desiaks
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- Aug 28, 2015
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झे सौतेली माँ कहा करो' ये सुनकर मैं बहुत रोया. धीरे धीरे मेरी माँ ने मेरे बाप के दिमाग पर कब्जा कर लिया, उसको अपनी मुट्ठी में कर लिया, अपने वश में कर लिया. वो जो जो कहती मेरा बाप वही करता. आये दिन वो मार्केट घूमने जाती. शाम को मेरी सौतेली माँ होटल में ही खाना खाने जाती. और जब घूम फिर कर लौटती तो मेरा लिए कुछ नही लेकर आती. मैं अभी २० साल का था.
मैं किसी तरह अपनी सौतेली माँ का जिल्लत भरा व्यवहार बर्दास्त करता. धीरे धीरे वो मुझे मारने पिटने लगी. कभी को गरम चिमटे से दाग देती. मेरे खाने में वो जलन के कारण जादा नमक डाल देती. मेरी चाय में इर्षा वश चीनी ही नही डालती. फिर वो मुझे घर से निकल जाने की बात रोज रोज कहने लगी. 'मैं तेरा चेहरा भी इस घर में नही देखना चाहती हूँ. निकल जा! निकल जा मेरे घर से!!' मेरी सौतेली माँ कहती. कुछ दिन बाद मेरे बाप की हर्ट अटैक से मौत हो गयी. इसके पीछे भी मेरी सौतेली माँ ही जिम्मेदार थी. उसने मेरे सीधे साधे बाप को फुसलाकर पूरा घर अपने नाम करवा लिया था. इतना ही नही जब उन कमिनी औरत ने ५ प्लाट जो मेरे बाप ने ख़रीदे थे उसे भी अपने नाम करवा लिया था. ये जानकर मेरे बाप को अटैक पड़ गया था.
कुछ दिन बाद मुझे पता चला की मेरी माँ सोसाईटी के कई मर्दों से फसी हुई है. बाद में मुझे जो जो बातें पता चली की मेरे पैर तले जमीन खिसक गयी. मेरी सौतेली माँ का येही धंधा सा. वो राईस विधुर आदमियों को अपने रूप के जाल में फसाती थी फिर उनकी सारी दौलत अपने नाम करवा लेती थी. मैं जब अपने कॉलेज से लौटा तो मेरा माँ मेरा ही घर में किसी गैर मर्द के साथ चुम्मा चाटी कर रही थी. उस दिन दोस्तों, मेरा खून खौल गुया. उस वक्त मैंने कुछ नही कहा. जो वो गैर मर्द चला गया तो मैंने अपनी सौतेली माँ को जूतों, चप्पलों से खूब पीटा. वो बचाओ! कोई मुझे बचाओ !! चिल्लाने लगी. मैं उसको अपने बाप की बेंत से मारता रहा.
ले कुतिया!! ले छिनाल!! तू इसी के लायक है!! मैंने कहा
और उसको मैंने खूब पीटा. मैं उसे अंडर कमरे में ले गया. मैंने उसका ब्लौस फाड़ दिया. मैंने अपने फोन से उसकी कई तस्वीरे ले ली. 'ये..ये क्या कर रहें हो तुम? देखो मैं पुलिस में सिकायत करुँगी!' उसने मुझे धमकी दी. मैंने उसकी साड़ी भी फाड़ दी. और फिर उसका ब्लौस पेटीकोट भी फाड़ के निकाल दिया. मेरी सौतेली माँ अब नंगी हो चुकी थी. मैंने उसके बाल खिंच के पकड़े और उसके गाल पर १० तमाचे लगा दिए. उस कुतिया का मुह मार खाकर लाल हो गया. फिर मैंने उसके नंगे बदन पर कई लात जमा दी. 'आई मर गयी!! मर गयी मैं!!' वो चिल्लाने लगी. मैंने सिगरेट सुलगाई और उसके गोल गोल चुतड पर मैंने सिगरेट से दाग दिया. मैं अब बिल्कुल एक हैवान बन चुका था. मैंने उसके गोल मटोल बड़े बड़े चूतडों पर कई लात जमा दी. वो कुतिया अधमरी हो गयी.
