bahan sex kahani ऋतू दीदी
05-07-2021, 11:56 AM,
#6
RE: bahan sex kahani ऋतू दीदी
हालंकी मैं अभी सोना नहीं चाहता था पर उठ खड़ा हुआ तो जाना ही पड़ा। ऋतू दीदी ऊपर की बर्थ पर जाकर लेट गयी और मैं भी उनके सामने की ऊपर वाली बर्थ पर जाकर लेट गया। नीचे दोनों जीजा साली की बातें और हँसी चालु थी। मैं छत की तरफ सून्य में निहार रहा था। कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या हो रहा हैं और मैं क्या करू? कुछ मिनट्स ऐसे ही बीत गए और मुझे नींद तो आ नहीं रही थी तो फिर मैंने करवट बदली। सामने ऋतू दीदी सीधा लेटी थी। लेटे होने से उनका पेट अंदर दब गया था और शर्ट के अंदर से उनकी छति का उभार साइड से साफ़ बड़ा दीख रहा था। उन्होंने जो शाल निकाली थी उस से अपने पाँव से लेकर कमर तक का शरीर ढक रखा था। ऋतू दीदी की बर्थ के ठीक नीचे निरु बैठी थी और मेरी बर्थ के नीचे नीरज जीजाजी थे। मुझे फिर एक शररात सुझी। मैंने सोचा जीजाजी का एक टेस्ट लिया जाए। मेरा बैग निरु जहाँ बैठी थी उसके ठीक नीचे था। मैंने निरु को अपना शाल पास करने को कहा। मुझे पता था की निरु की ड्रेस उसके आगे झूकते ही ऋतू दीदी के शर्ट की तरह खुल जायेगी और निरु का क्लीवेज सामने बैठे जीजाजी को दीख जाएगा। नीरु आगे झुकी और बैग खिंच कर बर्थ के नीचे से निकालने लगी। मैं निरु की ड्रेस को उसके झूकते ही थोड़ा खुला देख पा रहा था। मैंने अपनी नजरे नीचे कर जीजाजी के एक्सप्रेशन नोट करने की कोशिश की। जीजाजी भी अपना हाथ आगे बढा निरु की हेल्प करने लगे बैग को बाहर निकालने में और चेन खोलने मे, जीजाजी की नजरे सामने निरु पर ही थी और निरु ने बैग से शाल निकला और मुझे दे दिया। बैग अंदर डालने के लिए निरु फिर झुकी और मैंने जीजाजी के एक्सप्रेशन नोट करने की कोशिश की पर ऊपर से देख नहीं पाया और जीजाजी ने वो बैग वापसी बर्थ के नीचे खिसकाने में निरु की मदद की।

मागर यह तो पक्का था की जीजाजी ने निरु का क्लीवेज थोड़ा देख ही लिया होगा। मैं शाल अपनी टांगो पर डाले लेटा रहा। जीजाजी अब अपनी सीट से उठ कर निरु के बगल में बैठ गए थे। मेरे सामने ऋतू दीदी ने भी करवट ले ली थी और उनका मुह अब मेरी तरफ था पर आँखें बंद थी। उनके शर्ट का ऊपर का एक बटन खुला था और उनके हाथ के भार से इस तरह साइड वाइ सोने की वजह से से उनका ऊपर का एक मम्मा दब कर उनके शर्ट से थोड़ा बाहर झाँक रहा था। मै उस नज़ारे को देखने का मौका नहीं चूका और आँखें खोले देखता रहा। फिर सोचा कही दीदी जाग गयी तो? इसलिये मैंने अपनी पलके आधी बंद किये देखता रहा। एक नजर मैं ऋतू दीदी का क्लीवेज देखता तो दूसरे से नीचे बैठे जीजा साली को देखता जो आपस में चिपक कर बैठे बाते कर रहे थे। चूंकी मैं और ऋतू दीदी सो रहे थे तो जीजा साली आपस में धीरे धीरे बातें कर रहे थे। मेरा ध्यान बातों से ज्यादा उनकी हरकतो पर था। उन दोनों ने कुछ डिसाइड किया और अपनी जगह बदल ली। अब नीरज जीजा विंडो के पास थे और निरु उनकी गोद में सर रखे बर्थ पर लेटी हुयी थी। जीजाजी उसके सर पर हाथ फेर रहे थे तो दूसरा हाथ निरु के पेट पर रखा था। नीरु की हर सांस के साथ उसका पेट ऊपर नीचे हो रहा था और साथ ही जीजाजी का उसके पेट पर पड़ा हाथ भी ऊपर नीचे हो रहा था। मुझे इस तरह नीरज जीजाजी का हाथ नीरु के पेट पर पड़ा होना अच्छा नहीं लगा पर निरु को कोई आपत्ति नहीं थी। हलंकी मेरी आँखों के सामने के बर्थ पर ऋतू दीदी का क्लीवेज दीख रहा था पर मैं अपनी पलके आधी बंद किये अब सिर्फ नीचे ही देख रहा था की जीजा साली अब और क्या करेंगे। अब मैं उनकी बातें भी सुनने लाग।

नीरज: "अब तो सोने वाली हो, अब तो मेकअप उतार लो"

नीरु: "आपको मेरे मेकअप से क्या प्रॉब्लम हैं जीजाजी!"

नीरज: "मुझे तुम्हारे अंदर की खुबसुरती देखना ज्यादा पसंद है। अपनी खुबसुरती को इन बाहर की चीजो से क्या ढकना"

मै ऊपर लेटा हुआ नीरज जीजाजी के बोलने का मतलब समझ रहा था। वो शायद दूसरे शब्दो में निरु के कपड़ो के बारे में कमेंट कर रहे थे की वो निरु को बिना कपड़ो के अंदर की खुबसुरती देखना चाहते थे।

नीरु: "एक काम करो जीजाजी, आप ही निकाल दो मेरा मेकअप"

नीरज जीजाजी ने अब अपने एक अँगूठे को निरु के नीचे के होंठ पर रगड़ा और निरु को दिखाया की लिपस्टिक उनके अँगूठे पर लग गयी है।

नीरज: "मेरे लग गयी लिपस्टिक, अब क्या करू, मेरे लगा लू?"

नीरु(हँसते हुए): "हॉ, लगा लो, अच्छी लगेगी"

नीरज जीजाजी ने अब वो लिपस्टिक से भरा अँगूठा अपने खुद के होंठ पर रगड़ा और हंसने लगा। इस बहाने उस अँगूठे के जरिये ही सही पर जीजाजी ने अपनी साली के होठो को अपने होठो से एक तरह मिला लिया था। नीरु ने अपने होंठ खोले और जीजाजी ने इस बार अपना अँगूठा निरु के ऊपर वाले होंठ पर रगड़ा और फिर अपने ऊपर के होंठ पर रगड मजे लिये। नीरु हमेशा की तरह एक बार फिर खिलखिला रही थी। जीजाजी ने यह एक बार और रिपीट किया और निरु के दोनों होंठों को बारी बारी से रगड कर उसके होंठों का रस अपने होंठों पर लगया। फिर बारी थी गालो की। जीजाजी ने अपनी उंगलिया को निरु के गोरे गोरे गालो पर हलके हाथों से रगड़ा जैसे मसाज कर रहे हो। निरु मजाक में "आहा आहा" करते हुए मजे ले रही थी।
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RE: bahan sex kahani ऋतू दीदी - by desiaks - 05-07-2021, 11:56 AM

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