Thriller Sex Kahani - कांटा
05-31-2021, 12:12 PM,
#90
RE: Thriller Sex Kahani - कांटा
मदारी खामोश हो गया। उसने फिर कोई सवाल नहीं किया। “त...तो क्या मैं अपने आपको गिरफ्तार समझू इंस्पेक्टर?" रीनी ने सशंक भाव से पूछा।

“फिलहाल तो ऐसा ही है श्रीमती।” मदारी खेद भरे स्वर में बोला। “यानी कि मैं गिरफ्तार हूं?"

“फ...फारेंसिक आने के बाद?"
|
.
.
.
“उसके बाद तफ्तीश में अगर हू-ब-हू वही साबित होता है जो
आपने बताया।"

" तो फिर आपकी गिरफ्तारी की मेरे पास कोई वजह नहीं होगी। अलबत्ता हमारी निगरानी में आप को फिर भी रहना होगा।"

“व...वह क्यों?"

“समझने की कोशिश कीजिए श्रीमती, एक खतरनाक किलर को आपके कत्ल की सुपारी दी जा चुकी है।” मदारी उसे समझाने वाले भाव से बोला “लिहाजा आपके सिर पर मौत का खतरा मंडरा रहा है। तीन कत्ल तो पहले हो चुके हैं, अगर आपका भी राम नाम सत्य हो गया तो समझ लीजिए कि मेरे वीआरएस का बेड़ागर्क हो गया।"

“मगर वह सुपारी देने वाला खुद मर चुका है और यह खबर बहुत जल्द उस किलर तक भी पहुंच जाएगी, फिर उसके लिए मुझे मारना जरूरी नहीं होगा।"

“क्या पता जरूरी होगा, या नहीं होगा। बहरहाल, इस मामले में इंस्पेक्टर मदारी कोई जोखिम नहीं लेने वाला। और फिर इसमें आपको ऐतराज क्यों है?"

रीनी ने कोई जवाब न दिया। वह बेचैनी से पहलू बदलने लगी। तभी एक सिपाही ने वहां पहुंचकर उसे खबर दी कि फारेंसिक टीम का स्टाफ वहां पहुंच गया था।

उस शोख हसीना की सोहबत में तीन बरस कब गुजर गए अजय को पता ही न चला। इस दरम्यान आलोका से उसकी अनगिनत मुलाकातें हुईं और काफी वक्त उन दोनों ने साथ-साथ बिताया था। उसके चेहरे पर स्थायी रूप से छा चुके गम और उदासी की परतें अब पिघलने लगी थी और उसकी जगह आलोका नाम की बहार मुस्कराने लगी थी।

आलोका के जिंदगी में आने के बाद वह पहला होली का त्योहार पड़ा था। अगरचे कि पहले भी न जाने कितने होली
के त्योहार आए और चले गए थे, लेकिन अजय ने कभी रंगों व गुलाल के एक कण को भी अपने कपड़ों पर नहीं पड़ने दिया था क्योंकि वह खुशियों और रंगों से नफरत करता था। वह चुलबुली हसीना यह जानती थी, शायद इसीलिए होली से दो रोज पहले उससे मिलने आयी थी, मगर अजय नहीं जानता था कि वह पूरी तैयारी के साथ आयी थी।

उस दिन भी उसने अपना पसंदीदा सलवार-सूट पहन रखा था। सौम्य, स्निग्ध और ताजे गुलाब से खिले चेहरे पर इठलाती मुस्कान, लेकिन अपने दोनों हाथों को उसने पीठ पीछे छिपा रखा था। बालों की शरारती लट उसके माथे को चूम रही थी। इरादों में मुस्कराती खुशियों की धवल चांदनी बिखरी हुई थी।

"जेंटलमैन ।” वह आते ही अजय से बोली थी “होली मुबारक हो।”

“अरे।” अजय चौंक पड़ा और फिर हैरान होकर बोला “आज कहां होली है। उसमें तो अभी दो दिन बाकी हैं।"

“दो दिन बाद ब्रज की होली है। आज दिल्ली की होली है।
और दिल्ली में आलोका रहती है, जो होली की दीवानी है। जानते हो क्यों?"

