bahan sex kahani ऋतू दीदी
10-11-2021, 12:02 PM,
RE: bahan sex kahani ऋतू दीदी
शक का अंजाम


PART 3


UPDATE 2




मूल लेखक ने ये स्टोरी जिस जगह समाप्त की है. मेरा प्रयास है कहानी वही से को आगे बढ़ाने का और नए मौलिक अपडेट देने की । एक पाठक (जिन्हो अपना नाम नहीं बताने के लिए अनुरोध किया है) और मेरा मिलजुल कर प्रयास रहेगा, इस कहानी को और आगे ले कर जाने का . लीजिये पेश है भाग 3 Update  (new 2).


नीरज अच्छे से शक के बीज को प्रशांत के मन में डालने में कामयाब हो गया था तथा उस शक को साबित करने के लिए उसने अपनी बात को भी साबित कर दिया था जिसका मुख्य कारण था प्रशांत का शक्की स्वभाव का होना ... उसे इसके कारण ठोकर भी लगी थी पर कोई भी आदत चाहे अच्छी हो या बुरी इतनी जल्दी नहीं जाती है।

नीरज ने ऐसी परिस्थिति तैयार कर दी थी की अब शक के बीज प्रशांत के मन में फिर अंकुरित हो गए थे और आँखो से देखते हुए वह दुबारा शक करने पर मजबूर हो गया था। वैसे अब उसका कोई फायदा नहीं था क्योंकि नीरू उससे अलग हो गयी थी और वह पछता भी रहा था और नीरू से मिलने का लगातार प्रयास भी कर रहा था पर नीरू ने कभी भी उसे अब मौका नहीं दिया ।

वो एक काम ज़रूर कर सकता था वह निरु को ख़त भेज सकता था ... पर अब ख़त लिखने का रिवाज़ तो रहा नहीं तो ये आईडिया उसके दिमाग़ में आया ही नहीं.

नीरज के घर में नीरू पहुँच जाती है। नीरू को देखते हुए ऋतु उसके गले मिलती है।

नीरू: हैप्पी बर्थ डे दीदी !

ऋतु: थैक्यू

आज ऋतु का बर्थडे था और उस घटना के करीब दो महीने बाद नीरू पहली बार ऋतु के घर में आई थी। हालाँकि निरु ने उस घटना के बाद से जीजाजी और ऋतु दीदी से भी बात करना बंद कर दिया था। पर आज जन्मदिन पर आने के लिए ऋतु ने उसे बहुत मनाया था।

ऋतु: और कैसा चल रहा है प्रशांत से बात होती है।

नीरू: दीदी उसका तो नाम भी मत लो, पहले तो मैं सिर्फ़ ये मानती थी कि वह मुझ पर शक करता है लेकिन जब ये पता चला कि जो व्यक्ति मेरे उपर शक कर रहा है वह आपके साथ। छी: मुझे तो सोचकर ही र्श्म आती है।

नीरज: चलों उन बातों को भूल जाओ नीरू।

नीरज नीरू को गले लगने के आगे बढता है। लेकिन नीरू नीरज को बीच में ही रोक देती है। ये पहली बार था जब नीरू ने अपने जीजाजी को गले लगने से रोका था, नहीं तो इससे पहले नीरज के एक इशारे पर ही नीरू दौडकर जीजाजी के गले लिपट जाती थी। नीरज भी समझ जाता है कि नीरू अभी भी उससे नाराज है। लेकिन मन ही मन सोचता है कि उसे जल्दी नहीं है जब नीरू को चोदने में उसने वर्षों इंतज़ार किया तो दुबारा चोदने में कुछ समय इंतज़ार और कर लेगा वैसे भी नीरू के पेट में बच्चा पल रहा है तो चुदाई तो वैसे भी नहीं हो पाएगी। लेकिन पहले प्रशांत और ऋतु का कुछ करना होगा। नीरज ऋतु से कहता है कि उसे थोडा बाहर जाना है अभी आ रहा है और नीरज बाहर ऐसी जगह देखता है जहाँ दूर-दूर तक कोई न हो और फिर नीरज फ़ोन लगता है।

