RE: Thriller Sex Kahani - कांटा
आसमान में दूर-दूर तक काले बादल उमड़े हुए थे। ठंडी हवा के झोंके चल रहे थे, ऐसा लगता था जैसे कि थोड़ी देर पहले कहीं मूसलाधार बारिश होकर हटी थी, अथवा तब भी हो रही थी और अब वहां पर भी बस शुरू होने वाली थी। फिर तेज हवा के साथ एकाएक जोर से बिजली कौंधी और फिर बादलों की तेज घनगरज के साथ सचमुच बारिश शुरू हो गई। पानी की फुहारों ने धूप में तपती दिल्ली को भिगोना शुरू कर दिया।
अजय काफी देर से अपने फ्लैट की टैरेस पर मौजूद था और एक ईजीचेयर पर अधलेटा सा बैठा था। उसने ढीला-ढाला कुर्ता और चूड़ीदार पाजामा पहन रखा था। ठंडी हवा के झोंके रह-रहकर उसके चेहरे और जिस्म से टकरा रहे थे और उसे सुकून पहुंचा रहे थे। फिर पानी की बौछार पड़ना आरंभ हो गई, लेकिन उसने वहां से उठने का उपक्रम न किया। वह बदस्तूर दूर आसमान की गहराइयों में अपलक देखता रहा था और उनके अंदर कुछ खोजने का प्रयास करता रहा।
उसका एम्प्लायर जानकी लाल, जो कि दुनिया का सबसे घाघ और कमीना आदमी था, उसने आज उस पर सीधे-सीधे शक की अंगुली उठाकर बता दिया था कि वहां पर सब कुछ ठीक नहीं था। हर बात वैसी ही नहीं थी जैसा कि उसने सोच रखा था। जानकी लाल को कहीं न कहीं उस पर शक हो गया था, जो कि किसी भी तरह से ठीक नहीं था। जरूर वह कहीं कोई भूल कर बैठा था कोई ऐसी भूल, जिसने उसे जानकी लाल के शक के दायरे में ला दिया था उसके खिलाफ कोई संदेह का दायरा खींच दिया था। और अगर ऐसा हो गया था तो यह उसके लिए बहुत बड़ी खतरे की घंटी थी। उससे बेहतर इस बात का दसरा कोई जामिन नहीं था कि जानकी लाल किस हद तक खतरनाक आदमी था। वह उसकी लाश का भी पता नहीं लगने देने वाला था, जैसा कि वह पहले भी उसके साथ कर चुका था। इंसानियत का कलेजा चाक-चाक कर देने वाला एक वहशी खेल, खेल चुका था और उसकी जामिन शायद वह बीस मंजिला बुलंद इमारत थी, जो सामने मुख्य सड़क के उस पार उसके फ्लैट के ठीक सामने मौजूद थी और पानी में भीगती हुई साफ नजर आ रही थी।
शून्य से हटकर उसकी निगाहें उस इमारत पर स्थिर हो गई, जिससे कि उसका बहुत पुराना नाता था और वह उस नाते
को निभाना चाहता था, याद रखना चाहता था, एक पल के लिए भुलाना नहीं चाहता था। इसीलिए उसने दिल्ली में अपने खुद के एक नहीं दो-दो एमआईजी फ्लैट होने के बावजूद वह एलआईजी फ्लैट किराए पर लिया हुआ था, जो उसके अपने फ्लैट से क्षेत्रफल में आधे से भी कम था। और यह तभी मुमकिन था जबकि वह इमारत हर पल उसकी आंखों के सामने रहती और उसके दिल के जख्म हमेशा तरोताजा रहते।
धीमी फुहारें कब मूसलाधार बारिश में बदल गयी थीं, पता ही नहीं चला था। अजय के चेहरे और जिस्म से टकराती मूसलाधार बारिश की बूंदों ने उसे सिर से पांव तक पूरी तरह तर-बतर कर दिया था, लेकिन तब भी उसके अंदर की आग जरा सी भी कम नहीं हुई थी।
