bahan sex kahani ऋतू दीदी
04-30-2023, 06:53 PM,
RE: bahan sex kahani ऋतू दीदी
शक का अंजाम

PART 3

UPDATE 10

मूल लेखक ने ये स्टोरी  जिस जगह  समाप्त की  है. मेरा प्रयास है कहानी वही से को आगे बढ़ाने का और नए मौलिक  अपडेट देने  की  । एक पाठक (जिन्हो अपना नाम नहीं बताने के लिए अनुरोध किया है) और मेरा मिलजुल कर प्रयास रहेगा,  इस कहानी को और आगे ले कर जाने का . लीजिये पेश है  भाग 3 Update 46. ( New-10)     


प्रशांत  उसके बाद नीरज को बेटे निशंक का फोटो भेजने के लिए धन्यवाद करता है और फ़ोन बंद कर देता है. 

प्रशांत को जब से नीरज ने नीरू की चुदाई की रिकॉर्डिंग फोन पर सुनवाई थी, उसके बाद प्रशांत को पूरा भरोसा हो गया था कि नीरू अब पूरी तरह से नीरज की हो चुकी है। लेकिन वो अपने  बच्चो को लेकर जरूर थोडा परेशान था। पहला बच्चा तो ऋतु को दे दिया था। अब दूसरा बच्चा को  भी क्या वो उसे देख नहीं पाएगा। प्रशांत जब भी नीरू को फ़ोन करता था उसे नीरज ही उठाता था इसलिए उसके बाद वो  नीरू के नंबर  पर भी  बात करना भी बहुत कम कर देता है। महीने में बामुश्किल एक बार ही वो नीरज के फोन को उठाता है। वो भी तब जब नीरज का व्हाट्ऐप पर मैसेज आता है कि जरूरी बात करनी है। इससे नीरज को भी लगता है की प्रशांत का काँटा लगभग निकल ही गया है .

फिर प्रशांत के वापिस लौटने के लगभग २ महीने पहले  एक दिन  प्रशांत के फ़ोन में कुछ खराबी आ जाती है तो वो फ़ोन ठीक करवाने जाता है ..

मेकानिक : सर इसमें बहुत सारी ऑडियो रेकॉर्डिंग पड़ी हुई है .. जिसके कारण इसमें डाटा स्पेस खत्म हो गया है .. आप के फ़ोन में आप जो भी बाते करते हो सबकी रिकॉर्डिंग हो जाती है क्योंकि उसमे ऑटो रिकॉर्डिंग का फीचर डला हुआ है .. आप कहें तो उनको डिलीट कर दू .. जगह हो जायेगी तो फ़ोन ठीक हो जाएगा .. 

प्रशांत : नहीं डिलीट मत करो .. उनका बैकअप एक अलग डाटा कार्ड में कर दो फिर डिलीट कर देना
मेकानिक वैसा करके फ़ोन ठीक कर देता है ..

घर में आकर प्रशांत कंप्यूटर में लगा कर चेक करता है उसमे नीरज से सारी बातचीत की रिकॉर्डिंग भी थी .. वो सब सुनता है और नीरज से बातचीत की कुछ रिकॉर्डिंग ऋतू को भेज देता है और साथ में मैसेज करता है और नीरू को भी फ़ोन मिलाता है और घंटी की आवाज नीरज की अलमारी से आ रही होती है .. ऋतू उसे निकाल कर देखती है तो उसमे नीरू के पुराने नंबर वाले सिम के साथ एक फ़ोन मिल जाता है .. जिसमे प्रशांत का काल था और तब तक फ़ोन कट जाता है .. ऋतू उस फ़ोन को चेक करती है .. 

