जलती चट्टान
लेखक : गुलशन नंदा
रेलगाड़ी ने जब सीतापुर का स्टेशन छोड़ा तो राजन देर तक खड़ा उसे देखता रहा। जब अंतिम डिब्बा सिगनल के करीब पहुँचा तो उसने एक लंबी साँस ली। अपने मैले वस्त्रों को झाड़ा, सिर के बाल संवारे और गठरी उठाकर फाटक की ओर चल पड़ा।
जब वह स्टेशन के बाहर पहुँचा तो रिक्शे वालों ने...