नीरज: हाँ प्रशांत कैसे हो

प्रशांत: ठीक हूँ जीजा जी

नीरज: अरे इस समय नीरू मेरे ही घर पर है ऋतु को मैंने पहले ही बाहर भेज दिया था। काश तुम भी यहाँ होते तो देख लेते तेरी बीबी मेरा लंड कैसे चूसती है। लेकिन तुझे मायूस होने की ज़रूरत नहीं है तू बस फ़ोन पर बने रहना कुछ मैं तुझे कुछ सुनाता है। फ़ोन में सोफे पर साइड में रख रहा है ठीक है तू अपनी ओर से कुछ मत बोलना और फिर फ़ोन पर सिर्फ़ नीरज की ओर से आवाजे आती है।

नीरज: नीरू, नीरू यार कितना देर लगाओगी जल्दी आओ ना...आई दो मिनिट रूकिए... वाह क्या जबरदस्त दिखाई दे रही हो ... आप भी ना जीजाजी... अरे यार। अरे ये आप क्या कर रहे है... प्लीज पूरे कपडे मत उतारिए... नहीं नीरू कपडों में मज़ा नहीं आता... अरे सिर्फ़ लंड चूसने की बात हुई थी और आपने इसे साफ़ भी नहीं किया है। पहले साफ़ करके आइए... अरे रूको-रूको और फिर सिसकियों की आवाजें आने लगती है। हाँ नीरू ऐसे ही ऐसे ही। चूसती रहो बस दो मिनिट और । मेरा होने वाला हैं और फिर थोडा गूं-गूं की आवाजेें आती है। जीजाजी आप बहुत बदमाश है मुंह में ही निकाल दिया।

पूरे पांच मिनिट हो गए थे। नीरज फ़ोन की तरफ़ देखता है जो अभी भी कटा नहीं था।

नीरज: प्रशांत सुन लिया तूने। वैसे तुझे भरोसा होगा भी नहीं। लेकिन ये सच है अब ऋतु यहाँ होती तो उसी से पूछवा देता। घर में नीरू छोड और कोई दूसरा हैं नहीं।

प्रशांत: मुझे भरोसा नहीं हो रहा कि नीरू ये कर सकती है और प्रशांत फ़ोन काट देता है।

प्रशांत तुरंत ही ऋतु को फ़ोन लगता है। वैसे प्रशांत ने ऋतु का नम्बर ब्लॉक कर रखा था। लेकिन वह अपनी ओर से तो फ़ोन लगा ही सकता है। थोडी देर बाद ऋतु का फ़ोन रिंग होने लगता है। ऋतु जैसे ही फ़ोन उठाती है तो स्क्रीन पर प्रशांत का नाम लिखा था। ये नीरू और नीरज दोनों ही देख लेते हैं।

ऋतु: अरे प्रशांत इस समय मुझे क्यो फ़ोन कर रहा है। कोई लफडा तो नहीं हुआ।

नीरज: यार मुझे क्या मालूम एक काम करों तुम फ़ोन स्पीकर पर कर लो देखों क्या कह रहा है।

ऋतु: हैलो प्रशांत, अरे तुम हो कहाँ तुम्हें में कुछ दिनों से ट्राई कर रही हूँ लेकिन तुम्हारा फ़ोन ही नहीं लगता।

अब प्रशांत कैसे बताता कि फ़ोन तो उसके ब्लैक लिस्ट में डाल रखा है।

प्रशांत: वह दीदी फ़ोन खराब हो गया था। इस कारण वैसे इस समय आप कहाँ हैं मुझे आपसे मिलना था।

ऋतु: सोच में पड जाती है।

नीरज: यार इस समय नीरू यहाँ हैं यदि प्रशांत यहाँ आएगा तो लफड़ा हो सकता है। तू उसे टरका दे।