फिर मैंने उनके दोनों पैर पकड़ के खोल दिए. मेरी सौतेली माँ की बहुत सारी घनी घनी काली काली झाटें थी. मैंने अपना मोटा लौड़ा उनके भोसड़े में डाल दिया और रंडी को चोदने लगा. उसकी शक्ल देख के लग रहा था की मेरी पिटाई से वो मर ही गयी है. वो जमीन पर लेती हुई थी. मैं छीनाल को ले रहा था. उनकी चूत मार रहा था. मेरे धक्कों से रंडी की दोनों छातियाँ लपर लपर करके हिल रही थी. सच में मेरी सौतेली माँ के पास ऐसा हुस्न था की वो इससे किसी को भी दीवाना बना लेती थी. मैं कुछ पल के लिए छिनाल के रूप रंग और खूबसूरती को देखता रह गया. फिर मैं उसके मम्मों पर कूद पड़ा. जोर जोर से अपनी हथेलियों से उसके दूध निचोड़ने लगा. वो चिल्लाने लगी. मैं और जोर जोर से अपनी सौतेली माँ को पेलने लगा. मैं जोर जोर से अपनी कमर चला रहा था. मैं अपनी सौतेली माँ को चोदने हुए उसकी अनेक फोटो खीच ली.
'अगर तू चाहती है की मैं ये तस्वीरे किसी मैग्जीन या सेक्सी किताब में छपने के लिए ना दूँ तो मेरा जो मकान तुने कुटिलता से अपने नाम करवा लिया है, उसे फिर से मेरे नाम करदे' मैंने कहा. अगले दिन मैं उस कुतिया को लेकर कचेहरी गया और अपने कमाल और जायदाद को अपने नाम करवा लिया. मेरे दूसरे खूंखार रूप को देखकर उस कामिनी की गांड फट गयी थी. वो मुझे बहुत सीधा मानती थी. पर उसके जुल्म ओ सितम ने तंग आकर मै अब एक राक्षस, एक हैवान बन चुका था. कुछ दिन बाद उस बदचलन औरत ने फिर से कालोनी के दूसरे मर्द से इश्क लडाने की कोशिश की. मेरे दोस्त कुनाल ने मुझे बताया 'आदित्य, तेरी माँ आज उस आदमी के साथ इश्क फरमाँ रही थी' कुनाल ने मुझे बताया. कुछ और लोग ने मुझे बताया की जब मैं कॉलेज चला जाता हूँ तो मेरी गैर मौजूदगी में कई आदमी तुम्हारे घर में जाते है और घंटों घंटों बाद निकलते है. ये सुनकर मैं गुस्से में आ गया.मैंने अपनी सौतेली माँ को एक दीवाल से बाँध दिया. और उसे कई कोडे मारे.
आदित्य बेटे!! मुझे माफ कर दो !! मै बहक गयी थी??' मेरी इश्कबाज सीटियाबाज माँ बोली. मैंने उसपर फिर से लात घूसों की बरसात कर दी. मैंने सिगरेट सुलगाई और उसके बड़े बड़े मम्मो की काली काली निपल्स पर दाग दी. ऐसा करते हुए मुझे बड़ा मजा आया. मैंने कुछ नुकीले पिन लिए और उसके मस्त मस्त आम जैसे दिखने वाले चुच्चों में गड़ा दिए. मेरी सौतेली माँ की गांड फट गयी. फिर मैंने उसको एक खम्बे से बाँध दिया. उसके दोनों पैर मैंने खीच पर बाँध दिए जिससे उसकी गांड और बुर साफ साफ दिखे. मैंने अपने बाप की बेंत उठाई उसकी बुर में खोस दी. मैं उस बेंत से जोर जोर से उस कामिनी औरत की बुर चोदने लगा. बेंत का चौड़ा मुट्ठा बहुत चौड़ा था. जब मैं उसको उसकी बुर में चलाता था तो उसे खूब दर्द होता था. ये देखकर मुझे बड़ा मजा आ रहा था.
