RE: Thriller Sex Kahani - कांटा
“जेंटलमैन।” वह अजय को घूरती हुई बोली “तुम क्या मुझे बेवकूफ समझते हो?"
“सवाल ही नही उठता। मेरी होने वाली बीवी बेवकूफ कैसे हो सकती है।"
"तो फिर जरूर तुम मुझे इम्प्रेस करने की कोशिश कर रहे हो।”
“यह तुम्हें कैसे लगा?"
“जब तुम्हारे पास तीन-तीन फ्लैट पहले से हैं और चौथा खरीदने की सोच रहे हो, फिर तुम इस किराये के फ्लैट में क्यों रहते हो?"
अजय के चेहरे के भाव तत्काल चेंज हो हुए। उसकी निगाह अनायास ही सामने खिड़की के पार नजर आ रही उस बुलंद इमारत पर जाकर ठहर गई, जिसे वह अपनी यादों में विस्मृत नहीं होने देना चाहता था और महज उस इमारत की याद को ताजा रखने के लिए उसने फ्लैट किराये पर लिया था महज लोकेशन की खातिर।
उसने बड़ी शिद्दत से अपने जज्बातों को रोका।
"है कोई वजह?" प्रत्यक्षतः वह मुस्कराता हुआ सहज भाव से बोला।
“मुझे बताने में कोई ऐतराज है?"
“तभी तो नहीं बता रहा हूं।"
“ऐसा?"
“हां। कुछ और पूछो।”
“और क्यों पूछू?"
“मेरे घरवालों के बारे में पूछो मेरी इंकम के बारे में पूछो। जिसे अपना जीवनसाथी बनाने जा रही हो, उसके बारे में यह
सब जानने का तुम्हें हक है।”
“तुम्हारे अलावा तुम्हारा दुनिया में और कोई भी नहीं है, यह तो मुझे मालूम है। और हर इंसान की इंकम उसके चेहरे पर लिखी होती है। बस पढ़ने वाली निगाह चाहिए।"
“जो कि तुम्हारे पास है।”
“ऑफकोर्स।” उसने अकड़कर सहमति में सिर हिलाया।
“लिहाजा तुम्हारे पास मुझसे पूछने के लिए कुछ भी नहीं है?"
“ऐसा तो नहीं है।" आलोका तनिक संजीदा हुई थी “है तो सही मेरे पास तुमसे पूछने के लिए। पर मुझे नहीं पता जेंटलमैन, वह सब तुम मुझे बताओगे भी या नहीं।”
“अरे। पूछने से पहले ही शंका जता रही हो।"
“शंका तो मुझे बराबर है जेंटलमैन। वैसे भी राज किसकी जिंदगी में नहीं होते।"
"लाइक दैट यू।"
"मेरे तीर से मुझे ही निशाना बना रहे हो। बात तुम्हारी हो रही है।"
"लेकिन तुम्हारा सवाल क्या है?"
“पहले वादा करो कि तुम उसका सही-सही जवाब दोगे। अगर वह कोई राज भी है तो भी मुझसे नहीं छिपाओगे आज अपने सारे राज मुझ पर खोल दोगे। बदले में यह तुमसे मेरा वादा है, मेरे जीते जी वह राज कभी मेरे सीने से बाहर नहीं आएगा।"
“अरे। तुम तो लगता है संजीदा हो गई।"
आलोका खामोशी से उसे देखती रही।
"अच्छी बात है आलोका।” अजय ने लम्बी सांस खींची और फिर वह जैसे हथियार डालता हुआ बोला
“अगर तुम्हारी यह ख्वाहिश है तो मैं वादा करता हूं। अब पूछो, तुम क्या पूछना चाहती हो?"
“थै क्यू जेंटलमैन।" वह खुश होकर बोली “वादा किया है, अपने इस वादे से मुकर मत जाना।"
“ऐसा नहीं होगा।"
“आलराइट।” आलोका मुस्कराई, फिर वह संजीदा हुई और फिर गौर से उसके चेहरे को देखती हुई बोली “एक इंसान को जिन चीजों की चाहत होती है, तुम्हारे पास वह सब कुछ है। फिर भी मैंने तुम्हारे अंदर एक अजीब सी उदासी को महसूस किया है। गीली लकड़ी की तरह तुम्हें अंदर ही अंदर सुलगते देखा है। इस उदासी का आखिर सबब क्या है जेंटलमैन? रंग चाहे होली के हों या जिंदगी के, क्यों तुम उनसे नफरत करते हो?"
अजय हड़बड़ाया और चौंककर आलोका को देखने लगा था।
“वादा किया है जेंटलमैन।” आलोका ने उसे जैसे याद दिलाया था “अपने वादे से तुम मुकर नहीं पाओगे।"
अजय के चेहरे पर सहसा एक लहर सी आयी और चली गई। आलोका का वह सवाल सीधा उसके अतीत से जुड़ा था उसकी परतों को खोदने वाला था।
उसके मस्तिष्क पटल पर अनायास ही एक चेहरा घूम गया।
वह निमेष का चेहरा था।
निमेष!
उसे गोद लेने वाला उसका पिता।
उसके अपने जन्मदाता का तो उसे नाम भी नहीं मालूम था। वह शायद किसी पाप की पैदाइश था, जो उसके पैदा होते ही उसे कूड़े के ढेर पर फेंककर चले गए थे।
वह तो निमेष ही था, जिसने उसे बेसहारा नहीं होने दिया था और गोद ले लिया था। और यह भी कैसा अजीब इत्तेफाक था, जिस निमेष ने उसे गोद लिया था, उसे अपना बेटा बनाया था, वह खुद भी तो गोद लिया हुआ था। उसे भी एक ही ऐसे ही फरिश्ताजात इंसान ने गोद लिया था, जिसका नाम उसे बखूबी याद था कि प्रबीर था।
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