RE: bahan sex kahani ऋतू दीदी
जीजाजी ने निरु का चेहरा अपनी तरफ घुमाया और निरु ने एक किश जीजाजी के गाल पर कर दिया। जीजाजी के गोरे गाल पर निरु के होंठों के निशान लिपस्टिक से बन गए।
जीजाजी: "निरु, देखो जरा, प्रशांत को बुरा तो नहीं लगा न?"
(दोनो मेरी तरफ देखने लगे और मैं अपना गुस्सा छीपाने लगा और स्माइल करता रहा।)
नीरु: "जीजाजी, आपके गाल पर लिपस्टिक लग गायी, मैं हटा देती हूँ"
जीजाजी: "रहने दो, यह प्यार की निशानी है। अभी मेरे दूसरे गाल पर भी ऐसी ही निशानी दो जल्दी से"
(नीरु ने फिर जीजाजी के दूसरे गाल पर भी ऐसे ही किश किया, मगर मैंने मुँह फेर लिया। मैं यह देख नहीं पाया। मगर जीजाजी की कमीनपन यहीं ख़त्म नहीं हुआ।)
जीजाजी: "मुझे तो निशानी मिल गयी, मगर अब मैं तुम्हे एक निशानी दूंगा। चलो अपना गाल आगे करो"
(नीरु फिर स्माइल करने लगी और मेरी तरफ देखते हुए उसका गाल जीजाजी की तरफ था। जीजाजी ने निरु के गोरे गाल को अपने होंठ में भर कर थोड़ा खींचते हुए जोर का किश कर लिया। मेरा दिल तेजी से धडकने लगा था। मैं बेबस था। जीजाजी ने निरु के दूसरे गाल पर भी किश कर दिया और निरु के गाल को गीला कर दिया। निरु ने जल्दी से अपने हाथ से अपने गाल पोंछ कर साफ़ किया।)
नीरु: "क्या जीजाजी, गाल गीले कर दिए। याद हैं जब मैं छोटी थी तब भी आप यही करते थे!"
जीजाजी: "हॉ, मगर तब हम पर कोई बेवजह शक़ नहीं करता था। अब शक़ करने वाला आ गया हैं"
(वो दोनों फिर मेरी तरफ देखने लगे और स्माइल करने लगे।)
जीजाजी: "मुझे लग रहा हैं की प्रशांत को मन ही मन शक़ हो रहा हैं और जलन हो रही हैं"
(वो दोनों मेरा चेहरा ध्यान से पढने लगे और हंस रहे थे। सच पूछो तो काफी समय बाद निरु को इतना खुश चहकता देखकर मुझे अच्छा लग रहा था। परन्तु निरु की यह ख़ुशी जिस इंसान से मिलने की वजह से थी वो सोच कर गुस्सा ज्यादा आ रहा था।)
नीरु: "नहीं, मुझे लगता हैं प्रशांत अब शक़ नहीं करेगा"
जीजाजी: "हाथ कंगन को अरसी क्या? अभी इसका एक छोटा सा टेस्ट ले लेते हैं"
(यह कहते हुए जीजाजी ने तुरन्त निरु को घुमा कर अपने आगे खड़ा किया और उसकी पीठ के पीछे आ गए। फिर अपने दोनों हाथ आगे लाकर निरु के नंगे पतले पेट से पकड़ लिया। निरु पीछे से जीजाजी से चिपकी हुयी थी। नीरु तो हंस रही थी पर जीजाजी की कुटील मुस्कान जारी थी। जीजाजी के लण्ड का हिस्सा अभी निरु की गांड से चिपका हुआ था। मगर मैंने कोशिश करते हुए अपने चेहरे पर शिकन नहीं आने दि। कुछ सेकण्ड्स निरु को इस तरह पकडे रहने के बाद निरु ने खुद अपने आप को जीजाजी से छुड़ाया और कहा की प्रशांत अब खुश है। पर जीजाजी कहा मानने वाले थे।)
जीजाजी : "लगे हाथों एक और टेस्ट ले लेते हैं"
अगले एपिसोड में पढ़िए कैसे जीजाजी ने अपनी अगली चाल को अन्जाम दिया।
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