फिर मैंने अपनी सौतेली माँ के भोसड़े में अपना मोटा लौड़ा डाल दिया और उसको चोदने पेलने लगा. मैं उसे खूब चोदा. फिर मैंने अपने बाप की वो लम्बी बेंत सौतेली माँ की गांड में डाल दी. 'मर गई!! हाय मैं मर गई!! बचाओ! कोई मुझे बचाओ!' वो कुतिया चिल्लाने लगी. मैं उसकी कसी कसी गांड में अपने बाप की वो बेंत डालकर उसकी गांड चोदने लगा. मैं उसके गोल गोल मस्त मस्त चूतडों पर रस्सी भी मार रहा था. सट सट! की आवाज निकल रही थी. जहाँ पर रस्सी पडती ती, वहां की खाल उधड़ जाती थी. मैं उसे खूब तड़पा रहा था. बड़ी देर तक मैं उस दुस्त औरत की गांड में बेंत डालकर उसकी गांड चोदता रहा. फिर मैंने उसको कुतिया बना दिया. और उसकी कसी कसी गांड में मैंने अपना लौड़ा डाल दिया. मैं अपनी सौतेली माँ के मस्त मस्त चूतडों पर हाथ से जोर जोर से चपत लगाने लगा.
वो सिसकने लगी. मैं उसकी गांड मारने लगा. मेरा बड़ा सा लौड़ा उसकी कसी गाड़ में पूरा अंदर उतर गया था. बड़ा मखमली अहसास था वो. मेरी माँ की गांड इतनी मस्त, इतनी मीठी होगी मैं नही जनता था. मैं जोर जोर से अपनी माँ की गांड चोदने लगा. मेरा लौड़ा जो अन्दर सरक रहा था बहुत ही मजा पा रहा था. मेरे लौड़े की खाल में नशीली रगड़ लग रही थी. सौतेली माँ की गांड बड़ी गुद्देदार थी. बिल्कुल खरबूजे जैसे थी. लग रहा था की मैं कोई कद्दू काट रहा हूँ. अपने मजे को बढ़ाने के लिए मैं अपने सीधे हाथ को नीचे ले गया और उस छिनाल की चूत को मैं सहलाने लगा. वो मचलने लगी. फिर मैंने अपनी २ ऊँगली अपनी सौतेली माँ के भोसड़े में डाल दी और ऊँगली चलाने लगी. उधर मैं उपर से मैं उसकी गांड को चोद ही रहा था.
ले कुतिया !! कितना लौड़ा चाहिए तुझको !! आज जी भरके के लौड़ा खा ले !' मैं गुर्राया. मैंने उत्तेजना में २ ४ थप्पड़ उस कामिनी के लगा दिए. फिर से मैंने अपनी २ ऊँगली उसकी बुर में डाल दी. ऊँगली से मैं उसकी बुर चोदने लगा और लौड़े मोटे लौड़े से उसकी गांड. कुछ देर बाद मैंने उसकी गांड के छेद में ही अपना माल गिरा दिया. मेरे बदले हुए वहसी रूप को देखकर मेरी सौतेली माँ अब मुझसे बहुत खौफ खाने लगी थी. अब वो मेरी पालतू कुतिया बन गई थी. अब मेरे घर में उसके नहीं मेरे नियम् कायदे चलते थे. मैं कहीं भी बाहर जाता था वो उसे घर में बंद कर देता था. बाहर मैं ताला मार देता था. इस तरह मित्रों कई दिन गुजर गए, मेरी सौतेली माँ मेरी पालतू कुतिया बन गई थी.
मैं जब कहता था की बैठ जाओ, तब वो बैठ जाती थी. जब मैं कहता था की खड़ी हो जाओ, वो कामिनी खड़ी हो जाती थी. अब उसका दिमाग बिल्कुल ठिकाने था. मुझे आज भी उसके जुल्म ओ सितम याद आते थे. जब वो मुझे झूठे बहाने बनाकर मुझे मेरे बाप से मार खिलवाती थी. आज भी मुझे उसके जुल्म ओ सितम याद थे. पर अब पॉवर मेरे हाथों में आ गया था. एक दिन मेरा दोस्त संजय मेरे घर आया.
जा मेहमान के लिए चाय लेकर आ !! मैंने अपनी सौतेली माँ को आदेश दिया. अंदर रसोई में चली गयी. मेरा दोस्त संजय मेरी जवान और चुदासी माँ को गौर से देखने लगा. जब वो चाय की ट्रे हाथ में लेकर आई और झुककर मेज पर रखने लगी तो उनके मस्त मस्त दूध दिखने लगे.
'यार आदित्य!! तुम्हारी सौतेली माँ तो बड़ी सोलिड माल है!!' वो बोला
चोदेगा इसे ??' मैंने संजय से पूछा.
