RE: Thriller Sex Kahani - कांटा
“अ...अब मैं संदीप का और अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकती डैडी।” रीनी एकाएक बिफर पड़ी। वह संदीप का हाथ पकड़कर उसे अपने साथ लगभग खींचती सी बोली “यहां से चलो फौरन।"
संदीप हिचकिचाया। लेकिन फिर उसने रीनी का प्रतिरोध नहीं किया। वह वार्ड का दरवाजा खोलकर रीनी के साथ बाहर निकल गया और वार्ड का दरवाजा पुनः बंद हो गया।
लेकिन जाते-जाते भी रीनी से बचाकर वह जानकी लाल की तरफ मुस्कराहट उछालना नहीं भूला था।
एक भेदभरी कुटिल मुस्कराहट, जिसमें जानकी लाल के लिए एक चैलेंज छिपा था। उस चैलेंज को जानकी लाल ने फौरन समझ भी लिया लेकिन प्रत्युत्तर में उसने कोई रियेक्ट नहीं किया।
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
जब वह लोग वार्ड से बाहर निकल गए और फिजां में पैना सन्नाटा छा गया तो जानकी लाल को एकाएक जैसे अजय का खयाल आया। वह अजय की ओर मुखातिब हुआ जो टकटकी लगाये कभी जानकी लाल को तो कभी संदीप को ही देख रहा था और दोनों की कटार जैसी तीखी नजरों के खामोश सवाल-जवाब को भी महसूस कर रहा था।
“एक मजे की बात बताऊं एकाउंटेंट साहब।” जानकी लाल उससे मुखातिब होकर बोला।
"ज...जी.. ।” अजय सावधान हुआ। उसने जानकी लाल को देखा।
“सारा शहर जानता है कि यह जलील लड़का मेरा दामाद है। मगर यह केवल मैं जानता हूं कि..।” जानकी लाल के चेहरे पर एकाएक घृणा और नफरत के भाव फैल गए “यह मेरा कैसा दामाद है। यह केवल फसाना बनाने के लिए मेरे घर में आया है। और जब यह परी बेहयाई से आमादा ही है तो फसाना तो यकीनन बनकर रहेगा।"
"ज..जी.... मैं आपका मतलब नहीं समझा।" अजय असमंजस में नजर आने लगा था।
“फिलहाल केवल इतना ही समझ लो, आने वाले कल में अगर मुझे कुछ होता है तो यकीन मानो, मेरी मौत का गुनाहगार सिर्फ और सिर्फ यही इंसान होगा, या फिर इसका इसके जैसा ही कमीना बाप।"
“य...यह आप क्या कह रहे हैं सर?” अजय हैरानी से बोला था।
“अभी मेरी बात पूरी नहीं हुई सोल्जर। और अगर इसे कुछ होता है तो इसके कत्ल के गुनाहगार के तौर पर तुम निःसंकोच मेरा नाम ले सकते हो।"
“ज...जी...।” अजय हैरत से भर गया। उसने गहन अविश्वास से अपने एम्प्लायर को देखा।
.
.
“खैर... । जानकी लाल ने खुद को सामान्य किया और सहज होकर बोला “उस टेंडर का रिजल्ट क्या रहा जो कल खुलने वाला था?"
अजय के चेहरे पर एकाएक मायूसी फैलती चली गई। फिर कोई जवाब देने के बजाये उसने अपना चेहरा झुका लिया।
"तुम्हारा जवाब मुझे मिल गया ब्रेवमैन।" जानकी लाल गहरी सांस भरकर बोला “यह टेंडर भी ड्रीम ड्रैगन ने हमसे हथिया लिया। राइट?”
“ए..ऐसा कैसे चलेगा सर।” अजय ने इस बार अपना चेहरा उठाया और तनिक फिक्रमंद स्वर में बोला "इतना अरसा हो गया और हमारी कम्पनी को एक भी नया टेंडर नहीं मिला। ड्रीम ड्रैगन की मालकिन नैना चौधरी हमारी कम्पनी से न जाने कैसी दुश्मनी निकाल रही है। वह चुन-चुनकर वह सारे टेंडर हथिया रही है, जो आज से पहले केवल हमें ही मिलते आए थे?"
“क्या महज यही बात यह स्पष्ट इशारा नहीं है एकाउंटेंट साहब कि कहीं डैमेज है। हमारी कंपनी में कोई भेदिया पैदा हो गया है, जो हमारे तमाम के तमाम टेंडर सीक्रेट नैना चौधरी तक पहुंचा रहा है।"
"भ..भेदिया?"
"तकरीबन सात साल पहले भी एक बार ऐसा हुआ था। इस कम्पनी में एक भेदिया पैदा हो गया था, जिसने ऐसे ही हमारे सीक्रेट ड्रीम ड्रैगन को पहुंचाकर हमें बहुत चोट पहुंचाई थी हमें करोड़ों का नुकसान उठाने पर मजबूर कर दिया था। मजे की बात यह है कि वह मेरा बहुत करीबी और बहुत विश्वासपात्र था। जानते हो उसका क्या नाम था?"
-
-
"आ...आप कहीं सुमेश की बात तो नहीं कर रहे हैं सर?" अजय के जेहन को झटका सा लगा था। वह अपने दिमाग पर जोर डालता हुआ बोला।
“ठीक कहा तुमने?” जानकी लाल ने फौरन सहमति में सिर हिलाया “उसका नाम सुमेश सहगल था। तुमसे पहले वही हमारी कम्पनी का चीफ एकाउंटेंट था।”
“लेकिन वह तो इस वक्त जेल में होगा? जहां तक मुझे याद है, उसे अदालत ने काफी लम्बी सजा सुनाई थी।"
“एकदम सही याद है तुम्हें ? अदालत ने उसे सात साल बामुशक्कत कैद की सजा सुनाई थी, जिसे पूरी होने में अभी पूरा एक साल बाकी है। लेकिन यह सजा उसे कंपनी से गद्दारी करने के जुर्म में नहीं मिली थी। दरअसल कानून में ऐसी कोई दफा नहीं है, जिसके चलते ऐसे दगाबाजों को एक घंटे की भी सजा दिलाई जा सके। कमीने सहगल को वह सजा अपहरण और बलात्कार के जुर्म में मिली थी। उसने एक नाबालिग लड़की का अपहरण किया था, फिर उसके साथ कई-कई दिनों बलात्कार किया था।"
“क...क्या सचमुच सहगल ने ऐसा किया था सर?” अजय ने संदिग्ध भाव से जानकी लाल को देखा।
|