RE: Thriller Sex Kahani - कांटा
“न...नहीं। अगर मालूम होता तो क्यों पू...पूछती।"
“आप झूठ बोल रही हैं मनोरमा जी।"
"क...क्या ?"
"आपकी आवाज आपके चेहरे के भावों से मेल नहीं खा रही। दोनों अलग-अलग रास्ते पर जा रहे हैं।"
“म...मैं तुम्हारा मतलब नहीं समझी। इंस्पेक्टर। तुम कहना क्या चाहते हो?"
“जाने दीजिए मनोरमा जी।” मदारी ने गहरी सांस खींचकर बोला “मैं आपकी जनरल नॉलिज में इजाफा करता हूं। इस छप्पनछुरी का नाम भारती है और यह एक जमाने में मुम्बई की कालगर्ल हुआ करती थी।"
“क...कालगर्ल...?” नैना हकबकाई, जैसे कि उस रहस्योद्घाटन ने उसे धक्का पहुंचाया था।
"अरे, आप कालगर्ल का मतलब नहीं समझतीं?" मदारी हैरान हुआ था।
“समझती हूं। तुम आगे बताओ।”
"इस कालगर्ल क्वीन के बारे में पुलिस में जो मालूमात मौजूद हैं, इसके मुताबिक...।” अपनी आदत के अनुरूप मदारी भारती को अपना पसंदीदा नाम देता हुआ बोला “यह निहायत ही अजीबो-गरीब कालगर्ल थी, जिसकी एक रात की कीमत इतनी ज्यादा थी कि आप सोच भी नहीं सकतीं।"
"कि...कितनी कीमत लेती थी यह अपनी एक रात की?" नैना ने कुर्सी पर पहलू बदलकर पूछा “जो मैं सोच भी नहीं सकती।"
“पांच लाख रुपये।"
“क..क्या?” नैना चिहुंककर उसे देखने लगी, फिर उसने पूछा “यह तो सचमुच बड़ी रकम है।"
“जरा तस्वीर में नजर आ रही इस कयामत को देखकर बताइए मनोरमा जी कि इसकी हंगामाखेज जवानी और खूबसूरती के सामने क्या यह रकम सचमुच बड़ी है?"
नैना से जवाब देते न बना।
"हरगिज भी नहीं मनोरमा जी।” मदारी बोला “इसका सबूत यह है कि इतनी भारी कीमत के बावजूद इसके कद्रदानों की कोई कमी नहीं थी। एक ढूंढो हजार मिलते थे। हजार ढूंढों तो लाख मिलते थे।"
“इसीलिए तु..तुमने इसे अजीबोगरीब कालगर्ल कहा है?"
“नहीं, उसकी वजह दूसरी थी।”
“वह क्या?" नैना न चाहते हुए भी भारती की कहानी में दिलचस्पी लेने के लिए मजबूर हो गयी थी।
“उसकी वजह इस कालगर्ल क्वीन के उसूल थे।"
"उसूल ? कालगर्ल के भी उसूल होते हैं?"
“हां। और उसका सबसे पहला उसूल यह था कि जिस किसी भी कस्टमर के साथ वह एक बार रात बिता लेती थी, दोबारा उसके साथ वर्किंग नहीं लेती थी।"
"तो क्या उसे अपने हर कस्टमर का चेहरा याद रहता था?"
“कहने वाले तो यही कहते हैं कि याद रहता था। इस कालगर्ल क्वीन की याददाश्त बहुत शानदार थी।"
“फिर भी अगर कोई दोबारा उसके साथ रात बिताने की ठान लेता तो?"
"तो उसे 'क्वीन' की कीमत से दस गुना ज्यादा रकम चुकानी पड़ती थी।"
“यानि कि पचास लाख रुपये।"
"हां।"
“यह तो सरासर ब्लैकमेलिंग हुई?"
“नहीं हुई।” मदारी ने इंकार में गरदन हिलाई “बताते हैं कि एक बार किसी ने 'क्वीन' से यह सवाल किया था तो उसने साफगोई से कहा था कि वह किसी को उसके साथ दोबारा रात बिताने का इन्वीटेशन नहीं भेजती। यह तो उसके ग्राहक की मर्जी पर ही निर्भर करता है।"
“जबकि सच तो यह था कि क्वीन के हुस्न में जादू था। जो एक बार उसके साथ रात बिता लेता था, वह दोबारा उसे पाने के लिए पागल होने लगता था और इसके लिए वह कोई भी रकम चुकाने को तैयार हो जाता था।"
"तब तो इसमें किसका कसूर था, कहना मुश्किल होगा। म...मगर भारती ऐसा क्यों करती थी? क्यां महज दौलत की खातिर?"
"शायद नहीं।"
“शायद का क्या मतलब हुआ?"
“यह पच्चीस साल पहले का वाक्या है और इतना अरसा पहले मैं पुलिस की नौकरी में भी नहीं आया था, लिहाजा मैं इसका चश्मदीद गवाह नहीं हूं। मैं आपको जो कुछ भी बता रहा हूं अपनी तफ्तीश और पुलिस के रिकार्ड में दर्ज मालूमात के मद्देनजर ही बता रहा हूं। यह जो तस्वीर आपके हाथ में है, यह भी मैंने पुलिस के रिकार्ड से हासिल की है।"
“क्या भ...भारती कभी गिरफ्तार भी हुई थी?"