वो हाँ में सिर हिलाने लगा. मैंने अपनी कामिनी दुस्त माँ को बुलाया. 'ये मेरा दोस्त है संजय! इसे कमरे में ले जाकर खुश कर!' मैंने कहा. संजय का लंड ही खड़ा हो गया था. मेरी सौतेली माँ ना नुकुर करने लगी. मैंने उसे आँखें दिखाई ' छिनाल!! क्या तुम कल वाली मार भूल गयी' मैंने कहा. वो डर गयी. कुछ देर बाद मैंने कमरे में झांक के देखा को मेरा दोस्त मेरी विधवा सौतेली माँ को ले रहा था. वो दुस्त औरत नंगी थी. संजय उनके दूध को अपना मुँह लगाकर पी रहा था. और जोर जोर से फटके मार् के वो उसको चोद रहा था. संजय ने मेरी माँ को खूब लिया और जब बाहर निकला तो वो अति प्रसन्न दिख रहा था.
'यार आदित्य!! ये ले हजार रुपए. तेरी माँ तो बड़ी गजब की माल है. मैं कल इसको एक बार और लूँगा!!' वो बोला.
फिर तो दोस्तों सिलसिला ही चल निकला. मैं अपने दोस्तों से ५०० ५०० रूपए ले लेता और अपनी सौतेली माँ को खूब चुदवाता. अब वो पूरी तरह से मेरी पालतू कुतिया बन चुकी थी. मैं उससे हर दिन धंधा करवाने लगा. मेरा बाप का सारा पैसा जो उसने खर्च करवा दिया था और अपने लिए सोने के गहने बनवा दिए थे. वो पैसे मैंने दोबारा बैंक में जमा कर दिए. मैंने अपनी माँ से खूब धंधा करवाया. जब भी मुझे चूत की जरुरत होती थी मैं अपनी माँ को पेलता था. फिर मैंने उससे शादी कर ली. वो उम्र में मुझसे १० साल बड़ी थी पर मुझे इससे कोई फर्क नही पड़ता था. आज मैंने अपनी सौतेली माँ के साथ सुहागरात मनाई. उसे इससे पहले मेरे बाप ने चोदा था, फिर मैंने लिया था, फिर मेरे दोस्त संजय ने लिया था. फिर मेरे और दोस्तों, ने लिया था, पर आज भी मेरी सौतेली माँ बड़ी टंच माल थी. मैं आज उसके साथ सुगाहरात मनाई.
मैं किसी तरह अपनी सौतेली माँ का जिल्लत भरा व्यवहार बर्दास्त करता. धीरे धीरे वो मुझे मारने पिटने लगी. कभी को गरम चिमटे से दाग देती. मेरे खाने में वो जलन के कारण जादा नमक डाल देती. मेरी चाय में इर्षा वश चीनी ही नही डालती. फिर वो मुझे घर से निकल जाने की बात रोज रोज कहने लगी. 'मैं तेरा चेहरा भी इस घर में नही देखना चाहती हूँ. निकल जा! निकल जा मेरे घर से!!' मेरी सौतेली माँ कहती. कुछ दिन बाद मेरे बाप की हर्ट अटैक से मौत हो गयी. इसके पीछे भी मेरी सौतेली माँ ही जिम्मेदार थी. उसने मेरे सीधे साधे बाप को फुसलाकर पूरा घर अपने नाम करवा लिया था. इतना ही नही जब उन कमिनी औरत ने ५ प्लाट जो मेरे बाप ने ख़रीदे थे उसे भी अपने नाम करवा लिया था. ये जानकर मेरे बाप को अटैक पड़ गया था.
कुछ दिन बाद मुझे पता चला की मेरी माँ सोसाईटी के कई मर्दों से फसी हुई है. बाद में मुझे जो जो बातें पता चली की मेरे पैर तले जमीन खिसक गयी. मेरी सौतेली माँ का येही धंधा सा. वो राईस विधुर आदमियों को अपने रूप के जाल में फसाती थी फिर उनकी सारी दौलत अपने नाम करवा लेती थी. मैं जब अपने कॉलेज से लौटा तो मेरा माँ मेरा ही घर में किसी गैर मर्द के साथ चुम्मा चाटी कर रही थी. उस दिन दोस्तों, मेरा खून खौल गुया. उस वक्त मैंने कुछ नही कहा. जो वो गैर मर्द चला गया तो मैंने अपनी सौतेली माँ को जूतों, चप्पलों से खूब पीटा. वो बचाओ! कोई मुझे बचाओ !! चिल्लाने लगी. मैं उसको अपने बाप की बेंत से मारता रहा.
