RE: Thriller Sex Kahani - कांटा
अगले रोज सुबह उठते ही उसने सबसे पहले काम यह किया कि फिर आलोका का नम्बर ट्राई किया। मगर वह तब भी स्विच्ड ऑफ था। वह तो होना ही था। दिल्ली के तकरीबन व्यावसायिक प्रतिष्ठान दस-ग्यारह बजे के लगभग खुला करते थे। कुछ दोपहर बारह बजे के बाद भी खुलते थे। तभी शायद वह नम्बर चालू होने वाला था। वह चंचल तितली सचमुच उसके साथ शरारत कर गई थी।
फिर भी उसने आलोका का नम्बर लगाना बंद नहीं किया। ग्यारह बजे के लगभग उसका बताया मोबाइल नम्बर पर ऑन हो गया और उस पर घंटी जाने लगी।
अजय का दिल जोर-जोर से धड़क उठा। वह दूसरी ओर से फोन उठाये जाने का इंतजार करने लगा। यह सोचकर वह बुरी तरह आशंकित था कि अगर वह नंबर सचमुच किसी शोरूम का निकला तो क्या होगा? मन ही मन वह अपने बनाने वाले से दुआ कर रहा था कि ऐसा न हो। आलोका ने इस मामले में उससे झूठ बोला हो, वह आलोका का अपना नम्बर ही निकले।
लेकिन उसकी दुआ कबूल न हुई। उधर से कॉल रिसीव हुई और दूसरी तरफ से एक भारी-भरकम पुरुष स्वर मोबाइल पर सुनाई दिया “कौन?"
अब संदेह की कोई गुंजाइश नहीं थी। वह फुलझड़ी सचमुच शरारत कर गई थी। वह यकीनन किसी शोरूम का ही नम्बर था।
अजय का चेहरा मायूसी से भर गया। उसने धीरे से फोन डिस्कनेक्ट कर दिया और खीझकर मोबाइल एक ओर उछाल दिया था।
तभी उसका मोबाइल बजना शुरू हो गया। उसने देखा उसी नम्बर से कॉल बैक आ रही थी, जिस पर उसने कॉल लगाई थी। एक बार उसका मन हुआ कि फोन डिस्कनेक्ट कर दे। लेकिन फिर जाने क्या सोचकर उसने फोन रिसीव कर लिया।
अगले ही पल बिल्कुल अप्रत्याशित रूप से एक मधुर, जनाना खिलखिलाहट उसके मोबाइल पर उभरी, जो अचानक अजय
के कानों में शहद घोलती चली गई।
वह निश्चित रूप से आलोका की ही हंसी थी, जिसे पहचानने में वह भूल नहीं कर सकता था।
"हल्लो जेंटलमैन।” फिर वह अपनी खिलखिलाहट रोककर शोखी से बोला “देखा मेरा कमाल। कैसे डरा दिया न?"
"अ..आलोका...।” अजय अपनी खुशी को दबाता, हर्ष मिश्रित अविश्वास से बोला “यह तो तुम्हारा नम्बर है। इसका मतलब तुमने झूठ कहा था? यह तुम्हारा अपना नम्बर ही है?"
“क्या इसमें अब भी तुम्हें कोई संदेह है?"
“नहीं है, लेकिन अभी जब मैंने इस पर फोन लगाया था तो कौन बोल रहा था?"
“वह भी मैं ही थी बुद्धू।" वह चहकती हुई बोली। जैसे कि उसे परेशान करके उस कमबख्त को मजा आ रहा था।
"लेकिन वह आवाज...?" यह विस्मित हो उठा था।
“वह आवाज भी मेरी ही थी जेंटलमैन । मुझे मिमिक्री आती है, किसी की भी आवाज की हूबहू नकल उतार सकती हूं। बताओ तो तुम्हारी आवाज की नकल उतारकर दिखा दूं।"
वह आखिरी अल्फाज आलोका ने एकदम अजय के स्वर में कहे थे। अजय अवाक् सा हो गया। उसके मुंह से बोल न फूट सका।
“हल्लो जेटलमैन।” तभी आलोका का शरारत भरा व्यग्र स्वर उसके कानों में पड़ा “तुम लाइन पर हो?"
“हां।” अजय ने कहा “लेकिन तुम्हारा फोन सुबह से ऑफ क्यों जा रहा था?"
"सुबह से नहीं रात से ऑफ जा रहा होगा।" आलोका ने बताया “तुम शायद भूल गए, मेरा फोन रात बस में ही रह गया था, और वह बस मेरे घर में नहीं खड़ी होती। रात को मेरी सहेली मेरा बैग अपने साथ ले गई थी जो कि अभी मेरे हाथ लगा है। और जानते हो?"
"क्या?"
“मैंने अभी जैसे ही अपने मोबाइल का स्विच ऑन किया, उसे ऑन करते ही तुम्हारा फोन आ गया और मेरा मन तुमसे शरारत करने का हो गया। जनाबेआली, कहीं तुम सुबह से यही एक काम तो नहीं कर रहे थे?"
"क...कौन सा काम?"
“मेरा फोन ट्राई करने का! काश...।" एकाएक उसने ठंडी आह भरी फिर बोली “अगर मैंने अपने फोन पर मिस्ड काल अलर्ट की सुविधा ले रखी होती तो इस मामले में तुम्हारा झूठ नहीं चलने वाला था।"
“अरे मैंने अभी कुछ बोला ही कहां है, जो झूठ-सच का सवाल उठा रही हो।"
“यानि कि तुम सचमुच सुबह से मेरा फोन बजाने के प्रोगाम पर लगे थे?"
“यही बात है।” अजय ने झिझकते हुए स्वीकार किया, फिर संजीदा होकर बोला “तुम नहीं जानती आलोका, इस वक्त मेरी क्या हालत है। मैं खुद हैरान हूं कि कोई अजनबी किस तरह चुपके से किसी इंसान की जिंदगी का हिस्सा बन जाता है। तुम मेरी हालत को कभी नहीं समझ सकती आलोका।"
“अरे जेंटलमैन ।” उसने फौरन प्रतिवाद किया “औरत पर इल्जाम लगा रहे हो। एक आदमी के दिल की हालत औरत से ज्यादा दूसरा कोई नहीं समझ सकता।"
"तो फिर बताओ, मिलने कब आ रही हो?"
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