“अगर नहीं होती तो फिर पुलिस में उसका रिकार्ड कैसे होता? लेकिन उसकी वह गिरफ्तारी महज एक औपचारिकता थी। अपने धंधे में उसे कभी सजा नहीं हो सकी। वह जब भी गिरफ्तार हुई, संदेह का लाभ देकर उसे रिहा कर दिया गया। जबकि बताते हैं कि वह हमेशा रंगे हाथों पकड़ी गई थी।"
“ऐसा क्यों हुआ?"
“सोचिए मनोरमा जी ऐसा क्यों हुआ?" मदारी ने उसके चेहरे पर नजरें गड़ा दी “आखिर आप भी तो एक औरत हैं, यह अलग बात है कि आप शादीशुदा नहीं हैं।"
“म...मैं समझ गई।” नैना हड़बड़ाकर बोली “उसे गिरफ्तार करने वाले पुलिस अफसर को वह खुश कर देती होगी?"
“आपने बजा फरमाया मनोरमाजी। बहरहाल, कहते हैं कि क्वीन का मकसद केवल दौलत के अंबार लगाना नहीं था।"
"तो फिर?"
"सुना है उसके अंदर कोई कुंठा छुपी हुई थी। और यह सब करके वह अपनी उस कुंठा को बाहर निकाल रही थी। वह किसी से इंतकाम ले रही थी।"
"खुद...खुद को तबाह करके वह किससे इंतकाम ले रही थी?"
"उसकी इस तबाही से कई गुना ज्यादा उसे हासिल हो रहा था। जानती हैं, अपने इस धंधे से उसने अगले दस सालों में सौ करोड़ रुपये इकट्ठा कर लिये थे।"
“य..यह तो बहुत बड़ी रकम होती है।”
“जाहिर है। क्या आप यह नहीं जानना चाहेंगी कि 'क्वीन' आखिर किससे इंतकाम ले रही थी? वह कुंठित क्यों हो गयी थी?"
नैना के चेहरे पर सवाल उभर आया था। वह अपलक मदारी को देखने लगी थी।
“उसकी वजह एक हादसा था जो क्वीन के साथ पेश आया था और जिसने क्वीन की जीवनधारा ही बदल दी थी।"
“क...कौन था वह रईसजादा?"
“महानगरों में ऐसे रईसजादों की कमी नहीं होती और मुम्बई तो ऐसे रईसजादों की खान है। उस बिगड़े रईसजादे का नाम तो मालूम नहीं हो सका, लेकिन 'क्वीन' को उस अंजाम तक पहुंचाने का जिम्मेदार वही रईसजादा था, जिसके बारे में कहते हैं कि वह हर रात एक नई लड़की के साथ गुजारता था। और जिस लड़की के साथ एक रात गुजार लेता था, दोबारा उसे कभी अपनी रात की हमसफर नहीं बनाता था और अपनी एक रात की संगिनी को रात गुजारने की भरपूर कीमत चुकाता था। क्वीन को भी तो उसने उसके साथ रात गुजारने की इतनी ही कीमत चुकाई थी।"
“कि...कितनी कीमत चुकाई थी उसने?”
“पांच लाख रुपये।"
“इसीलिए भारती ने अपनी एक रात की कीमत पांच लाख रुपये मुकर्रर की थी?"
“लोग तो यही कहते हैं।”
“क्या उस इ...रईसजादे ने भारती को धोखा दिया था? उसने उसके साथ फरेब किया था?”
"क्वीन थी ही ऐसी शानदार कि उस पर कोई भी फिदा हो जाए। फिर अपना वह रंगीला राजा उस पर फिदा हो गया तो इसमें अपने रंगीन राजा का कोई कसूर नहीं था। उसका कसूर केवल इतना ही था कि क्वीन को हासिल करने के लिए उसने उसके साथ खूबसरत फरेब किया ।"
"क्या किया था उसने इस लड़की के साथ?"
“क्वीन एक शरीफजादी थी और शादी से पहले अपने शरीर का कुंआरापन न लुटाने की जैसे वह कसम खाए बैठी थी। जबकि रंगीले राजा को हर कीमत पर क्वीन का कयामत ढाता हुस्न चाहिए था। लिहाजा उसने प्यार के साथ-साथ क्वीन से बाकायदा शादी का भी नाटक रचा लिया।"
“म...मतलब उसने भारती से शादी कर ली?” नैना ने चौंककर पूछा।
“हां। लेकिन वह शादी गाजे-बाजे के साथ नहीं हुई थी। इसके लिए रंगीला राजा, क्वीन को बहलाकर मंदिर में ले गया था, जहां उसने क्वीन के साथ गन्धर्व विवाह रचा लिया था। और इस तरह शादी से पहले कुंआरापन न लुटाने वाली क्वीन की शर्त पूरी हो गई थी और फिर रंगीले राजा ने सारी रात अपनी एक रात की दुल्हन के साथ गोल्डन नाइट मनाई थी। उसके बाद जानती हैं मनोरमा जी फिर क्या हुआ था?"
"क...क्या हुआ था?" नैना पूछे बिना न रह सकी थी।
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