ले कुतिया!! ले छिनाल!! तू इसी के लायक है!! मैंने कहा
और उसको मैंने खूब पीटा. मैं उसे अंडर कमरे में ले गया. मैंने उसका ब्लौस फाड़ दिया. मैंने अपने फोन से उसकी कई तस्वीरे ले ली. 'ये..ये क्या कर रहें हो तुम? देखो मैं पुलिस में सिकायत करुँगी!' उसने मुझे धमकी दी. मैंने उसकी साड़ी भी फाड़ दी. और फिर उसका ब्लौस पेटीकोट भी फाड़ के निकाल दिया. मेरी सौतेली माँ अब नंगी हो चुकी थी. मैंने उसके बाल खिंच के पकड़े और उसके गाल पर १० तमाचे लगा दिए. उस कुतिया का मुह मार खाकर लाल हो गया. फिर मैंने उसके नंगे बदन पर कई लात जमा दी. 'आई मर गयी!! मर गयी मैं!!' वो चिल्लाने लगी. मैंने सिगरेट सुलगाई और उसके गोल गोल चुतड पर मैंने सिगरेट से दाग दिया. मैं अब बिल्कुल एक हैवान बन चुका था. मैंने उसके गोल मटोल बड़े बड़े चूतडों पर कई लात जमा दी. वो कुतिया अधमरी हो गयी.
फिर मैंने उनके दोनों पैर पकड़ के खोल दिए. मेरी सौतेली माँ की बहुत सारी घनी घनी काली काली झाटें थी. मैंने अपना मोटा लौड़ा उनके भोसड़े में डाल दिया और रंडी को चोदने लगा. उसकी शक्ल देख के लग रहा था की मेरी पिटाई से वो मर ही गयी है. वो जमीन पर लेती हुई थी. मैं छीनाल को ले रहा था. उनकी चूत मार रहा था. मेरे धक्कों से रंडी की दोनों छातियाँ लपर लपर करके हिल रही थी. सच में मेरी सौतेली माँ के पास ऐसा हुस्न था की वो इससे किसी को भी दीवाना बना लेती थी. मैं कुछ पल के लिए छिनाल के रूप रंग और खूबसूरती को देखता रह गया. फिर मैं उसके मम्मों पर कूद पड़ा. जोर जोर से अपनी हथेलियों से उसके दूध निचोड़ने लगा. वो चिल्लाने लगी. मैं और जोर जोर से अपनी सौतेली माँ को पेलने लगा. मैं जोर जोर से अपनी कमर चला रहा था. मैं अपनी सौतेली माँ को चोदने हुए उसकी अनेक फोटो खीच ली.
'अगर तू चाहती है की मैं ये तस्वीरे किसी मैग्जीन या सेक्सी किताब में छपने के लिए ना दूँ तो मेरा जो मकान तुने कुटिलता से अपने नाम करवा लिया है, उसे फिर से मेरे नाम करदे' मैंने कहा. अगले दिन मैं उस कुतिया को लेकर कचेहरी गया और अपने कमाल और जायदाद को अपने नाम करवा लिया. मेरे दूसरे खूंखार रूप को देखकर उस कामिनी की गांड फट गयी थी. वो मुझे बहुत सीधा मानती थी. पर उसके जुल्म ओ सितम ने तंग आकर मै अब एक राक्षस, एक हैवान बन चुका था. कुछ दिन बाद उस बदचलन औरत ने फिर से कालोनी के दूसरे मर्द से इश्क लडाने की कोशिश की. मेरे दोस्त कुनाल ने मुझे बताया 'आदित्य, तेरी माँ आज उस आदमी के साथ इश्क फरमाँ रही थी' कुनाल ने मुझे बताया. कुछ और लोग ने मुझे बताया की जब मैं कॉलेज चला जाता हूँ तो मेरी गैर मौजूदगी में कई आदमी तुम्हारे घर में जाते है और घंटों घंटों बाद निकलते है. ये सुनकर मैं गुस्से में आ गया.मैंने अपनी सौतेली माँ को एक दीवाल से बाँध दिया. और उसे कई कोडे मारे.
