RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
जबरदस्त रगड़ाई
" क्यों माँ के मीठे रसीले भोंसडे की याद आ रही है जो इत्ता मस्त खड़ा है , "
उनके गोरे गोरे लौंडिया माफिक नमकीन गाल जोर से पिंच करते हुए मैंने चिढ़ाया।
मम्मी से नहीं रहा गया ,उन्होंने अपने दोनों हाथों से मथानी की तरह अपने दामाद के खूंटे को पकड़ा और जोर से रगडती मसलती बोलीं ,
" तो गलत क्या है ,अरे मेरे मुन्ने को माँ के रसीले भोंसडे की याद आयी तो , बचपन से ही तो चूसता चाटता आ रहा है ,
पहली बार मुट्ठ माँ के भोसड़े को सोच के मारा, अरे जल्द ही दिलवाऊंगी तुझे उसके भोंसडे का मजा ,यहीं इसी पलंग पे ,
बस १५ दिन और ,हचक हचक के चोदना। "
मम्मी ने मुठियाते हुए एक झटके में जो लन्ड को झटका तो चमड़ा हटा और खूब मोटा भूखा सुपाड़ा बाहर
"और तब तक माँ समझ के यह भोंसड़ा चोद , "
मैं मंजू बाई को उनके ऊपर चढ़ाते बोली।
मैं अपनी पांच दिन की छुट्टी के चक्कर में आउट आफ एक्शन थी लेकिन मजे लेने का कोई मौका छोड़ने वाली नहीं थी।
मंजू बाई झट से ऊपर और देखते देखते ७ इंच का मूसल उसकी बुर में गायब।
और पल भर में ' उनकी माँ ' के रोल में , बिना धक्के लगाए अपने रसीले भोंसडे में जोर जोर से दबाती निचोड़ती ,
उनके चेहरे से लग रहा था उन्हें कितना मजा आ रहा है।
झुक कर के मंजू बाई ने पहले तो हलके से उनके होंठ दुलार से चूमे
फिर कचकचा के गाल काट लिए जैसे कोई किसी लौंडिया के गाल काटे।
वो चीख पड़े।
" याद आ रहा है जब पहली बार तुझे अपना भोंसड़ा चूस्वाया था , क्लास में फर्स्ट आया था तू , ... फिर तो स्कूल से आके , कपडे बाद में उतारता था ,नाश्ता बाद में ,सबसे पहले तो माँ के भोसड़े का भोग ,है न। "
मंजू बाई बोली।
उनके चेहरे पर एक मुस्कान सी आ गयी। होंठो पर अभी भी कुछ देर पहले जो वो मंजू बाई की भोंसडे को चूस रहे थे उसका पूरा रस चमक रहा था।
मैं और मॉम एक दूसरे को देख के बिना मुस्कराये न रह पाए।
" मन करता है न माँ के भोसड़े को चोदने का बोल न मुन्ने ,"
धीमे से उनके मुंह से हाँ निकल गया।
" अरे जोर से बोल न मुन्ना ,शर्माने की क्या बात। "
मंजू बाई इतने आसानी से नहीं छोड़ने वाली थी।
और अबकी उन्होंने जोर से कबूल किया , " हाँ मन करता है , सच में बहुत। "
फिर तो जैसे इनाम के तौर पे मंजू बाई ने अपनी कमर की गोल गोल चक्की चलानी शुरू कर दी ,
बिना ऊपर नीचे किये उनके खूंटे को मस्त मजा दे रही थी वो।
और कुछ देर बाद धीमे धीमे अपनी कमर ऊपर कर तीन चार इंच खूँटा उसने बाहर किया , और फिर जैसे सरकते हुए ,एक बार फिर पूरा लन्ड गड़प।
' असली मजा तो माँ चोदने में आता है न। "
मंजू बाई ने फिर पूछा।
कुछ मस्ती से कुछ यादों में कुछ फैंटेसी में उनकी आँखे बंद थी ,मुंह से उनके निकल गया ,
" हाँ ,हाँ ,... "
और मंजू बाई ने धक्कों की ताकत और रफ़्तार तेज कर दी ,बोली
मुन्ने ज़रा पूरी ताकत से चोद न अपनी माँ को देखूं तो बेटे की ताकत ,
और नीचे से वो पूरी ताकत से धक्के लगाने लगे , चूतड़ उठा उठा के।
एकदम लग रहा था की वो यही समझ रहे हैं की माँ की चोद रहे हैं।
सिसकियाँ , उह्ह्ह आह्ह्ह्ह
"एक बार बस अपनी माँ को चोद के निहाल कर दे न तो बस देख , सारी भोंसड़ी वालियों की लाइन लगवा दूंगी , तेरी बुआ , चाची ,मौसी , सब ,... चोद चोद के फाड़ देना सबकी , लेकिन पहले अपनी माँ चोद , जिस भोंसडे से निकला है उसी को ,... "
मंजू बाई उन्हें उकसा रही थी , और साथ में उनकी सास , मेरी मम्मी भी टुकड़ा लगा रही थीं ,
एकदम सब की सब साली रंडी है , बुआ , चाची , मौसी , पूरे मोहल्ले को बांटती है और मेरे मुन्ने को भूखा रखा ,...