लेकिन उसके बाद भी ऋतू का कोई जवाब नहीं आता है  और प्रशांत का शक पुख्ता हो जाता है की ऋतू भी  नीरज का साथ दे रही है और ये बात उसने नीरज के मुँह से भी एक दो बार सुनी थी की सब ऋतू की सहमति से हो रहा है इसलिए उसने कभी उसके बाद ऋतू को संपर्क करने की कोशिश भी नहीं की बल्कि इस गम में अकेले ही घुलता रहता है 

समय अपनी गति से बीत रहा था बच्चा एक साल का हो जाता है।

ऋतु : आज छोटू का बर्थडे है, आज तो प्रशांत को जरूर आना चाहिए।

नीरू : दीदी इसे छोटू मत कहा करो, इसका नाम निशंक है।

ऋतु : वो ठीक है मैं ते छोटू ही कहूंगी। वैसे प्रशांत से बात हुई या नहीं डेढ साल से ज्यादा का वक्त हो गया है।

नीरू : नहीं दीदी साल भर से कोई बात नहीं हुई है।

जिस दिन प्रशांत के बेटे का जन्म दिन था प्रशांत ने उसी दिन इंडिया लौटने की तैयारी की और दुसरे दिन प्रशांत इंडिया लौट आता है। प्रशांत सबसे पहले अपने घर जाता है जहां वो अपने मम्मी पापा से मिलता है।

प्रशांत लौट आया है नीरज को इसकी जानकारी नहीं थी लेकिन नीरज को ये जरूर पता था कि प्रशांत अब जल्दी ही इंडिया लौटेगा। जिससेे नीरज जरूर चिंतित दिखने लगता है। क्योंकि उसने सोचा था कि डेढ साल में वो नीरू को फिर से अपने जाल में फंसा लेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ और नीरू ने उसे माफ नहीं किया। नीरू को नीरज की मंशा समझ में आ चुकी थी इसलिए वो नीरज से दूर ही रहती है।

प्रशांत ने भी नीरज को ये नहीं बताया था कि वो इंडिया कब जा रहा है। क्येंकि वो नहीं चाहता था कि नीरज उसे अपनी और नीरू की प्रेमलीला लाइव दिखाए। इंडिया आने के बाद प्रशांत ने सोचा कि एक बार अपने बच्चों को देख लिया जाए। शायद नीरू उसे अपने साथ आफिस लाती हो।

प्रशांत एक दिन शाम के समय एक बार फिर नीरू के आफिस के बाहर पहुंच जाता है। अपनी गाडी सड़क किनारे खडी कर प्रशांत टहलने लगता है थोडी देर बाद उसे आफिस से नीरू आती दिखाई देती है लेकिन उसके हाथ में बच्चा नहीं था। प्रशांत के मन में कई विचार आने लगता है क्या नीरू ने बच्चा किसी को दे दिया है। या फिर दूसरा बच्चा भी ऋतु के ही पास है। नीरू ऑटो का इंतजार कर रही थी एक बार उसकी नजर प्रशांत पर भी पडी लेकिन वो प्रशांत को दूर से पहचान ही नहीं पाई। क्योंकि दाडी मूछ और मजबूत कद काठी में नीरू ने प्रशांत को कभी देखा ही नहीं था। प्रशांत नीरू को एकटक देखता रहता है तभी एक ऑटो आता है और नीरू उसमें बैठकर चली जाती है।

दो तीन दिन ये ही चलता रहता है। नीरू की नजर प्रशांत पर पडती है लेकिन वो उसे नजर अंदाज ही करती है। नीरू ये समझती है कि ये युवक कहीं आसपास ही रहता होगा। दाडी मूछे और मजबूत कद काठी देख नीरू को उससे उल्टा डर ही लगता है।

दूसरी ओर प्रशांत के मन में उथल पुथल मची हुई थी। इंडिया में उसे कंपनी में ज्वैइन करने का समय आ गया था। जिस शहर में नीरू नौकरी करती थी वहां प्रशांत की कंपनी की ब्रांच भी थी। लेकिन उसे दूसरे शहर की मैन ब्रांच को संभालना था। इसके लिए उसे एक दिन बाद ही जाना था। नीरू से मिलने में उसे ज्यादा इट्रेस्ट नहीं था वो अपने बच्चे को देखना चाहता था।

प्रशांत सोचता है कि आज नीरू का पीछा करके देखा जाए कि ये जाती कहां हैं क्योंकि दो दिन नीरू के ऑटो में बैठती ही प्रशांत दूसरे रास्ते से नीरज के घर पहुंचा लेकिन उसे नीरू नीरज के घर जाते हुए नहीं दिखी। जबकि नीरज से जब भी उसकी फोन पर बात होती थी तो नीरज ये ही कहता था कि नीरू अब उसी के घर में शिफ्ट हो गई है और वो, नीरू और ऋतु एक ही विस्तर पर सोते हैं।