“नहीं, तुमने कभी बताया ही नहीं।"

“क्योंकि रंगों के बिना जिंदगी की मैं कल्पना भी नहीं कर सकती। इसलिए...।"

“क...क्या इसीलिए?” अजय ने पूछा। उसके चेहरे पर सवाल उभर आया था।

"होली है।” आलोका ने एकाएक नारा सा लगाया और फिर अपनी पीठ-पीछे से दोनों हाथ निकालकर उसने ढेर सारे गुलाल से अजय को तर-बतर कर दिया।

अजय के लिए वह अप्रत्याशित था। वह सोच भी नहीं सकता था कि आलोका ने अपनी मुट्ठियों में ढेर सारा गुलाल छिपा रखा था। अजय की उस पर नजर न पड़ जाए इसीलिए उसने अपने हाथों को पीठ पीछे कर रखा था।

वह बुरी तरह बौखला उठा। जीवन में पहली बार किसी ने उस पर गुलाल उड़ेला था, जिससे वह नफरत करता था। वह बुरी तरह तमतमा उठा। उसने आलोका को सख्ती से डपट दिया।

“अरे, तुम्हें क्या हुआ?” आलोका चिंहुककर बड़ी-बड़ी आंखों से उसे देखने लगी थी।

“ख..खबरदार अगर तुमने दोबारा मेरे ऊपर रंग डाला तो?" अजय तमतमाकर बोला।

“अरे। मगर क्यों?"

“मैं होली नहीं खेलता। मुझे रंगों से नफरत है।"

"रंगों से नफरत है।” वह बला हैरान हुई थी। फिर जैसे उसने गुस्से से फूंक मारकर मस्तक पर लहराती बालों की लट को उड़ाया था। फिर वह तमककर बोली थी “इसीलिए तो तुम्हारी जिंदगी इतनी बेरंग है। रंगों से नफरत करने वाले की जिंदगी
आखिर कैसे रंगीन हो सकती है।"

अजय उसे देखता ही रह गया। उसकी जुबान तालू से जा चिपकी थी।

कितना सही कहा था उसने। रंगों से नफरत करने वाले की जिंदगी रंगीन हो भी कैसे सकती है। शायद इसीलिए उसकी जिंदगी इतनी बदरंग थी।

“अब इस तरह आंखें फाड़-फाड़कर मुझे क्या देख रहे हो?" उसे एकटक अपनी तरफ देखता पाकर वह बोली “पहले कभी कोई खूबसूरत लड़की नहीं देखी क्या? या फिर आज मैं ही ज्यादा हसीन लग रही हूं।"

उसकी दूसरी बात सही थी। पता नहीं वह उस लम्हे की कमजोरी थी या फिर उसके जज्बातों की ठहरी हलचल थी,
जिसे आकर उसने ही उठाया था। लेकिन यह सच है कि उस घड़ी उसकी मादक खूबसूरती में अजय को एक अजीब सी कशिश नजर आयी थी।

“ऑय एम सॉरी आलोका।” अजय धीरे से बोला “तुमने ठीक कहा। आज के बाद मैं रंगों से नफरत नहीं करूंगा। मुझे माफ कर देना।"

"अच्छा ठीक है।" वह अपनी पहले से ही फूली छाती और ज्यादा फुलाकर बोली “अब तुम इतनी रिक्वेस्ट कर रहे हो तो मैंने तुम्हें माफ किया।"

अजय पूर्ववत आंखें फैलाए अपलक उसे देखता रहा।
Reply


Messages In This Thread
RE: Thriller Sex Kahani - कांटा - by desiaks - 05-31-2021, 12:12 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,460,110 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 539,758 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,215,597 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 919,253 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,629,475 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,061,548 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,918,021 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,948,066 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,989,755 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 280,958 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 5 Guest(s)