अतीत की कितनी ही लपटें उसके जिस्म और दिलोदिमाग को गीली लकड़ी की तरह सुलगा रही थीं धधका रही थीं। कितने ही भूले-बिसरे लम्हे, रिश्ते और नाते उसके दिलो-दिमाग में ताजा हो जाते थे और फिर मुरझाकर लोप हो जाते थे। फिर कुछ शेष रह जाता था तो वह केवल वीरानगी, तन्हाई, और तड़प थी और थी बदले की एक धधकती ज्वाला।
फिर उस ज्वाला में कोमल, ठंडी फुहार का झोंका लेकर आया था एक शोख हसीन और निर्दोष चेहरा जिसे देखकर एकाएक बहारों की महफिल भी मुस्करा उठी थी, और जिसकी खनकती हुई निश्छल हंसी ने गमों के संसार को भुला दिया था। कुछ लम्हों के लिए ही सही लेकिन उसे खुशियों का समुंदर बख्श दिया था। उस चुलबुली और शोख हसीना का नाम आलोका था। लेकिन यह तो उसे बहुत बाद में मालूम हुआ था, और यह केवल वही जानता था कि महज उसका यह नाम जानने के लिए वह कितना तड़पा था और उसके लिए उसे कितना लम्बा इंतजार करना पड़ा था।
“अरे जेंटलमैन तुम...।” सहसा उसके जेहन में जैसे कोई चहका था “यह तो सेंट परसेंट तुम्हीं हो।"
“हां।" वह मुस्कराया था उसने नजर भरकर उसके बला के हसीन मुखड़े को देखा, जो खूबसूरत कम सैक्सी, भोली और मासूम ज्यादा नजर आती थी। उसके लावण्य और मिजाज में बच्चों से कहीं ज्यादा चंचलता-चपलता और वाचालता थी “हूं। तो मैं ही, कोई ऐतराज?”
"सवाल ही नहीं उठता।" वह निडरता से बोली थी "मुझे भला क्यों ऐतराज होने लगा तुमसे?"
"तब तो फिर जरूर तुम्हें मुझसे डर लग रहा होगा?" उसने जान बूझकर उसे छेड़ा था।
"डर। वह क्यों भला?"
“हालात ही ऐसे हैं। और माहौल भी। जरा सोचो, अगर मेरी नियत खराब हो जाए और मैं तुम्हारे साथ जबरदस्ती पर आमादा हो जाऊं, तो क्या होगा?"
"क...क्या होगा?" वह गहरी उलझन व असमंजस में नजर आने लगी थी, जैसे कि वह अपने नारी होने के रहस्य से बिल्कुल ही अंजान थी।
“तुम लुट जाओगी बरबाद हो जाओगी?” अजय ने उसे बताकर उसकी दुविधा दूर की।
“अच्छा।” वह सख्त हैरान हुई थी, जैसे कि वह बात तभी उसकी समझ में आई थी।
"हां। जो कि होने की सूरत में...।” उसकी हर प्रतिक्रिया में अदा थी एक अबोध अदा, जिसने सबसे ज्यादा अजय को उसका दीवाना बनाया था। वह उसकी उस अदा को आत्मसात करता हुआ बोला “बालीवुड फिल्मों की पुरानी अभिनेत्रियां खुदकुशी कर लिया करती थीं।"
“नानसेंस।” वह मुंह बिगाड़कर बोली “मैं उन कमजोर लड़कियों में से नहीं हूं।"
“यानि कि तुम बहादुर लड़की हो और तुम खुदकुशी नहीं करोगी। अपना सब कुछ लुटाकर भी फख से जीती रहोगी?"
“अरे उसकी नौबत ही कहां आएगी जेंटलमैन?” उसने अपना सीना चौड़ाया।
“वह क्यों भला?"
"क्योंकि उससे पहले ही मुझे लूटने वाला खुद ही लुट चुका होगा और लंगड़ा-लूला होकर मेरी पुश्तों को कोस रहा होगा
और मेरी मोहिनी सूरत से सपने में भी खौफ खा रहा होगा। मगर मैं सपनों में भी उसका पीछा नहीं छोड़ने वाली।"
“तौबा।” अजय ने आंखें फैलाई थीं “इतनी डेंजर हो तुम?”
“और नहीं तो क्या?" वह गर्व से बोली थी “मैंने कराटे सीख रखा है।"
“त..तुम्हें कराटे आता है?” अजय ने चकित होकर पूछा।
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