RE: Thriller Sex Kahani - कांटा
"तब तो यूएसए में बसने का मेरा सपना, सपना ही रह जाएगा।” वह मायूस होकर बोली। उसका खिला निखरा चेहरा एकदम से बुझ गया था “क्योंकि तुमसे दूर जाने का तो मैं ख्याल भी नहीं कर सकती।"
"क्यों तुमने ऐसा लक्ष्य बनाया सुगंधा, जिसमें इतनी ऊंची बाधाएं हैं?"
“हर लक्ष्य के रास्ते में बाधाएं होती हैं पार्टनर। लक्ष्य जितना बुलंद होता है बाधाएं भी उतनी ही मजबूत होती हैं। लेकिन इरादे अगर सच्चे हों तो लक्ष्य हासिल होकर रहता है।”
“यानि कि तुम्हें विश्वास है कि तुम्हारा लक्ष्य तुम्हें हासिल होकर रहेगा?”
“हां।" वह मुकम्मल दृढ़ता से बोली “क्योंकि मेरे इरादे बहुत सच्चे और मजबूत हैं।"
“इसका मतलब तुम मेरा साथ छोड़ दोगी।"
“पागल हुए हो।” वह तड़पकर बोली “यह तुमसे किसने कहा कि मैं तुम्हारा साथ छोड़ सकती हूं?"
“कहा तो किसी ने भी नहीं है, मगर मैं किसी भी हालत में अपने मुल्क की धरती नहीं छोड़ने वाला। क्योंकि जितना प्यार मैं तमसे करता है उतना ही अपने वतन की मिटटी से भी करता हूं। बल्कि शायद उससे ज्यादा करता हूँ। जानती हो, कभी-कभी मैं बहुत हैरान हो उठता हूं।"
“क...क्यों हैरान हो उठते हो तुम पार्टनर?"
"हमारे ख्यालात में हमारे मकसद में इतना बड़ा फासला है। दोनों नदी के दो किनारे हैं, जो कभी नहीं मिल सकते।” वह एक सूखी हंसी हंसकर बोला “फिर भी प्यार करते हैं एक दूजे के लिए जीने मरने की कसमें खाते हैं। यह नहीं होना चाहिए था सुगंधा।”
“मगर यह हमारे बस में भी तो नहीं था। हम मिले, एक दूसरे को भा गए, अच्छे लगने लगे प्यार करने लगे। इसमें कहीं कुछ भी तो ऐसा नहीं है जो हमारे वश में होता और जिसे हम रोक पाते। और अब तो हम कर भी क्या सकते हैं। इस रास्ते पर इतना आगे जो निकल गए हैं, जहां से लौटना मुझे नहीं लगता कि हमारे अपने वश में भी होगा।"
“इसका मतलब यह हुआ सुगंधा कि तुम मुझे कभी नहीं छोड़ोगी। तुम्हारा लक्ष्य तुम्हारा मकसद हमारे प्यार के रास्ते की दीवार नहीं बनेगा।"
“तुम्हें क्या लगता है, मैं तुम्हें छोड़ सकती हूं?”
"बहुत संकोच के साथ कह रहा हूं सुगंधा कि हां, तुम ऐसा कर सकती हो। तुम अपने मकसद के लिए अपने प्यार को ठुकरा सकती हो। अगर वक्त ने इम्तहान लिया और तुम्हें कभी हम दोनों में से किसी एक को चुनना पड़ा तो तुम निश्चित रूप से अपने मकसद को ही चुनोगी केवल अपने मकसद को।”
"बहुत डरते हो मुझे खोने से। शायद पहले किसी को खो चुके हो?” अजय के सामने अनायास आलोका का हंसता-खिलखिलाता चेहरा घूम गया।
“ज....जेंटलमैन। अरे तुम तो जेंटलमैन हो।”
उसके दिल में अचानक एक हुक सी उठी।
"हां...हां...तुम सच कह रही हो।" वह तड़पकर बोला “इसीलिए सिहर जाता हूं। दोबारा शायद मैं यह दर्द बर्दाश्त नहीं कर पाऊंगा। एक बार किसी तरह खुद को संभाल लिया था, अगली बार शायद नहीं संभाल पाऊंगा और टूटकर बिखर जाऊंगा।"
“उसका न..नाम नहीं बताओगे मुझे पार्टनर?"
"कैसे बता सकता हूं। उस कमबख्त ने भी तो कितना तड़पाया था मुझे अपना नाम बताने में कितना लम्बा इंतजार कराया था।"
“आज भी तुम शायद उसे भुला नहीं पाए हो। बहुत चाहते हो उसे?” “याद आती है अक्सर तो रोता हूं बेबसी में।” वह ठंडी आह भरता हुआ बोला “इस बेवफा को मैंने पूजा था जिंदगी में।"
"नाम क्या था उसका?"
“आलोका।"
“कहीं और शादी कर ली उसने?"
“जाहिर है।”
" हक नहीं जताया था. विरोध नहीं किया, जिसका कि तुम्हें पूरा हक था।”
“उसने मौका ही नहीं दिया मुझे मेरे हक को इस्तेमाल करने का?" “क...क्यों? क्या किया था उसने?"
“उसने पहले ही मुझसे वचन मांग लिया था।"
“क...कैसा वचन पार्टनर?"
“वहीं, जो कभी राजा शांतनु से गंगा ने मांगा था कि तुम मुझसे कभी सवाल नहीं करोगे।"
“और त...तुमने उसे वचन दे दिया?"
“मैं सोच भी नहीं सकता था कि उसके इरादों में क्या चल रहा था और वह मेरे उस वचन को किस तरह हथियार बनाकर मेरे ही खिलाफ इस्तेमाल करने वाली थी, जो कि आखिरकार उसने किया।”
“क..क्या किया उसने? कैसे किया था?"
“कहने लगी प्यार इम्तहान लेता है, और शायद हमारे प्यार के इम्तहान की घड़ी भी आ पहुंची थी। और अब मुझे अपने प्यार के इम्तहान में पास होकर दिखाना था।”
"तुमने पूछा नहीं था कि...क क्या इम्तहान देना था मुझे?"
“क्यों नहीं? वह भला मैं कैसे नहीं पूछता?"
"क्या जवाब दिया उसने?"
"कहने लगी कि मुझे भूल जाओ कहीं और शादी कर लो।" “क्या?” सुगंधा मुंह बाए उसे देखने लगी थी “त..तुमने क्या कहा?"
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