ऋतु: अरे इस समय मिलने की क्या हड़बड़ी है। सुबह मिल लेना।

प्रशांत: जी वैसे इस समय आप कहाँ हैं।

ऋतु: वह मैं नीरज के साथ एक रिश्तेदार के घर पर आई हूँ।

प्रशांत: अच्छा नीरज से बात करा देंगी।

ऋतु: अरे क्या हो गया है तुम्हें, तुम तो नीरज से बात करने के नाम पर भागते थे। चलो बता कराती है लेकिन ऋतु देखती है तो नीरज वहाँ नहीं था। वह नीरज को आवाज़ देती है लेकिन नीरज जवाब नहीं देता। अरे नीरज अभी यहीं था लेकिन लगता है कहीं चला गया है। आएगा वैसे ही तुमसे बता करा दूंगी। ठीक है और ऋतु फ़ोन काट देती है।

फोन कटने के बाद प्रशांत को ये भरोसा हो जाता है कि ऋतु उससे झूठ बोल रही है। वह घर पर नहीं है ये तो साफ़ है लेकिन ऋतु को ये कहने की क्या ज़रूरत है कि नीरज भी उसके साथ है। क्या सच में नीरू नीरज का लंड चूस रही थी। ये सोचकर प्रशांत की आंखों में आंसू आ जाते हैं। तभी प्रशांत के कंधे पर एक हाथ आता है वह पलटकर देखता है।

प्रशांत: अरे नीरज जी आप

नीरज: हाँ मैं देख रहा था कि तू बहुत देर से खडा है। कब तक यहाँ खडा रहेगा नीरू आज पूरी रात यहाँ रूकने वाली है। देख अब तू उसे भूल जा इसी में तेरी और नीरू की भलाई है।

प्रशांत: सॉरी जीजा जी, प्लीज जीजाजी एक बार मेरी नीरू से बात करवा दो। बस एक बार!

नीरज: देख वैसे तो मुश्किल है लेकिन फिर भी में कोशिश करूंगा लेकिन तू मेरे और नीरू के बीच में नहीं आएगा।

प्रशांत: देखिए नीरू की जो मर्जी होगी वह उसे करने के लिए आजाद है। वैसे भी अब मेरा उस पर कोई अधिकार नहीं है। आप मेरी बात करा देंगे तो आपका एहसान होगा।

नीरज: ठीक है कोशिश करता हूँ। दो चार दिन में तेरी बात कराने की लेकिन अभी तू यहाँ से जा। क्योंकि यदि नीरू ने देख लिया तो तेरे लिए ही मुश्किल हो जाएगी और हाँ अभी दो चार दिन तू नीरू के सामने मत आना।

इसके बाद प्रशांत चला जाता है। दो तीन दिन प्रशांत नीरू के आफिस नहीं जाता। नीरू समझती है कि प्रशांत यहीं कहीं छिपा होगा। एक ओर प्रशांत का दिल ये मानने को तैयार नहीं था कि नीरू नीरज का लंड चूस रही होगी। दूसरी ओर दिमाग़ कहता था कि जीजाजी ने नीरू के अकेले होने का इस बार ज़रूर फायदा उठाया होगा। उसके पेट में बच्चा है और इस समय नीरू को भावनात्मक रूप से भी किसी के सहारे की ज़रूरत है और इसी का फायदा ऋतु दीदी और जीजाजी ने उठाया होगा।

प्रशांत ये सोच ही रहा था कि उसके फ़ोन की घंटी बजती है। फ़ोन पर नम्बर डिस्प्ले हो रहा है। प्रशांत फ़ोन पर कुछ देर तक बात करता है और उसकी चेहरे पर हल्की-सी ख़ुशी दिखाई देती है। लेकिन साथ ही उसके चेहरे पर चिंता की लकीरें भी गहरी हो जाती है। प्रशांत मन ही मन सोचता है कि उसका अब नीरू से मिलना बहुत ज़रूरी है। क्योंकि अब भी वह नीरू से बात नहीं कर पाया तो फिर शायद नीरू उसे ज़िन्दगी भर न मिल जाए ये सोचकर प्रशांत अपना मन पक्का कर लेता है।

सात आठ दिन लगातार प्रशांत नीरू के आफिस के बाहर खडा होता है लेकिन नीरू उसे दिखाई नहीं देता। प्रशांत की मायूसी बढती जा रही थी। प्रशांत को ये पता नहीं था कि नीरू की तबीयत खराब होने के कारण वह आफिस नहीं आ रही थी। लेकिन प्रशांत रोज़ शाम के समय ज़रूर नीरू के ऑफिस के बाहर खडा होता था।

