RE: महाकवि कालिदास द्वारा रचा गया महाकाव्य अभिज्ञानशाकुन्तल - हिंदी में
महाकवि कालिदास कृत नाटक अभिज्ञानशाकुन्तलम् का हिंदी अनुवाद अभिज्ञान शाकुन्तला नाटक Part 02
प्रस्तावना
कोरोना के कारण लॉक डाउन लगा, एक बार फिर सब बंद है, और घर में ही रहना है, तो सोचा समय का उपयोग करने के लिए कुछ पढ़ा जाए, और इस अवसर को सार्थक किया जाएl कुछ अच्छा पढ़ा जाए। अब सवाल उठा क्या पढ़ा जाय? अपने भारतीय भाषा में ही कुछ पढ़ा जाए । फिर मन में विचार आया भारतीय भाषा में पढ़ना है तो क्यों न सबसे अच्छा पढ़ा जाए । तो मन में संस्कृत के महाकवि कालिदास के अमर ग्रंथो को हिंदी में पढ़ने का विचार आया, और सोचा शुरुआत अभिज्ञानशाकुन्तलम् से की जाए।
दुकाने तो सब बंद ही थी और इंटरनेट में अभिज्ञानशाकुन्तलम् कहानी संक्षेप में तो मिली पर पूरा नाटक हिंदी में नहीं मिला । अभिज्ञानशाकुन्तलम् संस्कृत में जरूर मिलीl थोड़ा बहुत संस्कृत का जानकार हूँ । स्कूल में 5-12 कक्षा तक संस्कृत पढ़ी है। हिंदी कक्षा 8 के बाद नहीं पढ़ी, क्योंकि नवी कक्षा में विकल्प था हिंदी या संस्कृत का और गुरुजनो और कुछ अग्रज छात्रों ने सलाह दी, संस्कृत ले लो नंबर ज्यादा आते हैं। मेरा 5-8 क्लास में स्कूल में भी अनुभव यही था। संस्कृत में नंबर हिंदी से ज्यादा आते थे, सो संस्कृत ले ली। बस यही से संस्कृत से लगाव हो गया। फिर संस्कृत के आचार्य भी बहुत बढ़िया या यु कहे सौभाग्य मिला उनसे पढ़ने का । जो थोड़ा बहुत संस्कृत से डर था, वो भी निकल गया और गणित के बाद सबसे ज्यादा नंबर संस्कृत में ही आये।
तो फिर इसी विचार से प्रेरित हो सबसे पहले मैंने उनकी अमंर रचना 'अभिज्ञानशाकुन्तलम्' संस्कृत में पढ़नी शुरू कर दी.
मेरे विचार मे शाकुन्तल कालिदास के ही साहित्य नहीं अपितु विश्च साहित्य का देदीप्यमान काव्यरत्न हे
लॉक डाउन के दौरान एक दो मित्रो से लगभग रोज बात होती थी, तो सब पूछते हैं क्या करते हो दिन भर तो मैंने उन्हें बताया संस्कृत में महाकवि कालिदास का महाकाव्य अभिज्ञानशाकुन्तलम् पढ़ रहा हूँ और क्या लिखते हैं महाकवि ।
उन्हें तो संस्कृत नहीं आती थी तो भाई बोले कुछ नमूने बता दो, तो उन्हें महाकवि कालिदास की रचना अभिज्ञानशाकुन्तलम् में से महाकवि कालिदास की कमनीय कलेवर कोमल कविता कामिनी का संस्कृत से कुछ भाग का हिंदी में अनुवाद करके सुनाया तो बोले यार लिख कर मेल कर दो ये तो बहुत बढ़िया है।
उद्धरण के तौर पे .