आदित्य बेटे!! मुझे माफ कर दो !! मै बहक गयी थी??' मेरी इश्कबाज सीटियाबाज माँ बोली. मैंने उसपर फिर से लात घूसों की बरसात कर दी. मैंने सिगरेट सुलगाई और उसके बड़े बड़े मम्मो की काली काली निपल्स पर दाग दी. ऐसा करते हुए मुझे बड़ा मजा आया. मैंने कुछ नुकीले पिन लिए और उसके मस्त मस्त आम जैसे दिखने वाले चुच्चों में गड़ा दिए. मेरी सौतेली माँ की गांड फट गयी. फिर मैंने उसको एक खम्बे से बाँध दिया. उसके दोनों पैर मैंने खीच पर बाँध दिए जिससे उसकी गांड और बुर साफ साफ दिखे. मैंने अपने बाप की बेंत उठाई उसकी बुर में खोस दी. मैं उस बेंत से जोर जोर से उस कामिनी औरत की बुर चोदने लगा. बेंत का चौड़ा मुट्ठा बहुत चौड़ा था. जब मैं उसको उसकी बुर में चलाता था तो उसे खूब दर्द होता था. ये देखकर मुझे बड़ा मजा आ रहा था.
फिर मैंने अपनी सौतेली माँ के भोसड़े में अपना मोटा लौड़ा डाल दिया और उसको चोदने पेलने लगा. मैं उसे खूब चोदा. फिर मैंने अपने बाप की वो लम्बी बेंत सौतेली माँ की गांड में डाल दी. 'मर गई!! हाय मैं मर गई!! बचाओ! कोई मुझे बचाओ!' वो कुतिया चिल्लाने लगी. मैं उसकी कसी कसी गांड में अपने बाप की वो बेंत डालकर उसकी गांड चोदने लगा. मैं उसके गोल गोल मस्त मस्त चूतडों पर रस्सी भी मार रहा था. सट सट! की आवाज निकल रही थी. जहाँ पर रस्सी पडती ती, वहां की खाल उधड़ जाती थी. मैं उसे खूब तड़पा रहा था. बड़ी देर तक मैं उस दुस्त औरत की गांड में बेंत डालकर उसकी गांड चोदता रहा. फिर मैंने उसको कुतिया बना दिया. और उसकी कसी कसी गांड में मैंने अपना लौड़ा डाल दिया. मैं अपनी सौतेली माँ के मस्त मस्त चूतडों पर हाथ से जोर जोर से चपत लगाने लगा.
वो सिसकने लगी. मैं उसकी गांड मारने लगा. मेरा बड़ा सा लौड़ा उसकी कसी गाड़ में पूरा अंदर उतर गया था. बड़ा मखमली अहसास था वो. मेरी माँ की गांड इतनी मस्त, इतनी मीठी होगी मैं नही जनता था. मैं जोर जोर से अपनी माँ की गांड चोदने लगा. मेरा लौड़ा जो अन्दर सरक रहा था बहुत ही मजा पा रहा था. मेरे लौड़े की खाल में नशीली रगड़ लग रही थी. सौतेली माँ की गांड बड़ी गुद्देदार थी. बिल्कुल खरबूजे जैसे थी. लग रहा था की मैं कोई कद्दू काट रहा हूँ. अपने मजे को बढ़ाने के लिए मैं अपने सीधे हाथ को नीचे ले गया और उस छिनाल की चूत को मैं सहलाने लगा. वो मचलने लगी. फिर मैंने अपनी २ ऊँगली अपनी सौतेली माँ के भोसड़े में डाल दी और ऊँगली चलाने लगी. उधर मैं उपर से मैं उसकी गांड को चोद ही रहा था.
