XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
05-06-2021, 03:32 PM,
RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
शोना छोना











और मैं ये नहीं चाहती थी , मेरा बाबू ,... मेरा लाड़ला प्यारा शोना छोना ,...

मैंने बस उनके कंधे को हलके से छू दिया , और मेरा इशारा काफी था ,




दो चार धक्के उसी तरह मारे उन्होंने , .... फिर सुपाड़ा भी करीब पूरा बाहर निकाला , ..


और क्या ताकत दिखाई उन्होंने , एकदम रगड़ते दरेरते , घसीटते , पूरी ताकत से ठेल दिया ,

और अबकी जिस ताकत से सुपाड़ा बच्चेदानी से टकराया ,...



उनकी सास की चीख निकल गयी , ... वो सिसक रही थीं , ..

और उनका लंड पूरी तरह उनकी सास के बुर में जड़ तक धंसा , जैसे किसी बोतल में डॉट अटक जाए , ...

और अबकी उन्होंने लंड के बेस से ही , गोल गोल चक्कर लगाना , रगड़ना , घिसना ,...

यही तो मैं चाहती थी ,...

उनके लंड के बेस से इनकी सास की क्लिट कस कस के रगड़ी जा रही थी ,




इतने दिनों में इन्हे अपनी सास के भी सारे प्वायंट मालूम हो गए थे , एक हाथ सास के जोबन पर , कस के मसल रहे थे , कभी निपल फ्लिक रहे थे ,... लेकिन उनका सबसे खतनाक हथियार था , उनक होंठ और जीभ ,

कभी कस के निप्स सक करते तो कभी जीभ से उसे फ्लिक करते ,



एक हाथ उनकी सास की दोनों फैली जाँघों के बीच , और जो क्लिट उनकी लंड के बेस से रगड़ी घिसी जा रही थी , उस पर उनकी हाथ की उँगलियाँ ,

जोबन और क्लिट पर हमला ,

और मोटा खूंटा जड़ तक धंसा हुआ , ...

कभी वो अंगूठे से क्लिट दबाते तो कभी , तर्जनी और अंगूठे से उसे रगड़ते ,

जादू के उस बटन का असर तो होना था ,...



उनकी सास आँखे बंद किये , ... बस सिसक रही थीं अपने बड़े बड़े नितम्ब चादर पर रगड़ रही थीं , ....


लग रहा था , अब गयीं , तब गयीं , ..



और उन्होंने अब बिना इन्तजार किये , एक बार फिर लंड बाहर निकाला , और अबकी धीरे धीरे रगड़ते , घिसटते ,... और वापस उसी तरह स्लो मोशन में , ... चार पांच मिनट ,

फिर एक बार क्लिट की रगड़ाई और फिर तूफानी धक्के ,

नतीजा वही हुआ जो होना था , ... तूफ़ान में पत्ते की तरह उनकी सास की देह काँप रही थी , देह एकदम ढीली हो गयी थी ,

वो भी रुक गए , ... और सास ने जब आँखे खोलीं तो दामाद की ओर देख कर मुस्करायीं ,

वो भी मुस्कराये और फिर दोनों लग कस के लिपट गए , चिपट गए , देर तक ,... ऐसे ही चिपटे रहे , पर खूंटा उसी तरह जड़ तक अंदर धंसा हुआ , उनकी

सास के , जैसे दूध में पानी मिला हो , वैसे ही चिपके , एक दूसरे में मिले घुले ,...

पर थोड़ी देर में एक बार फिर , ... और अबकी जैसे तूफ़ान के बाद , हलकी हलकी हवा चले ,



बस उसी तरह धक्के धीमे धीमे , उनका हाथ भी गदराये ३६ डी जोबन पर मस्ती से सहला रहे थे ,


लेकिन पांच छह मिनट में एक बार फिर से और अबकी मंजू भी मैदान में आ गयी थी ,

जबरदस्त गालियां , अबकी मेरी सास को ,... और मंजू बाई भी न , ... क्या जबरदस्त ,...


ये अपनी सास के ऊपर थे , और इनके ऊपर बस अपने बड़े बड़े कड़े कड़े गदराये जोबन ,


इनकी पीठ पर कभी छुला देती , तो कभी जोर से रगड़ देती ,



बेचारे , और इनकी सास भी तो , उन्होंने कस के दुलार से दामाद को अपनी ओर भींच लिया , बस जिस जोबन की याद में उनकी हालत ख़राब रहती थी , ब्लाउज के ऊपर से ही एक झलक पाने के लिए ये कुछ भी करने को तैयार रहते थे ,

वही जोबन इनके सीने से रगड़े जा रहे थे , दबाये कुचले जा रहे थे ,

और पीछे से बरछी कटार की तरह मंजू बाई के निपल , एकदम कड़े , बस उन्ही उत्तेजित निप्स से वो सीधे इनकी बैक बोन पर बस हलके से सहलाते , छुलाते , ...एकदम नीचे तक , ...

और दोनों जोबन कस के इनके चिकने मुलायम मांसल नितम्बो पर ,

और साथ में गालियां ,

" भोंसड़ी के एक बार बस इस गांड में मोटा लंड ले ले , मेरा आसिरबाद है , अपनी माँ बहन का नमबर डकायेगा , मरवाने में , ..एक साथ निहुर के तुम और तेरी माँ , बहन साथ मरवायेगी , ... "

और अबकी जब मंजू बाई के जोबन इनकी पीठ पर दबा रगड़ रहे थे , सीने पर इनकी सास के उरोज ,...