जहां कालिदास शकुन्तला के सौन्दर्य-वर्णन पर उतरे हैं, वहां उन्होंने केवल उपमाओं और उत्प्रेक्षाओं द्वारा शकुन्तला का रूप चित्रण करके ही सन्तोष नहीं कर लिया है। पहले-पहले तो उन्होंने केवल इतना कहलवाया कि ‘यदि तपोवन के निवासियों में इतना रूप है, तो समझो कि वन-लताओं ने उद्यान की लताओं को मात कर दिया।’ फिर दुष्यन्त के मुख से उन्होंने कहलवाया कि ‘इतनी सुन्दर कन्या को आश्रम के नियम-पालन में लगाना ऐसा ही है जैसे नील कमल की पंखुरी से बबूल का पेड़ काटना।’ उसके बाद कालिदास कहते हैं कि ‘शकुन्तला का रूप ऐसा मनोहर है कि भले ही उसने मोटा वल्कल वस्त्र पहना हुआ है, फिर उससे भी उसका सौंदर्य कुछ घटा नहीं, बल्कि बढ़ा ही है। क्योंकि सुन्दर व्यक्ति को जो भी कुछ पहना दिया जाए वही उसका आभूषण हो जाता है।’ उसके बाद राजा शकुन्तला की सुकुमार देह की तुलना हरी-भरी फूलों से लदी लता के साथ करते हैं, जिससे उस विलक्षण सौदर्य का स्वरूप पाठक की आंखों के सामने चित्रित-सा हो उठता है। इसके बाद उस सौंदर्य की अनुभूति को चरम सीमा पर पहुंचाने के लिए कालिदास एक भ्रमर को ले आए हैं; जो शकुन्तला के मुख को एक सुन्दर खिला हुआ फूल समझकर उसका रसपान करने के लिए उसके ऊपर मंडराने लगता है। इस प्रकार कालिदास ने शकुन्तला के सौंदर्य को चित्रित करने के लिए अंलकारों का सहारा उतना नहीं लिया, जितना कि व्यंजनाशक्ति का; और यह व्यजना-शक्ति ही काव्य की जान मानी जाती है।
एक मित्र थोड़े ज्यादा कलाप्रेमी है सो बोले यार इसने मेरे कलाप्रेमी हृदय को कलोलपूर्ण कर दिया । थोड़ा और मिलेगा क्या ? सो उन्हें कुछ और भाग लिख कर भेज दिया । कुछ और कुछ और वो करते रहे और मैं भेजता रहा ।
फिर मन में एक और विचार आया अभिनज्ञानशाकुन्तल महाकाव्य का हिंदी में अनुवाद क्यों न नेट पर पाठको को उपलब्ध करवाया जाय. सभी इसका मजा क्यों ने ले।
पर मुझे ये भी मालूम है काम बहुत कठिन है लगभग 130 से ज्यादा पृष्ठ है और हजारो श्लोक हैं और फिर अनुवाद करना है सबसे बड़े महाकवि की सर्वश्रेठ माने जाने वाली कविताकोश का ।
मुझसे त्रुटियाँ जरूर होगी और दूर करने के लिए गुरुजनो का सहयोग माँगा है और उन्होंने यथासंभव दिया भी है । आप लोगो से भी मांग रहा हूँ, जहाँ भी लगे कोई त्रुटि है जरूर बताइएगा और सुधार भी बताइयेगा और इस महाकाव्य को अनुवादित करने की अपनी प्रयास और धृष्टता की क्षमा अभी से मांग रहा हूँ, कुछ त्रुटियाँ हिंदी टाइपिंग के कारण होंगी उन्हें सुधारने के लिए मेरी मदद करते हुए जरूर बताइयेगा .
एक से दो पेज प्रतिदिन अनुवाद करते हुए अपडेट दूंगा। कोशिस रहेगी सरल हिंदी लिखने की पर कुछ जगह पर थोड़ी कलिष्ट हिंदी आएगी, प्रयास रहेगा उसका सरल अनुवाद देने का आप भी यथासंभव सहयोग कीजियेगा, ख़ास तौर पर जिन्हे उनका सरल पर्यायवाची शब्द मालूम हो ।
मिलजुल कर प्रयास करते हैं उस अमर महाकाव्य को समझने का।
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