ले कुतिया !! कितना लौड़ा चाहिए तुझको !! आज जी भरके के लौड़ा खा ले !' मैं गुर्राया. मैंने उत्तेजना में २ ४ थप्पड़ उस कामिनी के लगा दिए. फिर से मैंने अपनी २ ऊँगली उसकी बुर में डाल दी. ऊँगली से मैं उसकी बुर चोदने लगा और लौड़े मोटे लौड़े से उसकी गांड. कुछ देर बाद मैंने उसकी गांड के छेद में ही अपना माल गिरा दिया. मेरे बदले हुए वहसी रूप को देखकर मेरी सौतेली माँ अब मुझसे बहुत खौफ खाने लगी थी. अब वो मेरी पालतू कुतिया बन गई थी. अब मेरे घर में उसके नहीं मेरे नियम् कायदे चलते थे. मैं कहीं भी बाहर जाता था वो उसे घर में बंद कर देता था. बाहर मैं ताला मार देता था. इस तरह मित्रों कई दिन गुजर गए, मेरी सौतेली माँ मेरी पालतू कुतिया बन गई थी.
मैं जब कहता था की बैठ जाओ, तब वो बैठ जाती थी. जब मैं कहता था की खड़ी हो जाओ, वो कामिनी खड़ी हो जाती थी. अब उसका दिमाग बिल्कुल ठिकाने था. मुझे आज भी उसके जुल्म ओ सितम याद आते थे. जब वो मुझे झूठे बहाने बनाकर मुझे मेरे बाप से मार खिलवाती थी. आज भी मुझे उसके जुल्म ओ सितम याद थे. पर अब पॉवर मेरे हाथों में आ गया था. एक दिन मेरा दोस्त संजय मेरे घर आया.
जा मेहमान के लिए चाय लेकर आ !! मैंने अपनी सौतेली माँ को आदेश दिया. अंदर रसोई में चली गयी. मेरा दोस्त संजय मेरी जवान और चुदासी माँ को गौर से देखने लगा. जब वो चाय की ट्रे हाथ में लेकर आई और झुककर मेज पर रखने लगी तो उनके मस्त मस्त दूध दिखने लगे.
'यार आदित्य!! तुम्हारी सौतेली माँ तो बड़ी सोलिड माल है!!' वो बोला
चोदेगा इसे ??' मैंने संजय से पूछा.
वो हाँ में सिर हिलाने लगा. मैंने अपनी कामिनी दुस्त माँ को बुलाया. 'ये मेरा दोस्त है संजय! इसे कमरे में ले जाकर खुश कर!' मैंने कहा. संजय का लंड ही खड़ा हो गया था. मेरी सौतेली माँ ना नुकुर करने लगी. मैंने उसे आँखें दिखाई ' छिनाल!! क्या तुम कल वाली मार भूल गयी' मैंने कहा. वो डर गयी. कुछ देर बाद मैंने कमरे में झांक के देखा को मेरा दोस्त मेरी विधवा सौतेली माँ को ले रहा था. वो दुस्त औरत नंगी थी. संजय उनके दूध को अपना मुँह लगाकर पी रहा था. और जोर जोर से फटके मार् के वो उसको चोद रहा था. संजय ने मेरी माँ को खूब लिया और जब बाहर निकला तो वो अति प्रसन्न दिख रहा था.
'यार आदित्य!! ये ले हजार रुपए. तेरी माँ तो बड़ी गजब की माल है. मैं कल इसको एक बार और लूँगा!!' वो बोला.
फिर तो दोस्तों सिलसिला ही चल निकला. मैं अपने दोस्तों से ५०० ५०० रूपए ले लेता और अपनी सौतेली माँ को खूब चुदवाता. अब वो पूरी तरह से मेरी पालतू कुतिया बन चुकी थी. मैं उससे हर दिन धंधा करवाने लगा. मेरा बाप का सारा पैसा जो उसने खर्च करवा दिया था और अपने लिए सोने के गहने बनवा दिए थे. वो पैसे मैंने दोबारा बैंक में जमा कर दिए. मैंने अपनी माँ से खूब धंधा करवाया. जब भी मुझे चूत की जरुरत होती थी मैं अपनी माँ को पेलता था. फिर मैंने उससे शादी कर ली. वो उम्र में मुझसे १० साल बड़ी थी पर मुझे इससे कोई फर्क नही पड़ता था. आज मैंने अपनी सौतेली माँ के साथ सुहागरात मनाई. उसे इससे पहले मेरे बाप ने चोदा था, फिर मैंने लिया था, फिर मेरे दोस्त संजय ने लिया था. फिर मेरे और दोस्तों, ने लिया था, पर आज भी मेरी सौतेली माँ बड़ी टंच माल थी. मैं आज उसके साथ सुगाहरात मनाई.