और मंजू बाई ने गियर चेंज किया ,
एक साथ झुक कर मंजू बाई ने उनके गाल कचकचा के काटे और अपने नाखून से उनके निप्स स्क्रैच कर लिए ,
उईईई आह्ह्ह्ह्ह उईईईईई माँ लगता है ,
वो जोर से चीखे।
" ये गौने की दुल्हन की तरह चीख रही है छिनार , इसका मुंह बंद करना पडेगा। " मंजू बाई मॉम से बोली।
और अगले पल मॉम के रसीले निचले गुलाबी होंठों ने उनका मुंह सील कर दिया ,
और फिर तो वो फ्री फार आल हुआ ,
मम्मी और मंजू बाई ने मिल कर , एक उनकी बुआ बनी एक माँ
मंजू बाई ने मुझे इशारा किया ,और जितने कुशन तकिये बिस्तर पर ही नहीं पूरे घर में थे , सब निकाल के ढूंढ के मैंने उनके गोरे चिकने चूतड़ों के नीचे लगा दिए।
उनके गोरे नमकीन उठे हुए चूतड़ ,
स्पैंक ,स्पैंक , मंजू बाई के तगड़े हाथ ,
और कुछ देर में ही उनके चूतड़ों पर कमल खिल उठे खूब लाल लाल ,
और बिचारे चीख भी नहीं सकते थे
उनके होंठों पर तो उनकी सास के बुर का कब्जा था ,
वो जोर जोर से रगड़ रही थी उन्हें चटवा रही थी और मेरी सास को एक से एक गन्दी गालियां सूना रही थी।
साथ में मॉम के लंबे शार्प नाख़ून , उनके निपल्स को स्क्रैच कर रहे थे , कभी वो उनके निपल पकड़ के गोल गोल पकड़ के घुमा देतीं , पूरी ताकत से।
दो प्रौढ़ महिलायें , उनके एम् आई एल ऍफ़ फैन्टेसी से भी बढकर , एक साथ
दर्द और मजे का मिश्रण।
मॉम उन्हें मंजू बाई को चोदने के लिए उकसा रही थीं ,
" चोद साले , अपनी माँ के भंडुए चोद , दिखा किस ताकत से चोदेगा अपनी माँ को ,मेरी चूतमरानो समधन को। चोद चूतर उठा उठा के "
और सच में वो अपने चूतर उठा के पूरी ताकत से चोद रहे थे , मंजू बाई बस उन्हें पकडे हुए थी अब धक्के वही लगा रहे थे।
और मंजू बाई भी ,
" साले अगर हम दोनों की बिना झाड़े तू झड़ा न तो तेरे सारे खानदान की गांड मार दूंगी। वो भी बिना तेल लगाए "
मंजू बाई ने उन्हें वार्न किया और ये भी बोला ,
" अरे ज़रा भोंसड़ा चूस के तो दिखा ,देखूं क्या सिखाया है तेरी माँ ने बचपन में तुझे , खूब चूसता था न बचपन में अपनी माँ का भोंसड़ा ,"
और सच में जोरदार धक्कों के साथ मंजू बाई को चोदने के साथ जिस मस्त ढंग से वो अपनी सास की रसभरी बुर चूस रहे थे ,
दस पंद्रह मिनट तक लगातार ,
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