहारी से शुरू कर ,,चिकेन टिक्का , तरह तरह के कबाब , गलावटी , सामी स्टार्टर में ताज़ी चटनी के साथ ,
और फिर मेंन कोर्स में ,रोगन जोश ,हांडी चिकेन,भुना गोश्त
मटन कोरमा, दाल गोश्त , सुरमयी फिश,
कीमा बिरयानी।
( मैंने उन्हें बता दिया था की मम्मी को नान वेज डिशेज पसन्द है और कही मेरे कोने में छुटकी ननदिया की बात भी कांटे की तरह धंसी थी ,'हमारे यहां तो ये सब छुआ भी नहीं जाता। )
माम बस खाने की लज्जत का रंग देख रही थीं ,उसकी महक सूंघ रही थीं और जब वो ताजा रोटी लाने गए थे , मुझसे कहने लगी ,
" कोई क्या खाता है , उससे सिर्फ यह नहीं पता चलता है की वो क्या पसंद करता है ,बल्कि इससे उसकी पूरी अपब्रिंगिंग , रहन सहन,घर का माहौल ,बचपन से लेकर आज तक का वातावरण सब कुछ पता चलता है। तूने तो उसकी न सिर्फ सब खाने पीने की हैबिट बदल डाली बल्कि खुद इत्ते अच्छे ढंग से उसने प्यार से मेहनत करके पकाया है ,... सच में तूने उसे उसके मायके वालों के माहौल से….जिस तरह से बाहर निकाला है न ,... "
उनकी बात काट के मैं बोलीं, " अरी माँ मैं बेटी किस की हूँ ,मजाक है क्या।"
तबतक वो गर्मागर्म रोटियां ले कर और मेरी बात सुन के थाली में रोटी डालते माँ से बोले , (उन्होंने रोटी का भी पूरा प्लैटर बना रखा था। रुमाली रोटी ,शीरमाल ,तवे की रोटी रोटी सब कुछ। )
" मैं भी तो ,... "
" एकदम बेटे ,बैठ न हम लोगों के पास ,चल तू भी खा। "
माँ ने दुलार से उनके गोरे गोरे गाल सहलाते कहा ,
लेकिन मैंने बड़ा सीरीयस चेहरा बना के जैसे कुछ जोड़ते हुए उन्हें छेड़ा ,
" ये रिश्ता मेरे कुछ समझ में नहीं आया ,हाँ ये मैं मानती हूँ की मेरी उस छिनार ननद के बचपन के यार हो तो उस रिश्ते से ननदोई लगोगे ,
और तेरी उस बहना पे मेरे सारे नजदीक के ,दूर के रिश्ते के सब भाई चढ़ेंगे तो उनके साले लगोगे। "
खिलखिलाती हुयी मेरी माम भी उनकी खिंचाई करने में जुट गयीं और बोलने लगी ,
" सही कह रही है तू और फिर ,.... मेरी समधन के भी तो,... "
और हम दोनों साथ साथ हंसने लगे।
फिर तो वो वैसे ऐसे झेंपे की सीधे रसोई में जा के रुके।
अगली बार जब वो रोटियां ले के आये तो फिर माम ने जबरदस्ती उन्हें अपने बगल में न सिर्फ बैठा लिया बल्कि जबरदस्ती अपने मुंह का कौर उनके मुंह डालते हुए साथ खिलाना शुरू किया।
माँ के हाथ से खाते और उनके मुंह से ,खाने की तारीफ़ सुनते हुए वो ऐसे ब्लश कर रहे थे ,
जैसे गौने की रात के बाद की कोई दुल्हन हो।
मैं समझ रही थी ,
तारीफ़ माँ उनकी कर रही थीं लेकिन देख मेरी ओर रही थीं की मैंने कितनी जबरदस्त ट्रेनिंग दी उनको।
स्वीट डिश में जेली के साथ ताजे काट दसहरी आम , डबल का मीठा और फिरनी थी।
उन रसीले आमों की फांके देख के माँ भी अपनी मुस्कान रोक नहीं पायी।
माँ को उनकी जे के जी के पहले के दिनों की चिढ भी मालूम थी और मेरी जो शर्त लगी थी ,मेरी छोटी ननद के साथ वो भी मालुम थी।
माम् रोगनजोश की जो तारीफ़ कर दी
तो फिर तो रेसिपी से लेकर कैसे खुद उन्होंने चेक करके मटन ख़रीदा सब बताया दिया।
सिर्फ रोगनजोश ही नहीं बाकी चीजें भी ,निहारी की रेसिपी तो उन्होंने इतने डिटेल में बतायी,
१२ से १५ लाल सूखी मिर्चें ,पांच हरी इलायचियाँ, पॉपी सीड्स , तेजपत्ता , चार टेबल स्पून भुना जीरा ,दालचीनी ,... क्या क्या कितना डाला ,किस चीज की धीमीआंच में किस चीज को तेज आंच में पकाया , सब कुछ।
मम्मी ने उनकी तरफ प्यार से देख लिया तो बाकी चीजें भी ,
बड़े इसरार से गलावटी कबाब खिलाया और उसके बारे में सब कुछ , ...कैसे पपीते का इस्तेमाल उन्होंने उसे मुलायम करने के लिया और कैसे वो मुंह में घुल जाता है।
वास्तव में वह मुंह में घुल गया /
" बस एक बार तुम , अपने मायके में न जो तुम्हारी वो बहन कम माल ज्यादा है उसे भी ये रोगन जोश अपने हाथ से बना के खिला दो ,तेरी गुलाम हो जायेगी ,खिलाओगे न उसे। "
माँ ने बड़े भोलेपन से उनसे पूछा।
वो पशोपेश में थे और मैं मुश्किल से हंसी दबा रही थी। ले
किन मम्मी को मना करने की हिम्मत उनमे कतई नहीं थी ,बस उन्होंने हां में सर हिला दिया।
खुश हो के मम्मी बोलीं ,
" यार तूने इतना अच्छा खाना बनाया है ,कुछ तो इनाम बनता है। बोल क्या लोगे ?
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