RE: Thriller Sex Kahani - कांटा
+
“यह सच है इंस्पेक्टर। जानकी लाल सेठ के कत्ल में संजना के इसी सजायाफ्ता आशिक का हाथ है। एक कांट्रेक्ट किलर को दस लाख रुपये सुपारी देकर उसने जानकी लाल का कत्ल करवाया है और संजना ने इस काम में उसका पूरा सहयोग किया है।"
“क..क्या सहयोग किया है?" मदारी ने उछल कर पूछा।
“सुपारी की रकम दो किश्तों में उस किलर को पहुंचाई गई थी और दोनों ही बार वह रकम लेकर यही संजना किलर के पास गई थी।"
“और वह सुपारी किलर कौन है?"
“मुझे उसका नाम नहीं पता। उसके बारे में बस इतना ही बता सकता हूं कि वह भी हाल ही में जेल से छूटकर आया है।”
“स..संजना के यार की तरह?"
"हां। लेकिन उसे सहगल से ज्यादा लम्बी सजा हुई थी। वह शायद उम्र कैद की सजा काटकर बाहर आया है।"
“जय गोविंदम् जय गोपालम् ।” मदारी के मुंह से अनायास ही निकला।
“क...क्या?" जतिन चकराया।
“वह जरूर गोपाल होगा। वही उम्रकैद की सजा काटकर अभी बाहर आया है। लेकिन...।” मदारी जबरदस्त पशोपेश में पड़ गया था “वह गोपाल भला क्यों श्री-श्री की सुपारी कबूल करने लगा। वह तो श्री-श्री का चड्ढिया यार था।"
“त...तुम क्या कह रहे हो इंस्पेक्टर, मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा।” जतिन बुरी तरह उलझकर बोला।
“और शायद आएगा भी नहीं। उसे छोड़ो कीर्तिमान, और जरा श्रीमती के उस यार का नाम दोबारा से लो?"
जतिन कोई जवाब देता, उससे पहले ही एकाएक मदारी का मोबाइल बजा।
"ऊँ।" मदारी ने बुरा सा मुंह बनाया जैसे कि उस वक्त उसके मोबाइल का बजना उसे तुरंत नागवार गुजरा था लेकिन फिर उसने तुरंत ही काल रिसीव किया, फिर उधर से जो कुछ भी बताया गया उसे सुनकर मदारी के चेहरे पर चौंकने के भाव आए।
"कोई खास बात है इंस्पेक्टर?" उसने जैसे ही कॉल डिस्कनेक्ट किया जतिन ने उसे देखकर सशंक भाव से पूछा।
“है तो सही।” मदारी ने बताया “एक डॉक्टर फुनिया रहा था।"
"कौन डॉक्टर?"
“उसका नाम डॉक्टर गौतम है।” मदारी को फिर जैसे याद आया था “लेकिन आप बिल्कुल भी फिक्र न करें जजमान, इस मामले का आपसे कोई लेना-देना नहीं है। यह हमारा आपसी मामला है।"
लेकिन उसके जवाब से जतिन संतुष्ट न हो सका।
"हां तो मैंने क्या कहा था?"
मदारी वापस मुद्दे पर आता हुआ बोला “मैंने आपसे उस श्रीमती के यार का नाम लेने के लिए कहा था। क्या नाम लिया था आपने?"
“अभी नहीं लिया, उसका नाम सुमेश सहगल है।
मदारी के दिमाग की बत्ती एकाएक जली।
“यह सज्जन...।” वह अपने दिमाग पर जोर डालता हुआ बोला “कहीं श्री-श्री का भूतपूर्व मुलाजिम तो नहीं, जिसे फिर बाद में जेल की हवा खानी पड़ी थी।"
"तुमने ठीक कहा इंस्पेक्टर।” जतिन का सिर फौरन सहमति में हिला “यह यकीनन वही सुमेश सहगल है। जिसने जानकी लाल साहब को कत्ल करके अपनी उसी सजा का बदला लिया है।"
“उफ्फ!” मदारी के मुंह से एकाएक निकला। उसने झुंझलाकर अपनी हथेली पर दूसरे हाथ का मुक्का जोर से जमाया, फिर जैसे खुद पर ही खीझ उठा “इस नामाकूल बेईमान को मैं कैसे भूल गया। शायद इसीलिए कि उसे सात साल की सजा हुई थी और अभी वह वफ्फा पूरा नहीं हुआ है। कोई बात नहीं... अब वह इंस्पेक्टर मदारी के कहर से नहीं बच पाएगा।"
जतिन बेवकूफों की तरह मदारी को देखने लगा था। मदारी ने दूसरे ही पल खुद को सामान्य किया।
"बड़ी विस्फोटक बातें बता रहे हो कीर्तिमान। इन दावों का तुम्हारे पास क्या कोई सबूत है?” फिर उसने जतिन को देखकर पूछा।
“सबूत यह डीवीडी कैसेट है इंस्पेक्टर, जो इस प्लेयर में मौजूद है। टीवी ऑन करके इसे फिर से प्ले करो, सब कुछ तुम्हारे सामने आ जाएगा।” जतिन ने बताया।
"वह तो जरूर करूंगा। लेकिन फारेंसिक टीम के आने के बाद।”
“अ..और तब तक मैं क्या करूं?"
“इसमें क्या पूछना जजमान। जाहिर है कि वही करो, जो कर रहे हो। अपने दोनों पांव फर्श पर जमाकर इत्मिनान से खड़े रहो।"
"त..तो क्या अब भी तुम्हें मेरी बात पर यकीन नहीं आया इंस्पेक्टर?" उसके चेहरे पर फिर से व्याकुलता के भाव आ गए थे। उसने कशमकश भरे स्वर में पूछा।
"थोड़ा इंतजार करो। यकीन बस आने ही वाला है।"
"लेकिन..."
"हलकान मत हो श्रीमान।” मदारी ने उसकी मनःस्थिति समझकर उसे भरोसा दिलाया “तुम किन हालात में पुलिस के हाथ लगे हो, तुम्हें शायद उसका अहसास तक नहीं है। फिर भी तुम गिरफ्तार नहीं हो। तुमने जो कुछ भी बताया, केवल एक बार उसकी तस्दीक हो जाने दो, फिर अगर तुम अपनी इच्छा से भी गिरफ्तार होना चाहोगे तो भी तुम्हें गिरफ्तार नहीं करूंगा और जबरदस्ती खदेड़कर यहां से भगा दूंगा। मगर तब तक वही रखो जिसका फल कहते हैं कि बहुत मीठा होता है।”
जतिन का सिर खुद-ब-खुद सहमति में हिला। तब पहली बार उसके चेहरे पर राहत के भाव आए थे।
तभी एक सिपाही ने मदारी के पास पहुंचकर उसे बताया कि फारेंसिक टीम का स्टाफ वहां आ गया था।
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
|