नीरज के घर पर जब नीरू नहीं मिलती है तो प्रशांत अब नीरू का ही पीछा करने की सोचता है। रोज की तरह नीरू आज भी ऑटो से अपने घर जा रही थी। प्रशांत थोडी दूरी बनाते हुए ऑटो का पीछा कर रहा था। जैसे जैसे ऑटो कुछ दूर जाने के बाद रूकता है और नीरू उसमें से उतरकर एक मकान में जाती है लेकिन थोडी देर बाद ही वापस आ जाती है। अब उसकी गोद में एक बच्चा था। प्रशांत बिल्डिंग की ओर देखता है और देखते ही समझ जाता हैकि ये कोई क्रेच है। और नीरू यहां बच्चा छोडकर नौकरी करने के लिए जाती है। प्रशांत जल्दी से मोबाइल निकलता है और बच्चे के फोटो लेने की कोशिश करता है और बच्चे का कोई फोटो क्लीयर नहीं आता। अब प्रशांत के मन में ही कई सवाल उठने लगते है।

नीरू यदि नीरज के साथ रहती है तो वो अपना बच्चा क्रेच में क्यो छोडती है। और नीरज के घर पर तो ये नहीं होती है ये तो साफ है। क्योंकि तीन चार दिन से में लगातार देख रहा हूं। और जिस ओर नीरू अभी गई है नीरज का घर भी उस ओर नहीं है। तभी प्रशांत को ध्यान आता है कि उससे झगड़े के बाद जिस घर में शिफ्ट हुई थी वो घर उसी ओर था जिस ओर नीरू को ऑटो गया था। प्रशांत एक बार फिर गाडी में बैठता है और नीरू के पुराने मकान की ओर अपनी गाडी दौडा देता था। प्रशांत बहुत देर तक नीरू के मकान केबाहर अपनी गाडी में बैठा रहता है। वो ये क्लीयर करना चाहता था कि नीरू क्या अभी भी यहीं रहती है। काफी देर तक उस बिल्डिंग से कोई बाहर नहीं निकलता तो प्रशांत अपने घर चला जाता है।

दूसरे दिन प्रशांत दूसरे शहर चला जाता है। जहां उसे नौकरी ज्वैइन करनी थी। कंपनी की ओर से उसे घर, गाडी, नौकर सभी सुविधाएं दी गई थी।

एक महीने तक प्रशांत को समय नहीं मिलता। इस बीच नीरज का फोन भी दो बार आता है लेकिन प्रशांत उससे ये ही कहता है कि अभी वो कनाडा में ही है। तीन चार महीने लग सकते हैं आने में। प्रशांत को अब शक होने लगता है कि नीरज उसके साथ कोई बडा गेम खेल रहा है। और ऋतु उसका साथ दे रही है। प्रशांत के घर लौटते ही उसके घर वाले उस पर दूसरी शादी का दबाव बनाना शुरू कर देते हैं।
प्रशांत के चाची और मां बोलते हैं बेटा अब तू शादी कर ले।

प्रशांत : नहीं मां अब मैं शादी वादी करने के मूढ में नहीं हूं। शादी एक बार की जाती है जो आप लोगों की पसंद से की थी।

प्रशांत की चाची : बेटा ऐसे काम कैसे चलेगा एक तू हैं जिसका अपनी पत्नी से तलाक हो गया है और एक मेरा बेटा है जिसकी पत्नी हादसे में मारी गई है। मेरा बेटा भी शादी के लिए तैयार नहीं है।

प्रशांत : अरे सूरज (प्रशांत के चाचा का बेटा) को समझाइएगा।

प्रशांत की मां : बेटे सूरज भी तुझ पर गया है आखिर है तो एक ही खानदान का खून।

प्रशांत : मां मैं सूरज को समझाने की कोशिश करूंगा।

इसके बाद प्रशांत सूरज को बहुत समझाता है और प्रशांत के समझाने पर सूरज शादी के लिए तैयार हो जाता है। सूरज भी प्रशांत से कहता है लेकिन प्रशांत उससे कह देता है कि वो अभी दो तीन साल शादी के मूढ में नहीं है क्योंकि इंडिया में उसे बहुत काम है दो तीन साल बाद शादी के बारे में सोचूंगा। प्रशांत किसी भी तरह सूरज को टालना चाहता था। पर प्रशांत के माँ बाप उसके पीछे पड़े ही रहते हैं की वो दुबारा शादी कर ले और घर बसा ले .