मंजू बाई के हाथों ने इनके नितम्ब का मोर्चा सम्हाल लिया ,

पहले तो कुछ देर तक हलके से वो चूतड़ सहलाती रही , फिर सीधे दो उँगलियाँ इनकी गांड के दरार पर , ...




एकदम कसी दरार ,


मुझसे नहीं रहा गया , ... झुक कर ,...

मैंने ढेर सारा थूक , इनके नितम्बो के दरार के ऊपरी भाग , और थोड़ी देर में सरक कर ,.. वो थूक का धागा इनकी दरार पर ,

और अब मंजू ने कस के ऊँगली रगड़ना शुरू कर दिया ,

इस दुहरे हमले का नतीजा हुआ ,

अब सब कुछ भूल कर वो हचक हचक कर अपनी सास की बुर चोद रहे थे , और इनकी सास भी तो यही चाहती थीं ,




हर धक्के का जवाब वो धक्के से दे रही थीं , नतीजा , कुछ देर बाद एक बार फिर से अब जब वो कगार पर पहुंची तो साथ में उनके दामाद भी ,

पहले मम्मी ने झड़ना शुरू किया और

मंजू शायद यही मौका देख रही थी ,


गच्चाक , एक साथ उसने अपनी दो मोटी मोटी उँगलियाँ इनकी गांड में पेल दी , और पूरी जड़ तक , ...




मैंने प्रोस्ट्रेट मसाज के बारे में सुना था , पढ़ा था , मम्मी ने समझाया भी , लेकिन

आज पहली बार देख रही थी

ये अपनी झड़ती हुयी सास के बिल में धक्के मार रहे थे और पीछे से मंजू इनकी गांड में , फिर जैसे चम्मच की तरह अंदर मोड़ कर उसने पूरी ताकत से इनके प्रोस्ट्रेट को दबाना शुरू किया



इनकी सास की बिल भी झड़ते हुए बार इनके लंड को निचोड़ रही थी , ये वैसे भी एकदम कगार पर थे ,

और इस दुहरे हमले का असर हुआ , ...

कुछ ही देर में , ...

ये देर तक , ... लंड इनका सास की बुर में गड़ा ,

और थक्के दार रबड़ी मलाई के फुहारे ,

कुछ ही देर में बुर के बाहर भी छलक कर , ..




मंजू बाई रुक गयी थी , लेकिन दो मिनट के बाद उसने दुबारा , अबकी पहली बार से भी जोर से

और ये एक बार फिर से झड़ रहे थे ,...


बड़ी देर तक ये और इनकी सास ऐसे लिपटे गुथे पड़े रहे , ... इनकी सास का भोंसड़ा रबड़ी मलाई से भरा , एकदम थक्केदार , कटोरी से कम नहीं रहा होगा , एकदम लबरेज , छलक रहा था




और जब इन्होने खूंटा निकाला तो इनकी सास ने इन्हे खींच कर अपनी खुली फैली जाँघों के बीच से




और खींच कर , इनका मुंह सीधे अपने भोंसडे पर ,...


मैंने मम्मी को बताया था की उनका दामाद एकदम पक्का कम स्लट है , मैं रोज अपनी बुर से इनकी मलाई इन्हे खिलाती थी

पर मम्मी ने बोला जब तक वो खुद न देख लें ,...





और अभी उनका दामाद उनके भोंसडे से , पहले जाँघों पर फैली , ...

फिर ऊपर लगी ,

और अंत में दोनों फांको को फैला कर , जीभ एकदम अंदर तक डाल कर

सपड़ सपड़





उन्होंने भले ही खूंटा अपनी सास की बिल से निकाल लिया हो , मंजू बाई ने अपनी दोनों उँगलियाँ इनके पिछवाड़े से नहीं निकाली थीं ,...

और अब गोल गोल ,... जैसे गाँड़ में मथानी चल रही हो जोर जोर से , ...

जैसे ही सास के भोंसडे से मलाई रबड़ी खा कर वो उठे ,

मंजू बाई ने एक हाथ से उनका गाल दबा कर मुंह खुलवा दिया और दूसरा हाथ जिसकी उँगलियाँ इनके पिछवाड़े मथ रही थीं , वो निकल कर सीधे इनके मुंह में लेकि सिर्फ एक पोर तक ,

" रबड़ी मलाई बहुत खा ली , अब ज़रा मक्खन भी चाट ले न , रंडी के जाने , गांडू , मादरचोद ,... "

मंजू बाई बोलीं।




उन्होंने आँख बंद कर ली थी पर एक पोर तक तो दोनों उँगलियाँ अंदर घुस ही गयी थीं , और वो भी जानते थे बिना साफ़ सूफ किये ,

ऊपर से उनकी सास , हँसते खिलखिलाते , जोर से उनके निपल स्क्रैच कर के बोलीं , अरे भंडुए के पूत , ... आँख खोल कर देख न , ... खोल आँख ,

और उन्होंने आँखे खोल दी , ... धीरे धीरे पूरी ऊँगली अंदर।



इनके पिछवाड़े से निकली , लीपड़ी चुपड़ी , सीधे इनके मुंह में हलक तक ,


कुछ देर तक तीनो लोग ऐसे ही पड़े रहे , लेकिन उसके बाद तो उन दोनों प्रौढ़ाओं ने उनकी ऐसी की तैसी की ,
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RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी - by desiaks - 05-06-2021, 03:32 PM

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