प्रशांत मन ही मन यदि आज भी नीरू नहीं आई तो फिर उससे मुलाकात नहीं हो पाएगी। लेकिन वह आफिस क्यों नहीं आ रही है। कहीं उसने अपना ट्रांसफर तो नहीं करा लिया। नहीं-नहीं नीरू इस शहर को छोडने को तैयार नहीं थी तो ट्रांसफर तो नहीं कराया होगा। ज़रूर कोई और बात ही होगी। प्रशांत ये सब सोच रहा था तभी नीरू उसे आफिस से बाहर निकलती दिखाई देती है-प्रशांत तुरंत ही नीरू के पास पहुँच जाता है।

प्रशांत: नीरू मुझे तुमने ज़रूरी बात करनी है।

नीरू: देखों मुझे तुमसे किसी तरह की बात करने में कोई इंट्रेस्ट नहीं है।

प्रशांत: मैं मानता हूँ ऋतु दीदी के साथ मैंने जो किया वह सही नहीं था। लेकिन उसमें मेरी गलती नहीं थी। मैंने कभी उन्हें उस नज़र से नहीं देखा।

नीरू: मुझे इस मैटर पर अब कोई बात नहीं करनी है।

प्रशांत: प्लीज मेरी बात सुन लो मुझे बस दस मिनिट का समय दे दो।

नीरू: हमारे रास्ते अलग हो चुके हैँ, इसलिए बेहतर है कि तुम अपना समय खराब मत करो।

प्रशांंत नीरू का हाथ पकडते हुए प्लीज नीरू मानता हूँ मुझसे बडी गलती हुई है लेकिन तुमने जो किया

नीरू प्रशांत की ओर गुस्से से देखती है और अपना हाथ झटके से छुडा लेती है। देखो यहाँ यदि तुम तमाशा करना चाहते हो तो कर सकते हैं। लेकिन मैं तुम्हारी कोई बात सुनने को तैयार नहीं हूँ। तुम मुझ पर अपने सभी अधिकार खो चुके हैं। हाँ मेरे पेट में जो बच्चा है उसे ज़रूर मैं तुम्हारा नाम दूँगी। इसके अलावा हमारे रिश्ते में अब कुछ भी नहीं बचा है।

प्रशांत और नीरू के बीच ये सभी बातें सडक पर हो रही थी दोनों के बीच चल रही तकरार को देखते हुए कुछ लोग भी वहाँ एकत्रित होना शुरू हो जाते हैं। ये सब देख एक बुज़ुर्ग आदमी कहता है अरे भाईसाहब क्यो लडकी को छेड रहे हो।

प्रशांत: जी ये मेरी दोस्त है

नीरू: जी नहीं में आपकी दोस्त नहीं हूँ और आपसे कोई बात भी नहीं करना चाहती।

तभी एक और आदमी आता है और प्रशांत को धक्का देते हुए कहता है कि देख शक्ल से तो तू शरीफ लग रहा है लेकिन तेरी नीयत सही नहीं लगा रही तभी एक और आदमी प्रशांत के गाल पर जोरदार तमाचा मार देता है। प्रशांत के गाल पर पडे तमांचे से प्रशांत तो हिलता है साथ ही नीरू भी हैरान हो जाती है। उसे ये उम्मीद बिल्कुल नहीं थी कि ऐसा भी हो सकता है। प्रशांत के गाल लाल हो जाते हैं ये देख नीरू के चेहरे पर परेशानी झलकने लगती है। नीरू कुछ कहती तभी एक गाडी उसके पास में आकर रूकती है। और उसमें से ऋतु और नीरज उतरते हैं।

नीरज : अरे क्या हो रहा है और तुम प्रशांत कितनी बार कहन है कि यहां मत आया करो।

बुजुर्ग : आप जानते हैं इसे

नीरज : हां जानता हूं हमारे परिचित का है और ये लडकी मेरी रिश्तेदार हैं। मेरी साली है।