प्रशांत फिर नौकरी पर चला जाता है। ऋतु के मन में उथल पुथल मची हुई है । क्योंकि उसने नीरज के बारे में जो कुछ सुना था उससे उसे बडा झटका लगा था। लेकिन अभी तक उसके पास इसका कोई सबूत नहीं था। और उसने अब जो कुछ सुना उसकी सच्चाई की पडताल में जुट जाती है।

इस बीच एक दिन ऋतु, नीरज मॉल घूमने का प्रोग्राम बनाते हैं।

ऋतु : एक काम करो नीरू को भी साथ में ले चलते हैं।

नीरज : ले चलो लेकिन वो जाने को तैयार नहीं होगी।

ऋतु : देखते हैं, वैसे ऋतु को भी पता था नीरू नीरज के साथ मॉल जाने को शायद तैयार नहीं होगी। लेकिन फिर भी उसे हल्की सी उम्मीद दिखती है तो वो नीरज से कहती है मॉल तो नीरू के घर के पास में ही हैं। एक काम करते हैं पहले उसी के घर पर चलते हैं। शायद हमारे साथ चलने को तैयार हने जाए। नीरू के घर पर पहुंचने के बाद जाते हैं और ऋतु जबरदस्ती नीरू को भी अपने साथ चलने को कहती है लेकिन नीरू साफ साफ मना कर देती है। लेकिन तभी नीरज को किसी जरूरी काम से जाना पड़ जाता है। तो नीरज ऋतु को नीरू के घर छोडकर चला जाता है।

ऋतु : चल अब तो फटाफट तैयार हो जा हम लोग घूमने चल रहे हैं।

नीरू : नहीं दीदी मेरा मन नहीं है कहीं जाने का।

ऋतु : यार अब तो नीरज भी चला गया मुझे मालूम है तुझे नीरज से अब प्रोब्लम है। मैं भी नीरज के साथ चलने पर तुझ पर कभी जोर नहीं डालती हूं। क्योंकि मुझे उस पर कोई भरोसा नहीं है। आज तुम्हारी जो हालत है उसके पीछे भी नीरज ही जिम्मेदार है।

नीरू : दीदी सिर्फ जीजाजी ही जिम्मेदार नहीं है प्रशांत भी जिम्मेदार है जिसने कभी मुझे समझा नहीं हमेशा शक ही करता रहा। और आज भी शक करता है।

ऋतु : प्रशांत के शक करने के कुछ तो कारण रहे होंगे। कोई ऐसे ही किसी पर शक नहीं करता।

नीरू : कोई कारण नहीं था सिर्फ मैं जीजाजी पर अंध भरोसा करती थी, यदि उसे जीजाजी पर शक था तो चलो मान भी लूं लेकिन वो मुझ पर भी शक करता है साल भर पहले जब मेरा मोबाइल उस के चक्कर में खराब हुआ था उस समय उसने जो बोला था वो शब्द तो मैं दुहरा भी नही सकती।

ऋतु : ये ही बात तो मुझे परेशान कर रही है वो कौन है जो प्रशांत के मन में अभी भी शक के बीज बो रहा है। अब ये सब बातें छोड़ नीरज है नहीं तू मेरे साथ चल रही है।

नीरू : ठीक है आप इतना कह रही है तो चलती हंू और नीरू थोडी देर में तैयार हो जाती है। इस बीच ऋतु नीरज को नीरू के सामने ही फोन लगाकर कहती है कि नीरू कहीं जाने को तैयार नहीं हो रही है वो दो तीन घंटे नीरू के घर पर ही रूकेगी और फिर ऑटो से अपने घर चली जाएगी। ऋतु और नीरू मॉल में घूम रहे थे और बच्चों के साथी भी खेल रहे थे। तभी अचानक नीरू की नजर एक दुकान पर पडती है और नीरू वहीं रूक जाती है।

ऋतु : अरे क्या हुआ यहां क्यो खडी रह गई।

नीरू : वो देख उस दुकान में

ऋतु : अरे वो तो कपडो की दुकान है, लेकिन छोटे के कपडे तो वहां मिलेंगे नहीं।

नीरू : दीदी में कपडो की बात नहीं कर रही हैं दुकान में सामने जो दो महिलाएं बैठी हैं में उनकी बात कर रही हूं।

