RE: Thriller Sex Kahani - कांटा
अजय एक पल के लिए तो बुरी तरह बौखला गया। फिर वह संभला, उसने तत्काल आवाज देकर आलोका को रोकना चाहा, लेकिन तब तक वह हिरणी की तरह कुलांचे भरती वहां से दूर जा चुकी थी और एक अंधेरी गली में दाखिल होकर दिखाई देना बंद हो गई थी।
अजय ने कार से निकलकर उसके पीछे जाना चाहा, लेकिन फिर किसी अज्ञात भावना ने उसके कदमों को रोक दिया। फिर भी उसने अपना मोबाइल निकालकर उस पर आलोका का बताया नम्बर डायल किया।
मोबाइल स्विच ऑफ जा रहा था।
अजय आशंकित हो उठा। इसका मतलब वह कयामत सही कह रही थी। वह जरूर किसी शोरूम का कामर्शियल नम्बर था, जो केवल दिन में ही चालू रहता था और रात को शोरूम बंद होते ही ऑफ हो जाता था।
"लेकिन कोई बात नहीं।” उसने खुद को सांत्वना दी। उसका घर वहीं-कहीं आस-पास ही था, जिसका पता लगाया जा सकता था।
अपनी उस बात से उसे बहुत राहत महसूस हुई। उसने मोबाइल वापस डेशबोर्ड पर रखा और कार आगे बढ़ा दी। वह पूरी रात अजय की आंखों में ही बीती। उस रात एक पल के लिए भी वह सो न सका था। सारी रात आलोका के ख्यालों में ही कट गई।
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