बुजुर्ग : ठीक है फिर आप ही इसे समझाईए ये लडका इस लडकी को परेशान करन् रहा था।

दूसरी ओर ऋतु नीरू को लेकर गाडी के अंदर बैठ जाती है। नीरज प्रशांत को लेकर थोडी दूर जाता है।

नीरज : देख यदि मैं चाहता तो यहां इन लोगों से तेरी वो हाल करवा सकता था कि तू सोच भी नहीं सकता था। लेकिन नीरू के सामने मैं कोई तमाशा नहीं चाहता। तू ये सोच ले कि तू अपने पैरों पर खडा हुआ है तो इसीलिए कि नीरू यहां हैं। और तुझे अंतिम बार बता रहा हूं। मेरे और नीरू के बीच में अब तू आने की सोच भी मत। नीरू इस बच्चे को जन्म दे दे उसके बाद मैं उसे अपने बच्चे की मां बनाउंगा।

प्रशांत : देखिए जीजाजी

नीरज : जीजाजी नहीं सिर्फ नीरज !

प्रशांत : नीरज जी प्लीज आम समझने की कोशिश कीजिए मैं नीरू के बिना नहीं रह सकता। और मुझे उससे आज मिलना बहुत जरूरी है।

नीरज : अच्छा ऐसा भी क्या है जो तुझे उससे आज मिलना इतना ज्यादा जरूरी है।

प्रशांत : नीरज जी मेरी नौकरी दूसरी कंपनी में लग गई है। कंपनी मुझे डेढ साल के लिए कनाडा भेज रही है। मुझे कल ही निकलना है। मैंने आठ नौ दिन से नीरू से मिलने की कोशिश कर रहा हूं लेकिन वो आज आफिस आई है। मेरे पास सिर्फ आज का ही समय है।

नीरज : मन में इसे ये पता नहीं है कि नीरू छुटटी पर थी। चलो मेरे लिए तो अच्छा ही है। और अब डेढ साल के लिए ये कांटा निकल रहा है। देखों प्रशांत नीरू मैं और ऋतु सप्ताह भर के लिए घूमने के लिए गए थे। इसलिए वो आफिस नहीं आई थी वैसे हम लोगों ने बहुत मस्ती की थी। नीरू मेरे साथ बहुत खुश है। वो मां बनने वाली है इसलिए में उसे ज्यादा से ज्यादा खुशी देनी की कोशिश कर रहा हूं लेकिन तुम उसे रुला रहे हों। अब मुझे फिर से उसका मूढ सही करना पडेगा।

प्रशांत : जीजाजी सॉरी नीरज जी प्लीज आप मेरी बात तो समझने की कोशिश कीजिए।

नीरज : यार क्या समझू। अब तुम्हारी भलाई इसी में कि तुम यहां से चले जाओ वैसे उस दिन तुमने सुना तो होगा नीरू किस तरह से मेरा लंड चूस रही थी। आज रात को भी इसे अपना लंड चुसवाउंगा। अभी इसे चोद तो नहीं पाउंगा। लेकिन बच्चा हो जाए फिर तुम देखना तुम्हें भी लाइव दिखा दूंगा। वैसे भी नीरू को मुझसे चुदते हुए देखने की तुम्हारी भी इच्छा होती है। और तुम देख भी चुके हो। लेकिन नीरू की चुदाई मैं तुम्हें एक ही शर्त पर दिखांउगा तुम शांति से हमें चुदाई करते हुए देखना यदि बीच में आओगे तो तुम्हें ये मौका में नहीं दे सकता।

प्राांत : प्लीज नीरज जी आप नीरू को छोड दीजिए।

नीरज : नहीं प्रशांत अब नीरू की मुझे आदत हो गई है।

प्रशांत : आपके पास आपकी बीबी है फिर भी आप

नीरज : ठीक है नीरू एक बार मेरा बच्चा अपने पेट में ले ले तो उसके बाद सोचूंगा। और नीरज प्रशांत से विदा होकर अपनी गाडी में बैठता है और नीरू और ऋतु को लेकर निकल जाता है। प्रशांत सड़क पर खडा रह जाता है।

जारी रहेगी
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RE: bahan sex kahani ऋतू दीदी - by deeppreeti - 10-11-2021, 12:02 PM

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