ऋतु : दुकान की ओर देखते हुए तो इसमें क्या है।

नीरू : उनमें से जो नीली साडी पहने हुए हैं वो प्रशांत की मां हैं और दूसरी वाली शायद उसकी चाची है। वो गांव में रहती है उनसे मैं ज्यादा नहीं मिली इसलिए उनके बारे में श्योर नहीं हुई लेकिन नीली साडी में तो प्रशांत की मां ही हैं। लेकिन ये इतनी खरीददारी किसके लिए कर रही हैं।

ऋतु : यार तू क्योंं चिंता कर रही है, खरीद रहे होंगे अपनी किसी बहू के लिए या बेटी के लिए।

नीरू : नहीं दीदी, प्रशांत अपने मां-बाप का इकलौता लडका है। ऐसे में प्रशांत की मां अरे उसके पिताजी भी आए हुए हैं। उन पर नजर ही नहीं गई। ये लोग यहां रहते भी नहीं है।

ऋतु : एक काम कर तू थोडा आगे जा बच्चों को लेकर मैं पता करके आती हूं कि माजरा क्या है। और नीरू बच्चों को लेकर थोडे आगे चली जाती हैं जबकि ऋतु दुकान के अंदर जाकर प्रशांत की मां के पास ही बैठ जाती हैं।

दुकन ऋतु को पूछता है तो वो उसे कुछ साडी दिखाने के लिए बोलता है। थोडी देर में ऋतु ही अपनी ओर से बात शुरू करती है।

ऋतु : आंटी आपको मैंने कहीं देखा है।

प्रशांत की मां : अरे बेटी मैं तो इस शहर में ही नहीं रहती आज ही आई हूं तूने कहां देख लिया।

ऋतु : अच्छा मुझे लगा कहीं देखा है। असल  में मेरा दोस्त था उसकी मां की शक्ल हूबहू आपसे मिलती है। इसलिए धोखा खा गई।

प्रशांत की मां : कोई बात नहीं बेटी हो जाता है।

ऋतु : वैसे आप ये साडियो अपनी बेटे के लिए खरीद रही हैं।

प्रशांत की मां : अरे मेरे तो बेटी ही नहीं है साडियां तो अपनी बहू के लिए ले रही हूं।

ऋतु : अच्छा तो घर में शादी है। आपके बेटे की।

प्रशांत की मां : हां बेटी बडी मुश्किल से बेटा तैयार हुआ है पहली बीबी तो उसे बीच रास्ते में ही छोड गई। अब अगले सप्ताह शादी है।

ऋतु को बहुत बड़ा झटका लगता है। वो सोचती है कि प्रशांत की अगले सप्ताह शादी होने वाली है। थोडी दे बाद वो पूछती है आंटी शादी तो आप गांव से ही करोगी।

प्रशांत की मां : नहीं बेटा शादी के होटल डीवीएस बुक कर लिया है। 16 तारीख को शादी होनी है। बेटी तू कहीं आसपास रहती है क्या।

ऋतु : हां मेरा पास में ही घर है। अच्छा आंटी चलती हूँ

इसके बाद ऋतु कोई सवाल नहीं करती और दुकान से बाहर आ जाती है। और नीरू के पास पहुंचती है।

नीरू : ये लोग यहां किस लिए आए हैं दीदी

ऋतु : चलो पहले घर चलते हैं उसके बाद बात करेंगे।

नीरू : कुछ गडबड है दीदी क्या।

ऋतु : तू चल तो सही कुछ भी गडबड नहीं है।

नीरू : तो बताइए ये लोग क्यो यहां आए हैं और इतनी खरीददारी किसलिए हो रही है।

ऋतु : पहले घर चल फिर वहीं बात करेंगे। नीरू का मन भी बेचैन हो रहा था। वो ऋतु के साथ घर आती है।

नीरू : अब बताइये क्या बात है।

ऋतु : एक बात बता प्रशांत का कोई भाई है क्या।

नीरू : नहीं प्रशांत अपने मां बाप का इकलौता लडका है। बात क्या है।

ऋतु : देख तू शायद सहन नहीं कर पाएगी। मैने भी प्रशांत को ऐसा नहीं समझा था। मैं समझती थी कि वो तुझसे प्यार करता है।

नीरू : बात क्या है और रही बात प्यार की तो मुझे मालूम है प्रशांत मुझसे कितना प्यार करता है। प्यार करता होता तो बच्चे को देखने जरूर आता। खैर वो छोडो ये बताओ बात क्या है।

ऋतु: देख प्रशांत दूसरी शादी कर रहा है।

नीरू : क्या

ऋतु : हां और अगले सप्ताह 16 तारीख को उसकी शादी है। यहीं पास में डीवीएस होटल से ये शादी होगी।

प्रशांत की शादी की बात सुनकर नीरू विस्तर पर गिर पडती है उसकी आंखों में नमी आ जाती है।

ऋतु : अरे तुझे क्या हुआ, तू तो प्रशांत के नाम पर भडकती थी। मुझे मालूम है तू आज भी प्रशांत से प्यार करती हूं। उसे आज भी भूल नहीं पाई है। शायद तुझे अपने फैसले पर पछतावा हो रहा है।

नीरू : अपनी आंखों में आए आंसू को पोछते हुए। नहीं दीदी मुझे अपने फैसले पर कोई पछतावा नहीं है। उल्टे आज मुझे अपने फैसले पर गर्व हो रहा है कि मैने सही समय पर सही फैसला लिया। हां प्रशांत से मेरी शादी हुई थी इसलिए उसके लिए मन में थोडी जगह अभी भी है। भले ही उसके मन में मेरे लिए कोई जगह न हो। लेकिन मैं न तो उसके जैसी हूं और न ही हो सकती हूं्र।

ऋतु समझ जाती है कि नीरू को प्रशांत की शादी का दुख बहुत है लेकिन शायद वो खुद को संत्वना देने की कोशिश कर रही है।

नीरू : वैसे आपने तारीख कौन सी बताई थी शादी की।

ऋतु : क्यो जाना है क्या तुझे भी शादी में

नीरू : नहीं मैं वैसे ही पूछ रही थी।

ऋतु : 16 फरवरी

नीरू : जानती हो दीदी ये कौन सी तारीख है।

ऋतु : हां तेरी और प्रशांत की शादी भी इसी दिन हुई थी। और शायद प्रशांत ने इसीलिए इसी दिन का चुना है।

नीरू : फीकी मुस्कान के साथ शायद आप सही कह रही हो। आपने पूछा था ना कि क्या मैं प्रशांत की शादी में जाउंगी। तो हां मैं प्रशांत की शादी में जरूर जाउंगी। उस बेवफा का अंतिम बार चेहरा देखने जरूर जाउंगी।

ऋतु : ठीक है लेकिन तू अकेले नहीं जाएगी मैं भी साथ चलूंगी।

नीरू : ठीक है आप चलना लेकिन जीजाजी को साथ मत लाना।

ऋतु: मुझे मालूम है, उन्हें लाकर मैं भी कोई बखेडा खडा नहीं करना चाहती।

इसके बाद ऋतु अपने घर चली जाती है। और नीरू विस्तर पर गिरी हुई काफी देर तक रोती रहती है। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसे रोना क्यो आ रहा है। जब उसे प्रशांत के साथ रहना नहीं था तो भी प्रशांत की शादी से उसे परेशानी क्या थी। शायद नीरू प्रशांत को किसी और के साथ देखने की संभावना से ही टूट गई थी।

प्रशांत की शादी को दो दिन बचे थे नीरू की दिल की धडकने बढी हुईं थी। तो दूसरी ओर ऋतु किसी और चीज को लेकर परेशान थी। वो समझ नहीं पा रही थी कि उसके रहते नीरू के साथ इतना बड़ा धोखा कैसे हो गया। वो नीरू को कैसे बताए। नीरज काम में निकलने की तैयारी में था और जल्दबाजी में निकल जाता है..

कहानी जारी रहेगी..
Reply


Messages In This Thread
RE: bahan sex kahani ऋतू दीदी - by aamirhydkhan - 04-30-2023, 06:53 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,458,647 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 539,643 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,214,968 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 918,764 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,628,641 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,060,852 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,916,784 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,944,234 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,988,229 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 280,848 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 4 Guest(s)